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प्राकृत भारती पुष्प ५७ श्री आनन्दघन चौबीसी [१७ स्तवनों का संक्षिप्त भावार्थ, अवशिष्ट स्तवन मूल]
विवेचनकार : युगप्रधान श्री सहजानंदघनजी महाराज
सम्पादक:
मँवरलाल नाहटा
प्रकाशक : प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर श्रीमद् राजचन्द्र आश्रम, हम्पी
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