Book Title: Ajitsen Shilwati Charitram
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Ajitsagarsuri Shastra Sangraha
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दु ग्रन्थकर्तुरन्येऽपि श्रीचन्द्रराजचरित्र, प्रकरणसुखसिन्धु, सुभाषितमुक्तावली, चतुर्विंशतिजिनस्तुतिसंग्रह, विविधजिनाष्टक, गुरुपदपूजा, काव्यसुधाकर, गीतरत्नाकर, गीतप्रभाकर, संवेधषट् त्रिंशिका, श्रीसुपार्श्वनाथ चरित्रभागद्वयसुरसुन्दर्यनुवादप्रभृतयः संस्कृतप्राकृता ग्रन्था जनतोपकारिणः प्रस्फुरन्ति,
अस्य चरित्रस्य विशोधने सम्यग्दत्ताऽवधानो वैयाकरणाऽऽचार्य श्रीमान् भाईशङ्करशास्त्री परिश्रममातनोत्तेषामुपकृतिरविस्मरणीयाऽस्ति, छद्मस्थभावाद्मन्थकर्तुर्विशोधकस्याऽक्षरयोजकानां चं कुत्रचित्स्खलना जाताचेद्धीधनैर्विशोध्यम्
यतः–“ गच्छतः स्खलना क्वाऽपि भवत्येव प्रमादतः । हसन्ति दुर्जनास्तत्र समादधति सज्जनाः ॥ १ ॥ "
इत्याशास्ते-
प्रसिद्धवक्ता श्रीमद् अजितसागरसूरीश्वर चरणसरोजचञ्चरीकायमाणः,
मु. बरसोडा ( महीकांठा )
वीर संवत २४५४ विक्रम संवत् १६८४. बुद्धि सं. ३ अक्षयतृतीयायां रविवासरे.
解
मुनि हेमेन्द्रसागरः
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