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नहीं देते। पूंजीवादी प्रेसों और उनकी सरकारों का व्यापक प्रचार गरीबों की सुनवाई कहीं नहीं होने देता । गरीब यदि जीने की कुछ सुविधाएँ माँगता है, अपनी आवाज बुलंद करने की चेष्टा करता है तो उसे सभी जगह विन्सक, साम्बादी, देश द्रोही आदि नामकरण देकर उसे हर तरह दबा दिया जाता है। यदि किसी स्वतंत्र देश ने पूंजीवादी देशों के संरक्षण बिना उन्नति करने की “धृष्टता" की या प्रयत्न किया तो उसे किसी प्रकार युद्ध में घसीट कर बर्बाद कर दिया जाता है ।
* हिंसा-वाणी*
हमारा भारत स्वतंत्र तो हुआ पर इन्हीं आन्तरिक एवं अन्तर्राष्ट्रीय परिस्थितियों तथा वातावरण में इस तरह दब गया कि खुलकर सांस न ले सका । गरीब पिसते ही रहे । नया चुना हुआ पर जहाँ इतनी अविद्या और शक्ति तथा शक्ति वाले (Power and men in power) का भय और शक्ति प्राचीन काल से हमारे नागरिकों के अन्दर कूट-कूटकर भरी हुई है वह चुनाव (Election) तो किसी भी हालत में जनता के सच्चे आन्तरिक मतों का द्योतक नहीं हो सकता- जब कि चुनाव के समय वे
लोग राजकार्य चलाने वाले बने ही रहे जो या तो भ्रष्टाचार में स्वयं संलिप्त थे, या उसे दबाने में सर्वथा समर्थ रहे थे और जिन्हें किसी भी उपाय से शक्ति अपने हाथ में करना
ही एक मात्र इष्ट या ध्येय था । विहार प्रान्त में अभी हाल में ही एक मिनिस्टर ने कहा कि हम " माइनर इर्रीगेशन” (Mionor irriegation) के कारण ही चुनावों में सफल हो सके । प्रान्त में माइनर इरीगेशन (Mionor irrigation) के नाम में जो कुछ हुआ या होता रहा अखबार पढ़ने वाले जानते हैं। चुनाव के थोड़े ही दिन पहले एक करोड़ से अधिक रुपया इस मद में सरकार ने निकाला और खर्च किया । पहले भी कई करोड़, खर्च किए गए थे। हाल में भारतीय पार्लियामेंट में एक सदस्य ने कहा कि हमारे इर्रीगेशन स्कीम के रुपये खेतों की सिंचाई नहीं करते " पाकेटों " (Pockets) की सिंचाई करते हैं । इत्यादि । यह तो हमारी स्वतंत्रता की हालत है। हम रोंएं या हँसें समझ में नहीं आता ।
एक पंचवर्षीय योजना बन रही है पर उसमें भी देश व्यापी भ्रष्टाचार को दूर करने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है । हमारे प्रधानमंत्री जी कहते हैं कि हम एक एक काम एकएक बार (in order of priority) करेंगे। पहले पाँच वर्षों में भारत को भोजन - श्रन में स्वावलंबी बनाना है । फिर वस्त्र में, फिर मकान, उसके बाद शिक्षा की वृद्धि । इतना कर लेने के बाद तब दूसरी तरफ ध्यान दिया जायगा । इस तरह पाँच-पाँच वर्ष करके अन्न, वस्त्र, मकान, शिक्षा और