Book Title: Agamik Gaccha Prachin Trustutik Gaccha ka Itihas
Author(s): Shivprasad
Publisher: Z_Aspect_of_Jainology_Part_3_Pundit_Dalsukh_Malvaniya_012017.pdf

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Page 11
________________ आगमि गच्छ / प्राचीन त्रिस्तुतिक गच्छ का संक्षिप्त इतिहास २५१ साहित्यिक और अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर निर्मित आगमिकगच्छ [ धंधूकीयाशाखा ] का वंशवृक्ष [ तालिका-१ ] शीलगुणसूरि देवभद्रसूरि धर्मघोषसूरि यशोभद्रसूरि सर्वाणंदसूर I जिनचन्द्रसूरि T विजयसिंहसूरि अभयदेवसूरि अभयसिंहसूर [ वि० सं० १४२१ ] प्रतिमालेख I अमरसिंहसूरि [वि० सं० १४५१-१४८३ ] प्रतिमालेख हेमरत्नसूर [वि० सं० १४८४-१५२१ ] प्रतिमालेख | धर्मरत्नसूरि T मेघ रत्नसूर Jain Education International साधुमेरु [वि० सं० १५०१ में अमररत्नसूरि [वि० सं० १५२४-४३] पुण्यसारस के कर्ता ] प्रतिमालेख सोमरत्नसूरि [वि. सं.१५४८-८१ ] कल्याणराजसूरि प्रतिमालेख i सौभाग्य सुन्दरसूरि [वि० सं० १६१० ] प्रतिमालेख गुणनिधानसूरि उदयरत्नसूर [ वि.सं. १५८६-८७] प्रतिमालेख वज्रसेनसूरि क्षमाकलश [ वि. सं. १५५१ में सुन्दरराजारास ] [वि. सं. १५५३ में ललिताङ्गकुमाररास ] अमररत्न सूरिशिष्य [ अमररत्नसूरिफा के कर्ता ] For Private & Personal Use Only गुणमेरुरि मतिसागरसूरि [वि० सं० १५९४ ] लघुक्षेत्रसमासचौपाई के रचनाकार www.jainelibrary.org

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