Book Title: Agamik Gaccha Prachin Trustutik Gaccha ka Itihas
Author(s): Shivprasad
Publisher: Z_Aspect_of_Jainology_Part_3_Pundit_Dalsukh_Malvaniya_012017.pdf
Catalog link: https://jainqq.org/explore/210167/1

JAIN EDUCATION INTERNATIONAL FOR PRIVATE AND PERSONAL USE ONLY
Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगमिक गच्छ/प्राचीन त्रिस्तुतिक गच्छ का संक्षिप्त इतिहास डा० शिव प्रसाद पूर्वमध्यकाल में श्वेताम्बर श्रमणसंघ का विभिन्न गच्छों और उपगच्छों में विभाजन जैन धर्म के इतिहास की एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण घटना है। चन्द्रकुल (बाद में चन्द्रगच्छ) से अनेक छोटी-बड़ी शाखाओं ( गच्छों) का प्रादुर्भाव हुआ और ये शाखायें पुनः कई उपशाखाओं में विभाजित हुई। चन्द्रकुल की एक शाखा ( वडगच्छ /बृहद्गच्छ ) के नाम से प्रसिद्ध हुई । वडगच्छ से वि०सं० ११४९ में पूर्णिमागच्छ का प्रादुर्भाव हुआ और पूर्णिमागच्छ की एक शाखा वि० सं० की १३वीं शती से आगमिकगच्छ के नाम से प्रसिद्ध हुई। पूर्णिमागच्छ के प्रवर्तक आचार्य चन्द्रप्रभसूरि के शिष्य आचार्य शील गुणसूरि इस गच्छ के आदिम आचार्य माने जाते हैं। इस गच्छ में यशोभद्रसूरि, सर्वाणंदसूरि, विजयसिंहसूरि, अमरसिंहसूरि, हेमरत्नसूरि, अमररत्नसूरि, सोमप्रभसूरि, आणंदप्रभसूरि, मुनिरत्नसूरि, आनन्दरत्नसूरि आदि कई विद्वान् एवं प्रभावक आचार्य हुए हैं, जिन्होंने अपने साहित्यिक और धार्मिक क्रियाकलापों से श्वेताम्बर श्रमणसंघ को जीवन्त बनाये रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका प्रदान की। पूर्णिमागच्छीय आचार्य शीलगुणसरि और उनके शिष्य देवभद्रसूरि द्वारा जीवदयाणं तक का शक्रस्तव और ६७ अक्षरों का परमेष्ठीमन्त्र, तीन स्तुति से देववन्दन आदि बातों में आगमपक्ष के समर्थन से वि०सं० १२१४ या १२५० में आगमिकगच्छ अपरनाम त्रिस्तुतिकमत का प्रादुर्भाव हुआ।' आगमिक गच्छ के इतिहास के अध्ययन के लिये साहित्यिक और अभिलेखीय दोनों प्रकार के साक्ष्य उपलब्ध हैं। साहित्यिक साक्ष्यों के अन्तर्गत इस गच्छ के आचार्यों द्वारा लिखित ग्रन्थों की प्रशस्तियों तथा इस गच्छ और इसकी शाखाओं की पट्टावलियों का उल्लेख किया जा सकता है। अभिलेखीय साक्ष्यों के अन्तर्गत इस गच्छ के आचार्यों / मुनिजनों द्वारा प्रतिष्ठापित जिन प्रतिमाओं पर उत्कीर्ण लेखों को रखा गया है, इनकी संख्या सवा दो सौ के आसपास है। पट्टावलियों द्वारा इस गच्छ की दो शाखाओं-धंधूकीया और विडालंबीया का पता चलता है। आगमिकगच्छ और उसकी शाखाओं की पट्टावलियों की तालिका इस प्रकार है ... १. नाहटा, अगरचन्द ."जैन श्रमणों के गच्छों पर संक्षिप्त प्रकाश" यतीन्द्रसूरिअभिनन्दनग्रन्थ (आहोर, १९५८ ई०) पृष्ठ १३५-१६५ । Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४२ डॉ. शिव प्रसाद अज्ञात पट्टावली क्रमाङ्क पट्टावली का नाम रचनाकार संभावित संदर्भ ग्रन्थ . तिथि आगमिकगच्छपट्टावली अज्ञात १३वीं शती विविधगच्छीयपट्टावली लगभग संग्रह-संपा० जिनविजय पृष्ठ ९-१२ आगमिकगच्छपट्टावली अज्ञात १६वीं शती जैनगूर्जरकविओ, भाग ३, लगभग परिशिष्ट, संपा० मोहन लाल दलीचंद देसाई पृष्ठ २२२४-२२३२ धंधूकीया शाखा की १७वीं शती वही, पृष्ठ २२३२ पट्टावली लगभग विडालंबीया शाखा अज्ञात १८वीं शती वही पृष्ठ २२३३ की पट्टावली लगभग आगमिकगच्छ- मुनिसागरसूरि १६वीं शती पट्टावलीसमुच्चय, भाग२ १५८-१६२ लगभग जैनसत्यप्रकाश वर्ष ६, अंक ४ जैन परम्परानो इतिहास भाग-२, पृष्ठ ५४०-५४२ विविधगच्छीयपट्टावली संग्रह, पृष्ठ २३४-२३५ धंधूकीयाशाखा अज्ञात १७वीं शती विविधगच्छीयपट्टावलीकी पट्टावली लगभग संग्रह, पृष्ठ २३५-२३६ उक्त तालिका की प्रथम पट्टावली में आगमिकगच्छ के प्रवर्तक आचार्य शीलगुणसूरि का पूर्णिमागच्छीय आचार्य चन्द्रप्रभसूरि के शिष्य के रूप में उल्लेख है। इसके अतिरिक्त इस पट्टावली से आगमिकगच्छ के इतिहास के बारे में कोई सूचना नहीं मिलती है। तालिका में प्रदर्शित अंतिम दोनों पट्टावलियाँ आगमिक गच्छ के प्रकटकर्ता शीलगुणसूरि से प्रारम्भ होती हैं। ये पट्टावलियाँ इस प्रकार हैं :मुनिसागरसूरि द्वारा रचित आगमिकगच्छपट्टावली में उल्लिखित गुरु परम्परा की सूची शीलगुणसूरि [ आगमिकगच्छ के प्रवर्तक ] देवभद्रसूरि धर्मघोषसूरि Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगमिक गच्छ / प्राचीन त्रिस्तुतिक गच्छ का संक्षिप्त इतिहास यशोभद्रसूरि सर्वाणंदसूर T अभयदेवसूरि 1 वज्रसेनसूरि जिनचन्द्रसूरि हेमसिंहसूरि रत्नाकरसूरि 1 विजयसिंहसूरि गुणसमुद्रसूरि अभयसिंह सूरि 1 सोमतिलकसूरि T सोमचन्द्रसूरि I गुणरत्नसूर मुनिसिंहसूर शीलरलसूरि आणंदप्रभसूरि मुनिरत्नसूरि 1 मुनिसागरसूरि [ पट्टावली के लेखक ] तालिका में क्रमाङ्क ६ पर प्रदर्शित आगमिकगच्छ ( धंधू की याशाखा ) की पट्टावली में उल्लिखित गुरु-परम्परा की सूची शीलगुणसूरि देव भद्रसूरि धर्मघोषसूरि २४३ यशोभद्रसूरि I Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४४ सर्वासूर जिनचन्द्रसूरि विजयसिंह सूरि 1 अभयसिंहसूर अमरसिंह सूरि हेमरत्नसूर 1 अमररत्नसूरि सोमरत्नसूरि गुणनिधान सूरि I उदयरत्नसूरि सौभाग्यसुन्दरसूरि ' धर्मरत्नसूर मेघरत्नसूर डॉ० शिव प्रसाद अभयदेवसूरि जैसा कि स्पष्ट है, उक्त दोनों पट्टावलियां आगमिकगच्छ के प्रकटकर्ता शीलगुणसूरि से प्रारम्भ होती हैं । इसमें प्रारम्भ के ४ आचार्यों के नाम भी समान हैं, अतः इस समय तक शाखाभेद नहीं हुआ था, ऐसा माना जा सकता है । आगे यशोभद्रसूरि के तीन शिष्यों - सर्वादसूरि, अभयदेवसूरि और वज्रसेनसूरि को पट्टावलीकार मुनिसागरसूरि ने एक सीधे क्रम में रखा है वहीँ धंधूकीया शाखा की पट्टावली में उन्हें यशोभद्रसूरि का शिष्य बतलाया गया है । सर्वाणंदसूरि की शिष्यपरम्परा में जिनचन्द्रसूरि हुए, शेष दो आचार्यों अभयदेवसूरि और वज्रसेनसूरि की शिष्यपरम्परा आगे नहीं चली। जिनचन्द्रसूरि के शिष्य विजयसिंहसूरि का दोनों पट्टावलियों में समान रूप से उल्लेख है। पट्टावलीकार मुनिसागरसूरि ने जिनचन्द्रसूरि के दो अन्य शिष्यों हेमसिंहसूरि और रत्नाकरसूरि का भी उल्लेख किया है, परन्तु उनकी परम्परा आगे नहीं चली । विजयसिंहसूरि के शिष्य अभयसिंहसूरि का नाम भी दोनों पट्टावलियों में समान रूप से मिलता है । अभयसिंहसूरि के दो शिष्यों - अमरसिंहसूरि और सोमतिलकसूरि से यह गच्छ दो शाखाओं में विभाजित हो गया । अमरसिंहसूरि की शिष्यसन्तति आगे चलकर धन्धूकीया शाखा और सोमतिलकसूरि की शिष्यपरम्परा विडालंबीया शाखा के नाम से जानी गयी । यह उल्लेखनीय है कि प्रतिमालेखों में कहीं भी इन शाखाओं का उल्लेख नहीं हुआ है, वहाँ सर्वत्र केवल आगमिकगच्छ का ही उल्लेख है, किन्तु कुछ प्रशस्तियों में स्पष्ट रूप से इन शाखाओं का नाम मिलता है तथा दोनों शाखाओं की पट्टावलियाँ तो स्वतन्त्र रूप से मिलती ही हैं, जिनकी प्रारम्भ में चर्चा की जा चुकी है । वज्रसेनसूरि Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगमिक गच्छ/प्राचीन त्रिस्तुतिक गच्छ का संक्षिप्त इतिहास - २४५ अभयसिंहसरि द्वारा प्रतिष्ठापित एक जिनप्रतिमा पर वि० सं० १४२१ का लेख उत्कीर्ण है, अत; यह माना जा सकता है कि वि० सं० १४२१ के पश्चात् अर्थात् १५वीं शती के मध्य के आसपास यह गच्छ दो शाखाओं में विभाजित हुआ होगा।। चूँकि इस गच्छ के इतिहास से सम्बद्ध जो भी साहित्यिक और अभिलेखीय साक्ष्य उपलब्ध हैं, वे १५वीं शती के पूर्व के नहीं हैं और इस समय तक यह गच्छ दो शाखाओं में विभाजित हो चुका था अतः इन दोनों शाखाओं का ही अध्ययन कर पाना सम्भव है। शीलगुणसूरि तक के ८ पट्टधर आचार्यों में केवल अभयसिंहसूरि का ही वि० सं० १४२१ के एक प्रतिमा लेख में प्रतिमा प्रतिष्ठापक के रूप में उल्लेख है। शेष ७ आचार्यों के बारे में मात्र पट्टावलियों से ही न्यूनाधिक सूचनायें प्राप्त होती हैं, अन्य साक्ष्यों से नहीं। लगभग २०० वर्षों की अवधि में किसी गच्छ में ८ पट्टधर आचार्यों का होना असम्भव नहीं लगता, अतः आगमिक गच्छ के विभाजन के पूर्व इन पट्टावलियों की सूचना को स्वीकार करने में कोई बाधा नहीं है। जैसा कि पूर्व में कहा जा चुका है अभयसिंहसूरि के पश्चात् उनके शिष्यों अमरसिंहसरि और सोमतिलकसूरि की शिष्यसन्तति आगे चलकर क्रमशः धन्धूकीयाशाखा और विडालंबीयाशाखा के नाम से जानी गयी, यह बात निम्नप्रदर्शित तालिका से स्पष्ट होती है-- शीलगुणसूरि [ आगमिकगच्छ के प्रवर्तक ] देवभद्रसूरि धर्मघोषसूरि यशोभद्रसूरि अभयदेवसूरि सर्वानन्दसूरि जिनचन्द्रसूरि वज्रसेनसूरि वज्रसेनसूरि विजयसिंहसूरि हेमसिंहसूरि रत्नाकरसूरि अभयसिंहसूरि अमरसिंहसूरि हेमरत्नसूरि अमररत्नसूरि सोमरत्नरूरि गुणसमुद्रसूरि सोमतिलकसूरि सोमचन्द्रसूरि गुणरत्नसूरि मुनिसिंहसूरि धंधूकीयाशाखा प्रारम्भ विडालंबीया... शाखा प्रारम्भ Jain Education in For Private kersonal Use Only Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४६ डॉ० शिव प्रसाद __ अध्ययन की सुविधा के लिये दोनों शाखाओं का अलग-अलग विवरण प्रस्तुत किया जा रहा है। इनमें सर्वप्रथम साहित्यिक साक्ष्यों और तत्पश्चात् अभिलेखीय साक्ष्यों के विवरणों की विवेचना की गयी है। __ साहित्यिक साक्ष्य १- पुण्यसाररास'--यह कृति आगमगच्छीय आचार्य हेमरत्नस रि के शिष्य साधुमेरु द्वारा वि० स० १५०१ पौषवदि ११ सोमवार को धंधूका नगरी में रची गयी। कृति के अन्त में रचनाकार ने अपनी गुरुपरम्परा का उल्लेख किया है, जो इस प्रकार है-- अमरसिंहसूरि हेमरत्नसूरि साधुमेरु [रचनाकार २- अमररत्नसूरिफागु२ मरु-गुर्जर भाषा में लिखित १८ गायाओं की इस कृति को श्री मोहनलाल दर्लाचन्द देसाई ने वि० सम्वत् की १६वीं शती की रचना मानी है। इस कृति में रचनाकार ने अपना परिचय केबल अमररत्नस रिशिष्य इतना ही बतलाया है। यह रचना प्राचीनफागुसंग्रह में प्रकाशित है। अमररत्नसूरि अमररत्नसूरिशिष्य ३- सुन्दरराजारास-आगमगच्छीय अमररत्नस रि की परम्परा के कल्याणराजस रि के शिष्य क्षमाकलश ने वि० सं० १५५१ में इस कृति की रचना की। क्षमाकलश की दूसरी कृति ललिताङ्गकुमाररास वि० सं० १५५३ में रची गयी है। दोनों ही कृतियाँ मरु-गूर्जर १. आषाढादि पनर अकोतरइ, पोस वदि इग्यारिसि अंतरइ। धंधकपुरि कृपारस सत्र, सोमवारि समाथिउ अ चरित्र ।। कुमतरुख वणभंग गइंद, जिनशासन रयणायर इंदु । सद्गुरुश्रीअमरसिंहसूरिंद, सेवइं भविय जसुय अरविंद ॥ तसु पाटि नयनानंद अमीबिंदु गुरु, श्रीहेमरत्नसूरिमुणिंद । आगमगच्छ प्रकाश दिणिंद, जस दीसइ वर परि यरविंद ।। सुगुरु पसाइं नयर गोआलेर, धणी पुण्यसार रिद्धिउ कुबेर। तासु गुण इम वर्णवइ अजस्त्र, साधुमेरुगणि पंडित मिश्र । देसाई, मोहनलाल दलीचन्द-जैनगूर्जरकविओ (नवीन संस्करण, अहमदाबाद, १९८६ ई०) भाग १, पृ० ८५ और आगे। २. देसाई, पूर्वोक्त, पृ० ४७८ और आगे ३. वही, पृ० २०१-२०२ Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगमि गच्छ / प्राचीन त्रिस्तुतिक गच्छ का संक्षिप्त इतिहास २४७ भाषा में हैं। इसकी प्रशस्ति में रचनाकार ने अपनी गुरु-परम्परा का सुन्दर परिचय दिया है, जो इस प्रकार है कल्याणराज सूरि क्षमाकलश [ सुन्दर राजारास एवं ललिताङ्गकुमाररास के कर्ता ] ४- लघुक्षेत्र समासचौपाई ' - यह कृति आगमगच्छीय मतिसागरसूरि द्वारा वि०सं० १५९४ में पाटन नगरी में रची गयी है । इसकी भाषा मरु-गुर्जर है । रचना के प्रारम्भ और अन्त में रचनाकार ने अपनी गुरु-परम्परा की चर्चा की है, जो इस प्रकार है सोम रत्नसूर गुणनिधानसूरि उदय रत्नसूर मतिसागरसूरि [ रचनाकार ] अभिलेखीय साक्ष्य आगमि गच्छ के मुनिजनों द्वारा प्रतिष्ठापित तीर्थङ्कर प्रतिमाओं पर वि०सं० १४२१ से वि०सं० १६८३ तक के लेख उत्कीर्ण हैं । इन प्रतिमालेखों के आधार पर इस गच्छ के कुछ मुनिजनों के पूर्वापर सम्बन्ध स्थापित होते हैं, जो इस प्रकार हैं १ - अमरसिंहसूरि इनके द्वारा वि०स ं० १४५१ से वि० सं० १४७८ - के मध्य प्रतिष्ठापित ७ प्रतिमा लेख उपलब्ध हैं, इनका विवरण इस प्रकार है वि०सं० १४५१ वि०सं० १४६२ वि०सं० १४६५ वि०सं० १४७० वि०सं० १४७५ वि०सं० १४७६ वि०सं० १४७८ अमररत्नसूरि 1 सोम रत्नसूर ज्येष्ठ सुदि ४ रविवार वैशाख सुदि ३ माघ सुदि ३ रविवार तिथि विहीन 11 १. देसाई, पूर्वोक्त पृ० ३३७ और आगे चैत्र वदि १ शनिवार वैशाख सुदि ३ गुरुवार १ प्रतिमा " " ܕ ܙ 31 " 33 Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ डॉ० शिव प्रसाद २ - अमरसिंह सूरि के पट्टधर हेमरत्नसूरि - हेम रत्नसूरि द्वारा प्रतिष्ठापित ४० प्रतिमायें अद्यावधि उपलब्ध हुई हैं। ये सभी प्रतिमायें लेख युक्त हैं । इन पर वि०सं० १४८४ से वि० सं० १५२१ तक के लेख उत्कीर्ण हैं । इनका विवरण इस प्रकार है २४८ वि०सं० १४८४ 33 33 १४८४ !" " १४८५ 39 27 31 " " 33 3) " 31 11 11 " " 33 33 13 " 31 " " " ور 27 ا 33 17 23 " 37 33 33 33 " 33 23 33 १४९० १४९१ १४९२ १५०३ १५०४ 31 १५०५ १५०६ १५०७ १५०७ १५१२ १५१२ १५१२ १५१२ १५१२ १५१२ १५१५ १५१५ १५१६ १५१७ १५१८ १५१९ १५१९ १५१९ १५१९ १५२१ 22 33 "3 33 13 " 27 " 33 " "" 17 23 " 33 " ار 23 33 33 १४८७. १४८८ १४८९ १४८९ 33 वैशाख सुदि ३ शुक्रवार मार्ग शीर्ष सुदि ५ रविवार ज्येष्ठ वदि माघ सुदि ५ गुरुवार ज्येष्ठ सुदि १० शुक्रवार माघ वदि २ शुक्रवार तिथि विहीन फाल्गुन- सोमवार द्वितीय ज्येष्ठ वदि ७ शनिवार ज्येष्ठ वदि माघ वदि ८ बुद्धवार फाल्गुन सुदि १२ गुरुवार माघ सुदि ९ शनिवार तिथि विहीन ज्येष्ठ सुदि ९ माघ सुदि १३ शुक्रवार तिथि विहीन ज्येष्ठ वदि ५ सोमवार ज्येष्ठ सुदि १० रविवार वैशाख वदि १० शुक्रवार वैशाख सुदि ५ शुक्रवार फाल्गुन वदि ३ शुक्रवार वैशाख सुदि १० गुरुवार फाल्गुन सुदि ८ शनिवार वैशाख सुदि ३ वैशाख सुदि ३ सोमवार माघ सुदि ५ गुरुवार वैशाख वदि ११ शुक्रवार वैशाख सुदि ३ गुरुवार माघ वदि ९ शनिवार माघ सुदि ३ सोमवार आषाढ़ सुदि १ गुरुवार १ प्रतिमा 17 २ प्रतिमा १ प्रतिमा 11 ار " 33 " " " २ प्रतिमा 37 १ प्रतिमा " २ प्रतिमा १ प्रतिमा ܙ, २ प्रतिमा ३ प्रतिमा १ प्रतिमा در " ار 33 " " २ प्रतिमा १ प्रतिमा " 33 Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगमिक गच्छ/प्राचीन त्रिस्तुतिक गच्छ का संक्षिप्त इतिहास . २४९ ३. हेमरत्नसूरि के पट्टधर अमररत्नसूरि-इनके द्वारा वि०सं० १५२४ से वि० सं० १५४७ के मध्य प्रतिष्ठापित १८ प्रतिमायें उपलब्ध हुई हैं। इनका विवरण इस प्रकार हैबि० सं० १५२४ वैशाख सुदि २ गुरुवार १ प्रतिमा " " १५२४ कार्तिक वदि १३ शनिवार " 'i १५२५ तिथि विहीन " " १५२७ " " १५२८ " " १५२९ " " १५३० २ प्रतिमा १ प्रतिमा वैशाख सुदि ५ शुक्रवार ज्येष्ठ वदि १ शुक्रवार माघ वदि २ शुक्रवार माघ सुदि ५ वैशाख सुदि ३ ज्येष्ठ वदि १३ बुद्धवार वैशाख सुदि ६ सोमवार आषाढ़ सुदि २ मंगलवार वैशाख सुदि ३ शुक्रवार वैशाख सुदि ५ गुरुवार ' १५३१ १५३२ १५३२ १५३५ " १५३५ " १५३६ १५४७ ४ प्रतिमा १ प्रतिमा ४. अमररत्नसूरि के पट्टधर सोमरत्नसूरि -इनके द्वारा प्रतिष्ठापित १२ प्रतिमायें मिलती हैं, जो वि० सं० १५४८ से वि० सं० १५८१ तक की हैं । इसका विवरण इस प्रकार है-- वि०सं० १५४८ १ प्रतिमा " " १५५२ " " १५५२ " " १५५५ " १५५६ १५६७ १५६९ " १५७१ " १५७१ " १५७३ " १५७३ वैशाखसुदि ३ वैशाख सुदी ३ माघ वदि ८ शनिवार ज्येष्ठ सुदि ९ रविवार वैशाख सुदि १३ रविवार वैशाख सुदि ३ बुद्धवार वैशाख सुदि ९ शुक्रवार चैत्र वदि २ गुरुवार चैत्र वदि ७ गुरुवार ... ? वैशाख सुदि ६ गुरुबार फाल्गुन सुदि २ रविवार माघ सुदि ५ गुरुवार " " १५८१ Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ डॉ० शिव प्रसाद इस प्रकार अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर आगमगच्छ के उक्त मुनिजनों का जो पूर्वापर सम्बन्ध स्थापित होता है, वह इस प्रकार है २५० अमरसिंहसूर [वि० सं० १४५१ - १४८३ ] हेमरत्नसूरि [वि० सं० १४८४ - १५२१ ] अमररत्नसूरि [ वि० सं० १५२४-१५४७ ] सोमरत्नसूरि [ वि० सं० १५४८-१५८१ ] पूर्व प्रदर्शित पट्टावलियों की तालिका में श्री मोहनलाल दलीचन्द देसाई द्वारा आग - मिकगच्छ और उसकी दोनों शाखाओं की अलग-अलग प्रस्तुत की गई पट्टावलियों को रखा गया है | देसाई द्वारा दी गयी आगमिकगच्छ की गुर्वावली शीलगुणसूरि से प्रारम्भ होकर हेमरत्नसूर तक एवं धंधकीया शाखा की गुर्वावली अमररत्नसूरि से प्रारम्भ होकर मेघरत्नसूरि तक के विवरण के पश्चात् समाप्त होती है । ये दोनों गुर्वावलियां मुनि जिनविजय जी द्वारा दी गई धंधूकीयाशाखा की गुर्वावली [ जो शीलगुणसूरि से प्रारम्भ होकर मेघरत्नसूरि तक के विवरण के पश्चात् समाप्त होती है ] से अभिन्न हैं अतः इन्हें अलग-अलग मानने और इनकी अप्रामाणिकता का कोई प्रश्न ही नहीं उठता है । अभिलेखीय साक्ष्यों द्वारा ज्ञात पूर्वोक्त चार आचार्यों [ अमरसिंहसूरि - हेमरत्नसूरिअमररत्नसूरि-सोम रत्नसूरि ] के नाम इसी क्रम में धंधूकीया शाखा की पट्टावली में मिल जाते हैं। इसके अतिरिक्त ग्रंथप्रशस्तियों द्वारा आगमिक गच्छ के मुनिजनों के जो नाम ज्ञात होते हैं, उनमें से न केवल कुछ नाम धंधूकीयाशाखा की पट्टावली में मिलते हैं, बल्कि इस शाखा के साधुमेरुसूरि, कल्याणराजसूरि, क्षमाकलशसूरि, गुण मेरुसूरि, मतिसागरसूरि आदि ग्रन्थकारों के बारे में केवल उक्त ग्रंथप्रशस्तियों से ही ज्ञात होते हैं । इस प्रकार धंधूकीया शाखा की परम्परागत पट्टावली में उल्लिखित अभयसिंहसूर, अमरसिंहसूरि, हेमरत्नसूरि, अमररत्नसूरि, सोमरत्नसूरि आदि आचार्यों के बारे में जहाँ अभिलेखीय साक्ष्यों द्वारा कालनिर्देश की जानकारी होती है, वहीं ग्रन्थप्रशस्तियों के आधार पर इस शाखा के अन्य मुनिजनों के बारे में भी जानकारी प्राप्त होती है । साहित्यिक और अभिलेखीय साक्ष्यों के संयोग से आगमिकगच्छ की धंधूकीया शाखा की परम्परागत पट्टावली को जो नवीन स्वरूप प्राप्त होता है, वह इस प्रकार है - Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगमि गच्छ / प्राचीन त्रिस्तुतिक गच्छ का संक्षिप्त इतिहास २५१ साहित्यिक और अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर निर्मित आगमिकगच्छ [ धंधूकीयाशाखा ] का वंशवृक्ष [ तालिका-१ ] शीलगुणसूरि देवभद्रसूरि धर्मघोषसूरि यशोभद्रसूरि सर्वाणंदसूर I जिनचन्द्रसूरि T विजयसिंहसूरि अभयदेवसूरि अभयसिंहसूर [ वि० सं० १४२१ ] प्रतिमालेख I अमरसिंहसूरि [वि० सं० १४५१-१४८३ ] प्रतिमालेख हेमरत्नसूर [वि० सं० १४८४-१५२१ ] प्रतिमालेख | धर्मरत्नसूरि T मेघ रत्नसूर साधुमेरु [वि० सं० १५०१ में अमररत्नसूरि [वि० सं० १५२४-४३] पुण्यसारस के कर्ता ] प्रतिमालेख सोमरत्नसूरि [वि. सं.१५४८-८१ ] कल्याणराजसूरि प्रतिमालेख i सौभाग्य सुन्दरसूरि [वि० सं० १६१० ] प्रतिमालेख गुणनिधानसूरि उदयरत्नसूर [ वि.सं. १५८६-८७] प्रतिमालेख वज्रसेनसूरि क्षमाकलश [ वि. सं. १५५१ में सुन्दरराजारास ] [वि. सं. १५५३ में ललिताङ्गकुमाररास ] अमररत्न सूरिशिष्य [ अमररत्नसूरिफा के कर्ता ] गुणमेरुरि मतिसागरसूरि [वि० सं० १५९४ ] लघुक्षेत्रसमासचौपाई के रचनाकार Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५२ डॉ. शिव प्रसाद जैसा कि पूर्व में ही स्पष्ट किया जा चुका है, अभयसिंहसूरि के पश्चात् उनके शिष्यों अमरसिंहसूरि और सोमतिलकसूरि से आगमिकगच्छ की दो शाखायें अस्तित्व में आयीं। अमरसिंहसूरि की शिष्यसंतति आगे चलकर धंधूकीया शाखा के नाम से जानी गयी। उसी प्रकार सोमतिलकसूरि की शिष्य परम्परा विडालंबीयाशाखा के नाम से प्रसिद्ध हुई। _मुनिसागरसूरि द्वारा रचित आगमिकगच्छपट्टावली में अभयसिंहसूरि के पश्चात् सोमतिलकसूरि से मुनिरत्नसूरि तक ७ आचार्यों का क्रम इस प्रकार मिलता है सोमतिलकसूरि सोमचंद्रसूरि गुणरत्नसूरि मुनिसिंहसूरि शीलरत्नसूरि आनन्दप्रभसूरि मुनिरत्नसूरि साहित्यिक साक्ष्यों के आधार पर इस पट्टावली के गुणरत्नसूरि और मुनिरत्नसूरि के अन्य शिष्यों के सम्बन्ध में भी जानकारी प्राप्त होती है। गजसिंहकुमाररास' ( रचनाकाल वि० सं० १५१३ ) की प्रशस्ति में रचनाकार देवरत्नसूरि ने अपने गुरु गुणरत्नसूरि का ससम्मान उल्लेख किया है। इसी प्रकार मलयसुन्दरीरास ( रचनाकाल वि० सं० १५४३ ) और कथाबत्तीसी ( रचनाकाल वि० सं० १५५७ ) की प्रशस्तियों में रचनाकार ने अपने गुरु परम्परा का उल्लेख किया है, जो इस प्रकार है मुनिसिंहसूरि मतिसागरसूरि उदयधर्मसूरि [रचनाकार आगमिकगच्छीय उदयधर्मसूरि (द्वितीय) द्वारा रचित धर्मकल्पद्रुम की प्रशस्ति में रचनाकार ने अपने गुरु-परम्परा का उल्लेख किया है, जो इस प्रकार है-- १. मिश्र, शितिकंठ-हिन्दी जैन साहित्य का बृहद् इतिहास [ भाग-१ ] मरु-गूर्जर ( वाराणसी १९९० ई०) पु० ४०० २. मिश्र, शितिकंठ, पूर्वोक्त, पृ० ३३४ और आगे Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगमिक गच्छ/प्राचीन त्रिस्तुतिक गच्छ का संक्षिप्त इतिहास २५३ आनन्दप्रभसूरि मुनिरत्नसूरि मुनिसागरसूरि आनन्दरत्नसूरि उदयधर्मसूरि [धर्मकल्पद्रुम के रचनाकार अभिलेखीय साक्ष्यों द्वारा इस पट्टावली के अंतिम चार आचार्यों का जो तिथिक्रम प्राप्त होता है, वह इस प्रकार है---- मुनिसिंहसूरि द्वारा वि० सं० १४९९ कार्तिक सुदी ५ सोमवार को प्रतिष्ठापित भगवान् शान्तिनाथ की एक प्रतिमा प्राप्त हुई है। इसी प्रकार मुनिसिंहसूरि के शिष्य शीलरत्नसूरि द्वारा वि० सं० १५०६ से वि० सं० १५१२ तक प्रतिष्ठापित ५ प्रतिमायें मिलती हैं। शीलरत्नसूरि के शिष्य आनन्दप्रभसूरि द्वारा वि० सं० १५१३ से वि० सं० १५२७ तक प्रतिष्ठापित ६ प्रतिमायें प्राप्त होती हैं। आनन्दप्रभसूरि के शिष्य मुनिरत्नसूरि द्वारा वि० सं० १५२३ और वि० सं० १५४२ में प्रतिष्ठापित २ जिन प्रतिमायें प्राप्त हुई हैं। अभिलेखीय साक्ष्यों द्वारा ही मुनिरत्नसूरि के शिष्य आनन्दरत्नसूरि का भी उल्लेख प्राप्त होता है । उनके द्वारा प्रतिष्ठापित ५ तीर्थङ्कर प्रतिमायें मिली हैं, जो वि० सं० १५७१ से वि० सं० १५८३ तक की हैं । उक्त बात को तालिका के रूप में निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है सोमतिलकसूरि सोमचन्द्रसूरि गुणरत्नसूरि मुनिसिंहसूरि [वि० सं० १४९९ ] १ प्रतिमा लेख शीलरत्नसूरि [ वि० सं० १५०६-१५१२ ] ५ प्रतिमा लेख आनन्दप्रभसूरि [ वि० सं० १५१३-१५२७ ] ६ प्रतिमा लेख मुनिरत्नसूरि [वि० सं० १५२३-१५४२ ] २ प्रतिमा लेख आनन्दरत्नसूरि [ वि० सं० १५७१-१५८३ ] ५ प्रतिमा लेख श्री मोहनलाल दलीचन्द देसाई द्वारा प्रस्तुत आगमिकगच्छ की विडालंबीया शाखा की गुर्वावली इस प्रकार है-- Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५४ डाँ० शिव प्रसाद मुनिरत्नसूरि आनन्दरत्नसूरि ज्ञानरत्नसूरि हेमरत्नसूरि उदयसागरसूरि भानुभट्टसूरि माणिक्यमंगलसूरि [वि० सं० १६३९ में अंबडरास के रचनाकार [ धर्महससूरि [वि० सं० १६२० के लगभग नववाड ढालबंध के रचनाकार ] उक्त पट्टावली के आधार पर मुनिसागरसूरि द्वारा रचित आगमिकगच्छपट्टावली में ६ अन्य नाम भी जुड़ जाते हैं। इस प्रकार ग्रन्थ प्रशस्ति, प्रतिमा लेख तया उपरोक्त पट्टावली के आधार पर मुनिसागरसूरि द्वारा रचित पट्टावली अर्थात् आगमिकगच्छ की विडालंबीया शाखा की पट्टावली को जो नवीन स्परूप प्राप्त होता है, वह इस प्रकार है---- [ तालिका-२] साहित्यिक और अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर निर्मित आगमिकगच्छ [विडालंबीयाशाखा का वंश वृक्ष शीलगुणस रि देवभद्रस रि धर्मघोषस रि यशोभद्रस रि सर्वाणंदस रि अभयदेवस रि वज्रसेनस रि जिनचन्द्रस रि हेमसिंहस रि रत्नाकरस रि विजयसिंहस रि अभयसिंहस रि Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अमरसिंहसर . धंधूकीयाशाखा आगभिक गच्छ / प्राचीन त्रिस्तुतिक गच्छ का संक्षिप्त इतिहास देवरत्नसूर [गजसिंहसकुमाररास वि०स ं० १५१३ के रचनाकार ] मतिसागरसूरि उदयधर्मसूरि [ प्रथम ] [ मलय सुन्दरीरास वि०सं० १२४३ 'कथाबत्तीसी वि०स० १५५७ ] सोमतिलकसूरि सोमचन्द्रसूरि गुणरत्नसूरि उदधर्मसूरि [ द्वितीय ] [ धर्मकल्पद्रुम के रचनाकार ] रत्नतिलकसरि [वि०स० १५८४ में मेघदूत की प्रति के लेखक ] मुनि सिंहसूर [वि०स ं० १४९९ ] प्रतिमा लेख शीलरत्नसूरि [वि०सं० १५०६-१५१३] प्रतिमा लेख सूर [वि०स० १५२०] प्रतिमा लेख नागरि [आगमिकगच्छ गुर्वावली ] के रचनाकार आनन्दप्रभरि [वि०सं० १४१३ - १५१४ ] मुनि रत्नसूरि [वि०स० १५२३ - १५४३] प्रतिमा लेख | अमरसिंहसूर I भानु भट्टसूरि उदयसागरसूरि आनन्द रत्नसूर [वि०स ं० १५७१ - १५८३] प्रतिमा लेख ज्ञानरत्नस हेमरत्न [वि०स० १५७७] प्रतिमा लेख माणिक्य मंगलसूरि [वि०सं० १६३९ में अंबेडरास के रचनाकार २५५ धर्महंससरि ० १६२० के लगभग [वि०स ं० नववाडढालबंध के रचनाकार ] Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५६ डॉ० शिव प्रसाद ___ साहित्यिक और अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर आगमिक गच्छ के जयानन्दसूरि, देवरत्नरि, शीलरत्नसरि, विवेकरत्नसरि, संयमरत्नसूरि, कुलवर्धनसूरि, विनयमेरुसरि, जयरत्नगणि, देवरत्नगणि, वरसिंहसूरि, विनयरत्नसूरि आदि कई मुनिजनों के नाम ज्ञात होते हैं। इन मुनिजनों के परस्पर सम्बन्ध भी उक्त साक्ष्यों के आधार पर निश्चित हो जाते हैं और इनकी जो गुर्वावली बनती है, वह इस प्रकार है जयानन्दसूरि [वि० सं० १४७२-१४९४] देवरत्नसरि [वि० सं० १५०५-१५३३]] प्रतिमालेख शीलसिंहसूरि [कोष्ठकचिन्तामणि स्वोपज्ञटीका] विवेकरत्नसूरि [वि.सं. १५४४-७९] [श्रीचन्द्रचरित प्रतिमा लेख वि० सं० १३९४१ वि० सं० १५७१ में । यतिजीतकल्प रचनाकार संयमरत्नसूरि [वि० सं० १५८०-१६१६] प्रतिमालेख जयरत्नगणि कुलवर्धनसूरि [वि० सं १६४३-८३] प्रतिमालेख विनयमेरु [वि० सं० १५९९] प्रतिमालेख देवरत्नगणि वरसिंहसरि [आवश्यकबालावबोधवृत्ति] वि० सं० १६८१ विनयरत्नसूरि [वि० सं० १६७३ माघसुदी १३ भगवतीसूत्र की प्रतिलिपि आगमिकगच्छ के मुनिजनों की उक्त तालिका का आगमिकगच्छ की पूर्वोक्त दोनों शाखाओं (धंधकीया शाखा और विडालंबीया शाखा) में से किसी के साथ भी समन्वय स्थापित नहीं हो पाता, ऐसी स्थिति में यह माना जा सकता है कि आगमिकगच्छ में उक्त शाखाओं के अतिरिक्त भी कुछ मुनिजनों की स्वतंत्र परम्परा विद्यमान थी। Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगमिक गच्छप्राचीन त्रिस्तुतिक गच्छ का संक्षिप्त इतिहास २५७ इसी प्रकार आगमिकगच्छीय जयतिलकसूरि,' मलयचन्द्रसूरि,२ जिनप्रभसूरि, सिंहदत्तसूरि आदि की कृतियाँ तो उपलब्ध होती हैं, परन्तु उनके गुरु-परम्परा के बारे में हमें कोई जानकारी नहीं मिलती है। अभिलेखीय साक्ष्यों द्वारा भी इस गच्छ के अनेक मुनिजनों के नाम तो ज्ञात होते हैं, परन्तु उनकी गुरु-परम्परा के बारे में हमें कोई जानकारी नहीं मिलती। यह बात प्रतिमालेखों की प्रस्तुत तालिका से भी स्पष्ट होती है १. कर्मग्रन्थ-रचनाकाल वि० सं० १४५० मलयसुन्दरीकथा-रचनाकाल अज्ञात [ यह कृति प्रकाशित हो चुकी है ] सुलसाचरित-[ प्राचीनतम प्रति वि० सं० १४५३ ] कथाकोश [वि० सं० १५वीं शती का मध्य ] २. स्थूलभद्रकथानक-यह कृति प्रकाशित हो चुकी है ३. मल्लिनाथचरित-रचनाकाल १३वीं शती के आसपास ४. स्थूलभद्रास-रचनाकाल १६वीं शती के प्रथम चरण के आसपास Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्रमाङ्क संवत् तिथि १. २. ४. १४२० कार्तिक सुदि ५ रविवार १४२१ कार्तिक सुदि ५ रविवार १४२१ माघ वदि ११ सोमवार १४३८ आषाढ़ सुदि ९ शुक्रवार १४३९ पौष वदि ८ रविवार ५ अ. १४४० पौष वदि । आचार्य का नाम प्रतिमालेख/ स्तम्भलेख देवकुलिका का लेख अभयसिंहसूरि आदिनाथ की प्रतिमा का लेख जयतिलकसूरि जयानंदसूर श्रीतिलकसूरि पद्मप्रभ की प्रतिमा जीरावलीतीर्थ का लेख पार्श्वनाथ की प्रतिमा का लेख प्रतिष्ठा स्थान वीर जिनालय, जीरावला पार्श्वनाथ की प्रतिमा का लेख चैत्यदेवकुलिका, जैन मन्दिर थराद गौड़ी पार्श्वनाथ जिनालय, गोगा दरवाजा, बीकानेर महावीर स्वामी का मन्दिर, ओसिया नेमिनाथ जिनालय, मांडवीपोल, खंभात कोठार पंचतीर्थी, आदिनाथ की पंचतीर्थी प्रतिमा शत्रुञ्जय का लेख संदर्भ ग्रन्थ मुनि जयन्तविजय संपा० आबू, भाग-५, लेखाङ्क १२२ लोढ़ा, दौलत सिंह संपा० श्री प्रतिमालेख संग्रह, लेखाङ्क ३०४(अ) नाहटा, अगरचन्द संपा० - बीकानेर जैनलेखसंग्रह - लेखाङ्क–१९३६ नाहर, पूरनचंद संपा० जैनलेखसंग्रह भाग १, लेखाङ्क ७९५ मुनि बुद्धिसागर संपा - जैनधातुप्रतिमा लेखसंग्रह, भाग २ लेखांक ६३१ मुनि कंचनसागर संपा० शत्रुञ्जयगिरिराजदर्शन, लेखाङ्क २६५ २५८ डॉ० शिव प्रसाद Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७. ८. १०. १२. १४५१ ज्येष्ठ सुदि ४ रविवार १४६२ वैशाख सुदि ३ १३. १४६४ माघ सुदि ३ शनिवार, १४७० ११. १४७२ ज्येष्ठ सुदि ११ १४७१ १४७५ १४७६ चैत्र वदि १ शनिवार अमरसिंहसूरि अमरसिंहसूर शांतिनाथ की धातु जैन मन्दिर, पंचतीर्थी प्रतिमा का लेख वणा पार्श्वनाथ की प्रतिमा का लेख अमरसिंहसूरि शांतिनाथ की चौबीसी प्रतिमा का लेख अमरसिंहसूर जयानंदसूरि अमरसिंहसूरि शांतिनाथ की चौबीसी प्रतिमा का लेख चौबीसी जिन प्रतिमा का लेख संभवनाथ की प्रतिमा का लेख पद्मप्रभ की प्रतिमा का लेख अमरसिंहसूरि अमरसिंहसूरि महावीर स्वामी की चौबीसी प्रतिमा का लेख मनमोहन पार्श्वनाथ जिनालय, मीयागाम चिन्तामणि पार्श्वनाथ जिनालय, बीजापुर जैन देरासर, सौदागर पोल, अहमदाबाद जैन मन्दिर, थराद पार्श्वनाथ देरासर, अहमदाबाद अजितनाथ जिनालय, नदियाड चोसठिया जी का मन्दिर, नागौर मुनि विजयधर्मसूरि संपा० - प्राचीन लेखसंग्रह लेखाङ्क ९४ मुनि बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग २ लेखाङ्क २७७ वही, भाग १ लेखाङ्क ४२२ वही, भाग १ लेखाङ्क ८२६ लोढ़ा, पूर्वोक्त, लेखाङ्क ७५ मुनिबुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग १, लेखाङ्क ९०१ वही, भाग २ लेखाङ्क ३९८ विनयसागर, संपा० - प्रतिष्ठालेख संग्रह लेखाङ्क २१५ भागमिक गच्छ/प्राचीन त्रिस्तुतिक गच्छ का संक्षिप्त इतिहास २५९ Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४७६ चैत्र वदि ९ रविवार १५. १४७८ वैशाख सुदि ३ गुरुवार १६. १४८२ फाल्गुन सुदि ३ रविवार १७. १४८३ माघ वदि ११ गुरुवार जयाणंदसूरि शांतिनाथ की सुमतिनाथ मुख्य- बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, पंचतीर्थी प्रतिमा बावन जिनालय, भाग २, लेखाङ्क ४७० का लेख मातर अमरसिंहसूरि शांतिनाथ की जैन देरासर, विजयधर्मसूरि, धातु प्रतिमा पाटडी . पूर्वोक्त, लेखाङ्क १२० का लेख जयाणंदसूरि सुमतिनाथ की शांतिनाथ जिनालय, बुद्धिसागर, पूर्वोक्त पंचतीर्थी प्रतिमा कडाकोटडी भाग २, लेखाङ्क ६१३ का लेख जयाणंदसूरि पार्श्वनाथ की पार्श्वनाथ देरासर, बुद्धिसागर, पूर्वोक्त । पंचतीर्थी प्रतिमा पाटण भाग १, लेखाङ्क २१७ का लेख हेमराजसूरि सुमतिनाथ की सीमंधरस्वामी वही, भाग १, पंचतीर्थी प्रतिमा का जिनालय, लेखाङ्क १२३१ का लेख अहमदाबाद अमरसिंहसूरि श्रेयांसनाथ की पार्श्वनाथ देरासर, वही, भाग १, के पट्टधर प्रतिमा का लेख अहमदाबाद लेखाङ्क ९०० श्री "रत्नसूरि अमरसिंहसूरि चन्द्रप्रभ स्वामी जैन मंदिर, विजयधर्मसूरि के पट्टधर की धातु की पूर्वोक्त, लेखाङ्क १३५ हेमरत्नसूरि चौबीसी प्रतिमा का लेख डॉ.शिव प्रसाद १८. १४८४ वैशाख सुदि ३ शुक्रवार १९. १४८४ मार्गशीर्ष सुदि ५ रविवार २०. १४८५ ज्येष्ठ वदि.. वणा Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१. १४८५ ज्येष्ठमास''१ २२, १४८७ माघ सुदि ५ गुरुवार २३. १४८८ ज्येष्ठ सुदि १० शुक्रवार २४. १४८८ - अमरसिंहसूरि सुविधिनाथ की चिन्तामणि पार्श्वनाथ बुद्धिसागर, के पट्टधर चौबीसी प्रतिमा देरासर, बीजापुर पूर्वोक्त, भाग १ हेमरत्नसूरि का लेख लेखाङ्क ४२३ अमरसिंहसूरि पार्श्वनाथ की सीमंधर स्वामी का वही, भाग १, के पट्टधर चौबीसी प्रतिमा मंदिर, अहमदाबाद लेखाङ्क १२२६ हेमरत्नसूरि का लेख हेमरत्नसूरि शीतलनाथ की चिन्तामणि पार्श्वनाथ नाहटा, अगरचन्द, पंचतीर्थी प्रतिमा जिनालय, बीकानेर पूर्वोक्त, लेखाङ्क ७ का लेख जयानंदसूरि पार्श्वनाथ की आदिनाथ जिनालय, नाहर, पूर्वोक्त, पंचतीर्थी प्रतिमा बालकेश्वर, मुम्बई भाग २, लेखाङ्क १७९८ का लेख अमरसिंहसूरि पार्श्वनाथ की कुंथुनाथ देरासर, बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, के पट्टधर चौबीसी प्रतिमा बीजापुर भाग १, लेखाङ्क ४४० हेमरत्नसूरि का लेख अमरोसहसूरि शांतिनाथ की शांतिनाथ देरासर, बद्धिसागर, पूर्वोक्त, के पट्टधर प्रतिमा का लेख शांतिनाथ पोल, भाग १, लेखाङ्क १३४६ हेमरत्नसूरि अहमदाबाद अमरसिंहसूरि पार्श्वनाथ की गौड़ीपार्श्वनाथ जिनालय, मूनि विशालविचय, के पट्टधर धातु प्रतिमा राधनपुर संपा०-राधनपुरहेमरत्नसूरि का लेख प्रतिमालेखसंग्रह, लेखाङ्क ११८ आगमिक गच्छ/प्राचीन त्रिस्तुतिक गच्छ का संक्षिप्त इतिहास २५. १४८९ माघ वदि २ शुक्रवार २६. १४८९ तिथिविहीन २७. १४९० फाल्गुन" ... सोमवार ' Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८. २९. ३०. ३१. ३२. ३३. ३४. १४९१ द्वितीय ज्येष्ठ वदि ७ हेमरत्नसूरि शनिवार १४९२ ज्येष्ठ वदि ... १४९३ चैत्रवदि ८ गुरुवार १४९४ माघ सुदि ५ गुरुवार १३९६ फाल्गुन वदि २ शुक्रवार १४९९ कार्तिक सुदि ५ सोमवार १५०० चैत्रसुदि १३ रविवार १५०३ माघ वदि ३ शुक्रवार हेमरत्नसूरि जयानंद सूरि जयानन्दसूरि के शिष्य श्रीसूरि जयानन्दसूरि के शिष्य श्रीसूरि मुनिसिंहसूरि सिंहदत्तसूरि सिंहदत्तसूरि कुथुनाथ की प्रतिमा का लेख वासुपूज्य की प्रतिमा का लेख धर्मनाथ की धातु पंचतीर्थी प्रतिमा का लेख संभवनाथ की धातु पंचतीर्थी प्रतिमा का लेख प्रतिमा का लेख शांतिनाथ देरासर, शांतिनाथ पोल, शांतिनाथ की प्रतिमा का लेख अहमदाबाद चिन्तामणि जिनालय, बीकानेर वीर जिनालय, राधनपुर विमलनाथ की नवपल्लव पार्श्वनाथ चौबीसी का प्रतिमा जिनालय, लेख बोलपीपलो, खंभात शांतिनाथ की आदिनाथ जिनालय, प्रतिमा का लेख खेरालु पार्श्वनाथ की चिन्तामणि पार्श्वनाथ जिनालय, राधनपुर शांतिनाथ जिनालय, राधनपुर गोड़ी पार्श्वनाथ देरासर, बीजापुर बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग १, लेखाङ्क १२६९ नाहटा, अगरचन्द पूर्वोक्त, लेखाङ्क ७६३ मुनि विशालविजय, पूर्वोक्त, लेखाङ्क १२२ विजयधर्मसूरि पूर्वोक्त, लेखाङ्क १६२ एवं मुनि विशालविजय, पूर्वोक्त, लेखाङ्क १२३ बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग २, लेखाङ्क १०८६ वही, भाग १, लेखाङ्क ७५५ मुनि विशालविजय पूर्वोक्त, लेखाङ्क १३१ बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग १ लेखाङ्क ४४८ २६२ डॉ० शिव प्रसाद Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६. ३७ ३८. ३९. ४०. ४१, ४२. ४३. १५०३ माघ वदि ८ बुधवार १५०३ माघ सुदि ४ गुरुवार १५०३ माघ सुदि ५ गुरुवार १५०४ फाल्गुन सुदि १२ गुरुवार १५०४ १५०५ माघ सुदि ९ शनिवार १५०५ माघ सुदि ९ शनिवार १५०६ चैत्र वदि ४ बुधवार हेमरत्नसूरि हेमरत्नसूरि हेमरत्नसूरि अमरसिंहसूरि के पट्टध हेमरत्नसूरि जिनचन्द्रसूरि सुविधिनाथ की प्रतिमा का लेख कुथुनाथ की प्रतिमा का लेख शीतलनाथ की धातु पंचतीर्थी प्रतिमा का लेख विमलनाथ की प्रतिमा का लेख पार्श्वनाथ की प्रतिमा का लेख हेमरत्नसूरि शांतिनाथ की धातु प्रतिमा का लेख हेमरत्नसूरि सुमतिनाथ की प्रतिमा का लेख शीलरत्नसूरि वासुपूज्य स्वामी की पंचतीर्थी प्रतिमा का लेख मुनिसुव्रत जिनालय, भरुच चिन्तामणि पार्श्वनाथ जिनालय, बीकानेर धर्मनाथ जिनालय, मडार शांतिनाथ जिनालय, शांतिनाथ पोल अहमदाबाद शांतिनाथ जिनालय शांतिनाथ पोल, अहमदाबाद ओसवालों का मंदिर, पूना महावीर स्वामी का मन्दिर थराद देहरी न० ९७, शत्रुञ्जय बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग २, लेखांक ३३८ नाहटा, पूर्वोक्त लेखांक ८७८ मुनि जयन्तविजय, पूर्वोक्त, लेखांक ७८ मुनि बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग १, लेखांक १३१२ वही, भाग १, लेखांक १३०९ विजयधर्मसूरि, पूर्वोक्त, लेखांक २०७ लोढ़ा, दौलत सिंह पूर्वोक्त, लेखांक १ मुनि कंचनसागर, पूर्वोक्त, लेखांक १७९ आगमिक गच्छ / प्राचीन त्रिस्तुतिक गच्छ का संक्षिप्त इतिहास ~ M .w Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४. ४६. ४७. ४८. ४९. ५०. ५१. १५०६ चैत्र वदि ५ गुरुवार १५०६ पौष वदि २ बुधवार १५०६ तिथिविहीन १५०६ तिथि विहीन १५०७ वैशाख वदि ६ गुरुवार १५०७ वैशाख वदि ६ गुरुवार १५०७ माघ सुदि ५ शुक्रवारं १५०७ माघ सुदि १३ शुक्रवार हर्ष तिलकसूरि संभवनाथ की सिंहदत्तसूरि प्रतिमा का लेख हेमरत्नसूरि अमररत्नसूरि के पट्टधर हेम रत्नसूरि अमररत्नसूरि हेमरत्नसूरि शांतिनाथ की पंचतीर्थी प्रतिमा का लेख सुविधिनाथ की धातु की चौबीसी प्रतिमा का लेख सुविधिनाथ की धातु की चौबीसी प्रतिमा का लेख शीलरत्नसूरि मुनि सुव्रतस्वामी की प्रतिमा का लेख शीलरत्नसूरि शांतिनाथ की प्रतिमा का लेख सिद्धत्तसूरि आदिनाथ की पंचतीर्थी प्रतिमा का लेख हेमरत्नसूरि अभिनन्दन स्वामी की प्रतिमा का लेख मनमोहन पार्श्वनाथ जिनालय, मीयागाम वासुपूज्य स्वामी का जिनालय, बीकानेर हीरालाल गुलाब सिंह का घरदेरासर, चितपुर रोड, कलकत्ता यति पन्नालाल का घर देरासर, कलकत्ता नवघरे का मन्दिर, चेलपुरी, दिल्ली जैन मन्दिर, वडावली पद्मप्रभ जिनालय, घाट, जयपुर शांतिनाथ, जिनालय; दंतालवाडो, खंभात बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग २, लेखांक २८२ नाहटा, अगरचन्द, पूर्वोक्त, लेखांक १३२६ नाहर, पूरनचन्द, पूर्वोक्त, भाग २, लेखांक १००४ वही, भाग १ लेखांक ३९१ वही, भाग १, लेखांक ४७६ बुद्धिसागर, पूर्वोक्त भाग १, लेखांक ९७ विनयसागर, पूर्वोक्त, लेखांक ४२० बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग २, लेखांक ६८२ डॉ० शिव प्रसाद Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२. ५४. ५५. ५६. ५७ ५८. ५९. १५०७ वैशाख सुदि ६ गुरुवार शीलरत्नसूरि शांतिनाथ की प्रतिमा का लेख सिंहदत्तसूरि १५०८ चैत्र सुदि १३ रविवार १५०८ चैत्र सुदि १३ रविवार १५०८ चैत्र सुदि १३ रविवार १५०८ वैशाख वदि ११ रविवार १५०८ वैशाख वदि १२ रविवार १५०८ आषाढ सुदि २ रविवार १५०९ वैशाख वदि ५५ शनिवार ५९. [ अ ] १५ (०१) ९ वैशाख वदि ११ शुक्रवार सिंहदत्तसूरि विमलनाथ की प्रतिमा का लेख सिंहदत्तसूरि शांतिनाथ की प्रतिमा का लेख हर्षातिलकसूरि श्रेयांसनाथकी प्रतिमा का लेख जिनरत्नसूरि चन्द्रप्रभ की प्रतिमा का लेख देवरत्नसूरि देवरत्नसूरि देभिः शांतिनाथ की प्रतिमा का लेख शांतिनाथ की चौबीसी प्रतिमा का लेख कुंथुनाथ की चौबीसी का लेख आदिनाथ की चौबीसी का लेख जैन मंदिर वडावली पार्श्वनाथ जिनालय, भरुच शांतिनाथ जिनालय, चौकसी पोल, खंभात चिन्तामणि पार्श्वनाथ जिनालय, शकोपुर, खंभात वीर जिनालय, भरुच शांतिनाथ देरासर, शांतिनाथ पोल, अहमदाबाद घर देरासर, बड़ोदरा बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग १, लेखांक ९७ मुनिसुव्रत जिनालय, भरुच संग्रामसोनी के मन्दिर की देवकुलिका, उज्जयन्त वही, भाग २, लेखांक ३१५ वही, भाग २, लेखांक ८४२ वही, भाग २, लेखांक ९०९ वही, भाग २, लेखांक ३४२ वही, भाग १, लेखांक १३४९ वही, भाग २, लेखांक २२० वही, भाग २, लेखांक ३३१ ढाकी, एम० ए०पं० बेचरदासदोशी स्मृतिग्रन्थ, पृ० १८८ आगमि गच्छ / प्राचीन त्रिस्तुतिक गच्छ का संक्षिप्त इतिहास २६५ Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०. १५१० फाल्गुन वदि ३ शुक्रवार हर्षतिलकसूरि अजितनाथ की प्रतिमा का लेख बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग २, लेखांक ९८८ १५१० फाल्गुन वदि ३ शुक्रवार जिनरत्नसूरि - आदिनाथ की प्रतिमा का लेख शांतिनाथ जिनालय, माणेक चौक, खंभात धर्मनाथ जिनालय, बड़ा बाजार, कलकत्ता आदिनाथ जिनालय, मांडवीपोल, खंभात गौड़ीजी भंडार, उदयपुर नाहर, पूरनचन्द, पूर्वोक्त, भाग १, लेखांक १०० बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग २, लेखांक ६१९ ६२. १५१० फाल्गुन वदि ३ सिंहदत्तसूरि शक्रवार सुमतिनाथ की प्रतिमा का लेख ६३. १५१० फाल्गुन वदि ३ सिंहदत्तसूरि शुक्रवार विजयधर्मसूरि, पूर्वोक्त,लेखांक २६० डॉ. शिव प्रसाद ६४. १५११ देवरत्नसूरि आषाढ़ सुदि ६ शुक्रवार आषाढ़ सुदि६ शुक्रवार विमलनाथ की धातु प्रतिमा का लेख वासुपूज्य की प्रतिमा का लेख सुमतिनाथ की पंचतीर्थी प्रतिमा का लेख शांतिनाथ की प्रतिमा का लेख जैन मन्दिर, कालोल शांतिनाथ देरासर, अहमदाबाद बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग १, लेखांक ७१८ वही, भाग १, लेखांक १२५० ६५. १५११ देवरत्नसूरि ६६. १५११ आषाढ़ सुदि ६ शुक्रवार देवगुप्तसूरि सीमंधर स्वामी का जिनालय, अहमदाबाद शांतिनाथ जिनालय, राधनपुर बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग १, लेखांक ११६० मुनि विशालविजय पूर्वोक्त, लेखांक ६७. १५११ माघ सुदि १ शुक्रवार सिंहदत्तसूरि शांतिनाथ की पंचतीर्थी प्रतिमा का लेख १७० Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८. ܘܕ ७०. ७१. ७३. १५१२ ७४. १५१२ १५१२ ७२. १५१२ १५१२ १५१२ १५१२ माघ सुदि १० बुधवार ज्येष्ठ वदि ५ सोमवार ज्येष्ठ सुदि १० रविवार वैशाख वदि १० गुरुवार वैशाख वदि १० गुरुवार वैशाख सुदि ५ वैशाख सुदि ५ शुक्रवार सिंहदत्तसूरि हेमरत्नसूरि हेमरत्नसूरि हेमरत्नसूर हेमरत्नसूर हेमरत्नसूरि हेमरत्नसूरि शांतिनाथ की चौबीसी प्रतिमा का लेख नमिनाथ की प्रतिमा का लेख सुमतिनाथ की प्रतिमा का लेख सुमतिनाथ की प्रतिमा का लेख कुंथुनाथ की प्रतिमा का लेख कुन्थुनाथ की धातु प्रतिमा का लेख कुन्थुनाथ की चौबीसी का लेख संभवनाथ देरासर, कड़ी पंचतीर्थी, शत्रुञ्जय जैन मन्दिर, बडावली वीर जिनालय, अहमदाबाद जैन मन्दिर, बडावली गोपों का उपाश्रय, बाड़मेर चन्द्रप्रभ स्वामी का जिनालय, जैसलमेर बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग १, लेखांक ७२३ मुनि कंचनसागर, पूर्वोक्त, लेखांक ४३९ बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग १, लेखांक ९५ बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग १, लेखांक ९५९ वही, भाग १, लेखांक ९४ नाहर, पूरनचन्द, पूर्वोक्त, भाग १, लेखांक ७४१ वही, भाग ३, लेखांक २१६५ एवं नाहटा, अगरचन्द पूर्वोक्त, लेखांक २७७५ आगमिक गच्छ/प्राचीन त्रिस्तुतिक गच्छ का संक्षिप्त इतिहास २६७ Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५१२ ७५. हेमरत्नसूरि शीलरत्नसूरि आदिरत्नसूरि ७७. १५१२ हेमरत्नसूरि ७८. १५१२ हेमरत्नसूरि ज्येष्ठ सुदि १० रविवार फाल्गुन वदि ३ शुक्रवार चैत्र सुदि ५ बुधवार ज्येष्ठ सुदि ३ __ १५१३ आणंदप्रभसूरि नमिनाथ की शांतिनाथ देरासर, बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, चौबीसी का लेख शांतिनाथ पोल, भाग १, लेखांक अहमदाबाद १३२१ आदिनाथ की जैनमंदिर, . जैनसत्यप्रकाश, वर्ष ६, प्रतिमा का लेख वादनवाड़ा अंक १०, पृष्ठ ३७२ ३७४, लेखाङ्क८ सुमतिनाथ की जैनमंदिर, बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, प्रतिमा का लेख बडावली भाग १, लेखाङ्क ९५ सुमतिनाथ की सुमतिनाथ जिनालय, वही, भाग-२, प्रतिमा का लेख चोलापोल, खंभात लेखाङ्क ६९५ कुंथुनाथ की धातु जीरावलापार्श्वनाथ विजयधर्मसूरि, की प्रतिमा का लेख देरासर, घोघा पूर्वोक्त, लेखाङ्क २८७ श्रेयांसनाथ की धातू शांतिनाथ जिनालय, वही, लेखाङ्क २९२ प्रतिमा का लेख वीरामगाम श्रेयांसनाथ की नवपल्लव पार्श्वनाथ बुद्धिसागर, पूर्वोक्त प्रतिमा का लेख जिनालय, बोलपीपलो, भाग २, लेखाङ्क १०९८ खंभात अजितनाथ की चिन्तामणिपार्श्वनाथ वही, भाग-२, प्रतिमा का लेख जिनालय, चौकसी- लेखाङ्क ८०० पोल, खंभात संभवनाथ की सीमंधरस्वामी का वही, भाग १, लेखाङ्क. प्रतिमा का लेख देरासर, अहमदाबाद ११६३ डॉ. शिव प्रसाद ८०. १५१३ देवरत्नसूरि गुरुवार ८१. १५१३ आषाढ़ सुदि १० देवरत्नसूरि गुरुवार ८२. १५१३ साधुरत्नसूरि माघ वदि २ शुक्रवार ८३. १५१५ वैशाख सुदि १ हेमरत्नसूरि गुरुवार Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४. 433 ८६. ८७. ८८. ८९. ९०. ९१. * १५१५ १५१५ १५१५ १५१५ १५१५ १५१६ १५१६ १५१६ १५१६ वैशाख सुदि १० गुरुवार कार्तिक वदि १ रविवार कार्तिक वदि १ रविवार माघ सुदि ५ शनिवार फाल्गुन सुदि ८ शनिवार चैत्र वदि ४ गुरुवार वैशाख सुदि ३ ज्येष्ठ सुदि ३ गुरुवार आषाढ़ सुदि रविवार हेमरत्नसूरि देवरत्नसूरि देवरत्नसुरि पादप्रभसूरि हेमरत्नसूरि देवरत्नसूरि संभवनाथ की पंच- आदिनाथ जिनालय, तीर्थी प्रतिमा का लेख करमदी देवरत्नसूरि वासुपूज्य की प्रतिमा का लेख सुविधिनाथ की प्रतिमा का लेख शांतिनाथ की प्रतिमा का लेख आणंदप्रभसूरि चन्द्रप्रभस्वामी की प्रतिमा का लेख हेमरत्नसूरि पार्श्वनाथ की पंचतीर्थी प्रतिमा का लेख विमलनाथ की पंचतीर्थी प्रतिमा का लेख वासुपूज्य की प्रतिमा का लेख श्रेयांसनाथ की प्रतिमा का लेख पद्मप्रभजिनालय, कडाकोटडी, खंभात सीमंधरस्वामी का जिनालय, अहमदाबाद गौड़ीपार्श्वनाथ जिनालय, पालिताना शांतिनाथ जिनालय, खाडीवाडो, खेड़ा, गुजरात नेमिनाथ जिनालय, भोंय पाडो, खंभात आदिनाथ जिनालय, बड़ोदरा सुमतिनाथमुख्यबावन जिनालय, मातर पार्श्वनाथ जिनालय, नाहों की गवाड़, बीकानेर बिनयसागर, पूर्वोक्त, लेखाङ्क ५३१ बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग-२, लेखाङ्क ५९३ वही, लेखाङ्क १२१२ विजयधर्मसूरि पूर्वोक्त, लेखाङ्क ६६० बुद्धिसागर. पूर्वोक्त, भाग-२, लेखाङ्क ४०७ वही, भाग-२, लेखाङ्क ८८९ वही, भाग-२, लेखाङ्क १२५ वही, भाग-२, लेखाङ्क ४९९ नाहटा, अगरचन्द, पूर्वोक्त, लेखाङ्क १५१३ आगमिक गच्छ प्राचीन त्रिस्तुतिक गच्छ का संक्षिप्त इतिहास 20 नग 107 Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९३. १५१६ आषाढ़ सुदि ९ शुक्रवार देवरत्नसूरि ९४.. १५१६ कार्तिक सुदि १५ सिंहदत्तसूरि शनिवार ९५. १५१७ वैशाख सुदि ३ सोमवार हेमरत्नसूरि ९६. १५१७ आणंदप्रभसूरि वैशाख सुदि १२ सोमवार माघ सुदि ५ शुक्रवार नमिनाथ की चांदी सुपार्श्वनाथ जिनालय, वही, लेखाङ्क १७६१ की सपरिकर प्रतिमा नाहटों की गवाड़, का लेख बीकानेर वासुपूज्य स्वामी की सुव्रतनाथ जिनालय, बुद्धिसागर, पूर्वोक्त प्रतिमा का लेख खारवाडो, खंभात । भाग-२, लेखाङ्क १०३२ शीतलनाथ की शांतिनाथ जिनालय, नाहर, पूर्वोक्त, भाग-२, पंचतीर्थी प्रतिमा लखनऊ लेखाङ्क १५०५ का लेख आदिनाथ की प्रतिमा पार्श्वनाथ देरासर, बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, का लेख अहमदाबाद भाग १, लेखांक १०८९ कुंथुनाथ की प्रतिमा सुविधिनाथ जिनालय, नाहर, पूरनचंद, का लेख घोघा, काठियावाड़ पूर्वोक्त, भाग-२, लेखांक १७६९ धर्मनाथ की प्रतिमा संभवनाथ जिनालय, वही, भाग १, का लेख अजमेर लेखांक ५५७ एवं विनयसागर, पूर्वोक्त लेखांक ५७२ विमलनाथ की प्रतिमा शांतिनाथ जिनालय, नाहटा, अगरचन्द, का लेख चुरु, राजस्थान पूर्वोक्त, लेखांक २४०८. आदिनाथ की प्रतिमा शांतिनाथ जिनालय, बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, का लेख शांतिनाथ पोल, भाग १, लेखांक १२८४. अहमदाबाद 9. १५१७ आणंदप्रभसूरि डॉ. शिव प्रसाद ९८. १५१७ माघ सुदि ५ शुक्रवार देवरत्नसूरि ९९. १५१७ देवरत्नसूरि माघ सुदि ५ शुक्रवार माघ सुदि ५ शुक्रवार १००. १५१७ महेन्द्रसूरि Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०१. १५१७ पूर्णदेवसूरि माघ सुदि ५ शुक्रवार ज्येष्ठ सुदि २ शनिवार १०२. १५१८ देवरत्नसूरि १०३. १५१८ हेमरत्नसूरि माघ सुदि ५ गुरुवार १०४. १५१९ १०५. आगमिक गच्छ/प्राचीन त्रिस्तुतिक गच्छ का संक्षिप्त इतिहास १५१९ मुनिसुव्रत की धर्मनाथदेरासर, वही, प्रतिमा का लेख अहमदाबाद भाग १, लेखांक ११३१ संभवनाथ की महावीर जिनालय, वही, भाग-२ चौबीसी प्रतिमा चौकसीपोल, खंभात लेखांक ८२७ का लेख पद्मप्रभ स्वामी की पार्श्वनाथ जिनालय, मुनिविशालविजय, पंचतीर्थी प्रतिमा राधनपुर पूर्वोक्त, लेखांक २१६ का लेख धर्मनाथ की पंचतीर्थी मोतीसा की टूक, मुनिकंचनसागर प्रतिमा का लेख शत्रुञ्जय पू र्वोक्त, लेखांक ४६२ धर्मनाथ की पंचतीर्थी नवपल्लवपार्श्वनाथ बुद्धिसागर, पूर्वोक्त । प्रतिमा का लेख देरासर, खंभात भाग-२, लेखांक १०८९ पद्मप्रभस्वामी की पार्श्वनाथ जिनालय, नाहर, पूरनचन्द, पूर्वोक्त, पंचतीर्थी का लेख अञ्जार भाग-२ लेखांक १७२१ कुन्थुनाथ की पंच- चन्द्रप्रभ जिनालय, वही, भाग-३, तीर्थी प्रतिमा का लेख जैसलमेर लेखांक २३४४ अजितनाथ की कुन्थुनाथ जिनालय, बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, चौबीसी का लेख घड़ियाली पोल, भाग-२, लेखांक १६० बड़ोदरा वासुपूज्य की धातु शान्तिनाथ देरासर, विजयधर्मसूरि प्रतिमा का लेख जामनगर पूर्वोक्त, लेखांक ३३० ज्येष्ठ वदि १ देवरत्नसूरि गुरुवार बैशाख वदि ११ हेमरत्नसूरि शुक्रवार वैशाख सुदि ३ हेमरत्नसूरि गुरुवार वैशाख सुदि ३ हेमरत्नसूरि गुरुवार माघ वदि ९ हेमरत्नसूरि शनिवार... १०६. १५१९ १०७. १५१९ १०८. १५१९ १०९. १५१९ माघ सुदि ३ सोमवार हेमरत्नसूरि २७१ Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११०. १५२० १११. १५२० ११२. १५२० ११३. १५२० खंभात ६६६ ११४. १५२१ । चैत्र वदि ८ शीतलनाथ की धातु शान्तिनाथ जिनालय, विजयधर्मसूरि, पूर्वोक्त शुक्रवार प्रतिमा का लेख वीरमगाम लेखांक ३४५ वैशाख वदि ७ आणंदप्रभसूरि मुनिसुव्रतस्वामी की गौड़ीपार्श्वनाथ मुनि विशालविजय, शनिवार धातु पंचतीर्थी देरासर, राधनपुर : पूर्वोक्त, लेखांक २३१ का लेख वैशाख वदि ७ आणंदप्रभसूरि संभवनाथ की प्रतिमा मनमोहनपार्श्वनाथ बुद्धिसागर पूर्वोक्त शनिवार के शिष्य का लेख जिनालय, चौकसीपोल, भाग-२ लेखांक ८२४ गुणप्रभसूरि खंभात आषाढ़ सुदि ९ हेमरत्नसूरि मुनिसुव्रत की चौबीसी कुन्थुनाथ जिनालय, वही, भाग-२ लेखांक गुरुवार का लेख आषाढ़ सुदि १ हेमरत्नसूरि शीतलनाथ की चिन्तामणि जिनालय, नाहटा, अगरचंद-पूर्वोक्त, गुरुवार पंचतीर्थी प्रतिमा बीकानेर लेखांक १०२२ का लेख कार्तिक वदि ५ मुनिरत्नसरि शांतिनाथ की आदिनाथ जिनालय, बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, सोमवार पंचतीर्थी प्रतिमा माणेकचौक, खंभात भाग-२, लेखांक १००५ का लेख वैशाख सुदि १३ सिंहदत्तसूरि आदिनाथ की प्रतिमा बावन जिनालय, वही, गुरुवार का लेख भाग-१, लेखांक ७१३ पेयापुर फाल्गून वदि ४ देवरत्नसरि कुन्थुनाथ की धातु जील्लावाला देरासर, विजयधर्मसरि । सोमवार प्रतिमा का लेख घोघा पूर्वोक्त, लेखांक ३७० वैशाख सुदि ३ देवरत्नसूरि कुन्थुनाथ की धातु- चिन्तामणि पार्श्वनाथ मुनि जयन्तविजय, सोमवार पंचतीर्थी प्रतिमा देरासर, लाजग्राम पूर्वोक्त, भाग-५ का लेख लेखांक ४७७ डॉ० शिव प्रसाद ११५. १५२३ ११६. १५२३ ११७. १५२३ ११८. १५२४ Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११९. '१२०. १२१. १२३. १२४. १२२. १५२५ १२५. १२६. १५२४ १२७. १५२४ १५२५ १५२५ १५२५ १५२७ १५२७ १५२७ कात्तिक वदि १३ अमररत्नसूरि शनिवार वैशाख सुदि २ गुरुवार पौष वदि ५ सोमवार माघ सुदि १३ बुधवार माघ सुदि १३ बुधवार सुमतिनाथ की पंचतीर्थी प्रतिमा का लेख वैशाख यदि ६ शुक्रवार वैशाख वदि १० देवरत्नसूरि अमररत्न सूरि संभवनाथ की चौबीसी प्रतिमा का लेख देवरत्नसूरि देवरत्नसूरि जयचन्द्रसूरि के पट्ट देवरत्नसूरि अमररत्नसूरि पार्श्वनाथ की धातु प्रतिमा का लेख सुविधिनाथ की प्रतिमा का लेख अभिनन्दनस्वामी की चौबीसी का लेख जैन मंदिर, गांभू आनन्दप्रभसूरि धर्मनाथ की धातु प्रतिमा का लेख चिन्तामणि पार्श्वनाथ जिनालय, किशनगढ़ जैन देरासर, लींबडी अमररत्नसूरि परिर्श्वनाथ की धातु की प्रतिमा का लेख पार्श्वनाथ जिनालय, माणेकचौक, खंभात घर देरासर, गामदेवी, वाचागांधी रोड, मुम्बई पद्मप्रभ की प्रतिमा सुमतिनाथ मुख्यबावन का लेख जिनालय, मातर बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग - १, लेखांक ७४ विनयसागर, पूर्वोक्त, लेखांक ६३९ कुन्थुनाथ की आदिनाथ जिनालय, विजयधर्मसूरि, पूर्वोक्त, की धातु पंचतीर्थी प्रतिमा का लेख जामनगर लेखांक ४०३ सुविधिनाथ देरासर, घोघा विजयधर्मसूरि पूर्वोक्त, लेखांक ३८८ बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग-२, लेखांक ९३७ नाहर, पूर्वोक्त, भाग - २, लेखांक १८०० नवखंडा पार्श्वनाथ वहीं, लेखांक ४०९ देरासर, घोघा बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग-२ लेखांक ४९८ विजयधर्मसूरि, पूर्वोक्त, लेखांक ४०५ आगमिक गच्छ / प्राचीन त्रिस्तुतिक गच्छ का संक्षिप्त इतिहास २७३ Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२८. १५२८ २७४ आषाढ़ सुदि ५ रविवार १२९. १५२८ पौष सुदि ३ सोमवार १३०. १५२९ वैशाख सुदि ५ शुक्रवार वैशाख सुदि ५ शुक्रवार (१३१. १५२९ सिंहदत्तसूरि. सुमतिनाथ की धातु राधनपुर मुनि विशालविजय, के पट्टधर की पंचतीर्थी प्रतिमा पूर्वोक्त, लेखांक २६२ सोमदेवसूरि का लेख एवं मुनिजयन्तविजय, .. आबू, भाग ५, __ लेखांक ५१० अमररत्नसूरि धर्मनाथ की धातु की आदिनाथ जिनालय, विजयधर्मसरि, पंचतीर्थी प्रतिमा जामनगर पूर्वोक्त, लेखांक ४१३ का लेख देवरत्नसूरि अभिनन्दनस्वामी की पार्श्वनाथ जिनालय, बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, प्रतिमा का लेख माणेक चौक, खंभात भाग-२, लेखांक ९४७ देवरत्नसूरि पार्श्वनाथ की रत्नमय कुन्थुनाथ जिनालय, वही, प्रतिमा के परिकर का मांडवीपोल, भाग-२ लेखाङ्क ६४३ लेख खंभात अमररत्नसरि संभवनाथ की पंचतीर्थी संभवनाथ जिनालय, वही, भाग-२ प्रतिमा का लेख मांडवीपोल, खंभात लेखाङ्क ११४२ अमररत्नसरि पद्मप्रभ की पंचतीर्थी जैनमंदिर, थराद लोढ़ा, दौलतसिंह, प्रतिमा का लेख पूर्वोक्त, लेखाङ्क ८२ अमररत्नसूरि मुनिसुव्रतस्वामी की विमलनाथ जिनालय, नाहटा, अगरचन्द, प्रतिमा का लेख (कोचरों में) बीकानेर पूर्वोक्त, लेखाङ्क १५८२ देवरत्नसूरि कुन्थुनाथ की प्रतिमा आदिनाथ जिनालय, बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, का लेख माणेक चौक खंभात भाग-२ लेखाङ्क १०१० डॉ. शिव प्रसाद १३२. १५२९ १३३. १५२९ ज्येष्ठ वदि १ शुक्रवार ज्येष्ठ वदि १ शुक्रवार माघ वदि २ शुक्रवार १३४. १५३० १३५. १५३० माघ सुदि १० गुरुवार Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३६. १३७. १३८. १४०. १४१. १३९. १५३१ १४२.. १५३१ १४३. १५३१ १५३१ १५२१ १५३२ १५३२ १५३२ माघ सुदि ५ माघ वदि ८ सोमवार माघ वदि ८ सोमवार माघ वदि ८ सोमवार माघ वदि ८ सोमवार वैशाख ...... । वैशाख ज्येष्ठ वदि १३ अमररत्नसूरि चन्द्रप्रभस्वामी की पंचतीर्थी प्रतिमा का लेख देवरत्नसूरि देवरत्नसूरि देवरत्नसूरि देवरत्नसूर आदिनाथ की प्रतिमा जैन मंदिर, ऊंझा का लेख संभवनाथ की चौबीसी चिन्तामणिपार्श्वनाथ प्रतिमा का लेख जिनालय, खंभात सुविधिनाथ की प्रतिमा का लेख वासुपूज्य स्वामी की प्रतिमा का लेख मुनिसुव्रतदेरासर, डभोई अमररत्नसूरि अभिनन्दनस्वामी की सुमतिनाथ जिनालय, पालिताना अमररत्नसूरि महावीर स्वामी की चिन्तामणिपार्श्वनाथ देरासर, कड़ी आदिनाथ जिनालय, धातु प्रतिमा का लेख जामनगर । अमररत्नसूरि शान्तिनाथ की प्रतिमा बावन जिनालय, का लेख पेथापुर आदिनाथ जिनालय, धातु- पंचतीर्थी प्रतिमा राधनपुर का लेख वही, भाग १, लेखाङ्क ६५ बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग - १, लेखाङ्क १८२ वही, भाग-२ लेखाङ्क १११९ नाहर, पूरनचन्द, पूर्वोक्त, भाग २, लेखाङ्क १७५९ एवं विजयधर्मसूरि, पूर्वोक्त, लेखाङ्क ४३५ बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग १, लेखाङ्क ७२२ विजयधर्मसूरि, पूर्वोक्त, लेखाङ्क ४४६ बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग-१ लेखाङ्क ७१२ मुनिविशाल विजय, पूर्वोक्त, लेखाङ्क २८१ आगमिक गच्छ / प्राचीन त्रिस्तुतिक गच्छ का संक्षिप्त इतिहास २७५ Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४४. १५३२ । १४५. १५३२ १४६. १५३३ १४७. १४३५ डॉ० शिव प्रसाद १४४. वैशाख सुदि ३ अमररत्नसूरि पार्श्वनाथ की प्रतिमा सुमतिनाथ जिनालय, विनयसागर, पूर्वोक्त, का लेख नागौर लेखाङ्क ७४५ एवं काहर, पूरनचन्द, पूर्वोक्त, भाग-२ लेखाङ्क १३२३ वैशाख .. ...। अमररत्नसूरि श्रेयांसनाथ की पंच- धर्मनादेरासर, डझोई बुद्धिसागर, पूर्वोक्त तीर्थी प्रतिमा का लेख भाग १, लेखाङ्क५५ माघ सुदि ५ देवरत्नसूरि संभवनाथ की प्रतिमा पार्श्वनाथ जिनालय, बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, रविवार का लेख खंभात भाग-२, लेखाङ्क ३०८ माघ सुदि ५ आनन्दप्रभसूरि बासुपूज्यस्वामी की जैन देरासर, वही, भाग १, शुक्रवार प्रतिमा का लेख गेरीता लेखाङ्क ६७१ वैशाख सुदि ६ अमररत्नसूरि वासुपूज्यस्वामी की जैन मंदिर, वही, भाग-१ सोमवार प्रतिमा का लेख चाणस्मा लेखाङ्क ११४ आषाढ़ सुदि २ अमररत्नसूरि कुंथुनाथ की प्रतिमा जैनमंदिर वही, भाग-१, मंगलवार का लेख गेरीता लेखाङ्क ६६६ वैशाख सुदि ३ अमररत्नसूरि विमलनाथ की प्रतिमा जैन मंदिर,पाडीव नाहर, पूरनचन्द, गुरुवार का लेख सिरोही-राजस्थान पूर्वोक्त, भाग-२ लेखाङ्क २०९१ पौष बदि गुरुवार सिंहदत्तसूरि नमिनाथ की धातु बड़ा मंदिर, सीहोर नाहर, पूरनचन्द, प्रतिमा का लेख पूर्वोक्त, भाग २, लेखाङ्क १७३७, एवं विजयधर्मसूरि, पूर्वोक्त लेखाङ्क ४६७ १५३५ १४९. १५३५ १५०. १५३६ १५१. १५३६ Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५२. १५३६ १५३. १५३७ के पट्टधर का लेख १५४. १५३७ १५५. १५४२ १५६. १५४२ माघ सुदि ५ . पं० उदयरत्न पंचतीर्थी प्रतिमा जैन मंदिर, बडावली बुद्धिसागर, पूर्वोक्त शुक्रवार भाग-१, लेखाङ्क ९८ पौष सदि९ सिंहदत्तसरि शांतिनाथ की प्रतिमा कोठार पंचतीर्थी-२ मुनिकंचनसागर, रविवार शत्रुञ्जय पूर्वोक्त, लेखाङ्क २३५ सोमदेवसूरि माघ सुदि ५ सिंहदत्तसूरि सुमतिनाथ की प्रतिमा चन्द्रप्रभजिनालय, बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, शुक्रवार का लेख जानीशेरी, बड़ोदरा भाग-२, लेखाङ्क १५६ चैत्र वदि ८ आनन्दप्रभसूरि विमलनाथ की धातु शांतिनाथ जिनालय, विजयधर्मसूरि, पूर्वोक्त, मंगलवार के पट्टधर प्रतिमा का लेख घोघा लेखाङ्क ४८२ मुनिरत्नसूरि वैशाख सुदि १ जिनचन्द्रसूरि अजितनाथ की प्रतिमा आदिनाथ जिनालय, बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, गुरुवार का लेख बड़ोदरा भाग-२, लेखाङ्क ९५ वैशाख सुदि २ श्रीसूरि विमलनाथ की प्रतिमा दादापार्श्वनाथ वही, भाग-२ गुरुवार का लेख जिनालय, नरसिंह जी लेखाङ्क १३६ की पोल, बड़ोदरा वैशाखसुदि १० जिनचन्द्रसूरि आदिनाथ की प्रतिमा विमलनाथ जिनालय, वही, भाग २, गुरुवार का लेख चौकसीपोल, खंभात लेखाङ्क ८०६ वैशाख वदि १० जिनचन्द्रसूरि सुविधिनाथ की शांतिनाथ जिनालय, वही, भाग-२, शुक्रवार प्रतिमा का लेख सेठ वाडो, खेड़ा लेखाङ्क ४३२ वैशाख वदि १० जिनचन्द्रसूरि शीतलनाथ की सुमतिनाथमुख्य बावन बुद्धिसागर, पूर्वोक्त शुक्रवार प्रतिमा का लेख जिनालय, मातर भाग-२, लेखाङ्क ५१६ आगमिक गच्छ/प्राचीन त्रिस्तुतिक गच्छ का संक्षिप्त इतिहास १५७. १५४२ १५८. १५४२ १५९. १५४३ १६०. १५४३ Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६१. १५४४ . १६२. १५४४ १६३. १५४६ १६४. १५४६ १६५. १५४७ फाल्गुन सुदि २ विवेकरत्नसूरि विमलनाथ की जैनदेरासर, सौदागर बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, शुक्रवार प्रतिमा का लेख पोल, अहमदाबाद भाग-१, लेखाङ्क ८२४ - जिनचन्द्रसूरि पार्श्वनाथ की प्रतिमा घर देरासर, बड़ोदरा वही, भाग १, का लेख लेखाङ्क २४९ माघ वदि १३ विवेकरत्नसूरि स्तम्भलेख मुनिसुव्रत जिनालय, वही, भाग-२ भरुच लेखाङ्क ३२१ माघ सदि १३ विवेकरत्नसरि चन्द्रप्रभस्वामी की वीर जिनालय, गीपटी, वही, भाग-२ प्रतिमा का लेख खंभात लेखाङ्क ७०६ वैशाख सदि ५ अमररत्नसरि वासुपूज्यस्वामी की महावीर जिनालय, नाहर, पूरनचन्द, प्रतिमा का लेख गुरुवार डीसा पूर्वोक्त, भाग-२, लेखाङ्क २००६ वैशाख वदि ६ विवेकरत्नसूरि सुविधिनाथ की मनमोहन पार्श्वनाथ बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, शुक्रवार प्रतिमा का लेख जिनालय, बड़ोदरा भाग-२, लेखाङ्क ८५ पौष वदि ६ अमररत्नसूरि सुविधिनाथ की धातु वीर जिनालय, मुनि विशालविजय, रविवार प्रतिमा का लेख राधनपुर पूर्वोक्त, लेखाङ्क-३०६ पौष वदि १० अमररत्नभूरि ___ सुविधिनाथ की धातु पार्श्वनाथ देरासर, बुद्धिसागर, पूर्वोक्त बुधवार की पंचतीर्थी प्रतिमा पाटन भाग १, लेखाङ्क २२८. का लेख माघ, सुदि १३ अमररत्नसूरि शीतलनाथ की धातु बड़ा मंदिर, विजयधर्मसूरि, पूर्वोक्त, रविवार के पट्टधर की प्रतिमा का लेख कातर ग्राम लेखांक, ४९६ श्रीसूरि वैशाख सुदि २ जिनचन्द्रसूरि शीतलनाथ की शांतिनाथ जिनालय, बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, शनिवार प्रतिमा का लेख चौकसीपोल खंभात भाग २, लेखांक ८३४ १६६. १५४७ डॉ० शिव प्रसाद १६७. १५४७ १६८. १५४७ १६९. १५४७ १७०. १५४८ Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७१ १७२. १७४. १७३. १५५२ १७५. १७६ १५४८ १७८. १५४९ १७९. १५५२ १५५४ १७७. १५५६ १५५५ १५५९ १५६० वैशाख सुदि ३ आषाढ़ सुदि ३ सोमवार माघ वदि ८ शनिवार वैशाख सुदि ३ ज्येष्ठ सुदि ९ रविवार वैशाख सुदि १३ रविवार वैशाख सुद्ध २ सोमरत्न सूरि वैशाख सुदि ३ शुक्रवार श्रेयांसनाथ की प्रतिमा का लेख विवेकरत्नसूरि अजितनाथ की प्रतिमा का लेख फाल्गुन सुदि । विवेकरत्नसूरि विमलनाथ की प्रतिमा का लेख सोमरत्नसूरि सोम रत्नसूरि सुमतिनाथ की प्रतिमा का लेख सुमतिनाथ की पंच तीर्थी प्रतिमा का लेख अमररत्नसूरि पट्टधर सोमरत्नसूरि सोमरत्नसूरि मुनिसुव्रत की धातु की प्रतिमा का लेख मुनिसुव्रत की चौबीसी प्रतिमा का लेख प्रतापसिंह जी का मंदिर, रामघाट, वाराणसी संभवनाथ जिनालय बोलपीपलो, खंभात मनमोहनपार्श्वनाथ जिनालय, मीयागाम चन्द्रप्रभजिनालय, भोंपरापाडो, खंभात सुमतिनाथ मुख्य बावन जिनालय, मातर नाहरं, पूरनचन्द-पूर्वोक्त, भाग १, लेखांक ४२३ पार्श्वनाथ जिनालय, दाहोद बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग - २, लेखांक ११३९ वही, भाग-२, लेखांक २७६ वही, भाग-२ लेखांक - ८९४ बुद्धिसागर, पूर्वोक्त भाग-२ लेखांक ४६६ बृहद्खरतरगच्छ नाहर, पूर्वोक्त, का उपाश्रय, जैसलमेर लेखांक २४८५ विनयसागर, पूर्वोक्त, लेखांक ८८७ विवेक रत्नसूरि अभिनन्दनस्वामी की शांतिनाथ जिनालय, बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, चौबीसी प्रतिमा का लेख पादरा लेखांक ८ विवेक रत्नसूरि श्रेयांसनाथ की धातु जैनमंदिर, राधनपुर मुनिविशालविजय, की चौबीसी प्रतिमा पूर्वोक्त, लेखांक ३२१ का लेख आगमिक गच्छ/प्राचीन त्रिस्तुतिक गच्छ का संक्षिप्त इतिहास २७९ Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८०. १८१. १८२. १५६० १८३. १५६७ १८६. १५६४ १८४. १५६९ १८७. १५६६ १८५. १५७० १८९. १५७१ १५७१ १८८. १५७१ १५७३ वैशाख सुदि ३ बुधवार फाल्गुन वदि ५ रविवार माघ सुदि ५ सोमवार वैशाख सुदि ३ बुधवार वैशाख सुदि ९ शुक्रवार पौष वदि ५ रविवार चैत्र वदि २ गुरुवार चैत्र वदि २ गुरुवार चैत्र वदि ७ गुरुवार वैशाख सुदि ६ गुरुवार भावसागरसूरि शीतलनाथ की प्रतिमा का लेख आणंदसूर शांतिनाथ की प्रतिमा शांतिनाथ जिनलय, का लेख बीजापुर सीमरत्नसूरि सोमरत्न सूरि शिवकुमारसूरि वासुपूज्य की प्रतिमा वीर जिनालय, गीपटी वही, भाग-२, का लेख खंभात लेखांक ७१० सोमरत्नसूरि सोम रत्नसूरि मुनिसुव्रत की प्रतिमा पद्मप्रभजिनालय, का लेख आदिनाथ की धातु की चौबीसी प्रतिमा का लेख शिवकुमारसूरि अजितनाथ की प्रतिमा का लेख सीमंधरस्वामी का देरासर, अहमदाबाद आनन्दरत्नसूरि वासुपूज्य स्वामी की प्रतिमा का लेख सोमरत्न सूरि वासुपूज्य स्वामी की प्रतिमा का लेख आदिनाथ जिनालय, बड़ोदरा आदिनाथ जिनालय, वडनगर अभिनन्दन स्वामी की महावीर जिनालय, चौबीसी प्रतिमा लखनऊ का लेख बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग १, लेखांक १२३६ आदिनाथ जिनालय, नाहर, पूर्वोक्त, भाग - २, लेखांक १२१६ जयपुर वासुपूज्य स्वामी की जैनदेरासर, गैरीता प्रतिमा का लेख वही, भाग-१ लेखांक ४३९ वही, भाग-१, लेखांक ६२४ बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग २, लेखांक १०० वही, भाग-१, लेखांक ५५२ नाहर, पूरनचन्दपूर्वोक्त, भाग - १ लेखांक १५७७ बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग १, लेखांक ६७० आदिनाथ जिनालय, वही, भाग २, लेखांक ४१४ खेड़ा २८० डॉ० शिव प्रसाद Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९०. १५७३ फाल्गुन सुदि २ रविवार १९१. १५७५ माघ सुदि ६ गुरुवार माघसुदि ५ गुरुवार १९२. १५७५ १९३. १५७६ माघसुदि ९ शनिवार अमररत्नसूरि श्रेयांसनाथ की वीर जिनालय, के पट्टधर चौबीसी प्रतिमा बीजापुर भाग-१, लेखांक ४३३ सोमरत्नसूरि का लेख आनन्दरत्नसूरि धर्मनाथ की प्रतिमा धर्मनाथ जिनालय, नाहर, पूर्वोक्त, का लेख बड़ा बाजार, कलकत्ता भाग १, लेखांक १११ मुनिरत्नसूरि पद्मप्रभ की चौबीसी पद्मावती देरासर, बद्धिसागर, पूर्वोक्त, के पट्टधर प्रतिमा का लेख बीजापुर भाग १, लेखांक ४२१ आनन्दरत्नसरि मुनिरत्नसरि चन्द्रप्रभस्वामी की चन्द्रप्रभ जिनालय, वही, भाग २, के पट्टधर प्रतिमा का लेख सुल्तानपुरा, बड़ोदर, लेखांक १९५ आनन्दरत्नसूरि हेमरत्नसरि शोतिनाथ की कोठार पंचतीर्थी-४ मुनि कंचनसागर, प्रतिमा का लेख शत्रुञ्जय पूर्वोक्त, लखांक २३७ विवेकरत्नसूरि धर्मनाथ की चतुर्मुख आदिनाथ जिनालय, मुनिबुद्धिसागर, पूर्वोक्त प्रतिमा का लेख भरुच भाग-२, लेखांक २९४ विवेकरत्नसूरि संभवनाथ की प्रतिमा मुनिसुव्रत जिनालय, वही, भाग-२ का लेख भरुच लेखांक ३३७ विवेक रत्नसूरि सुमतिनाथ की प्रतिमा नेमिनाथ जिनालय, वही, भाग २, का लेख मेहतापोल, बड़ोदरा लेखांक १७१ विवेकरत्नसूरि शीतलनाथ की धातु शांतिनाथ जिनालय, मुनि विशालविजय, की चौबीसी प्रतिमा राधनपुर पूर्वोक्त, लेखांक ३३६ का लेख आगमिक गच्छ प्राचीन त्रिस्तुतिक गच्छ का संक्षिप्त इतिहास १९४. १५७७ माघ सुदि १३ गुरुवार माघ वदि ५ १९५. १५७८ गुरुवार १९६. १५७८ १९७. १५७८ माघ वदि ५ गुरुवार माघ सुदि ४ गुरुवार ... वैशाख सुदि ५ सोमवार १९८. १५७९ २८१ Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५७९ .२००. १५७९ २०१. १५८१ २०२. १५८३ २०३. १५८४ फाल्गुन सुदि ५ शिवकुमारसूरि शीतलनाथ की धातु जैन मंदिर, मुनि जयन्तविजय, सोमवार की चौबीसी प्रतिमा भ्रामरा ग्राम आवू-भाग ५, का लेख लेखांक १८२ फाल्गुन मुदि ५ शिवकुमारसूरि शीतलनाथ की शांतिनाथ जिनालय बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, प्रतिमा का लेख कडाकोटडी, खंभात भाग-२, लेखांक ६१५ माघ सुदि ५ सोमरत्नसूरि मुनिसुव्रत की पंचतीर्थी वीर जिनालय, लोढ़ा, दौलतसिंहगुरुवार प्रतिमा का लेख थराद पूर्वोक्त, लेखांक २४७ ज्येष्ठ सुदि ९ मुनिरत्नसूरि के श्रेयांसनाथ की धातु शांतिनाथ देरासर, मुनि विशालविजय, शुक्रवार पट्टधर की चौबीसी प्रतिमा राधनपुर पूर्वोक्त, लेखांक ३४२ आनन्दरत्नसूरि का लेख पैशाख वदि ४ शिवकुमारसरि आदिनाथ की प्रतिमा मुनिसुव्रत जिनालय, बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, का लेख भरुच भाग २, लेखांक ३४८ पैशाख सुदि ४ शिवकुमारसूरि श्रेयांसनाथ की प्रतिमा जैन मंदिर, वही, भाग १, का लेख झुंडाल लेखांक ७७५ माघ वदि ५ उदयरत्नसूरि शीतलनाथ की देरी न० ७१।२ मुनिकंचनसागर, पंचतीर्थी प्रतिमा पंचतीर्थी, शत्रुञ्जय पूर्वोक्त, लेखांक ४५२ का लेख पौष वदि६ सिंहदत्तसरि के वासुपूज्यस्वामी की चन्द्रप्रभजिनालय, बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, रविवार पट्टधर शिव- प्रतिमा का लेख सुल्तानपुर, बड़ोदरा भाग-२, लेखांक १९३ कुमारसूरि माघ वदि ८ उदयरत्नहरि विमलनाथ की सीमन्धरस्वामी का वही, भाग १, गुरुवार प्रतिमा का लेख जिनालय, अहमदाबाद लेखांक १२१६ डा० शिव प्रसाद २०४. १५८४ २०५. १५८६ २०६. १५८७ २०७ १५८७ Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०८. २०९. २१०. २११. २१३. १५८७ २१४. १५८७ १५९१ २१२. १५९९ १५९९ १६१० १६१२ माघ वदि ... गुरुवार माघ वदि ८ गुरुवार वैशाख वदि ६ शुक्रवार ज्येष्ठ सुदि १० ज्येष्ठ सुदि ११ रविवार चैत्रसुदि १५ बुधवार उदय रत्न सूरि विमलनाथ की प्रतिमा का लेख उदयरत्नसूरि संभवनाथ की प्रतिमा का लेख संयम रत्नसूरि वासुपूज्यस्वामी की प्रतिमा का लेख संयमरत्नसूरि विनयमेरुसूरि उदयरत्नसूरि के पट्टधर सौभाग्यरत्नसूरि के परि वार के हर्षरत्न उपाध्याय, पं० गुणमंदिर, माणिकरत्न, विद्यारत्न, सुमतिराज आदि वैशाख सुदि ६ संयमरत्नसूरि बुधवार जैन मंदिर, ईडर पार्श्वनाथ देरासर, लाडोल शांतिनाथ जिनालय, ऊडीपोल, खंभात आदिनाथ की चौबीसी जैन देरासर, सौदागर प्रतिमा का लेख पोल, अहमदाबाद आदिनाथ की प्रतिमा का लेख संभवनाथ की धातु की पंचतीर्थी प्रतिमा का लेख विमलनाथ जिनालय, ( कोचरों में ), बीकानेर विमलवसही, आवू शांतिनाथ देरासर, राधनपुर वही, भाग १, लेखांक १४७७ वही, भाग १, लेखांक ४६८ बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग - २, लेखांक ६७३ वही भाग ६, लेखांक ८६० नाहटा, अगरचन्दपूर्वोक्त, लेखांक १५७७ मुनि जयन्तविजय, आबू, भाग-२, लेखांक १९४ मुनिविशाल विजय, पूर्वोक्त ३५१ आगमि गच्छ / प्राचीन त्रिस्तुतिक गच्छ का संक्षिप्त इतिहास २८३ Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 215 1643 284 216. 1667 फाल्गुन सुदि 5 संयमरत्नसूरि शांतिनाथ की धातु की संभवनाथ जिनालय, बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, गुरुवार के पट्टधर प्रतिमा का लेख पादरा भाग-२, लेखांक 11 कुलवर्धनसूरि वैशाख वदि 7 शांतिनाथ की प्रतिमा शांतिनाथ जिनालय,' वही, भाग-२, का लेख खंभात लेखांक 610 वैशाख वदि 7 कुलवर्धनसूरि पार्श्वनाथ की शीतलनाथ जिनालय, वही, भाग-२ प्रतिमा का लेख कुंभारवाडो, खंभात लेखांक 649 ज्येष्ठ सुदि 6 कुलवर्धनसूरि अजितनाथ की शांतिनाथ जिनालय, वही, भाग-१ गुरुवार प्रतिमा का लेख कनासानो पाडो, पाटन लेखांक 361 217. 1667 218. 1683 डॉ० शिव प्रसाद इस प्रकार यह स्पष्ट है कि आगमिकगच्छ १३वीं शती के रखने बल्कि उसमें नई स्फति पैदा करने में श्वेताम्बर जैन / प्रारम्भ अथवा मध्य में अस्तित्त्व में आया और १७वीं शती के आचार्यों ने अति महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। अन्त तक विद्यमान रहा। लगभग 400 वर्षों के लम्बे काल में विक्रम सम्वत् की १७वीं शताब्दी के पश्चात् इस गच्छ से इस गच्छ में कई प्रभावक आचार्य हये, जिन्होंने अपनी साहित्यो सम्बद्ध प्रमाणों का अभाव है। अतः यह कहा जा सकता है कि पासना और नूतन जिन प्रतिमाओं की प्रतिष्ठापना, प्राचीन १७वीं शती के पश्चात् इस गच्छ का स्वतंत्र अस्तित्त्व समाप्त हो जिनालयों के उद्धार आदि द्वारा पश्चिमी भारत (गुजरातकाठियावाड़ और राजस्थान ) में श्वेताम्बर श्रमणसंघ को गया होगा और इसके अनुयायी श्रमण एवं श्रावकादि अन्य जीवन्त बनाये रखने में अति महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई / यह गच्छों में सम्मिलित हो गये होंगे। भी स्मरणीय है कि यह वही काल है, जब सम्पूर्ण उत्तर भारत वर्तमान समय में भी श्वेताम्बर श्रमण संघ की एक शाखा पर मुस्लिम शासन स्थापित हो चुका था, हिन्दुओं के साथ-साथ त्रिस्तुतिकमत अपरनाम बृहद्सौधर्मतपागच्छ के नाम से जानी बौद्धों और जैनों के भी मन्दिर-मठ समान रूप से तोड़े जाते रहे, जाती है, किन्तु इस शाखा के मुनिजन स्वयं को तपागच्छ से ऐसे समय में श्वेताम्बर श्रमण संघ को न केवल जीवन्त बनाये उद्भूत तथा उसकी एक शाखा के रूप में स्वीकार करते हैं।