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________________ Jain Education International १९०. १५७३ फाल्गुन सुदि २ रविवार १९१. १५७५ माघ सुदि ६ गुरुवार माघसुदि ५ गुरुवार १९२. १५७५ १९३. १५७६ माघसुदि ९ शनिवार For Private & Personal Use Only अमररत्नसूरि श्रेयांसनाथ की वीर जिनालय, के पट्टधर चौबीसी प्रतिमा बीजापुर भाग-१, लेखांक ४३३ सोमरत्नसूरि का लेख आनन्दरत्नसूरि धर्मनाथ की प्रतिमा धर्मनाथ जिनालय, नाहर, पूर्वोक्त, का लेख बड़ा बाजार, कलकत्ता भाग १, लेखांक १११ मुनिरत्नसूरि पद्मप्रभ की चौबीसी पद्मावती देरासर, बद्धिसागर, पूर्वोक्त, के पट्टधर प्रतिमा का लेख बीजापुर भाग १, लेखांक ४२१ आनन्दरत्नसरि मुनिरत्नसरि चन्द्रप्रभस्वामी की चन्द्रप्रभ जिनालय, वही, भाग २, के पट्टधर प्रतिमा का लेख सुल्तानपुरा, बड़ोदर, लेखांक १९५ आनन्दरत्नसूरि हेमरत्नसरि शोतिनाथ की कोठार पंचतीर्थी-४ मुनि कंचनसागर, प्रतिमा का लेख शत्रुञ्जय पूर्वोक्त, लखांक २३७ विवेकरत्नसूरि धर्मनाथ की चतुर्मुख आदिनाथ जिनालय, मुनिबुद्धिसागर, पूर्वोक्त प्रतिमा का लेख भरुच भाग-२, लेखांक २९४ विवेकरत्नसूरि संभवनाथ की प्रतिमा मुनिसुव्रत जिनालय, वही, भाग-२ का लेख भरुच लेखांक ३३७ विवेक रत्नसूरि सुमतिनाथ की प्रतिमा नेमिनाथ जिनालय, वही, भाग २, का लेख मेहतापोल, बड़ोदरा लेखांक १७१ विवेकरत्नसूरि शीतलनाथ की धातु शांतिनाथ जिनालय, मुनि विशालविजय, की चौबीसी प्रतिमा राधनपुर पूर्वोक्त, लेखांक ३३६ का लेख आगमिक गच्छ प्राचीन त्रिस्तुतिक गच्छ का संक्षिप्त इतिहास १९४. १५७७ माघ सुदि १३ गुरुवार माघ वदि ५ १९५. १५७८ गुरुवार १९६. १५७८ १९७. १५७८ माघ वदि ५ गुरुवार माघ सुदि ४ गुरुवार ... वैशाख सुदि ५ सोमवार १९८. १५७९ www.jainelibrary.org २८१
SR No.210167
Book TitleAgamik Gaccha Prachin Trustutik Gaccha ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherZ_Aspect_of_Jainology_Part_3_Pundit_Dalsukh_Malvaniya_012017.pdf
Publication Year1991
Total Pages44
LanguageHindi
ClassificationArticle & Jain Sangh
File Size2 MB
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