Book Title: Agam Sutra Satik 37 Dasashrutskandh ChhedSutra 4
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 48
________________ ४५ दशा-७, मूलं-४८, [नि-५४] मू. (४८) सुयं मे आउसंतेणं भगवया एवमक्खातं, इह खलु थेरेहिं भगवंतेहिं बारस भिक्खुपडिमाओ पन्नत्ताओ कतराओखलु ? इमाओतंजधा-मासिया भिक्खुपडिमा, दोमासिया भिक्खु पडिमा, तेमासियाभिक्खुपडिमा, चउमासिया भिक्खुपडिमा, पंचमासिया भिक्खुपडिमा,छमासिया भिक्खुपडिमा, सत्तमासिया भिक्खुपडिमा, पढम सत्तरातिदियाभिक्खुपडिमा, दोच्चा सत्तरातिंदियाभिकखुपडिमा, तच्चा सत्तरातिंदियाभिक्खुपडिमा, अहोरातिन्दियाभिक्खुपडिमा, एगरातिं दियाभिक्खुपडिमा ।। मू. (४९) मासियंणं भिक्खुपडिमं पडिवनस्स, अनगारस्स निचं वोसट्टकाए चियत्तदेहे जे केइ उवस्सग्गा उववजंतितं०-दिव्वा वा मानुस्सा वा तिरिक्खजोणिया वा ते उप्पने सम्मंसहति खमतितितिक्खतिअधियासिति, मासियन्नं भिक्खुपडिमं पडिवनस्सअनगारस्सकप्पतिएगदत्ती भोयणस्स पडिगाहेत्तए एगा पानगस्स अन्नाउंछं सुद्धोवहडं निज्जूहित्ता बहवे दुपयचउप्पयसमणमाहण अतिहि किवणवणीमए कप्पति से एगस्स मुंजमाणस्स पडिग्गाहेत्तए, नो दोण्हं नो तिण्हं नो चउण्हं नो पंचण्हं नो गुम्विणीए नो बालवच्चाए नो दारगं पेजमाणीए नो अन्नो एलुयस्स दोवि पाए साहटु दलमाणीए नो बाहिं एलुयस्स दोवि पाए साहढ दलमाणीए एगंपादं अंतो किच्चा एग पादं बाहिं किच्चा एलुयं विकखंभयित्ता एवं दलयति एवं से कप्पति पडिग्गाहेत्तए, एवं से नो दलयति एवं नो कप्पति पडिग्गाहेत्तए । मासियं णं भिक्खुपडिमं पडिवत्रस्स अनगारस्स तओ गोयरकाला पत्रत्तातं जहा-आदिमज्झे चरिमे, आदि चरेज्जा नो मझे चरिज्जा नो चरिमे चरेज्जा, मझे चरिजा नो आदि चरेजा नो चरिमंचरेजा चरिमं चरेजाना आदि चरेजा नो मझे चरिजा। मासियं णं भिक्खुपडिमं पडिवनस्स अनगारस्स छविधा गोयरचरिया पन्नत्ता तं०-पेला, अद्धपेला, गोमत्तिया, पयंगविधिया, संबुक्कावट्टागंतुंपञ्चागता।मासियंणंभिक्खुपडिमंपडिवत्रस्स अनगारस्स जत्थ केति जाणति गामंसि वा जाव मंडवंसि वा कप्पति से तत्थ एगरायं वसित्तए, जत्थ केइ न जाणति कप्पति से तत्थेगरातं वा दुरायं वा वत्थए, नो से कम्पति एगरायातो वा दुगरायातो वा परं वत्थए, जे तत्थ एगरायातो वा दुगरायातो वा परं वसति से संतराछेदे वा परिहारे वा। मासियंणं भिक्खुपडिमंकप्पति चत्तारिभासातो भासित्तएतं०-जायणी पुच्छणी अनुन्नवणी पुहस्सवाकरणी।मासियंणंभिक्खु० कप्पति ततो उवस्सया पडिलेहित्तएतं० अधे आरामगिहसि चा, अधे वियडिगहंसिवा, अधे रुक्खमूलगिहंसिवा।मासियंणंकप्पंतिततोउवस्सयाअनुन्नवेत्तए तं०-अधे आरामगिहं अधे वियडगिहं अधे रुकाखमूलगिहं । मासियं णं० कप्पंति ततो उवस्सया उवाईणत्तएतं०-चेव। मासियंणं भिक्खु० कप्पंति ततो संथारगा पडिलेहेत्तएतं. पुढविसिलं वा कट्ठसिलं वा अधासंथडमेव । मासियं० कप्पंति ततो संथारगा अनुन्नवेत्तए तं चेवं । मासियं० कप्पंति ततो संथारगा उवाइणित्तए तं चेव । मासियं भि० इत्थी वा पुरिसे उवस्सयं उवागच्छेना स इथि वा पुरिसे वा नो से कप्पंति तं पडुच्च निक्खमित्तए वा पविसत्तए वा॥ ___ मासियंणं भिक्खु० केइ उवस्सयंअगनिकाएण झामेज्जा नो से कप्पति तं पडुच्च निक्खमित्तए वापविसित्तए वातत्थएणकोइ बाहाएगहाय आगासेजा नोकप्पतितंअवलंबितएवा पञ्चवलंबित्तए वा कम्पति से अहारियं रियित्तए । मासियं भि० पायंसि खानु वा कंटए वा हीरए वा सक्करए वा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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