Book Title: Agam Sahitya ka Paryalochan Author(s): Kanhaiyalal Maharaj Publisher: Z_Hajarimalmuni_Smruti_Granth_012040.pdf View full book textPage 2
________________ ८१० : मुनि श्रीहजारीमल स्मृति ग्रन्थ : चतुर्थ अध्याय आगमों की भाषा जैनागमों की भाषा अर्धमागधी के सम्बन्ध में दो विकल्प प्रसिद्ध हैंअर्ध मागध्याः–अर्थात् जिसका अर्धांश मागधी का हो वह अर्धमागधी कहलाती है, जिस भाषा में आधे शब्द मगध के और आधे शब्द अठारह देशी भाषाओं के मिश्रित हों. अर्ध मगधस्य–अर्थात्-मगध के आधे प्रदेश की भाषा. वर्तमान में उपलब्ध सभी आगमों की भाषा अर्धमागधी है, यह श्रमणपरम्परा की पराम्परागत धारणा है, किंतु आधुनिक भाषाविज्ञान की दृष्टि से आगमों की भाषा के सम्बन्ध में अन्वेषण आवश्यक है. भाषा की दृष्टि से अन्वेषणीय आगमांश:-[१] आचारांग प्रथम श्रुतस्कंध और सभी शेष आगमों की भाषा. [२] प्रश्नव्याकरण और ज्ञाताधर्म कथा. [३] रायपसेणिय का सूर्याभवर्णन. [४] जीवाभिगम का विजयदेववर्णन [५] उत्तराध्ययन और सूत्रकृतांग का पद्यविभाग. [६] आचारांग द्वितीय श्रुतस्कंध और छेदसूत्रों की भाषा. आगमों की अर्धमागधी भाषा ही आर्यभाषा है प्रज्ञापना के अनुसार जो अर्धमागधी भाषा बोलता है वह भाषा-आर्य है अर्थात् केवल भाषा की दृष्टि से आर्य है. म्लेच्छ होते हुए भी जो अर्धमागधी बोलता है वह भाषा-आर्य है. जिस प्रकार एक भारतीय अंग्रेजी खूब अच्छी तरह बोल लेता है वह जन्मजात भारतीय होते हुए भी भाषा-अंग्रेज है. और जो अंग्रेज हिन्दी अच्छी तरह बोल लेता है वह जन्मजात अंग्रेज होते हुये भी भाषा-भारतीय है. प्रज्ञापना के कथन का यह अभिप्राय हो जाता है कि आर्यों की भाषा अर्धमागधी भाषा ही है. आर्यदेश साड़े पच्चीस हैं. उनमें आर्य अधिक हैं. वे यदि अर्धमागधीभाषा बोलें अथवा [वर्तमान-अंग्रेजी भाषा की तरह] अर्धदेशों में अर्धमागधी भाषा का सर्वत्र व्यापक प्रचार व प्रसार रहा हो और वही राजभाषा रही हो तो प्रज्ञापना के इस कथन की संगति हो सकती है. क्या सभी तीर्थकर अर्धमागधी भाषा में ही देशना देते थे ? भगवान् महावीर मगध के जिस प्रदेश में पैदा हुये और बड़े हुये उस प्रदेश की भाषा' [अर्धमागधी] में भगवान् ने उपदेश दिया किंतु शेष तीर्थंकर भारत के विभिन्न भागों के थे, वे सब ही अपने प्रान्त की भाषा में उपदेश न करके केवल अर्धमागधी भाषा में ही प्रवचन करते थे; यह मानना कहाँ तक तर्कसंगत है, यह विचारणीय है. भगवान ऋषभदेव से भगवान् महावीर तक [४२ हजार वर्ष कम कोड़ाकोड़ी सागरोपम] की इस लम्बी अवधि में मगधी भाषा में कोई परिवर्तन हुआ या नहीं ? जब कि भगवान महावीर के निर्वाण के काल के पश्चात् केवल २४०० वर्ष की अवधि में मगध की भाषा में कितना मौलिक परिवर्तन हो गया है ? प्रागमों के प्रति अगाध श्रद्धा आगमसाहित्य ऐसा साहित्य है जिस पर मानव की अटल एवं अविचल श्रद्धा चिर काल से रही है, और रहेगी. मानव १. सव्वभासागुगामिणीए सरस्सइए जोयण णीहारिणा सरेणं,अद्धमागहाए भासाए धम्म परिकहेइ. तेसिं सम्वेसि पारिय मणारियाणं अगिलाए धम्ममाइक्खइ, साऽवि य णं अद्धमागहा भासा, तेसिं सब्वेसिं श्रारियमणारियाणं अप्पणो सभासाए परिणामेणं परिणमइ. –औपपातिक, सभी भाषाओं में परिणत होने वाली सरखती के द्वारा एक योजन तक पहुंचने वाले स्वर से, अर्थ मागधी भाषा में धर्म को पूर्ण रूप से कहा, उन सभी आर्य-अनार्यों को अग्लानि से (तीर्थकर नानकर्म के उदय से अनायास-विना थकावट के) धर्म कहा. वह अर्धमागधी भाषा भी उन सभी आर्यो-अनार्यों की अपनी अपनी स्वभाषा में परिवर्तित हो जाती थी. RON .00 Edulllllllll lllllllllllllH H HHHH iiiIIII Library.orgPage Navigation
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