Book Title: Agam Nimbandhmala Part 02
Author(s): Tilokchand Jain
Publisher: Jainagam Navneet Prakashan Samiti

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Page 10
________________ आगम निबंधमाला प्रत्याख्यान है। इसका समय तीन घंटों के करीब होता है / पोरिसी आदि 9 प्रत्याख्यानों में हीनाधिक विविध आगार कहे गये हैं / जिनको अर्थ सहित आगे स्पष्ट किया गया है। (3) पूर्वार्द्ध(पुरिमड्ड)-दो पोरिसी-इसमें सूर्योदय से लेकर आधे दिन तक चारों आहार का त्याग होता है / इसका समय छ घंटों के लगभग होता है। (4) एकासन-इसमें एक स्थान पर एक बार भोजन किया जाता है। उसके अतिरिक्त समय में (पूरे दिन-रात में) तीनों आहार का . त्याग होता है। केवल अचित्त जल दिन में लिया जा सकता है। (5) एकस्थान(एकल ठाणा)-इसमें एक बार एक स्थान पर भोजन करने के अतिरिक्त समय में चारों आहार का त्याग किया जाता है अर्थात् आहार और पानी चारों प्रकार का आहार एक स्थान पर . एक साथ ही ले लिया जाता है / उसके बाद दूसरे दिन सूर्योदय तक चारों आहार का त्याग कर लिया जाता है। (6) निवी-इसमें एक बार रुक्ष आहार किया जाता है / पाँचों विगयो का एवं महा विगय का इसमें त्याग होता है। एक बार भोजन के अतिरिक्त तीनों आहार का त्याग होता है। अचित्त जल दिन में पिया जा सकता है / खादिम, स्वादिम का इसमें सर्वथा त्याग होता है। (7) आयंबिल-इसमें एक बार भोजन किया जाता है जिसमें एक ही रुक्ष (लूखा-अलूणा)पदार्थको अचित्त जल में डुबोकर या भिजोकर नीरस बनाकर खाया एवं पीया जाता है। अन्य कुछ भी नहीं खाया जाता है / एक बार भोजन के अतिरिक्त दिन में आवश्यकता अनुसार अचित्त जल लिया जा सकता है। वर्तमान में आयंबिल ओली के प्रचार से कई लोग(विशेष करके गुजरात में एवं देरावासी समाज में) 10-20 द्रव्यों से एवं नमक आदि मसाला का उपयोग करके भी आयंबिल करते हैं / वह मात्र परंपरा का आयंबिल होता है / आगम शुद्ध आयंबिल नहीं होता / आगम दृष्टि से उसे निवी कहा जा सकता है। / 10

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