Book Title: Agam 44 Chulika 01 Nandi Sutra
Author(s): Devvachak, Jindasgani Mahattar, Punyavijay
Publisher: Prakrit Granth Parishad

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Page 124
________________ चतुर्थ परिशिष्टम् नन्दीमत्र- नर्ण्यन्तर्गतानां ग्रन्थ-ग्रन्थकार-स्थविर-नृप-श्रेष्ठि-नगर-पर्वतादीना मकारादिवर्णक्रमेणानुक्रर्माणका | अस्मिन् परिशिष्टे * एताद परिणकायुतानि नामानि नन्दीमत्रमन्टगतानि यानि. ० एताइन्ययुतानि नामानि उदग्णस्थाननाम्माभिनिर्दिशनि जयानि. पाणि च नामानि चूर्णि-टिप्पगिसत्कानि ज्ञेयानि विपनाम किम! पत्रम् विशेषनाम किम् ? पत्रम् विशेषनाम किम् ? पत्रम * अकंपित [निग्रन्थ-गणधर ७ अरणुत्तरोववाइयदसा [जेनागम] ६९ अंगविज्ञा जैनागम] टि. अगम्यसिंह [निग्रन्थ -स्थविर ] ८०टि० *अगुत्तरोववाहयदसाओ .. ४८,६१, *अंतगडदसाओ .. १८.६१.६७ *अग्गिभूति [निग्रन्थ-गणध. ६८,७० अंतगडदसातो . ६८ *अग्गिवस [गोत्र] ___ *अधिथिप्पवात जनपूर्वागम] ७४ अंधगवण्ह। [राजा] ६० अग्गिवस ७ अथिथि पवाद , ७५ *आउम्पच्चकग्वाण [जैनागम] ५५ *अग्ग य जनपूर्वागम] ७४टि० ०अनुयोगटार जिनागम] ४८fc. आउरपञ्चक्वाण , ५८ *अग्गीय ४९टि० आचाराङ्ग , २.२टिक अग्गेणीय ७५ *अभय राजपुन ३४ आचाराङ्गनियुक्ति , ६२.७५ अजितजिण [तीर्थकर ] ___ अभयदेव [निर्ग्रन्थ-आचार्य २३टि० आजीविक दर्शन ] ७२.७३.७४ *अजिय ४२टि०,६५टि०, *आजीविय , ७२,७४ अजिय ६७टि०.६८टि० आतविसोही [जेनागर] ५८ अन्ज [गोत्र] *अभिणंदण [तीर्थकर ] ६ आदिच्चजस [राज ७७ *अजणागहत्थि [निर्ग्रन्थ-स्थविर] *अमरगइगमण ०आभीयमासुरुक्ख [ शास्त्र ४९टि० अजगागहन्थि गंडियाओ [दृष्टिवादप्रविभाग] ७७ आम्भिय ४९टि० अजधम्म ८टि० *अयलभाता [निर्ग्रन्थ-गणधर ] आयप्पवान [जैनांगम ७६ *अजमंगू *अर [ तीर्थकर] *आयप्पवाद अजक्विय अरुण [देव] *आयविसोही [जैनागम अजवइर ८टि *अरुणोववाए [जनागम] ५९ *आयार. *अजसमुद्द अविद्या [शास्त्र] १९टि आयार *अजाणंदिल [जनपूर्वागम ! ७४,७५ ७५.८३ अन्झार्णदिल ८टि० अवंझ ७६ आयारनिम्जुती .. ७ *अणंतह [तीर्थकर ] अंगचूलिता [जनागम] *अणुओगदाराई [ जैनागम] *अंगचूलिया ५९ आर्यजीतवर [निर्ग्रन्थ-स्थविर ] ८टिक ८टि. CV VO2 *अवंझ जनपूल Jain Education Intemational Jain Education Intermational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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