Book Title: Agam 44 Chulika 01 Nandi Sutra
Author(s): Devvachak, Jindasgani Mahattar, Punyavijay
Publisher: Prakrit Granth Parishad

View full book text
Previous | Next

Page 127
________________ ९२ नन्दीसूत्र-तच्चर्णि-टिप्पणीगतानां ग्रन्थ-प्रन्थकार-स्थविर-नृपादिनाम्नामनुक्रमः पत्रम् EO विशेषनाम किम् ? पत्रम् विशेषनाम किम् ? पत्रम् विशेषनाम किम् ? *दिद्विवाअ [ जैनपूर्वागमसमूह ] ४८,६१, निगम पुष्फला [जैनागम] ७१,७९ *निरयगइगमण *पुष्कचूलियाओ , दिद्विवात , ७१,७२.७९ गंडियाओ [ दृष्टिवादप्रविभाग] ७७ *पुष्पदंत तीर्थकर] *दीवसागरपण्णत्ति [ जैनागम] ५९।। निरयावलिया [जनागम] ६० पुफिया [जैनागम] ६० दुमपुफिय ७४ _*निग्यावलियाओ ५९ *पुफियाओ दुस्सगणि) [निग्रन्थ-स्थविर ] ११,१२ निरुक्त [शान्त्र] ४९टि० *पुराण [ शास्त्र] दृसगणि ___ निर्घण्ट ___. ४९टिं० पुराण 2 दि० *दृसगणि निसीह [जैनागम] ५९ *पुस्सदेवय दृष्टिवाद) (जनपूर्वागमसमूह] ७१ *पञ्चकवाण [जनपूर्वागम ] ७१,७५ पेडिया [जैनागम- १८,२६. दृष्टिपात पच्चक्खाण ७६ आवश्यकपीठिका ] ३१.४४ देववायग [नन्दीसूत्रकार] १३ *पञ्चवरखा गप्पवाद , ७४टि० *पोरिसिमंडल [जैनागम] ५७ *देविंदत्था [जैनागम] ५७ पप्णत्ति [जैनागम] २९ पोरिसिमंडल समडल .. *देविंदोववाए ५९ पण्णवणा .. २९.५८,८२ पोंडरीय [द्रह] ६४ द्वादशारनय- [जैनशास्त्र] ५०टि० *पण्णवणा ५७ वलदेवगंडियाओ [ दृष्टिवादप्रविभाग] ७७ चक्रवृत्ति *पण्हावागरणाई , ४८,६१.६९ बलिस्सह [निग्रन्थ-स्थविर ] *धणदत्त [श्रष्टी] पण्हावागरणाई , ६९,७० *बहुल *धम्म [ तीर्थकर ] *पभव [निग्रन्थ-स्थविर] ७ बहुल धरण [देव] पभव *बहुलसस्यिय *धरणोववाए [जैनागम ५९ *पभास [निग्रन्थ-गणधर ] ७ (बलिम्सह) नन्दिवृत्ति ,, ३४टि०,३५टि० *पमादप्पमाद [जैनागम] | *वभदीवग [निग्रन्थशाखा] नन्दी-सूत्र ,, २३टि०,३२टि०, पमादप्पमाद बंभीबग ३८टि०,४२टि०, *पाइण्ण [गोत्र] ७ वार्हस्पत्य शास्त्र] ४९टिक ६१टि०,६७टि०, ०पाक्षिकसूत्रटीका [जनागम] ५९टि० बिंदुसार [जैनपूर्वागम] ३२.४९ ६८टि०,८२टि. ० , वृत्ति .. ५७टि० ०वहासङ्ग्रहणी [जैनशान] २४ ०नयचक्र [शास्त्र] ५०टि० *पागाउं-उ-यु [जनपूर्वागम] ७४टि० ब्रह्मी [लिपि] ४४ [जना म] ५७ ७५टि० भगवती [जैनागम] २३टि०,२६ *नागपरियाणियाओ , ५९ __ *पाणाय ७४,७५ भगवती ३० *नागपरियावणियाओ , ५९टि. पाणायु भद्दगुत्त [निर्ग्रन्थ-स्थविर] ८टि० *नागपरियावलियाओ.. ५९टि. ०पाणिनीयधानुपाठ शास्त्र] १४.१७ *भद्दवाइगंडियाओ[ दृष्टिवादप्रविभाग] ७७ *नागमुहुम [शास्त्र] १९टि. ___ *पायंजली ४९टि० *भद्दबाहु [निग्रन्थ-स्थविर ७ * नाणप्पवात [जनपूर्वागम] ७४ पायीणग्गि [गोत्र] भद्दबाहु *नाममुहुम शास्त्र] ४९ *पास [ तीर्थकर ] ७ भम्भी शास्त्र] ४९टि० 292 v नंदी Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142