Book Title: Agam 44 Chulika 01 Nandi Sutra
Author(s): Devvachak, Jindasgani Mahattar, Punyavijay
Publisher: Prakrit Granth Parishad

View full book text
Previous | Next

Page 132
________________ नन्दीसूत्र-तञ्चयॆन्तर्गतानां विषय-व्युत्पत्त्यादिद्योतकानां शब्दानामनुक्रमः । ९७ पत्र-पंक्ति शब्द पत्र-पंक्ति उववात उवासंग अंगुलपुहन अंतकड अंतकइदसा अंगनमोधिण् गाण ६८-७ ६८-८,९ ६७-१० ६७-११ उवासगदसा उस्सण्ण . आ आउहणता एक्कसिद्ध शन्द पत्र-पंक्ति इंदिय १४-२८ इंदियपञ्चकग्व १४-२९ इंदियपजत्ति २२-१५ ईहा [१ ज पुण हेतूव पत्ति- ३४-२०: साधणेदि मभनमन्थस्य ४१-० : दिममधम्माभिमुहालोयणं ४६-१०. तम्मेऽवस्म अधम्मदिनुह १३ असम्मोहमविरलमयपरिच्छेदक चिनं जं न ईहा (पत्र :१), २ अतीतकाले गुदीहे वि इदं तदिति कृतमणुभतं वा ममरति, वमाणे य इंदिय-णोइदिएण या अगतरं सद्दाइअत्यमुवलद्धं अण्णतबहरेगधम्महि ईहा ति ईहा (पत्र १६), 'किमेय?' नि ईहा (पत्र आर आगिहाना ओमन्थग ओसण्ण २५-२० २२-२४ आउरपच्चरवाण आपत्रिजइ [ आख्यायते] ६२--२ आगा-ज्ञा आणापागुप जत्ति २२-१५ आणुगामिय १५-२७ आतविसोही आना ५८-१६ आदेस १-प्रकारः, २-मुत्त) ४२-१५,१५. आमिणिनोधिक १३-१८.५९, *इहा ४३-१० उद १६-२२ ५६-५ ६-१५ २२-२४ आभोयगना ३६-१० आय १३-२६ आययवान आयार ६१-२० आल [अधिकयोगयुक्तः] ४-३ आवागमीसग आवागमीसगति ४०-१,२ आपागट्टाणमेव, अवा आपागडाणा आम समंता परिपेरंनं, अहवा आपगमुत्तारियाण जंठाणं तं आपागसीसयं भण्णति] आसइज्जति [आश्रीयन्ते] ६४-२३ आहारपजत्ति २२-१३ उक्का [ दीविया ] उकालिय * अगह उम्घाडितत [उदघाटितक] उजल उजमई उढाणसुत उम्पायव उवउजत उवदेस [ व्यदिसणमुरदेसो, उपदेसो त्ति वा आदेसो त्ति वा पण्णवण त्ति वा परूवग ति वा एगट्ठा] उबदसणा उवधारणता उपरिमखुड्डागपतर [कित्तिम] ६२-२१ कष्णिया [बाहिर पत्ता ४-२ +कपहुइ २२-२० ५८-२० कप्पवईसिया ६०-११ कप्पमुत ५७-२४ कम्पिया ५५टि०५ कम्पियाम्पिय ५७-२३ ३-२३ कम्म-पवाद ७६-४ +कयार [देश्य. सं. कचबर] ३-१७ करणशक्ति कम्पिका ५५टि०५ कहण १२-१ कंत कारण ८०-१२ कालिओवएससणी ४६-१७,२० कालिय १ ६-८:५७-१४ किरिया ६८--१०,११,१२ किरियाबिसाल ७६-११,१२ २४-५ ४६-६ इड्प्पित्त इथिलिंगसिद्ध चु० १३ २२-२१ २७-८ ५२-२ ३५-२५ २४-१८ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142