Book Title: Agam 44 Chulika 01 Nandi Sutra
Author(s): Devvachak, Jindasgani Mahattar, Punyavijay
Publisher: Prakrit Granth Parishad

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Page 130
________________ पत्रम् *मुपास सुवुद्धि सुवण्ण नन्दीमत्र-तन्वर्णि-टिप्पणीगतानां ग्रन्थ-ग्रन्थकार-स्थविर नृपादिनाम्नामनुक्रमः विशेषनाम किम् ? पत्रम् - विशेषनाम किम् ? पत्रम् विशेषनाम किम् ? सुद्रित [निग्रन्ध-स्थविर ] ८ सेजंभव [निर्ग्रन्थ-स्थविर ] ७ *हारिय [गोत्र] मुपडिबद्ध [देवविशेष] हारिय [तीर्थकर ०हारि०वृत्ति [हरिभद्रसूरिकृत- ३टि०, * सुप्पभ हरिभद्रमूरि [निग्रन्थ-आचार्य ] ३टि०, नन्दीसूत्रवृत्ति ] ५टि०,९टि०, [अमात्य] ४टि०,७टि०,८टि०, ३६टि०,३९टि०, *सुमति [ तीर्थकर ] १०,टि०,२०टि०, [देव ] २३टि०,२७टि०, ४०टि०,५२टि०, *मुहन्थि [निग्रन्ध-स्थविर ] ७ ३२टि०.३७टि ५९टि. मुहस्थि ४२टि०,४३टि०, हिमवन्तस्थविरावली [ जनशास्त्र] ८टि. * मुहम्म [निग्रन्थ-गणधर ] ७ ४८टि०,५०टि०, हिमवंत [गिरि] १०,६४ मुहम्म-धम्म ७,७टि० ६०टि०,८०टि मुहती [निग्रन्थ-स्थविर ] ८ट० *हग्विंसगंडियाओ [दृष्टिवादप्रविभाग] ७७ विमांडियाओ दृष्टिवादप्रविभाग] ७७ *हिमवंत+खमासमण । [निग्रन्थ-स्थविर] १० सूयगड [जैनागम] ४८,६१, *हंभीमासुरक्ख-रुक्ख ) [शास्त्र] ४९, ४९टि० हिमवंत+खमासमग १० * सूरपण्यत्ति *भीमानुरुक्ख ४९टि० ' ० हेतुविद्या शास्त्र] ४९टि. सूरपण्गत्ति भंभीयमासुरुक्ख ४९टि० । *सेजंभव [निग्रन्थ-स्थविर ] ७ ०हंभीयमासुरुक्ख ४९टि० हेमवत क्षेत्र] २२ GGom Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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