Book Title: Agam 36 Vavahara Chheysutt 03 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 8
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उदेसो-१ पडिसेवित्ता आलोएजा अपलिउंचियं आलोएमाणास मासियं वा दोमासियं वा तेमासियं वा घाउमासियं वा पंचमासियं वा पलिउंचियं आलोएमाणस्स दोमासियं वा तेमासियं दा चाउम्पासियं या पंचमासियं वा छम्मासियं वा तेणं परं पलिउंचिए वा अपलिउंचिए वा ते घेव छम्मासा ।१२|-12 (१३) जे भिक्खू चाउम्पासियं वा साइरेगचाउम्मासियं वा पंचपासियं वा साइरेगपंचमासियं वा एएर्सि परिहारहाणाणं अपणयां परिहारहाणं पडिसेबित्ता आलोएमा अपलिउंचियं आलोएमाणस्स चाउम्मासियं या साइरेगचाउम्मासियं या पंचमासियं वा साइरेगपंचमासियं या पलिउंचियं आलोएमाणस्स पंचमासियंवा साइरेगपंचमासियं वा छम्मासियं वा तेणं परं पलिउंचिए वा अपलिउंचिए वा ते चेव छम्मासा ।१३1-13 (१४) जे भिक्खू बहुसोवि चाउम्मासियं वा बहुसोवि साइरेगचाउम्मासियं वा बहुसोवि पंचमासियं वा बहुसोवि साइरेगपंचमासियं वा एएसिं परिहारहाणाणं अन्नयरं परिहारहाणं पडिसेवित्ता आलोएना अपलिउंचियं आलोएमाणस्स चाउम्मासियं वा साइरेगचाउम्मासियं वा पंचमासियं वा साइरेगपंचमासियं वा पलिउंचियं आलोएमाणस्स पंचमासियं वा साइरेगपंचमासियं वाछम्मासियंवा तेणं परं पलिसंचिए वा अपलिउँचिएवा तेचेव छमासा |१४|-14 (१५) जे भिक्खू घाउम्मासियं वा साइरेगचाउम्मासियं वा पंचमासियं वा साइरेगपंचमासियं वा एएसि परिहारट्ठाणाणं अन्नयरं परिहारहाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा अपलिउंचियं आलोएमाणे ठवणिचं ठवइत्ता करणिनं वेयावडियं ठविए विपडिसेवित्ता से विकसिणे तत्व आरुहेयब्बे सिया पुखि पडिसेवियं पुदि आलोइयं पुखि पडिसेवियं पच्छा आलोइयं पच्छा पडिसेवियं पुद्दि आलोइयं पच्छा पडिसेवियं पच्छा आलोइयं अपलिउंचिए अपलिउंचियं अपलिउचिए पलिउंचियं पलिउंचिए अपलिउंचियं पलिउंचिए पलिउंचियं अपलिउंचिए अपलिउंचिपं आलोएमाणस्स सव्यमेयं सकयं साहणिय जे एयाए पट्टदणाए पट्टविए निव्यिसमाणे पडिसेवेइ से विकसिणे तस्येव आरुहेयवे सिया ।१५1-16 (१६) एवं] जे भिक्खू बहुसोवि [चाउम्मासियं वा बहुसोवि साइरेगचाउमासियं वा बहुसोवि पंचमासियं वा बहुसोवि साइरेगपंचमासियं या एएसिं परिहारष्ठाणाणं अण्णयरं परिहारहाणं पिसेवित्ता आलोएज्जा अपलिउंचियं आलोएमाणे ठवणिझं ठवइत्ता करणिजं वेयावउियं टविए वि पडिसेवित्ता से विकसिणे तत्थेव आरुहेयब्वे सिया पुदि पडिसेवियं पुचि आलोइयं पुब्बिं पडिसेविंय पच्छा आलोइयं पच्छा पडिसेवियं पुलिं आलोइयं पच्छा पडिसेवियं पच्छा आलोइयं अपलिउँचिए अपलिउंचियं अपलिउंचिए पलिउंचियं पलिउंचिए अपलिउंचियं पलिउचिए पलिउंचियं, अपलिउंचिए अपलिउंचियं अलोएमाणस्स सबमेयं सकयं साहणियंजे एयाए पट्ठवणाए पट्टविए निब्बिसमाणे पडिसेवेइ से विकसिणे तत्येव आरुहेयव्वेसिया |१६|-16 (१७) जे भिक्खू घाउम्मासियं या साइरेगचाउम्मासियं वा पंचमालियं या साइरेगपंचमासियं वा एएसिं परिहारट्ठाणाणं अण्णयरं परिहारहाणं पडिसेवित्ता आलोएमा पलिउंपियं आलोएमाणे ठवणिचं ठवइत्ता करणिजं वेयावडियं ठविए वि पडिसेवित्ता से विकसिणे तत्थेव आरुहेयब्बे सिया पुदि पडिसेवियं पुचि आलोइयं पुचि पडिसेवियं पच्छा आलोइयं पच्छा पडिसेवियं पुटिब आलोइयं पच्छा पडिसेवियं पच्छा आलोइयं अपलिउंचिए अपलिउंचिएं 1361-2] For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38