Book Title: Agam 36 Vavahara Chheysutt 03 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 32
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २७ पदेसो-१० (२५४) तओ धेरभूमीओ तं जहा-जातिधेरे सुयथेरे परियायथेरे सडिवासजाए समणे निग्गंथे जातियेरे ठाणसमवापधरे समणे निग्गंथे सुयथेरे वीसवासपरियाए समणे निग्गंथे परियायथेरे।१६।-15 (२६५) तओ सेहभूपीओ पत्रत्तओ तं जहा-जहष्णा मज्झिमा उक्कोसा सत्तराइंदिया जहण्णा चाउमासिया मन्झिमाछम्मासिया उक्कोसा ।१७1-16 (२९६) नो कप्पइ निग्गंधाण वा निग्गंधीण वा खुड्डगं वा खुड्डियं वा ऊगट्ठवासजायं उवट्ठवेत्तए वा संभुंजित्तए वा १८1-17 (२६५) कप्पद निगंथाणं वा निगंथीणं वा खुडगं वा खुड्डियं वा साइरेगट्ठदासजायं उवट्ठावेत्तए या संमुजित्तए वा १९-18 (२६८) नो कप्पइ निणंथाण वा निगंथीण वा खुड्डगस्स वा खुड्डियाए या अवंजणजायस्स आयारपकप्पं नामं अज्झयणं उद्दिसित्तए।२०1-19 (२६९) कपइ निगंधाण वा निगंथीण वा खुड्गस्स या खुड्डियाए वा वंजणजायस्स आयारपकप्पं नामंअज्झयणं उद्दिसित्तए।२१1-20 (२७०) तिवासपरियायस्स समणस्स निगंथस्स कप्पइ आयारपकपं नामं अज्झयणं उद्दिसित्तए।२२।-21 (२७१) चउवासपरियायस्स समणस्स० कप्पइ सूयगडे नाम अंगे उद्दिसित्तए ।२३1-22 (२७२) पंचयासपरियायस्स समणस्स० कप्पइ दसाकप्पववहारे उद्दिसित्तए ।२४-23 (२७३) अहवासपरियायस्स समणस निगंथस्स कप्पइ ठाण-समचाए नाम अंगे उद्दिसितए।२५।-24 (२७४) दसयासपरियायस्स समणस्स० कपपइ वियाहे नामंअंगे उद्दिसितए।२६-25 (२७५) एक्कारसवासपरियायस्स समणस्स० कप्पइ खुड्डिया विमाणपविभत्ती पाहलिया विमाणपविभत्ती अंगचूलिया वागवूलिया वियाहचूलिया नामं अन्झयणे उद्दिसित्तए ।२७)-28 (२७६) बारसयासपरियायस्स समणस्स निगंयस्स कप्पइ अरुणोवदाए वरुणोववाए गरुलोववाए धरणोववाए वेसमणोववाए वेलंयरोययाए नाम अझयणे उद्दिसित्तए २८1-27 (२७७) तेरसवासपरियायस्स समणस निगंधस्स कप्पइ उठाणसुए समुदाणसुए देविंदोववाए नागपरियावणिए नामंअन्झयणे उद्दिसित्तए।२९।-28 (२७८) घोद्दसवासपरियायस्स समणस्स निगंथस्स कप्पइ सुविणभावणानामं अापणं उद्दिसित्तए।३०1-20 (२७२) पनरसवासपरियायस समणस निग्गंधस्स कप्पइ चारणभावणानाम अज्झयणं उद्दिसितए।३१130 (१२८०) सोलसवासपरियायस्स समणस्स निग्गंधस्स कप्पइ तेयनिसग्गं नामं अज्झयणं उद्दिासत्तए।३२॥31 (२८१) सत्तरसवासपरियायस्स समणस्स निगंथस्स कप्पइ आसीविसमावणानागं अझयणं उद्दिसित्तए।३३/33 (२८२) अट्ठारसवासपरियायस्स समणस निग्गंथस्स कपइ दिट्ठीविसभावणानाम' अज्झयणे उद्दिसित्तए।३४॥34 For Private And Personal Use Only

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