Book Title: Agam 36 Vavahara Chheysutt 03 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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देसो-४
उवट्ठावेइ अस्थियाइंत्य से केइ माणणिग्ने कप्पाए नस्थि से केइ छए वा परिहारे वा नत्थियाईत्य से केइमाणणिजे कप्पाए से संतरा छेए वा परिहारे वा।१६1-16
(११) आयरिय-उवज्झाए सरमाणे वा असरमाणे था परं दसरायकप्पाओ कप्पागं भिवूनो उवट्ठायेइ अस्थियाइंस्य से केइमाणणिजे कप्पाइ नस्थि से केइ छेए वा परिहारे वा नस्थियाइस्थ से केइमाणणिज्जे कप्पाएसंबच्छरंतस्सतप्पत्तियं नोकप्पइ आयरियत्तंउहिसित्तए।१७1-17
(११२) भिक्खू य गणाओ अवकाम असंगणं उपसंपजित्ताणं विहरेज्जा तं च केइ साहम्मिए पासित्ता वएग्जा-कं अग्नो उचसंपञ्जित्ताणं विहरसि जे तत्थ सब्बराइणिए तं वएज्जा राइणिए तं वएजा-अह भंते कस्स कप्पाए जे तत्य सव्वबहुसुए तं वएग्जा जं वा से भगवं वक्खइ तस्स आणा-उववाय-बवणनिद्देसे चिट्ठिस्सापि ।१८1-18
(११३) बहवे साहम्मिया इच्छेजा एगयओ अभिनिचारियं चारए नो पहं कप्पड थेरे अणापुच्छित्ता एगयओ अभिनिचारियं चारए कप्पइ ग्रहं धेरे आपुच्छित्ता एगयओ अभिनिचारियं चारए थेरा य से वियरेजा एव ण्हं कप्पइ एगयओ अभिनिचारियं चारए थेराय से नो वियरेजा एव ण्हं नो कप्पइ एगयओ अभिनिचारियं चारए जं तस्य थेरेहिं अविइण्णे अभिनिचारियं चरंति से संतरा छेए वा परिहारे वा ।१९।-19
(११४) चरियापविटे भिक्खू जाव चउरायाओ पंचरायाओ येरे पासेजा सचेव आलोयणा सच्चेव पडिक्कमणा सन्चेव ओग्गहस्स पुव्वाणुण्णवणा चिट्ठइ अहालंदमवि ओगहे।२०-20
११५) चरियापविढे भिक्खू परं चउरायाओ पंचरायाओ येरे पासेजा पुणो आलोएज्जा पुणो पडिक्कमेला पुणो छेय-परिहारस्स उवट्ठाएजा भिक्खुभावस्स उट्ठाए दोच्चं पि ओग्गहे अनुण्णवेयब्बे सिया-अनुजाणह भंते मिओग्गहं अहात्लंदं धुवं नितियं वेउट्टियं तओ पच्छा कायसंफासं।२१1-21
(११६) चरियानियट्टे भिक्खू जाव चउरायाओ पंचरायाओ येरे पासेजा सञ्चेव आलोयणा सव पडिक्कमणा सद्येव ओग्गहस्स पुब्बाणुण्णवणा चिट्ठइ अहालंदमवि ओग्गहे ।२२/22
(११७) चरियानियट्टे भिक्खू परं चउरायाओ पंचरायाओ थेरे पासेजा पुणो आलोएजा पुणो पडिक्कमेज्जा पुणो छय-परिहारस्स उवट्ठाएजा भिक्खुमावस्स अट्ठाए दोघं पि ओग्गहे अण्णुण्णवेयव्वे सिया-अनुजाणह मंते मिओग्गहं अहालंदं धुवं नितियं वेट्टियं तओ पच्छा कायसंफासं।२३1-23
(११८) दो साहम्मिया एगयओ विहरति तं जहा-सेहे य राइणिए य तस्य सेहतराए पलिच्छन्ने राइणिए अपलिच्छत्रे सेहतराएणं राइणिए उवसंपज्जियव्वे भिक्खोववायं च दत्तयइ कप्पागं ।२४-24
(११९) दो साहम्मिया एगचओ विहरंति तं जहा-सेहे य राइणिए य तत्थ राइणिए पलिच्छत्रे सेहतराए अपलिच्छन्ने इच्छा राइणिए सेहतरागं उवसंपजइ इच्छा नो ऽवसंपज्जइ इच्छा भिक्खोववायं दलयइ कप्पागं इच्छा नो दलयइ कप्पागं ।२५1-25
(१२०) दो भिक्खुणो एगयओ विहरंति नो पहं कप्पइ अन्नमन्नमनुवसंपञ्जित्ताणं बिहरित्तए कप्पइ पहं अहाराइणियाए अण्णमण्णं उवसंपजिताणं बिहरित्तए ।२६।-28
(१२१) दो गणावच्छेइया एगयओ विहरंति नो ण्हं कप्पइ अण्णमण्णमणुवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए कप्पइ ण्हं अहाराइणियाए अन्नमन्नं उपसंपञ्जिताणं विहरित्तए।२७]-27
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