Book Title: Agam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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|वा करित्तए, ठाणं वा ठाइत्तए '२४३०' १९। नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा सचित्तकम्भे उवस्सए वत्थए ।२० कप्पड़ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अचित्तकम्मे उवस्सए वत्थए '२४३८१२११ नो कप्पइ निग्गंथीणं सागारियं अनिस्साए वत्थए।२२॥ कप्पड़ निग्गंथीणं सागारियनिस्साए वत्थए '२४५०'१२३प्पइ निम्गंथाणं सागारियनिस्साए वा अनिस्साए वा वथए '२४५३१२४॥ नो कप्पा निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा सागारिए उवस्सए वत्थए, प्यइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अप्पसागारिए उवस्सए वत्थए '२५५५१२५। नो कप्पइ निग्गंथाणं इत्थिसागारिए उवस्सए वत्थए।२६। कप्पइ निग्गंथाणं पुरिससागारिए उवस्सए वथए।२७) नो कप्पइ निग्गंथीणं पुरिससागारिए उक्स्सए वत्थए ।२८। कप्पइ निग्गंथीणं इत्थिसागारिए उवस्सए वथए| २५८७'१२९ नो कप्पइ निगंथाणं पडिबद्धाए सेज्जाए वत्थए।३१। कप्पइ निग्गंथीणं पडिबद्धाए सेज्जाए वत्थए '२६३३३१| नो कप्पइ निग्गंथाणं गाहावइकुलस्स मझमझेणं गंतुं वत्तए ३२। कप्पइ निग्गंथीणं गाहावइकुलस्स मझूमझेणं गंतुं वथए २६८०१३३। भिक्खू य अहिगरणं कटु तं अहिगरणं अविओसवेत्ता अविओसवियपाहुडे इच्छाए परो आढाएज्जा इच्छाए परो णो आढाएज्जा इच्छाए परो अब्भुटेजा इच्छाए परो नो अब्भुटेजा इच्छाए परो वंदेज्जा इच्छाए परो नो वंदेज्जा इच्छाए परो संभु जा इच्छाए परो नो संभुभेजा इच्छाए परो संवसेज्जा इच्छाए परो नो संवसेज्जा इच्छाए परो उवसमेजा इच्छाए परो लो उवसभेजा, जो उवसमइ तस्स अस्थि आराहणा जो न उवसमइ तस्स नत्यि आराहणा, तम्हा अप्पणा चेव उवसमियवं, से किमाह ॥ श्री बृहत्कल्पसूत्रम् ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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