Book Title: Agam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 20
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsun Gyanmandir कप्पइ पडिग्गाहेत्तए ४४३१२५ो सागारियस्स पूयाभत्ते उद्देसिए चेइए जाव पाडिहारिए तं नो सागारिओ देइ नो सागारियस्स परिजणो देइ सागारियस्स पूया देइ तम्हा दावए नो से कप्पइ०१२६॥सागारियस्स पूयाभत्ते उद्देसिए चेइए पाहुडियाए सागारियस्स उवगरणजाए निदिए निसटे अपडिहारिए तं सागारिओ देइ सागारियस्स परिजणो वा देइ तम्हा दावा नो से कप्पड़ पडिग्गाहेत्तए।२७ सागारियस्स पूयाभत्ते जाव अपडिहारिए तं नो सागारिओ देइ नो सागारियस्स परिजणो देइ सागारियस्स पूया देइ तम्हा दावए एवं से कप्पड़ पडिग्गाहेत्तए'४४४१२८) कप्पइ निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा इमाई पञ्च वत्थाई धारेत्तए वा परिहरित्तए वा, तं०-जङ्गिए भङ्गिए साणए पोत्तए तिरीडपट्टे नाम पञ्चमे '४५८।२९। कप्पइ निग्गन्थाण वा निग्गंथीण वा इमाई पञ्च रयहरणाई धारेत्तए वा परिहरित्तए वा, तंजहा ओण्णिए उट्टिए साणए बद्धाचित् विपावि)प्पए मुञ्जचिप्पिएवि नाम पञ्चमेत्तिबेमि ४६४१३०॥ बिइओ उद्देसओ२॥ __नो कप्पइ निग्गन्थाणं निग्गन्थीणं उवस्मयंसि आसइत्तए वा चिट्ठित्तए वा निसीइत्तए वा तुट्टित्तए वा निदाइत्तए वा पयलाइत्तएं वा असणं वा० आहारं आहारेत्तए उच्चारं वा पासवणं वा खेलं वा सिवाणं वा परिवेत्तए सज्झायं वा करेत्तए झाणं वा झाइत्तए काउस्सग्गं वा कोत्तए ठाणं वा ठाइत्तए १२३११ नो कप्पड़ निग्गन्थीणं निग्गन्थाणं उवस्सयंसि आसइत्तए जाव ठाणं ठाइत्तए १२६१२१ नो कप्पइ निग्गंथीणं सलोमाइं चश्माई अहिद्वित्तए १४०१३। कप्पइ निगन्थाणं सलोमाई चम्माई अहिद्वित्तए, सेवि य परिभूते नो चेव णं अपरिभूते, सेवि य पाडिहारिए नो चेव णं अपडिहारिए, सेवि य एगराइए नो चेव णं अणेगराइए ॥ श्री बृहत्कल्पसूत्रम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

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