Book Title: Agam 27 Chhed 04 Dashashrutskandh Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 421
________________ मुनिहर्षिणी टीका अ. १० भगवदुपदेशः ३६१ कवृन्दपरिक्षिप्ता यत्रैव श्रमणो भगवान् महावीरस्तत्रैवोपागच्छति, उपागत्य श्रमणं भगवन्तं महावीरं वन्दते नमस्यति, श्रेणिकं राजानं पुरतःकृत्वा अग्रे कृत्वा श्रेणिकभूपपृष्टप्रदेशे स्थितेवउत्तिष्ठन्त्येव यावत् पर्युपास्ते, सेवते स्म ||सू० १०॥ __ अथ भगवदुपदेशं वर्णयति 'तए णं' इत्यादि । मूलम्-तएणं समणे भगवं महावीरे सेणियस्स रणो भंभसारस्स चेल्लगा देवीए तीसे महइमहालयाए परिसाए, इसिपरिसाए, जइपरिसाए, मणुस्सपरिसाए, देवपरिसाए, अणेगसयाए जाव धम्मो कहिओ, परिसा पडिगया, सेणियराया पडिगओ ॥ सू० ११ ॥ छाया-ततः खलु श्रमणो भगवान् महावीरः श्रेणिकाय राज्ञे भंभसाराय चेल्लणादेव्यै तस्यां महाऽतिमहत्यां परिपदि, ऋषिपरिषदि, यतिपरिषदि. मनुष्यपरिपदि, देवपरिषदि, अनेकशतायां यावद्धर्मः कथितः, परिषत् प्रतिगता, श्रेणिकराजः प्रतिगतः ॥ मू० २१ ॥ ___टीका-'तए णं'-इत्यादि । ततः-चेल्लणादेव्या सह श्रेणिकस्य भगबत्सन्निधिसमागमनाऽनन्तरम् , खलु भगवता महावीरेण श्रेणिकाय राज्ञे भम्भसाराय चेलणादेव्यै च तस्यां महाऽतिमहत्यां-महतीमतिक्रान्ता-अतिमहती, सब अतःपुर के सेवक जनों से घिरी हुई जहा श्रमण भगवान् महावीर स्वामी विराजमान थे वहाँ आई । आकर उसने भगवान् की स्तुति की, नमस्कार किया तथा श्रेणिक राजा को आगेकर, राजा के पीछे खडी होकर भगवान की पर्युपासना करने लगी ॥सू० १०॥ अब भगवान् के उपदेश का वर्णन करते हैं-'तए णं समणे' इत्यादि । चेल्लणादेवी के साथ श्रेणिक राजा भगवान् के समीप में आने के बाद श्रमण भगवान महावीर स्वामी ने श्रेणिक राजा भंभसार જ્યાં શ્રમણ ભગવાન મહાવીર સ્વામી વિરાજતા હતા ત્યા આવી. આવીને તેણે ભગવાનની સ્તુતિ કરી. નમસ્કાર કર્યા તથા શ્રેણિક રાજાને આગળ કરી રાજાની પાછળ ઉભી રહીને ભગવાનની પ પાસના કરવા લાગી. (સૂ) ૧૦) हवे मावानना पडेशन न ४२ छ. 'तए णं समणे' त्या ચૂલણાદેવીની સાથે શ્રેણિક રાજા ભગવાનની સમીપમાં આવ્યા પછી શ્રમણ ભગવાન મહાવીર સ્વામીએ શ્રેણિક રાજા ભંસાર તથા ચેલણદેવીને ચાર પ્રકારની શ્રી દશાશ્રુત સ્કન્ધ સૂત્ર

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