Book Title: Agam 25 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Kappo Terapanth Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya Publisher: Jain Vishva BharatiPage 15
________________ बीओ उद्देसो रित्तए वा, तं जहा—'उण्णिए उट्टिए" साणए 'वच्चा पिच्चिए मुंजा पिच्चिए नाम पंचमे । —त्ति बेमि ।। १. ओग्णिए ओट्ठिए (ख, जी, शु)। २. वच्चविप्पए मुंजविप्प (क); वप्पाए विप्पए मुंजविप्पए (ख); विप्पा विप्पए मुंजविप्पिए (ग); बब्बापिच्चिए मुंजपिच्चिए (जी, शु); बच्चाचिप्पए मुंचाचिप्पए (पु, मवृ); पच्चा पिच्चिए मुजापिच्चिए (ठाणं . ५.१६१); स्थानाङगे (५११६१) वच्चा' स्थाने 'पच्चा' इति पाठो गृहीतोस्ति । निशीथचूणी 'पिच्चियचिप्पिय' शब्दयोरेकार्थत्वं प्रदशिनमस्ति--- निशीथभाष्य, गाथा ८२०, चूणि । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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