Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications

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Page 7
________________ किस के कर-कमलों में ? जिन का मनो लोक गगन - सा विशाल, विराट और शारदी प्रभा से भी शुभ्र है । जिन का हृदय पर वेदना में कुसुमादपि कामल, और अपनी संयम साधना में वज्रादपि कठोर है । वरदहस्त, जिन का स्नेह - सिक्त मेरे सिर पर सदा से रहा है । जिनका वात्सल्य मेरी संगम यात्रा का, संबल सबल और सुखद पाथेय रहा है । Jain Education International अपने उन परम - - पवित्र, परम गुरु, परम श्रद्धेय । श्री फतेहचन्द जी म० को, सभक्ति सविनय समर्पित । - जिन का तपः पूत जीवन पवित्र है, जिन का आचार निर्मल एवं शुद्ध है । जिन का विचार उच्चतर, और बाणी मधुर, सरस एवं स्निग्ध है । · - मूनि कन्हैयालाल 'कमल' For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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