Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications

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Page 10
________________ ( २ ) कविश्री जी के जयपुर वर्षावास में इसी शुभ संकल्प को लेकर में उनकी पवित्र सेवा में रह चुका हूँ । परन्तु उनका स्वास्थ्य ठीक न रहने से में पूरा लाभ नहीं ले सका । मेरे मन की चिर साध ज्यों की त्यों बनी रही । परन्तु मैं निराश और हताश नहीं हुआ, क्योंकि " आशा मानव की परिभाषा" यह मेरे जीवन का संबल रहा है । अस्तु अपने संकलित आगम साहित्य को अन्तिम मूर्त रूप देने की पबल भावना से ही मैं हरमाड़ा से आगरा पुनः कवि श्री जी की पुनीत सेवा में उपस्थित हुआ । आगमों के वर्गीकरण का कार्य साधारण नहीं है, अपितु यह एक चिरसमय-साध्य महान कार्य है, परन्तु कवि श्री जी के दिशा-दर्शन से काफी सफलता मिली है, उसका एक भाग लगभग तैयार हो चुका है, और वह देर-सवेर में प्रकाशित भी होगा । निशीथ भाष्य एवं निशीथ चूर्णी का सम्पादन जिसकी मुझे स्वप्न में भी कल्पना नहीं थी, वह भी कवि श्री जी की प्रेरणा, दिशा दर्शन और उत्साह का ही शुभ परिणाम है । अन्यथा यह महान् कार्य कहाँ और मेरी ग्रल्प शक्ति कहाँ ? ग्रागरा प्रस्थान से पूर्व मेरे सामने अनेक विकट समस्याएं थीं, जिसमें श्रद्धेय गुरुदेव फतेहचन्द्र जी म० की अस्वस्थता मुख्य थी । परन्तु गुरुदेव ने मुझे ग्रागरा जाने के लिए 'केवल प्रेरणा ही नहीं दी, बल्कि हृदय के सहज स्नेह से शुभाशीश भी प्रदान की। उनके शुभाशीर्वाद के बिना मेरा आगरा ग्राना संकल्प मात्र स्वप्न ही बना रहता। अतः मैं अपने मानस की स भक्ति के साथ गुरुदेव का ग्रभिनन्दन करता हूँ। साथ ही गुरुदेव की सेवा का भार मुमुक्षु पं० मुनि श्री मिश्रीमल जी महाराज ने स्वीकार करके महान् ज्ञान यज्ञ के लिए जो सेवाएं अर्पित की हैं इसके लिए भी में उनका हृदय से आभारी हूँ । श्रद्धेय अमोलकचन्द्र जी महाराज की प्रेरणा उत्साह और सहयोग भी मेरे जीवन में चिरस्मणीय बना रहेगा । निशीथ त्रूणि के प्रस्तुत प्रकाशन में सब से बलवती प्रेरणा आपकी ही रही है । मैं अपने निकट सहयोगी मुनि श्री चाँदमल जी की सेवा को भी नहीं भूल सकता उनकी सक्रिय सेवा भी मेरे कार्य में एक विशेष स्मरणीय रहेगी । दिनांक श्री पार्श्वजयंती १६- १२ सन् १९५७ लोहामंडी, आगरा । Jain Education International For Private & Personal Use Only मुनि कन्हैयाला लकमल' www.jainelibrary.org

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