Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications
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सूत्र संख्या
१-७७
१
२-११
१-२२
१-३
४-६
७-६
[ १३ ] षष्ठ उद्ददेशक
विषय
पंचम और षष्ठ उद्ददेशक का सम्बन्ध
स्त्री के साथ मैथुन सेवन की इच्छा मातृगाम के विविध प्रकार
एतद्विषयक विविध प्रायश्चित्त
मैथुनेच्छा से हस्तकर्म आदि करने का निषेध एतद्विपयक विवेचन
१२
'मैथुनेच्छा से कलह करने का निषेध मैथुनेच्छा से लेख लिखने का निषेध
१३
१४- १८
मैथुनेच्छा से जननेन्द्रिय को पुष्ट करने का निषेध
१६- २३ मैथुनेच्छा से चित्र-विचित्र वस्त्र धारण करने का निषेध २४ -७७ मैथुनेच्छा से अपने पाद, काय आदि के प्रमार्जन, परिमर्दन इत्यादि का निषेध
सप्तम उद्ददेशक
पत्र एवं सप्तम उद्ददेशक का सम्बन्ध स्त्री के साथ मैथुन सेवन की इच्छा
मैथुनेच्छा से माला बनाने, धारण करने आदि का निषेध मैथुनेच्छा से लोहे इत्यादि का संचय करने का निषेध मैथुनेच्छा से हार, अर्धहार, एकावली, मुक्तावली इत्यादि के निर्माण, धारण आदि का निषेध
१०-१२ मधुनेच्छा से अजिन, कंबल इत्यादि के निर्माण, धारण आदि का निषेध
१३
मैथुनेच्छा से प्रांख, जंघा इत्यादि के संचालन का निषेध १४-६६ मंधुनेच्छा से परस्पर पाद आदि के प्रमार्जन, परिमर्दन, उबटन, प्रक्षालन इत्यादि का निषेध
९७-७८ मैथुनच्छा से सचित्त पृथ्वी आदि पर बैठने, सोने इत्यादि का निषेध
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गाथाङ्क
२१६५
२१६६-२२८६
२१६६-२२०१
२२०२-२२४८
२२४६-२२५६
२२५७-२२६०
२२६१-२२६८
२२६६-२२७७
२२७८-२२८०
२२८१-२२८६
२२८७
२२८८-२३४०
२२८८-२२६१
२२६२-२२६४
२२६५-२२६७
'२२६८-२३००
२३०१-२३०२
२३०३-२३०७
२३०८-२३१३
७६८१ मैथुनेच्छा से एक दूसरे की चिकित्सा याद करने का निषेध
२३१४-२३२०
SAM
२- मधुनेच्छा से पशु-पक्षी के अंगोपांगों के स्पर्शन आदि का निषेध २३२१-२३२८ थुनेच्छा से श्राहारादि देने, वाचना प्रदान करने इत्यादि निषेध, तद्विषयक प्रायश्चित्त आदि
२३२६-२३४०
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पृष्ठाङ्क
३७१
३७१-३६४
३७१-३७२
३७२-३८१
३८२-३८३
३८३-३८४
३८४
३८५-३८६
३८६-३८७
३८८
३८८-३६४ /
३६५ ३६५-४१३ ३६५-३६६
३६७
३६७-३६८
३६८४००
४००
४००-४०६
४०६-४०६
४०६-४१०
४१०-४११
४११-४१३
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