Book Title: Agam 13 Raipaseniyam Uvangsutt 02 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 11
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रायपसेणियं - १२ एगागचित्त-उवउत्त-माणसाणं से पायत्ताणीचाहिवई देदे तस्सि घंटारबसि निसंत-पसंतंसि महयामहया सद्देणं उग्धोसेमाणे एवं वयासी-हंत सुणंतु भवंतो सूरियाभरिमाणवासिणो वहवे देमाणिया देया य देवीओ य सूरियाभविमाणपइणो क्यणं हियसुहत्थं आणयेइणं भो सूरियाभे देवे मच्छइणं भो सूरियाभे देवे जंबुद्दीचं दीवं जाव समणं भगवं महावी अभियंदए तं तु विणं देवाणप्पिया सब्बिड्डीए अकालपरिहीणं चेव सूरियाभस्स देवस्स ऑतियं पाउभवह ।१२।-12 (१३) तए णं से सूरियाभविमाणवासिणी वहवे वेमाणीया देवा व देवीओ य पायतागिचाहिवइस्स देवस्स अंतिए एयमढे सोचा निसम्म हट्ठतुदु-जाव हियया अप्पेगइया वंदावत्तिया अप्पेगइया पूयणवत्तियाए अप्पेगझ्या सरकारवत्तियाए अप्पेगइया सम्पागवत्तियाए ॐग- गझ्या कोऊहलवत्तियाए अप्पेगइया असुवाई सुगिरसामो अप्पेगइया सुयाई अट्ठाइ हजई पसिणाई कारणाई वागरणाई पुच्छिस्सामो अप्पेगइया मूरियाभस्स देवरस वरणमणुवत्तेमाणा अपेगइया अण्णमण्णमणुवत्तेमाणा अप्पेगइया जिणभतिरागेणं अप्पेगइया धम्मो त्ति अयेगइया जीयमेवं ति कट्टसव्विदीए जावं अकालपरिहीण चेव सूरियामरस देवरस अंतियंपाउदभवंति ।१३।-13 (१४) तए णं से सूरीयाभे देवे ते सूरियाभविमाणवासिणो वहवे वेमाणिया देवा य देवीओय सब्बिड्डीए जाव अकालपरिहीणं चेव अंतिवं पाउब्भवमाणे पासति पासित्ता हट्टतुट्ट-जाव हियए आभिओगिवं देवं सद्दावेति सद्दावेत्ता एवं बयासी खियामेव भो देवाणप्पिचा अणेगखंपसयसपिणचिट्ट लीलहियसालभंजियागंईहामिय-उसभ-तुरंग - नर - मगर -विहग-बालग-किचर-रुरुसरभ-वपर-कुंजर-वणलव-पउमलयभत्तिचित्तं खंभुग्गय वइवेइया परिगवाभि राम विनाहरजमलजुयल-जंतजुत्तं पिव अम्नीसहस्समालणीयं रूवगसहस्सकलियं भिरमाणं भिभिसमागं चक्खुल्लोयणसेलं सुहफासं परिसरीयसब घंटावलि चलिव-महुर-मणहरसरं सुहं कंतं दरिसाणेनं निडणओविय-मिसिमिसेंतमणिरयणघांटेयाजाल-पारेखितं जोवणसय सहस्सविस्थिण दिवं गमणसनं प्तिग्घगपणं नाम ज्ञाणविमाणं विउव्वाहि वियित्ता जिप्पामेव एवमाणत्तियं पञ्चप्पिणाहि।१४।-14 (१५) तए णं से आभिओगिए देवे सूरियामेणं देवेणं एवं युरो समाणे हतुह जाव हिवए करयलपरिगहिवं जाव पडिसुणेइ पडिसुणिता उत्तरपुरस्थिमं दिसीभागं अवक्कमति अवक्कमित्ता घेउब्वियसमुग्घाएणं समोहण्णइ समोहणिता संखेन्नाई जोवणाई [दंड निरोरति तं जहारयणाणं जाव रिद्वाणं अहाबायरे पोग्गले परिसाडेइ परिसाडिता अहासुहुमे पोग्गले परिवाएइ परियाइता दोचं पि वेऽव्यिय-समुग्धाएणं समोहण्णति समोहणित्ता अणेगखंभस्यसण्णिविठंजाव जाणविमाणं वेउव्बिउं पबत्ते यावि होत्था तए णं से आभिओगिए देवे तस्स दिवरस जाणविभाणस्टस तिदिसिं तिसोवाणपडिरूवए विउव्विति तं जहा-पुरस्थिमेणं दाहिणेणं उत्तरेणं तेसिं तिसोवाणपडिरूवगाणं इमे एवारूवे वण्णावासे पन्नत्ते तंजहा-वइरामया निम्मा रिट्ठामपा पतिष्ठाणा येरुलियामया खंभा सुवण्णरुप्पामया फलगा लोहियतखमइयाओ सूईओ वइरामया संधी नाणामणिमया अवलंबणा अवलंबणवाहाओ य पासादीया [दरिसणिजजा अभिरुवा] पडिरूवा तेसिणं तिसोवाणपडिरूवगाणं पुरओ पतेयं-पत्ते तोरणा पन्नता तेसिणं तोरणाणं इसे एयावे वण्णावासे पत्रत्ते तं जहा-तेणं तोरणा नानामणिमया नानापणिएसु थंभेसु उवनिविद्विसगिविट्ठा बिबिहमुत्तंतरारूवोवचिया विविहतारारूपोवचिया जाव पडिरूवा तेरि णं तोरणाणं उप्पि अट्ठठुनंगलगा For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74