Book Title: Agam 13 Raipaseniyam Uvangsutt 02 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 69
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंडभावे केसलोए बंभवेरवासे अण्हाणगं अदंतमणगं अच्छत्तगं अनुवाहणगं भूमिसेज़ाओ फलहसेजाओ परघरपवेसो लद्धावलद्धाइं माणावमाणाइं परेसिं हीलणाओ निंदणाओ खिसणाओ तज्जणाओ ताडणाओ गरहणाओ उच्चावया विरूवरूवा बावीसं परीसहोवसग्गा गामकंटगा अहियासिर्जति तमटुं आराहेहिइ आराहित्ता चरिमेहिं उस्सास-निस्सासेहिं सिन्झिहिति बुझिहिति मुच्चिहिति परिनिव्वाहिति सव्वदुक्खाणमंतं करेहिति।८४1-84 (८५) सेवं भंते सेवं भंते त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरति, नमो जिणाणं जियभयाणं, नमो सुयदेवयाए भगवइए, नमो पत्नत्तीए भगवईए, नमो भगवओ अरहओ पासस्स, पस्से सुपस्से पस्सवणी नमो ।८५।-85 |१३ | रायपसेणिय सम्मत्तं बीतियं उवंगं समत्तं For Private And Personal Use Only

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