Book Title: Agam 13 Raipaseniyam Uvangsutt 02 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 57
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रायपसेणियं - ६९ पमद्दणसत्थे छेए दक्के पत्तडे कुसले मेधावी निउण] सिप्पोवगए पभूपंचकंडगंनिसिरित्तए हंता पमू जति णं भंते सचेव पुरिसे वाले (अदक्खे अपत्तढे अकुसले अमेहावी] मंदविणणाणे पभू होजा पंचकंडगं निसिरित्तए हंता पभू जति णं भंते सच्चेव पुरिसे याले जाव मंदविण्णाणे पभू होज्जा पंचकंडगं निसिरित्तए तो णं अहं सद्दहेजा [पत्तिएजा रोएजा। जहा अन्नो जीवो अन्नं सरीरं नो तज्जीवो तं सरीरं जम्हा णं भंते सच्चेव पुरिसे जाव मंदविण्णाणे नो पभू पंचकंडयं निसिरित्तए तम्हा सुपइडिया मे पइण्णा जहा-तज्जीवो तं सरीरं नो अन्नोजीयो जन्नं सरीरं तए णं केसी कुमार-सपणे पएसि रायं एवं वयासी-से जहानाभए-केइ पुरिसे तरुणे [बलवं जुगवंजुवाणे अप्पावके धिरग्महत्थे दढपाणि-पाय-पितरोरुपरिणए धण-निचिय-व-वलियखंधे चप्पेढग-दुघण-मुट्ठिय-समाहय-निचियगते उरस्सवलसमण्णागए तल-जमल-जुबलबाहु लंघणपवग-जइण-पमद्दणसमत्थे छेए दक्खे पत्तट्टे कुसले मेघावी निउण] सिप्पोवगए नदएणं धणुणा नबिचाए जावाए नवएणं उसुणा पमू पंचकंडगं निसिरित्तए हंता पभू सो वेवणं पुरिसे तरुणे जाव निउणसिप्पोवगए कोरिल्लएणं धणुणा कोरिल्लयाए जीवाए कोरिल्लएणं उसुणा पमू पंचकंडगं निसिरित्तए नो तिणद्वे समटे कम्हा णं भंते तस्स परिसस्स अपञ्जत्ताइ उचगरणाई हवंति एवामेव पएसी सो चेव पुरिसे वाले जाब मंदविण्णाणे अपनतोवगरणे नो पभू पंचकंडयं निसिरित्तए तं सद्दहाहि णं तुम पएसी जहा-अन्नो जीवो अन्नं सरीरं नो तज्जीवो तं सरीरं १६८1-68 (६९) तए णं पएसी राया केसि कुमार-समणं एवं ययासी-अस्थि णं मंते एस पत्रओ उवमा इमेणं पुण कारणेणं] नो उवागचाइ-मंते से जहानामए केइ पुरिसे तरुणे जाव निउणसिपोवगते पमू एगं महं अयभारगंवा तउवभारगं वा सीसगभारगं वा परिवहितए हंता पभू सो चेवणं भंते पुरिसे जुण्णे जराजञ्जरियदेहे सिढिलवलियावणद्धगत्ते दंडपरिगहियाहत्थे पविरलपरिसडियदंतसेढी आउरे किसिए पिवासिए दुव्यले परिकिलते नो पभू एग महं अयभारगं वा [तउयपारगं या सीसभारगं वा] परिवहित्तएजतिणभंते सच्चेव पुरिस जुपणे जराजजरियदेहे जाव परिकिलते पभू एगं महं अरभारगं वा जाव परिवहित्तए तोणं अहं सद्दहेजा (पत्तिएला रोएजा जहा-अन्नो जीयो अन्नं सरीरं नो तज्जीवों तं सरीरं जम्हा णं मंते सच्चेव पुरिसे जुण्णे जराजजरियदेहे सिढिलवलियावणद्धगत्ते दंडपरिग्गहियागहत्ये पविरलपरिसडियदंतेसेढी आउरे किसिए पिवासिए दुचले] परिकिलते नो पभू एगं महं अयभारगं जाव परिवाहेत्तए तम्हा सुपतिद्वित्ता मे पइण्णा [जहा-तजीबो तं सरीरं नो अन्नो जीवो अन्नं सरीरं] तए णं केसी कुमार-समणे पएसि रावं एवं बवासी-से जहानामए-केइ पुरिसे तरुणे जाव निउणसिप्पोवगए नवियाए विहंगियाए नवएहि सिक्कएहिं नवएहिं पच्छियापिडएहिं पहू एगं महं अयभारगं वा [तज्यभारगंवा सीसगभारगंवा परिवहित्तए हंता पभू पएसी से चेव णं पुरिसे तरुणे जाव निउण-सिप्पोवगए जुण्णियाए दुब्बलियाए धुणरखइयाए विहंगियाए जुण्णएहिं दुब्बलएहिं धुणक्खइएहिं सिढिल-तवापिणद्धएहिं सिक्कएहिं जुण्णएहिं दुचलएहिं धुणस्खइएहिं पच्छिवापिडएहिं पभू एग महं अयभारगं वा तउयभारगं या सीसगभारगं वा] परिवहित्तए नो तिणढे सपट्टे कम्हा गं भंते तस्स पुरिसस्स जुष्णाई उवगरणाई भवंति एवामेव पएसी से चेव पुरिसे जुण्णे जाव किलंते जुण्णोवगरणे नो पभू एगं महं अयभारगंवा [तउयभारगंवा सीसगभारगं वा] परिवहित्तए तं For Private And Personal Use Only

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