Book Title: Agam 11 Vivagsuyam Angsutt 11 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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सुपखंघो-१, अव्ययणं-१ पछिनिक्समित्ता अतुरिच [मचवलपसंभंते जुगंतरपलोयणाए दिद्वीए पुरओरियं] सोहेमाणे सोहेमाणे जेणेव मियग्गामे नयरे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता मियग्गामं नवरं मझंपज्झेणं जेणेय मियादेवीए गिहे तेणेव उवागच्छइतएणं सा पियादेवी भगवं गोवयं एमाणं पासइ पासित्ता हतुट्ठ चित्तपागंदिया पीइमणा परमसोमणस्सिया हरिसवस-विसप्पमाण] हियया आसणाओ अभुटेइ अय्युद्वेता सत्तट्ठपयाई अनुगच्छद अनुगछित्ता तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं कोइ वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं ययासी संदिसंतुणं देवाणुप्पिया किमागमणप्पओयणं तए णं से भगवं गोयमे मियं देवि एवं वयासी-अहं णं देवाणुप्पिए तव पुत्तं पासिङ हब्वमागए तए णं ता मियादेवी मियापुतम्स दारगस्स अनुमगगजायए चतारि पुत्ते सव्वालंकारविभूसिए करेइ करेता भगवओ गोयमस्स पाएसुपाडेइ पाडेता एवं वयासी-एए णं भंते मम पुत्ते पासह तए णं से भगवं गोयमे मियं देविएवं ववासी-नो खलु देवाणुप्पिए अहं एए तव पुत्ते पासिउं हव्यमागए तत्स्थ णंजे से तव जेडे पुत्ते मियापुत्ते दारए जाइअंधे जायअंधारूवे ज णं तुम रहस्सियंसि भूमिधरंसि रहस्सिएणं भतपाणेणं पडिजागरमाणी-पडिजागरमाणी विहरसितंणं अहं पासिउंहब्बमागए तए णं सा मियादेवी भगवं गोयमंएवं बयासी से के णं गोयमा सेतहारूवे नाणी वा तवसी या जेणं एसमढे मम ताव रहस्सीकए तुन्म हब्बमक्खाए जओ णं तुदमे जागह तए णं भगवं गोयमे मियं देवि एवं वयासी एवं खत्लु देवाणुप्पिए मम धमायरिए समणे भगवं महावीरे जावजओ णं अहं जाणामि जावं च णं पियादेवी भगववा गोयमेणं सद्धिं एयमद्वंसंलवइ तावं च णं मियापुत्तस्स दारगस्स प्रत्तवेला जाया चावि होत्या तएणं सा मियादेवी भगवं गोयमं एवं वयासी तुटमेणं भंते इहं चेव चिट्ठह जाणं अहं तुमं मियापुत्तं दारगं उबदंसेमि त्ति कट्टजेणेव मतघरए तेणेव उवागच्छइ उवागछित्ता वत्यपरियहवं करेइ करेता कट्टसगडियं गिण्हइ गिण्हित्ता विउलस्स असण-पाण-खाइम-साइमस्स भरेइ भोत्ता तं कट्ठसगडियं अनुकदमाणी-अनुकदमाणी जेणेव भगवं गोयमे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता भगवं गोयमं एवं बवासी-एह णं भंते तुटभे मए सद्धिं अनुगच्छह जाणं अहं तुभं मियापुत्त दारगं उवदंसेमि तएणं से भगवं गोयमे मियं देवि पिटुओ समणुगच्छइ तए णंसा मियादेवी तं कट्ठसगडियं अनुकढमाणीअनुकडूढमाणी जेमेव भूमिघरए तेणेव उवागच्छइ उवागछित्ता चउप्पुडेणं वस्थेणं मुहं बंधपाणी भगवं गोयमं एवं वयासी तुब्भे विणं भंते मुहपोत्तियाए मुहं बंधह तए णं से भगवं गोयमे मियादेवीए एवं वुत्ते समाणे मुहपोत्तियार मुहं बंधेइ तए णं सा मियादेवी परंमुही भूमिघरस्स दुवारं विहाडेइ तए णं गंधे निगच्छइ से जहानामए-अहिंमडे इ वा [गोमड़े इ वा सुणहमडे इ या मजारमडे इ वा मणुस्समडे इ वा महिसमडे इवा मूसगमडे इ वा आसपडे इवा हत्थिमडे इ वा सीहपडे इवा वाघपडे इ वा विगमडे इ वा दीविगमडे इ वा मय कुहिय-विणह-दुरभिवावण्ण-दुभिगंधे किमिजालाउलसंसते असुइ-विलीण-विगय-बीभत्सदरिसणिज्जे भवेवारूवे सिया नो इणढे सपढे एत्तो अणिट्टतराए चेव अकंततारए चेव अप्पियतराए चेव अमणुण्णतराए चेव अमणामतराए चेय] गंधे पन्नत्ते तए णं से सियापुत्ते दारए तस्स विउलस्स असण-पाण-खाइम-साइमरस गंधेणं अभिभूए समाणे तंसि विउलंसि असण-जाव मुछिए गढिए गिद्धे अझोववण्णे तं विउलं असण-जाव आसएणं आहारेइ आहारेता खिप्पामेव विद्धंसेइ विद्धंसेत्ता तओ पच्छा पूवताए य सोणियत्ताए य पारिणामेइ तं पिय णं पूर्व च सोणियं च आहारेइ तए णं भगवओ गोयपस्स तं मियापुत्तं दारगं पासित्ता अवपेयारूबे अज्झस्थिए चिंतिए कप्पिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुपञ्जित्था-अहो णं इमे दारए पुरा पोराणाणं 112
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