Book Title: Agam 11 Vivagsuyam Angsutt 11 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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२०
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विवागतुयं १/४/२४
परिसा राया च निग्गए धम्मो कहिओ परिसा गया तेण कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जेट्टे अंतेवासी जाव रायमग्गं ओगाढे तत्थ णं हत्थी आसे अण्णे य बहवे पुरिसे पासइ तेसिं च णं पुरिसाणं मज्झगयं पासइ एवं सइत्थिवं पुरिसं अवओडयबंधणं उकखत्त-कण्णनासं जाव खंड पडणं उग्घो जाव सिजमाणं चिंता तहेव जाव भगवं वागरेइ एवं खलु गोवमा तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे छगलपुरे नामं नयरे होत्या तस्य णं सीहगिरी नाम राया होत्या-पहचामवंत-महंत - मलय-मंदर-महिंदसारे तत्थ णं छगलपुरे नयरे छन्निए नामं छागलिए परिवसइ-अड्ढे जाव अपरिभूए अहम्मिए जाव दुप्पडियाणंदे तस्स णं छन्नियस्स छागलियस्स बहवे हूयाण एलाय रोज्झाण व वसभाण य ससयाण य सूयराण य पसयाण प सिंहाण य हरिणाण य मयूराण य महिसाण य सयबद्धाणि सहसवद्धाणि य जूहाणि वाडगंसि संनिरुद्धाई चिह्नंति अन्ने य तत्य वहवे पुरिसा दिष्णभइ भत्त-वेयणा बहवे अह य जाव महिसे य सारक्खमाणा संगोवेमाणा चिट्ठति अण्णे य से बहवे पुरिसा दिण्णभइ भत्त-वेयणा बहवे अए य जाव महिसे य जीवियाओ ववरोवेति ववरोवेत्ता मंसाई कप्पणीकपिचाई करेति करेत्ता छत्रियसस छागलियस्स उवर्णेति अण्णे व से बहवे पुरिसा ताई बहुबाई अयमंसाई जाब महिसमंसाइ य तवएसु य कबल्लीषु य कंदुसु य भजणेसु य इंगालेसु य तलेति य सोल्लेति य तलेत्ता य भज्जेत्ता य सोल्लेत्ता य तओ रायमसि वित्तिं कप्पेमाणा विहति अप्पाणा वि य णं से छन्निए छागलिए तेहिं बहुहूहिं अयमंसेहि व जाव महिसमंसेहि य सोल्लेहि य जाव परिभुंजेमाणे विहाइ तए णं से छत्रिए छागलिए एयकम्मे एप्पहाणे एयविजे एयसमाचारे सुबहु पावकम्मं कलिकलसं समञ्जिणित्ता सत्त वाससयाई परमाउं पालइत्ता कालमासे कालं किया चोत्थीए पुढवीए उक्कोसेणं दससागरोवमट्ठिएस नेरइएसु नेरइयत्ताए उचवणे २०-21 (२५) तए णं सा सुभद्दस्स सत्यवाहस्स भद्दा भारिया जायनिंदुया यावि होत्या - जावा-जाया दारगा विणिहायमावति तए णं से छन्त्रिए छागलिए चोत्थीए पुढवीए अनंतरं उब्वट्टित्ता इहेव साहंजणीए नयरीए सुभद्दस्स सत्यवाहस्स भद्दाए भारियाए कुच्छिसि पुत्तत्ताए उवयण्णे तए णं सा भद्दा सत्थवाही अण्णया कयाइ नदण्डं मासाणं बहुपडिपुत्राणं दारगं पयाया तए णं तं दारगं अम्मापियरो जायमेत्तं चैव सगडस्स हेडुओ ठर्वेति दोचं पि गिण्हावेति अनुपुवेणं सारक्खति संगोवैति संबुड्ढेतिं जहा उज्झियए जाव जम्हा णं अम्हं इमे दारए जायमेत्तए चैव सगडस्स हेडओ ठविए तम्हाणं होउ अम्हं दारए सगडे नामेणं सेसं जहा उज्झिवए सुभद्दे लवणसमुद्दे कालगए माया वि कालगपा से वि साओ गिहाओ निच्छूढे तए णं से सगडे दारए साओ गिहाओ निच्छूढे समाणे सिंघाडग तहेव जाय सुदरिसणाए गणियाए सद्धिं संपलग्गे यावि होत्या तए णं से सुसेणे अमचे तं सगडं दारगं अण्णया कयाइ सुदरिसणाए गणियाए गिहाओ निच्छुभावेइ निच्छुभावेत्ता सुदरिसणं गणिवं अतिरियं ठवेइ ठवेत्ता सुदरिसणाए गणियाए सद्धि उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरइ तए णं से सगडे दारए सुदरिसणाए गणियाए गिहाओ निच्छुमेमाणे अन्नत्य कत्थइ सुई वा अलभ अन्नया कयाइ रहिस्सयं सुदरिसणाए हिं अनुष्पविसइ अनुप्यविसित्ता सुदरिसणाए सद्धि उरालाई माणुस्साई भोगभोगाई भुंजमाणे विहाइ इमं च णं सुसेणे अमचे पहाए जाव विभूलिए मणुस्वग्गुरापरिक्खित्ते जेणेव सुदरिसणाए गणियाए गिहे तेणेव उवागच्छइ उदागच्छत्ता सगडं दारयं सुदरिसणाए गणियाए सद्धिं उरालाई भोगभोगाई भुंजमाणं पासइ
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