Book Title: Agam 11 Vivagsuyam Angsutt 11 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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विवाग - १/९/३३
नयरं मज्झमज्झेणं जेणेव वेसमणरण्णो गिहे जेणेव वेसमणे राया तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता करयल जाव बद्धावे बद्धावेत्ता बेसमणस्स रण्णो देवदत्तं दारियं उवणेइ तए णं से वेसमणे राया देवदत्तं दारियं उबणीयं पासइ पासिता हट्ठतुट्टो विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडाचे उबक्खडावेत्ता मित्त-नाइ-जाव सम्माणेत्ता पूसनंदि कुमारं देवदत्तं च दारियं पट्टयं दुरुहेइ दुरुहेत्ता सेयापीएहिं कलसेहिं मज्जावेइ मज्जावेत्ता वरनेवत्थाई करेइ करेत्ता अग्गिहोमं करेइ करेत्ता पूसनंदि कुमारं देवदत्ताए दारियाए पाणि गिण्हावेइ तए णं से वेसपणदत्ते राया पूसनंदिकुमारस्स देवदत्तं दारिवं सव्विडूढीए जाय दुंदुहिनिग्धोस-नाइयरवेणं महया इड्ढीसक्कारसमुदएणं पाणिग्गहणं कारे कारेत्ता देवदत्ताए दारियाए अम्मापियरो मित्त- जाव-परियणं च विउलेणं असण- पाणखाइमं साइमेणं पुष्फ-वत्य-गंध-मल्लालंकारेण य सक्कारेइ सम्माणेइ सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता पडिविसजेइ ते णं से पूसनंदी कुमारं देवदत्ताए भारियाए सद्धिं उप्पिं पासाय वरगए फुट्टमाणेहिं मुइंगमत्थएहिं बत्तीसइबद्ध-नाइएहिं उवमित्रमाणे- जाव विहरइ तए णं से वेसमणे राया अन्नवा कचाइ कालधम्मुणा संजुत्ते नीहरणं जाव राया जाए पूसनंदी तए णं से पूसनंदी राया सिरीए देवीए माइभते यावि होत्या कल्लाकाल्लं जेणेव सिरी देवा तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता सिरीए देवीए पायवडणं करेइ करेत्ता सचपाग-सहस्सपागेहिं तेल्लेहिं अभंगावेइ अट्ठिसुहाए मंससुहाए तयासुहाए रोमसुहाए- चउच्विहाए संवाहणाए संवाहावेइ संवाहावेत्ता सुरभिणा गंधट्टएणं उच्चट्टावेइ उव्वट्टावेता तिहिं उदएहिं मज्जावेइ तं जहा- उसिणोदएणं सीओदएणं गंधोदएणं विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं भोयावेइ भोयावेत्ता सिरीए देवीए पहायाए कयबलिकम्माए कपकोउयमंगल] - पायच्छित्ताए जिमिचभुत्तुत्तरागयाए तओ पच्छा ण्हाइ वा भुंजइ वा उरालाई माणुस्सगाई भोग भोगाई भुंजमाणे विहरइ तए णं तीसे देवदत्ताए देवीए अण्णया कथाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमर्थसि कुटुंबजागरियं जागरमाणीए इमेयारूवे अज्झत्थिए जाव संकप्पे समुप्पने एवं खलु पूसनंदि राया सिरीए देवीए माइमते जाव विहरइ तं एएणं वक्खेवेणं नो संचाएमि अहं पूसनंदिणा रण्णा सद्धिं उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुंजमाणी विहरित्तए तं सेवं खलु ममं सिरिदेविं अग्गिपओगेण वा सत्थप्पओगेण वा विसप्पओगेण वा जीवियाओ वबरोवेत्ता पूसनंदिणा रण्णा सद्धिं उरालाई माणुस्सगाई भोगमोगाई भुंजभाणीए बिहरित्तए एवं संपेहेइ संपेहेत्ता सिरीए देवीए अंतराणि य छिद्दाणि य विवराणि य पडिजागरमाणी विहरइ तए णं सा सिरी देवी अण्णया कचाइ मन्जाइया विरहियसयणिसि सुहपसुत्ता जाया याचि होत्या इमं च णं देवदत्ता देवी जेणेव सिरी देवी तेणेव उबागच्छइ उवागच्छित्ता सिरिं देविं मज्जाइयं विरहियसयणिसि सुहृपसुतं पासइ पासित्ता दिसालोयं करेइ करेत्ता जेणेव भत्तघरे तेणेव उवागच्छइ लोहदंडं परामुसइ परापुसित्ता लोहदंडं तावेइ तत्तं समजो भूयं फुल्लकिंसुयसमाणं संडासएणं गहाय जेणेव सिरी देवी तेणेव उवागच्छइ उवागच्छत्ता सिरीए देवीए अवाणंसि पक्खिवइ तए गं सा सिरी देवी महया-महया सद्देणं आरसित्ता कालधम्पुणा संजुत्ता तए णं तीसे सिरीए देवीए दासवेडीओ आरसियसद्दं सोचा निसम्म जेणेव सिरी देवी तेणेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता देवदत्तं देवि तओ अवक्कममाणि पासंति पासित्ता जेणेव सिरी देवी तेणेव उवागच्छति उवागच्छित्ता सिरिं देविं निप्पाणं निचे जीवियविप्पजढं पासंति पासित्ता हा हा अहो अकजमिति कट्टु रोयमाणीओ कंदमाणीओ विलवाणीओ जेणेव पूसनंदी राया तेणेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता पूसनंदि रायं एवं वयासी एवं खलु सामी सिरी
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