Book Title: Agam 11 Vivagsuyam Angsutt 11 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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प्य खंघो-१, अन्नपणं-७
२७ कयाइ पुब्बरतावरत्तकालसमयसि कुंडुबजागरियं जागरमाणीए अयं अज्झथिए जाव संकणे समुप्पण्णे-एवं खलु अहं सागरदत्तेणं सत्यवाहेणं सद्धिं बहूई वासाइं उरालाई माणुस्सागाई भोगमोगाई भुंजमाणी विहरामि नो वेव णं अहं दारगं वा दारियं वा पयामि तं धण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ जाव कयविहवाओणं ताओ अम्मयाओ सुलद्धे णं तासिं अम्मयाणं माणुस्सए जम्मजीवियफले जासिं मण्णे नियगकुच्छिसंभूयगाइं घणदुद्धलुद्वयाई महुरसमुल्लावपाई मम्मणपंजपियाई यणमूला कक्खदेसभागं अभिसरमाणयाई मुद्धयाईपुणो य कोमलकमलोवमेहिं हस्थिहिं गिहिऊण उच्छंगे निवेसियाई देंति समुल्लावए समहुरे पुणो-पुणो मंजुलप्पपणिए अहं णं अधन्ना अपुत्रा अकयपुन्ना एत्तो एगतरमविन पत्ता त सेयं खलु मप कल्लं पाउप्पभायाए रचणीए जाव उठ्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयो तेवसा जलंते सागरदत्तं सत्थवाहं आपुच्छित्ता सुवहुं पुष्फ-वत्थ-गंधमल्लालंकार गहाय बहूहि मित-जाव परियणमहिलाहिं सद्धिं पाइलिसंडाओ नयराओ पडिनिक्खसित्ता बहिदा जेणेव उंबरदत्तस्स जखस्स जक्खाययणे तेणेव उवागच्छित्ता तत्थ णं उंबरदत्तस्स जक्खस्स महरिहं पुष्फच्चणं करेत्ताजाणुपायपडियाए ओबाइत्तए-जाणं अहं देवाणुप्पिया दारगंवा दारिपंवा पयामि तोणं अहं तुमंजायं च दायं च भायं च अक्खयनिहिं च अनुबढिस्सामि त्ति कट्ट ओवाइयं ओबाइणितए-एवं संपेहेइ संपेहेता कलं पाउप्पभायाए रयणीए जाव उठ्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयो तेयसा जलंते जेणेव सागादत्ते सत्यवाहे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता सागादतं सत्थवाहं एवं वयासी-एवं खलु अहं देवाणुप्पिया तुहिं सद्धिं बहूई वासाइ उरालाई माणुस्सगाई भोगमोगाई भुंजमाणी जाव एतो एगमवि न पत्ता तं इच्छामि णं देवाणप्पिया तटभेहि अभणुण्णाया जाव ओवाइणित्तए तएणं से सागरदत्ते सत्यवाहे गंगदत्तं भारियं एवं वयासी ममंपि णं देवाणुप्पिए एस चेव मनोरहे कहं णं दारगंवा दारियं वा पयाएजासि गंगदत्ताए मारियाए एपमठं अनुजाणइ तए णं सा गंगदत्ता भारिया सागरदत्तसत्यवाहेणं एयमÉ अब्मणुप्णाया समाणी जाव पाइलिसंडं नयरं मझंपन्झेणं निगच्छइ निग्गच्छित्ता जेणेव पुक्खरिणी तेणेव उवागच्छद उवागच्छित्ता पुक्खरिणीए तीरे सुवहुं पुष्फ-वत्य-गंध-मल्लालंकारं टवेइ ठवेत्ता पुक्खरिणि ओगाहेइ
ओगाहेत्ता जलमज्जणं करेइ करेत्ता जलकिहुं कोइ करेत्ता हाया कयबलिकामा कयकोउय-मंगलपायच्छित्ता उल्लपसाडिया पुक्खरिणीओ पच्चुत्तरइ पच्चुत्तरित्ता तं पुष्फ-वत्य-गंध-मल्लालंकार गेण्हइ गेण्हित्ता जेणेव उंबरदत्तस्स जक्खस्स जक्खायणे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता उंवरदत्तस्स जखस्स आलोए पणामं करेइ करेत्ता लोमहत्थयं परामुसइ परामुसित्ता उंबरदत्तं जक्खं लोमहत्थएणं पमजइ पमजित्ता दगधाराए अदमुक्खेइ अदभुखेत्ता पम्हल-[सुकुमाल-गंधकासाइयाए। गायलट्ठी ओलूहइ ओलहित्ता सेयाई वत्ताई परिहेइ परिहत्ता महरिहं पुकारूहणं मल्लारूहणं गंधास्तहणं चुण्णाहणं करेइ करेत्ता धूवं डहइ डहित्ता जपणुपायवडिया एवं यवइ-जइ णं अहं देवाणुप्पिया दारगं वा दारियं वा पयामि तोणंजाव ओवाइणइ ओवाइणिता जामेव दिसं पाउड्मया तामेव दिसं पडिगया तए णं से धण्णंतरी वेजे तओ नरयाओ अनंतरं उव्वट्टित्ता इहेव जंबुद्दीवे दावे पाडलिसंडे नयरे गंगदत्ताए मारियाए कुच्छिसि पुत्तताए उवचण्णे तए णं तीसे गंगदत्ताएओ भारियाए तिण्हं मासाणं बहुपडिपुन्नाणं अयमेयारवे दोहले पाउदभूए-धण्णाओ णं ताओ अम्मवाओ जाव फले जाओणं विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेति उवखडावेत्ता बहूहिं मित्त-जाव सद्धिं परिवुडाओतं विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं सुरंच महुंच मेरगं च जाइं च सीधुं
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