Book Title: Agam 08 Antgadadasao Angsutt 08 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गगो-३, अजायणंगाहावदणीए अनुकंपणट्ठयाए सुलप्तं गाहावइणि तुमंच दो वि समउज़्याओ करेइतएणं तुमे दो वि समामेव गभेगिण्हह समामेव गड्भे परिवहह समामेव दारए पयायह तए णं सा सुलसा गाहावइणी विणिहायमावण्णे दारए पयायइ तए णं से हरिनेगमेसी देवे सुलसाए गाहायइणीए अनुकंपणष्ट्ठयाए विणिहायमावण्णे दारए करयल-संपुडेणं गेण्हइ गैण्हिता तव अंतियं साहरा तं समयं चणं तुमं पि नवण्हं मासाणं सुकुमालदारए पसवसि जे वि य णं देवाणुप्पिए तव पुत्ता ते वि य तव अंतिआओ करयल-संपुडेणं गेण्हइ गेण्हित्ता सुलसाए गाहावइणीए अंतिए साहरइतं तवचेवणं देवई एए पुत्ता नो सुलसाए गाहावइणीए तएणंसा देवई देवीअरहओ अरिट्टनेमिस्स अंतिए एयमटुं सोना निसम्म जाव-हियया अरहं अरिडुनेमि वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता जेणेव ते छ अणगारा तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता ते छप्पि अणगारे वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता आगयपण्हया पप्पुयलोचणा कंच्यपरखित्तया दरियवलय-बाहा धाराहय-कलंव-पुप्फगं विव समूससिय-रोमकूवा ते छप्पि अणगारे अणिपिसाए दिट्ठीए पेहमाणी-पेहमाणी सुचिरं निरिक्खइ निरिखित्ता वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता जेणेव आहा अरिट्ठनेमी तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता आहं अरिहनेमि तिम्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ जाव नमंसित्ता तमेव धम्मियं जाणप्पवरं दुरुहइ दुरुहिता जेणेव बारवई नयरी तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता वारवइंनयरि अनुष्पविसइ अनुप्पविसित्ताजेणेव सए गिह बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागया धम्मयाओ जाणप्यवराओ पच्चोरूहइ पच्चोरूहिता जेणेव सए वासधरे जेणेव सए सयणि तेणेव उयागया सपंसि सयणिसि निसीयइ तए णं तीसे देवईए देवीए अयं अन्झस्थिए चिंतिए पस्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पत्रे-एवं खलु अहं सरिसए जाब नलकूबर-समाणे सत्त पुत्ते पयाया नो वेव णं मए एगस्स वि बालत्तणए समणुमूए एस वि यणं कण्हे बालसुदेवेछण्हं छण्हं मासाणं ममं अंतियं पायवंदए हव्यमागच्छइतं धण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ पुनाओ णं ताओ अम्मयाओ कयपुग्नाओ णं ताओ अम्मयाओ कयलक्खणाओणं ताओ अम्मयाओ जासिं मण्णे नियग-कुच्छि-संपूयाई थणदुद्ध-तुद्धयाई महुरसमुल्लावयाईमम्मण-पंजपियाइं यण-मूला कक्खदेसभागं अभिसरमाणाई मुद्धयाई पुणो य कोमलकमललोचमेहिं हत्येहि गिहिऊण उच्छंगे निवेसियाई देति समुल्लावए सुमहुरे पुणो पुणो मंजुलप्पमणिए अहं णं अघण्णा अपुष्णा अकयपुत्रा अकयलस्खणा एत्तो एक्कत्तरमविन पत्ता-ओहय [मणसंकप्पा करयलपल्हत्यमुही अशाणोवगया] झियायइ इमं च णं कण्हे वासुदेवे पहाए जाय विभूसिए देवईए देवीए पायवंदए हव्दमागच्छइ तए णं से कण्हे वासुदेवे देवइं देविं पासइ पासित्ता देवईए देवीए पायागहणं करेइ करेत्ता देवि एवं वयासी-अण्णयाणं अम्मो तुभे ममं पासेत्ता हट्टतुट्ठा जाव भवह किण्णं अम्मो अज तुझे ओह्यमणसंकप्पा जाव झियायह तए णं सा देवई देवी कण्हं वासुदेवंएवं वयासी-एवं खलु अहं पुत्ता सरिसए जाव नलकूबर-समाणे सत्त पुते पयाया नोचेवणं पए एगस्स वि बालत्तणे अनुभूए तुमं पि य णं पत्ता छह-छण्हं पासाणं मां अंतियं पायबंदए हळ्यामागच्छसितंधण्णाओणं ताओ अम्मयाओजाय झियामि तए णं से कण्हे वासदेवे देवइं देविं एवं वयासी-माणं तुमे अम्मोओहयमणसंकप्पाजाव झियायह अहणं तहा घइस्सामि जहाणंमपं सहोदरे कणीयसे भाउए भविस्सति ति कट्ठ देवइ देविं ताहिं इटाहिं वागूहि समासासेइ तओ पडिणिक्खमइ पडिणिक्खिमित्ता जेणेय पोसहसाला तेणेव उवागच्छद उवागच्छित्ता जहा अभओ नवरं हरिणेगमेसिस्स अट्ठम पत्तं पगेण्हइ जाव अंजलि कट्टएवं वयासी इच्छामि गं देवाणुप्पिया For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42