Book Title: Agam 08 Antgadadasao Angsutt 08 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 20
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घग्गो - ४, अम्प्रयणं - १ - १० एवं मवाली उववाली पुरिससेणे य वारिसेणे य एवं पज्जुवणे वि नवां कण्हे पिया रूपिणी माया एवं संबे वि नवरं जंबवई माया एवं अणिरुद्धे वि नवरं पङ्गुण्णे पिया वेदभी माया एवं सद्यनेमी नवरं समुद्दविजए पिया सिवा माया एवं दढनेमी वि सव्वे एगगमा [ एवं खलु जंबू समणेणं भगवया महावीरेणं अट्ठमएस अंगस्स अंतगडदसाण चउत्यस्स चागस्स अयमट्ठे पत्रत्ते |८|• चउत्यो वग्गो समत्तो पंचमो - वग्गो १५ -: पढ मं अज्झ य णं-प उमा व ई : (१८) जइ णं भंते समणेणं भगवया महावीरेणं जाब संपत्तेणं चउत्यस्स वग्गस्स अयमट्ठे पत्ते पंचमस्स वग्गस्स अंतगइदसाणं समणेणं भगवया महावीरेणं जाब संपत्तेर्ण के अट्टे प. एवं खलु जंबू समणेण भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं पंचमस्स वग्गस्स दस अज्झयणा प. ९-१ ।--1 (१९) पउमाई य गोरी गंधारी लक्खणा सुसीमा य जंबबइ सच्चभामा रूप्पिणी मूलसिरि मूलदत्ता' वि ||५||-1 (२०) जइ णं भंते समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं पंचमस्स वग्गस्स दस अज्झयणा पत्रत्ता पढमस्स णं भंते अज्झयणस्स के अड्डे परते एवं खलु जंबू तेणं कालेणं तेणं समएणं वारबई नगरी जहा पढने जाव कण्हे वासुदेवे आहेवचं जाव कारेमाणे पालेमाणे विहरइ तरसणं कहस्स बासुदेवस्स पउभावई नाम देवी होत्या वण्णओ तेणं कालेणं तेणं समएणं अरहा अमी समोसढे जाव संजमेणं तवसा अभाणं भावेमाणे विहरइ कण्हे वासुदेवे निग्गए जाब पजुवासइ तए णं सा पमावई देवी इमीसे कहाए लट्ठा समाणी हट्टतुट्ठा जहा देवई देवी जाव पजुवासइ तए णं अरहा अरिट्ठनेमी कण्हस्स वासुदेवस्स पउमावईए य [देवीए तीसे महतिपहालिथाए महच्चपरिसाए चाउज्जाणं धम्मं कहेइ तं जहा-सव्वाओ पाणाइवायाओ वेरमणं जाव सव्वाओ परिग्गहातो रमणं परिसा पडिगया तए णं कण्हे वासुदेवे अरहं अरिनेमिं वंदइ नमसइ बंदिता नमसित्ता एवं वयासी- इमीसे णं भंते बारवईए नगरीए नवजोयणवित्थिष्णाए जाय देवलोगभूषाए किंमूलाए विणा से भविस्सइ कण्हाइ अरहा अरिट्ठनेमी कण्ह बासुदेवं एवं व्यासी एवं खलु कण्हा इमीसे बारवईए नयरीए नवजोयणवित्थिष्णाए जाव देवलोगभूयाए सुरग्गिदी वायणमूलाए विष्णासे भविस्सर कहस्स वासुदेवस्स अरहओ अरिट्ठनेमिस्स अंतिए एवं सोचा निसम्म अयं अज्झत्थिए चिंतिए मणोगए संकष्पे समुष्यजित्था घण्णा णं ते जालि मयालि-उवयाति-पुरिससेण-वारिसेणजुण्ण-संब- अणिरुद्धा ददनेमि - सच्चनेमि-प्पभियओ कुमारा जेणं चइत्ता हिरण्णं जाब दाइणं दाइयाणं परिभाएता अरहओ अरिट्ठनेमिस्स अंतियं मुंडा जाव पव्वइया अण्णं अघण्णे अकयपुत्रे एजे य जाव अंतेरेय माणुस्सएसु य कामभोगेषु पुछिए गढिए गिद्धे अभोववण्णे नो संचाएमि अरहओ अरिनेमिस्स अंतिए पव्यइत्तए कहा अहा अरिनेमी कण्हं वासुदेवं एवं वयासी-से नूणं कण्हा तय अयं अज्झत्थिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुष्पञ्जित्था यण्णा णं ते जालिप्पभइकुमारा जाव पव्यइया अहणं अपण्मे जाव नो संचाएमि अरहओ अरिट्ठनेमिस्स अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अजगारियं पव्वइत्तए से नूणं कण्हा अत्थे समत्ये हंता अत्थि तं नो खलु कण्हा एतं भूतं वा भव्ळं वा भविस्सइ वा जणं वासुदेवा चइत्ता हिरण्णं जाव पव्वइस्संति से केणद्वेणं भंते एवं बुच्चइ न एतं भूतं वा जाव For Private And Personal Use Only

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