Book Title: Agam 08 Antgadadasao Angsutt 08 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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अंगदाओ ५/१/२०
पव्वइस्संति कण्हाइ अरहा अरिट्ठनेमी कण्हं वासुदेवं एवं क्यासी एवं खलु कण्हा सव्ये वियणं वासुदेवा पुव्वभवे निदाणकडा से एतेणद्वेणं कण्हा एवं बुच्चइ न एतं भूतं वा जाव पव्वइस्संति तए णं से कहे वासुदेवे अरहं अरिट्ठनेमिं एवं बयासी- अहं णं भंते इत्तो कालमासे कालं किच्चा कहिं गमिस्सामि कहिं उववज्जिस्सामि तए णं अरहा अरिट्ठनेमीं कण्हं वासुदेवं एवं वयासी एवं खलु कण्हा तुम बारवईए नयरीए सुरग्गि-दीवायण- कोव-निदड्ढाए अम्मापि - निवग-विप्पहूणे रामेणं बलदेवेण सद्धिं दाहिणवेयालिं अभिमुळे जुहिहल्लापामोक्खाणं पंचण्डं पंडवाणं पंडुरायपुत्ताणं पासं पंहुमहुरं संपत्थिए कोसंबवणकाणणे नागोहवरपायवरस अहे पुढविसिलापट्टए पीयवत्थ- पच्छाइयसरीरे जराकुमारेणं तिक्त्रेणं कोदंड- विप्यमुक्केणं उसेणा वामे पादे विद्धे समाणे कालमासे कालं किच्चा तचाए वालुयप्पभाए पुढवीए उज्ज लिए नरए नेरइयत्ताए उववज्जिहिसि तए णं से कण्हे बासुदेवे अरहओ अरिनेमिस्स अंतिए एयमहं सोच्चा निसम्म ओहय [मणसंकपे करतलपल्हत्यमुहे अट्टज्झाणी गए] झियाइ कण्हाइ अरहा अरिङनेमी कण्हं वासुदेवं एवं बवासी- मा णं तुमं देवाणु - प्पिया ओहयमणसंकप्पे जाब झियाह एवं खलु तुमं देवाणुप्पिया तच्चाओ पुढवीओ उजलियाओ नरयाओ अनंतरं उव्वटिता इहेब जंबुद्दीवे दीचे भारहे वासे आगमेसाए उस्सप्पिणीए पंडेसु जणयएसु सयदुवारे नगरे वारसमे अममे नामं अरहा भविस्ससि तस्य तुमं चहूई वासाई केवलि परियागं पाउणेत्ता सिज्झिहिसि बुज्झिहिसि मुबिहिसि परिनिव्वाहिसि सव्वदुक्खाणं अंतं काहिसि
तणं से कहे वासुदेवे अरहओ अरिट्ठनेमिस्स अंतिए एयमठ्ठे सोचा निराम्यं हडतुडे जाव अप्फोडेइ अप्फोडेता वग्गइ वग्गित्ता तिवई छिंदइ छिंदित्ता सीहणाई करेइ करेत्ता अहं अरिनेमिं वंदइ नमसइ वंदित्ता नर्मसित्ता तमेव अभिसेक्कं हत्यि दुरुहइ दुरिहीत्ता जेणेव बारवई नवरी जेणेव सए गिहे तेणेव उबागए आभिसेयहत्थिरयणाओ पच्चोरूहइ पोरूहित्ता जेमेव बाहिरिया उवद्वाणसाला जेणेव सए सीहासणे तेमेव उवागच्छइ पच्चोरूहित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव सए सीहासणे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छिता सीहासणवरंसि पुरत्याभिमुहे निसीयति निसीइत्ता कोडुंबियपुरिले सद्दायेइ सद्दावेत्ता एवं बयासी- गच्छह णं तुम्मे देवाणुपिया बारवईए नयरीए सिंघाडग जाब उग्धोसेमाणा- उन्धोसेमाणा एवं बग्रह एवं खलु देवाणुपिया बारबईए नयरीए नवजीयणविच्छिष्णाए जाव देवलोगभूयाए सुरग्गि-दीदायण- मूलाए विणासे भविस्सइ तं जो गं देवाणुपिया इच्छइ बारवईए नयरीए राया वा जुवराया वा ईसरे वा तलवरे वा माडंबिय - कोडुंबिय इप सेट्ठी वा देवी वा कुमारो वा कुमारी वा अरहओ अरिइनेमिस्स अंतिए मुंडे [भवित्ता अगाराओ अणगारिय] पव्वइत्तए तं णं कण्हे वासुदेवे विसञ्जेइ पच्छातुरस्स वि य से अहापवित्तं विर्त्ति अनुजाणइ महया इड्ढिसक्कारसमुदएणं य से निक्खमणं करेइ दोघं पि तच्चं पि घोसणयं घोसेह घोसेत्ता ममं एवं पचण्पिणह तए णं ते कोडुंबिया जाव पञ्चप्पिणंति ते णं सा पउमावई देवी आहओ अरिनेमिस्स अंतिए धम्मं सोचा निसम्म हट्ठतुट्ठ-चित्तमाणंदिय जाव हरिसबस-विसप्पमाहिपया अहं अरिट्ठनेमिं वंदइ-नमंसइ वंदित्ता नमसिता एवं वयासी सद्दहामि णं भंते निग्गंथं पावयण से जहेयं तुमे वयह जं नवरं देवाणुप्पिया कण्हं वासुदेवं आपुच्छामि तए णं अहं देवाप्पियाणं अंतिए मुंडा जाव पव्वयामि अहासुहं देवाणुप्पिया मा पडिबंधं करेहि तए णं सा
उमावई देवी धमियं जाणप्पवरं दुरुहइ दुरुहित्ता जेणेव बारवई नयरी जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता धम्मियाओ जाणप्पवराओ पचोरुहइ पञ्च्चोरुहित्ता जेणेव कण्हे वासुदेवे
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