Book Title: Agam 08 Antgadadasao Angsutt 08 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 26
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वग्गो-६, अझयणं-३ २१ मुचिस्सामि तो मे तहा पचक्खए चैव ति कट्टु सागारं पडिमं पडिवज्जइ तए णं से मोग्गरपाणी जक्खे तं पलसहस्सणिप्फण्णं अओमयं मोग्गरं उल्लालेमाणे उल्लालेमाणे जेणेव सुदंसणे समणोयासए तेणेव उवागए नो चेवणं संचाएइ सुदंसणं समणोवासयं तेयसा समभिपडित्तए तए णं से मोग्गरपाणी क्खे सुदंसणं समोवासयं सव्यओ समंता परिघोलेमाणे परघोलेमाणे जाहे नो चेव णं संचाएइ सुदंसणं समणोवासयं तेयसा समभिपडित्तए ताहे सुदंसणस्स समणोवासयस्स पुरओ सपर्किख सपडिदिसिं ठिद्या सुदंसणं सणोवासयं अणिमिसाए दिट्ठिए सुचिरं निरिक्खइ निरिक्खित्ता अजुणस्स मालागरस्स सरीरं विप्पजहइ विप्पजहित्ता तं पलसहस्सणिफण्णं अओमयं मोग्गरं हाय जामेव दिसं पाउ भए तामेव दिसं पडिगए तए से अणए मालागारे मोगरपाणिणा जखेणं विप्पमुकुके समाणे धस ति धरणियलंसि सव्वंगेहिं निवडिए तए णं से सुदंसणे समणोवासए निश्वसन्ग मिति कट्टु पडिमं पारेइ तए णं से अजुए मालागारे तत्तो मुहुत्तंतोणं आसत्ये समाणे उडेइ उद्धेत्ता सुदंसणं समणोवासयं एवं वयासी तुणं देवाणुपिया के कहि वा संपत्तिया तए णं से सुदंसणे समणोवासए अज्जुणयं मालागारं एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया अहं सुदंसणे नामं समणोवासए अभियजीवाजीवे गुणसिलए चेइए समणं भगवं महावीरं वंदए संपत्थिए तए णं से अज्जुणए मालागारे सुदंसणं समणोवासयं एवं वयासी-तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया अहमवि तुमए सद्धिं समणं भगवं महावीरं वंदित्ताए जाब पज्जुवासित्तए अहासुहं देवाणुपिया मा पडिबंधं करेहि तए णं सुदंसणं समणोवासए अएण मालागारेणं सद्धिं जेणेव गुणसिलए चेइए जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छिता अञ्जुणएणं मालागारेणं सद्धि समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ वंदइ नमसइ जाव पजुवासइ तए णं सपणे भगवं महावीरे सुदंसणस्स समणोवासगस्स अनुनयस्स पालागारम्स तीसे य धप्पमाइक्खइ सुदंसणे पडिगए तए णं से अज्जुणए मालागारे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्मं सोचा निसम्म हट्ट तुट्टे जाव एवं वयासी सद्दहामि णं भंते निग्गंथं पावचणं जाव अय्युद्वेमि णं भंते निग्गंधं पाचयणं अहासुहं देवाणुप्पिया मा पडिबंधं करेहि तए णं से अजुणए मालागारे उत्तर [ पुरत्थिमं दिसीभागं अवक्कमइ अवक्कमित्ता ] सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ करेत्ता जाव अणगारे जाए से णं वासीचंदणकप्पे समतिणमणि-लेट्ठकुंचणे समसुहदुक्खे इहलोग-परलोग अप्पडिवद्धे जिविय-मरण-निरवकंखे संसारपारगामी कम्पनिग्धायणट्टाए एवं च णं विहरइ तए णं से अजुणए अणगारे जं चैव दिवस मुंडे जाव पव्वइए तं चैव दिवसं समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता इयं एयारूवं अभिग्राहं गेहइ-कप्पइ मे जावजीवाए छछड्डेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं अप्पाणं भावेमाणस्स विहरित्ताए ति कट्टु अयमेयारूवं अभिहं ओगेहइ ओगेण्हित्ता जावजीवाए जाव विहरइ तए णं से अजुणए अणगारे छट्टक्खमणपारणयंसि पढमाए पोरिसीए सज्झायं करेइ जहा गोयमसामी जाव अडइ तए णं तं अजुणयं अणगारं रायगिहे नचरे उच्च [नीय-मज्झिमाई कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए] अडमाणं बहवे इत्थीओ य पुरिसा य इहरा य महल्ला य जुवाणा य एवं व्यासी-इमेण मे पिता मारिए इमेण मे माता मारिया इमेण मे भावा भगिणी मज्जा पुत्ते धूया सुण्हा मारिया इमेण मे अण्णयरे सयण-संबंधिपरियणे मारिए ति कट्टु अप्पेगइया अक्कोसंति अप्पेगइया हीलंति निंदंति गरिहंति तज्रंति तालेति तए णं से अज्जुणए अणगारे तेहिं बहूहिं इत्थीहि पुरिसेहि य डहरपेहि य महल्लेहि य For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42