Book Title: Agam 08 Antgadadasao Angsutt 08 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 17
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org १२ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अंतगडदसाओ ३/८/१३ तुयट्टइ तर भुंजइ तए भासइ तए उढाए उट्ठाय पाणेहिं भूएहिं जीवेहिं सत्तेहिं संजमेणं] संजमइ तए णं से सुकुमाले अणगारे जाए- इरियासमिए जाव गुत्तबंभयारी तए णं से गयसुकुमाले जं चेव दिवसं पव्वइए तस्सेव दिवसस्य पञ्चावरण्हकालसमयंसि जेणेव अरहा अरिङनेमी तेणेच उवागच्छइ उवागच्छित्ता अहं अरिट्ठनेमिं तिक्खुतो आयाहिण-पयाहिणं करेइ करेत्ता वंदइ नमसइ वंदित्ता नमसित्ता एवं वयासी- इच्छामि णं भंते तुमेहिं अब्भणुण्णाए समाणे महाकालंसि सुसाणंसि एगराइयं महापडिमं उवसंपजित्ता णं विहरितए अहासुहं देवाणुपिया मा पडिबंधं करेहि तए णं से गयसुकुमाले अणगारे अरहया अरिट्ठनेमिणा अब्भणुण्णाए समाणे अहं अरिट्ठनेमिं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमसित्ता अरहओ अरिट्ठनेमिस्स अंतिए सहसंबवणाओ उज्जाणाओ पडिणिक्खमइ पडिणिक्खिमित्ता जेणेव महाकाले सुसाणे तेणेव उवागए उवागच्छित्ता थंडिल्लं पडिलेहेइ पडिलेहेता उच्चारपासवणभूमिं पडिलेहइ पडिलेहेत्ता ईसिप भारगएणं कारणं जाव दो वि पाए साह एगराई महापडिमं उवसंपञ्चित्ता णं विहरइ इमं च णं सोमिले माहणे सामिधेयस्स अड्डाए बारवईओ नयरीओ बहिया पुच्वणिग्गए समिहाओ य द य कुसे य पत्तामोडं य गेण्हड़ गेण्हित्ता तओ पडिणियत्तइ पडिणियत्तित्ता महाकालस्स सुसाणस्स अदूरसामंतेणं वीईवयमाणे- बीईवयमाणे संझाकालसमयंसि पविरलमणुस्संसि गयसुकुमालं अणगारं पासइ पासित्ता तं वेरं सरइ सरित्ता आसुरुत्ते रूद्रे कुविए चंडिक्किए पिसिमिसेमाणे एवं बबासी- एस णं भो से गयसुकुमाले कुमारे अपत्थिय जाव परिवज्जिए जेणं मम धूर्य सोमसिरीए भारियाए अत्तयं सोमं दारियं अदिदोसपत्तियं कालवत्तिणिं विप्पजहेत्ता मुंडे जाव पव्यइए तं सेयं खलु मम गयसुकुमालस्स कुमारस्स वेरनिज्जायणं करेत्तए - एवं संपेहेइ संपेता दिसापडिलेहणं करेइ करेत्ता सरसं मट्टियं गेण्हइ गेण्हित्ता जेणेव गयसुकुमाले अणगारे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता गयसुकुमालस्स अगस्त मत्थए मट्टियाए पालि बंधइ बंधिता जलतीओ चिययाओ फुल्लियकिंसुसमाणे खइरिंगाले कहल्लेणं गेण्हइ गेण्हित्ता गयसुकुमालस्स अणगारस्स मत्थए पक्खिव पक्खिवित्ता भीए तत्थ तसिए उचिगे संजाय भए तओ खिप्पामेव अवक्कमइ अवक्कमित्ता जामेय दिसं पाउब्यूए तामेव दिसं पडिगए तए णं तस्स गवसुकुमालस्स अणगारस्स सरीरयंसि वेयणा पाउडभूया - उज्जला जाव दुरहियाला तए णं से गयसुकुमाले अणगारे सोमिलस्स माहणस्स मणसा वि अप्पदुस्समाणे तं उज्जलं जाव दुरहियासं वेयणं अहियासेइ तए णं तस्स गयुकुमालस्स अणगारस्स तं उज्जलं जाव दुरहियासं बेयणं अहियासेमाणस्स सुभेणं परिणामेभं पसत्थज्झवसागेणं तदावरणिजाणं कम्माणं खएणं कम्मरयबिकिरणकर अपुव्वकरणं अनुष्पविट्ठस्स अनंते अनुत्त जाव केवलवरनाणदंसणे समुप्पत्रे तओ पच्चा सिद्धे जाव सव्वक्खष्पहीणे तत्य णं अहासंनिहिएहिं देवेहिं सम्म आराहिए त्ति कट्टु दिव्वे सुरभिगंधोदए बुट्टे दसद्धवण्णे कुसुमे निवाडिए चेलुक्खेवे कए दिव्वे य गीयगंधव्वणिणाए कए यावि होत्या तए णं से कण्हे वासुदेवे कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाब उट्ठियम्मि सूरे जाव बारवई नयरिं मज्झंमज्झेणं जेणेव अरहा अरिट्ठनेमी तेणेव पहारेत्य गमणाए तए णं से कण्हे वासुदेवे बारवईए नयरीए मझंमज्झेणं निग्गच्छमाणे एकूकं पुरिसं जुण्णं जरा उज्जरिय-देहं [ आउरं झूसियं पिवासियं दुब्बलं | किलंतं महइमहालयाओ इट्टगरासीओ एगमेगं इट्टगं गहाय बहिया रत्थापहाओ अंतोगिहं अनुप्यविसमाणं पासइ तए णं से कण्हे वासुदेवे तरस पुरिसस्स अनुकंपणट्ठाए हत्थिखंधवरगए चेव एवं इट्टगं गेव्हड् गेण्हित्ता बहिया For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42