Book Title: Agam 07 Upasakdasha Sutra Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar
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आगम सूत्र ७, अंगसूत्र-७, 'उपासकदशा'
अध्ययन/ सूत्रांक शुद्ध तथा सभा योग्य मांगलिक वस्त्र भली-भाँति पहने, अपने घर से नीकलकर चम्पा नगरी के बीच से गुझरा, जहाँ पूर्णभद्र चैत्य था, शंख श्रावक की तरह आया । आकर पर्युपासना की । श्रमण भगवान महावीर ने श्रमणोपासक कामदेव तथा परीषद् को धर्म-देशना दी। सूत्र - २७
श्रमण भगवान महावीर ने कामदेव से कहा-कामदेव ! आधी रात के समय एक देव तुम्हारे सामने प्रकट हुआ था । उस देव ने एक विकराल पिशाच का रूप धारण किया । वैसा कर, अत्यन्त क्रुद्ध हो, उसने तलवार नीकालकर तुमसे कहा-कामदेव ! यदि तुम अपने शील आदि व्रत भग्न नहीं करोगे तो जीवन से पृथक् कर दिए जाओगे । उस देव द्वारा यों कहे जाने पर भी तुम निर्भय भाव से उपासनारत रहे । कामदेव क्या यह ठीक है ? भगवन ! ऐसा ही हआ। भगवान महावीर ने बहत से श्रमणों और श्रमणियों को संबोधित कर कहा-आर्यो ! यदि श्रमणापासक गृही घर में रहते हुए भी देवकृत, मनुष्यकृत, तिर्यञ्चकृत-उपसर्गों को भली-भाँति सहन करते हैं तो आर्यो! द्वादशांग-रूप गणिपिटक का अध्ययन करने वाले श्रमण निर्ग्रन्थों द्वारा उपसर्गों को सहन करना शक्य है ही श्रमण भगवान महावीर का यह कथन उन बहु-संख्यक साधु-साध्वीओं ने ऐसा ही है भगवन् !' यों कह कर विनयपूर्वक स्वीकार किया । श्रमणोपासक कामदेव अत्यन्त प्रसन्न हुआ, उसने श्रमण भगवान महावीर से प्रश्न पूछे, समाधान प्राप्त किया । श्रमण भगवान महावीर को तीन बार वंदन-नमस्कार कर, जिस दिशा से वह आया था, उसी दिशा की ओर लौट गया । श्रमण भगवान महावीर ने एक दिन चम्पा से प्रस्थान किया । प्रस्थान कर वे अन्य जनपदों में विहार कर गए। सूत्र - २८
तत्पश्चात् श्रमणोपासक कामदेव ने पहली उपासकप्रतिमा की आराधना स्वीकार की । श्रमणोपासक कामदेव ने अणुव्रत द्वारा आत्मा को भावित किया । बीस वर्ष तक श्रमणोपासकपर्याय-पालन किया । ग्यारह उपासक-प्रतिमाओं का भली-भाँति अनुसरण किया । एक मास की संलेखना और एक मास का अनशन सम्पन्न कर आलोचना, प्रतिक्रमण कर मरण-काल आने पर समाधिपूर्वक देह-त्याग किया । वह सौधर्म देवलोक में सौधर्मा वतंसक महाविमान के ईशान-कोण में स्थित अरुणाभ विमान में देवरूप में उत्पन्न हुआ। वहाँ अनेक देवों की आयु चार पल्योपम की होती है । कामदेव की आयु भी देवरूप में चार पल्योपम की बतलाई गई है । गौतम ने भगवान महावीर से पछा-भन्ते ! कामदेव उस देव-लोक से आय, भव एवं स्थिति के क्षय होने पर देव-शरीर का त्याग कर कहाँ जाएगा? कहाँ उत्पन्न होगा? गौतम ! कामदेव महाविदेह-क्षेत्र में सिद्ध होगा-मोक्ष प्राप्त करेगा।
अध्ययन-२ का मुनि दीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण
मुनि दीपरत्नसागर कृत् " (उपासकदशा) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद"
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