Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission

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Page 25
________________ उपासकदसांग सूत्र अज्जो ! त्ति समणे भगवं महावीरे बहवे समणे णिग्गंथे य णिग्गंथीओ य आमंतेत्ता एवं वयासी-जइ ताव, अज्जो ! समणोवासगा, गिहिणो, गिहमज्झावसंता दिव्व-माणुसतिरिक्खजोणिए उवसग्गे सम्म सहति खमंति, तितिक्खंति अहियासेंति, सक्का पणाई, अज्जो ! समणेहिं णिग्गंथेहिं दुवालसंगं गणिपिडगं अहिज्जमाणेहिं दिव्व-माणुसतिरिक्खजोणिए उवसग्गे सम्म सहित्तए खमित्तए, तितिक्खित्तए अहियासित्तए | तओ ते बहवे समणा णिग्गंथा य णिग्गंथीओ य समणस्स भगवओ महावीरस्स तह त्ति एयमद्वं विणएणं पडिसुणेत्ति । तए णं कामदेवे समणोवासए हट्ठ जाव समणं भगवं महावीरं पसिणाई पुच्छइ, अट्ठमादियइ। समणं भगवं महावीरं वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता जामेव दिसं पाउब्भए, तामेव दिसं पडिगए । तए णं समणे भगवं महावीरे अण्णया कयाइ चंपाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता बहिया जणवय-विहारं विहरइ । तए णं कामदेवे समणोवासए पढमं उवासग-पडिमं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ । जाव एक्कारसमं उवासगपडिमं सम्मं आराहेइ, एवं जहा आणंदे जाव भत्तपाण- पडियाइक्खिए कालं अणवकंखमाणे विहरइ । तए णं से कामदेवे समणोवासए बहूहिं सीलव्वय-गुण-वेरमण-पच्चक्खाण- पोसहववासेहिं अप्पाणं भावेत्ता वीसं वासाइं समणोवासगपरियागं पाउणित्ता, एक्कारस उवासगपडिमाओ सम्म कारणं फासेत्ता, मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झूसित्ता, सद्धिं भत्ताई अणसणाए छेदेत्ता, आलोइयपडिक्कंते, समाहिपत्ते, कालमासे कालं किच्चा, सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडिंसयस्स महाविमाणस्स उत्तरपुरत्थिमेणं अरुणाभे विमाणे देवत्ताए उववण्णे। तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं चत्तारि पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता | कामदेवस्स वि देवस्स चत्तारि पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता । से णं भंते ! कामदेवे ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता, कहिं गमिहिइ, कहिं उववज्जिहिइ ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ । णिक्खेवो जहा पढमस्स | || बीअं अज्झयणं समत्त || 20

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