Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission

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Page 32
________________ w [] W [6][] ज उपासकदसांग सूत्र सेसं जहा चुलणीपियस्स जाव सोहम्मे कप्पे अरुणसिद्धे विमाणे उववण्णे । चत्तारि ओवमा ठ | से णं भंते ! चुल्लसयए ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं, भवक्खएणं, ठिइक्खणं अनंतरं चयं चइता कहिं गमिहिइ ? कहिं उववज्जिहिइ ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ । णिक्खेवो जहा पढमस्स । ॥ पंचमं अज्झयणं समत्त ॥ छट्ठे अज्झयणं कुंडकोलिए छट्ठस्स उक्खेवओ । एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं कंपिल्लपुरे णयरे सहस्संबवणे उज्जाणे । जियसत्तू राया । कुंडकोलिए गाहावई । पूसा भारिया । छ हिरणक णिहाणपउत्ताओ, छ वुड्ढपउत्ताओ, छ पवित्थरपउत्ताओ, छ वया, दस गोसाहस्सिएणं aणं । सामी समोसढे । जहा कामदेवो तहा सावयधम्मं पडिवज्जइ । सा चेव वत्तव्वया जाव पडिलाभेमाणे विहरइ तए णं से कुण्डकोलिए समणोवासए अण्णया कयाई पुव्वावरण्ह-कालसमयंसि जेणेव असोगवणिया, जेणेव पुढवि-सिला-पट्टए, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता णाममुद्दगं च उत्तरिज्जगं च पुढविसिला - पट्टए ठवेइ, ठवेत्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स [अंतियं] धम्मपणत्तिं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ । तए णं तस्स कुंडकोलियस्स समणोवासयस्स अंतिए एगे देवे पाउब्भवित्था । तणं से देवे णाममुद्दगं च उत्तरिज्जगं च पुढविसिला-पट्टयाओ गेण्हइ, गेण्हित्ता अंतलिक्ख-पडिवणे जाव कुंडकोलियं समणोवासयं एवं वयासी- हं भो कुंडकोलिया समणोवासया ! सुंदरी णं देवाणुप्पिया ! गोसालस्स मंखलीपुत्तस्स धम्मपण्णत्ती- णत्थि उट्ठाणे इ वा, कम्मे इ वा, बले इ वा, वीरिए इ वा, पुरिसक्कार- परक्कमे इ वा, णियया सव्वभावा, मंगुली णं समणस्स भगवओ महावीरस्स धम्मपण्णत्ती- अत्थि उट्ठाणे इ वा, कम्मे इ वा, बले इ वा, वीरिए इ वा, पुरिसक्कार परक्कमे इ वा, अणियया सव्वभावा । तए णं से कुंडकोलिए समणोवासए तं देवं एवं वयासी- जइ णं देवा ! सुंदरी गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स धम्मपण्णत्ती- णत्थि उट्ठाणे इ वा कम्मे इ वा, बले इ वा, वीरिए इ वा, 27

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