Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission

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Page 47
________________ उपासकदसांग सूत्र तए णं से भगवं गोयमे समणस्स भगवओ महावीरस्स तहत्ति एयमÉ विणएणं पडिसणेइ, पडिसुणेत्ता तओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता रायगिहं णयरं मज्झं-मज्झेणं अणुप्पविसइ, अणुप्पविसित्ता जेणेव महासयगस्स समणोवासयस्स गिहे, जेणेव महासयए समणोवासए, तेणेव उवागच्छइ । तए णं से महासयए समणोवासए भगवं गोयम एज्जमाणं पासइ, पासित्ता हट्ट जाव हियए भगवं गोयमं वंदइ णमंसइ । तए णं से भगवं गोयमे महासययं समणोवासयं एवं वयासी- एवं ख गुप्पिया! समणे भगवं महावीरे एवमाइक्खइ भासइ पण्णवेइ परूवेइ, णो खल कप्पइ देवाणुप्पिया! समणोवासगस्स अपच्छिम जाव मारणंतिय-संलेहणा-झूसणा-झूसियस्स भत्त-पाणपडियाइक्खियस्स परो संतेहिं, तच्चेहि, तहिएहिं, सब्भूएहिं, अणिटेहिं, अकंतेहिं, अप्पिएहिं, अमणुण्णेहिं, अमणामेहिं वागरणेहिं वागरित्तए | तुमे णं देवाणुप्पिया! रेवई गाहावइणी संतेहिं जाव वागरिया, तं गं तुमं देवाणुप्पिया ! एयस्स ठाणस्स आलोएहि जाव पडिवज्जाहि । तए णं से महासयए समणोवासए भगवओ गोयमस्स तहत्ति एयमटुं विणएणं पडिसणेइ, पडिसुणेत्ता तस्स ठाणस्स आलोएइ जाव अहारिहं च पायच्छित्तं पडिवज्जइ । तए णं भगवं गोयमे महासयगस्स समणोवासयस्स अंतियाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता रायगिहं णयरं मज्झं-मज्झेणं णिग्गच्छड, णिग्गच्छित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे, तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । तए णं समणे भगवं महावीरे अण्णया कयाइ रायगिहाओ णयराओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता बहिया जणवय विहारं विहरइ । तए णं से महासयए समणोवासए बहूहिँ सील जाव भावेत्ता वीसं वासाइं समणोवासगपरियायं पाउणित्ता, एक्कारस उवासगपडिमाओ सम्म कारण फासित्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झुसित्ता, सद्धिं भत्ताई अणसणाए छेदेत्ता, आलोइय- पडिक्कते समाहिपत्ते कालंमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे अरुणवडिसए विमाणे देवत्ताए उववण्णे | चत्तारि पलिओवमाइं ठिई । महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ । णिक्खेवो जहा पढमस्स | || अट्ठमं अज्झयणं समत्त ||

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