Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ II SHREE VITRAAGAAYA NAMAH II UPPANEINA VIGAMEÏNA DHUVEÏNA उपासकदशांग सुत्तं UPĀSAKADAŚĀNGA SŪTRA Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचम गणधर सिरि सुहम्मसामी विरइयं उवासगदसाओ उपासकदसांग सुत्तं UPĀSAKADAŠĀNGA SŪTRA मूल पाठ Ardhamāgadhi Aphorisms अंग आगम - ७ 7th ANGA AGAMA Bhagwan Mahāvīra's Precepts Sūtra First Composed By Fifth Gaṇadhara ŚRĪ SUDHARMA SWĀMĪ Vallabhi Council (Synod) Chair DEVARDDHIGANI KṢAMASRAMANA Published By GLOBAL JAIN AAGAM MISSION Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उबासगदसाओ उपासकदसांग सुत्तं UPĀSAKADAŠĀNGA SŪTRA First eBook Edition (PDF)-2012 Source of Ardhamägadhi Aphorisms: GURUPRAN AAGAM BATRISI (Aagam Series) (Gujarati 2nd Edition, 2009) Published on the Occasion of 100th Birth Anniversary of SAURASHTRA KESHARI GURUDEV PUJYA SHREE PRANLALJI M. S. Text in "Mangal (Unicode)" Font Published By: GLOBAL JAIN AAGAM MISSION C/o. Pawandham, Mahavir Nagar, Kandivali (W), Mumbai - 400 067 Tel.: +91 92233 14335, e-mail: info@jainaagam.org www.jainaagam.org / www.parasdham.org Computer Source files can be made available for appropriate scholarly use, Please contact in writing at the email/phone contacts listed above. Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Rashtra Sant Yug Diwakar Pujya Gurudev NamraMuni M.S. Inspired GLOBAL JAIN AAGAM MISSION Promoting Compassionate and Nonviolent Living MISSION: Global Jain Aagam Mission promotes the eternal truths of Jain Agama (precepts of Lord Mahāvīra) to build a compassionate and nonviolent lifestyle in the world. GOALS AND OBJECTIVES: • Translate all Jain Agamas (scriptures) into English and other world languages • Make Agamas available in all electronic forms • Promote awareness of Āgama throughout the world • Educate and uphold Jain way of life using expertise of social media • Promote a compassionate and nonviolent lifestyle throughout the world • Encourage and promote research on Agamas to develop approaches to the world challenges (ecology & environment, global warming, world peace, psychology, health, scientific principles, etc.) • Hold periodic conventions to promote exchanges among world's scholars • Interface with interreligious organizations and other guiding institutions • Be a resource for information and referral • Work co-operatively with local, regional, national, and global organizations TRANSLATION OF JAIN AAGAMAS INTO ENGLISH: The Global Jain Aagam Mission has embarked on a project to translate and publish all Jain Agamas into English. The English translation of the Agama will help youth of today in India and abroad to learn and understand Lord Mahāvīra's preachings. The goal is to reach every household and every person in the world to impart the wisdom of the Agamas. In a non-sectarian way, this Mission will endeavor to deliver the Lord Mahāvīra's message to hearts of the people. The translated Agamas will be distributed to various libraries, universities and Jain institutions within our country and abroad. In addition, it will be made available on the Internet and in electronic forms of eBooks, etc. Many learned intellectuals from different countries and cultures have supported this project of translating the Agama's into English. The work is being performed in cities of Mumbai, Ahmedabad, Bangalore, Shravanbelgola, Delhi, Jaipur, Chennai, Kolkata, Banaras, Ladnu, Dubaii, and USA. In addition, this mission is receiving guidance and blessings from spiritual leaders of various religious traditions. INVITATION TO PARTICIPATE: We invite scholars, spiritual aspirants and shrāvaks to join us in making this mission a success. Your contribution of knowledge, time, and money will be appreciated. Please contact by email at info@jainaagam.org or by phone to: Girish Shah at Tel. +91-92233-14335 or Gunvant Barvalia at Tel. +91-98202-15542 Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं अज्झयणं. आणंदे बीअं अज्झयणं, कामदेवे तइअं अज्झयणं. चुलणीपिया... चउत्यै अज्झयणं सुरादेवे... पंचम अज्झयणं.. चुल्लसयए. छ अज्झयणं.... कुंडकोलिए. सत्तमं अज्झयणं.. सद्दालपुत्ते. अमं अज्झयणं. उपासकदसांग सूत्र विषय सूची Table of Content महासयए.. णवमं अज्झयणं.. णंदिणीपिया. दसमं अज्झयणं सालिहीपिया परिसेसो... ॥ उवासगदसांग सुत्तं समत्तं ॥ ... - 1 15 15 .21 21 2 2 2 2 2 2 2 24 24 26 .27 27 29 38 38 43 43 43 43 44 44 Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपासकदसांग सूत्र पढमं अज्झयणं आणंदे | - ल |ब्द तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा णामं णयरी होत्था | वण्णओ | पुण्णभद्दे चेइए। वण्णओ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी अज्ज सुहम्मे णाम थेरे जाइ संपण्णे जाव संखित्त-विउल-तेउलेस्से चउद्दसपुव्वी, चउणाणोवगए, पंचहि अणगार सएहिं सद्धिं संपरिवुडे, पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे, सुहं सुहेणं विहरमाणे जेणेव चंपा णयरी जेणेव पुण्णभद्दे चेइए तेणेव उवागच्छइ | चंपा गयरीए बहिया पुण्णभद्दे चेइए अहापडिरूवं ओग्गहं ओगिण्हइ, ओगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ। तेणं कालेणं तेणं समएणं अज्ज सुहम्मस्स थेरस्स जेट्टे अंतेवासी अज्ज जंबू णामं अणगारे कासव गोत्तेणं सत्तुस्सेहे, समचउरंस-संठाण-संठिए, वइर-रिसह- णाराय- संघयणे जाव संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । तए णं से अज्ज जंबू णामं अणगारे जायसड्ढे, जायसंसए, जायकोऊहल्ले; उप्पण्णसड्ढे, उप्पण्णसंसए, उप्पण्णकोऊहल्ले; संजायसड्ढे, संजायसंसए, संजाय कोऊहल्ले; समुप्पण्णसड्ढे, समुप्पण्णसंसए, समुप्पण्णकोऊहल्ले उट्ठाए उढेइ, उद्वेत्ता जेणेव अज्जसुहम्मे थेरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छिता अज्जसुहम्मं थेरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ, करेत्ता, वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता पच्चासण्णे णाइदूरे सुस्सूसमाणे णमंसमाणे अभिमुहे विणएणं पंजलिउडे पज्जुवासमाणे एवं वयासीजइ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं आइगरेणं, तित्थयरेणं, सयं संबद्धणं, पुरिसुत्तमेणं, पुरिससीहेणं, पुरिसवरपुंडरीएणं, पुरिसवरगंधहत्थिणा, लोगुत्तमेणं, लोगणाहेणं, लोगहिएणं, लोगपईवेणं, लोग-पज्जोयगरेणं, अभयदएणं, चक्खुदएणं, मग्गदएणं, सरणदएणं, जीवदएणं, बोहिदएणं, धम्मदएणं, धम्मदेसएणं, धम्मणायगेणं, धम्मसारहिणा, धम्म वर-चाउरंत-चक्कवट्टिणा, दीवोताणं-सरण-गई-पइट्ठाणेणं, अप्पडियहयवरणाणदंसणधरेणं, वियदृछउमेणं, जिणेणं, जावएणं, तिण्णेणं, तारएणं, बुद्धेणं, बोहएणं मत्तेणं, मोयगेणं, सव्वण्णेणं सव्वदरिसिणा, सिव-मयल- मरुय- मणंत-मक्खय- मव्वाबाह मपणरावत्तयं सिद्धिगइ-णामधेय ठाणं संपत्तेणं, छट्ठस्स अंगस्स णायाधम्मकहाणं अयमद्वे Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपासकदसांग सूत्र | छ पण्णत्ते, सत्तमस्स णं भंते ! अंगस्स उवासगदसाणं समणेणं जाव संपत्तेणं के अटे पण्णत्ते ? एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं सत्तमस्स अंगस्स उवासगदसाणं दस अज्झयणा पण्णत्ता । तं जहाआणंदे कामदेवे य, गाहावइ चुलणीपिया । सुरादेवे चुल्लसयए, गाहावइ कुंडकोलिए | सद्दालपुत्ते महासयए, णंदिणीपिया सालिहीपिया || जइ णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं सत्तमस्स अंगस्स उवासगदसाणं दस अज्झयणा पण्णत्ता, पढमस्स णं भंते ! अज्झयणस्स समणेणं जाव संपत्तेणं के अटे पण्णत्ते ? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणियगामे णामं णयरे होत्था । वण्णओ । तस्स वाणियगामस्स बहिया उत्तरपरत्थिमे दिसिभाए दइपलासए णामं चेहए | वण्णओ। तत्थ णं वाणियगामे णयरे जियसत्तू राया होत्था | वण्णओ। तत्थ णं वाणियगामे आणंदे णामं गाहावई परिवसइ-अड़ढे दित्ते, वित्ते विच्छिण्ण-विउल-भवण-सयणासण-जाण-वाहणे, बहु-धण-जायरूव-रयए, आओग-पओग-संपउत्ते, विच्छड्डिय- पउर-भत्त-पाणे, बहु-दासीदास-गो-महिस-गवेलगप्पभूए बहुजणस्स अपरिभूए | तस्स णं आणंदस्स गाहावइस्स चत्तारि हिरण्णकोडीओ णिहाणपउत्ताओ, चत्तारि हिरणकोडीओ इढिपउत्ताओ; चत्तारि हिरण्णकोडीओ पवित्थरपउत्ताओ, चत्तारि वया दसगोसाहस्सिएणं वएणं होत्था । से णं आणंदे गाहावई बहूणं राईसर तलवर-माइंबिय-कोडुबिय-इब्भ-सेट्ठि- सेणावइ सत्थवाहाणं बहुसु कज्जेसु य कारणेसु य मंतेसु य कुटुंबेसु य गुज्झेसु य रहस्सेसु य णिच्छएसु य ववहारेसु य आपुच्छणिज्जे पडिपुच्छणिज्जे सयस्स वि य णं कुटुंबस्स मेढीभूए, पमाणभूए, आहारभूए, आलंबणभूए, चक्खुभूए सव्व-कज्ज-वड्ढावए यावि होत्था । तस्स णं आणंदस्स गाहावइस्स सिवाणंदा णामं भारिया होत्था- अहीण पडिपुण्ण- पंचिंदियसरीरा, लक्खण-वंजण-गुणोववेया, माणुम्माणप्पमाण-पडिपुण्ण- सुजाय- सव्वंगसुंदरंगी, ससि-सोमाकार-कंत-पिय-दंसणा सुरूवा | आणंदस्स गाहावइस्स इट्ठा, आणंदेणं गाहावइणा सद्धिं अणुरत्ता, अविरत्ता इढे सद्द-फरिस-रस-रूव-गंधे पंचविहे माणुस्सए कामभोए पच्चणुभवमाणी विहरइ । तस्स णं वाणियगामस्स णयरस्स बहिया उत्तरपुरत्थिमे दिसीभाए एत्थ णं कोल्लाए णामं सण्णिवेसे होत्था। रिद्धिस्थिमिय-समिद्धे जाव पासाईए, दरिसणिज्जे, अभिरूवे, पडिरूवे | १० Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपासकदसांग सूत्र तत्थ णं कोल्लाग-सण्णिवेसे आणंदस्स गाहावइस्स बहवे मित्त-णाइ - णियग-सयण- संबंधिपरिजणे परिवसइ, अड्ढे जाव अपरिभू । तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे आइगरे जाव सिद्धिगइ णामधेयं ठाणं संपाविउकामे, अरहा जिणे केवली सत्त हत्थुस्सेहे, समचउरंस संठाण-संठिए, वज्जरिसहणाराय संघयणे, अणुलोम वाउवेगे जाव पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे गामाणुगामं दुइज्माणे सुहंसुहेणं विहरमाणे वाणियगाम णयरस्स बहिया दुइपलासए चेइए अहापडिरूवं ओग्गहं ओगिण्हिता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरए । परिसा णिग्गया। कूणिए राया जहा, तहा जियसत्तू राया वि णिग्गच्छइ णिग्गच्छित्ता जेणेव दूइपलासए चेइए, तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूरसामंते छत्ताईए तित्थयराइसेसे पासइ, पासित्ता आभिसेक्कं हत्थिरयणं ठवेइ, ठवेत्ता आभिसेक्काओ हत्थिरयणाओ पच्चोरुहइ, आभिसेक्काओ हत्थिरयणाओ पच्चोरुहित्ता, अवहट्टु पंच-राय- ककुहाई, तं जहा- खग्गं, छत्तं, उप्फेसं, वाहणाओ, बाल- वीयणं, जेणेव समणे भगवं महावीरे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं पंचविहेणं अभिगमेणं अभिगच्छइ, तं जहा- सच्चित्ताणं दव्वाणं विउसरणयाए, अच्चित्ताणं दव्वाणं विउसरणयाए, एगसाडियं उत्तरासंगं करणेणं, चक्खुफासे अंजलि पग्गहेणं, मणसो एगत्तभाव-करणेणं समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ, तिक्तो आयाहिणं पयाहिणं करेत्ता वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता तिविहाए पज्जुवासणाए पज्जुवासइ, तं जहा- काइयाए, वाइयाए, माणसियाए । काइयाए - ताव संकुइयग्गहत्थपाए, सुस्सूसमाणे णमंसमाणे अभिमुहे विणएणं पंजलिउडे पज्जुवासइ; वाइयाए-जं जं भगवं वागरेइ, तं तं एवमेयं भंते! तहमेयं भंते ! अवितहमेयं भंते! असंदिद्धमेयं भंते! इच्छियमेयं भंते! पडिच्छियमेयं भंते! इच्छिय-पडिच्छियमेयं भंते! से जहेयं तुब्भे वयह, अपडिकूलमाणे पज्जुवासइ; माणसियाए- महया संवेगं जणइत्ता तिव्व-धम्माणुरागरत्ते पज्जुवासइ । तणं से आणंदे गाहावई इमीसे कहाए लद्धट्ठे समाणे - एवं खलु समणे भगवं महावीरे जाव पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे गामाणुग्गामं दूइज्जमाणे इहमागए, इह संपत्ते, इह समोसढे, इहेव वाणियगामस्स णयरस्स बहिया दूइपलासए चेइए अहापडिरूवं ओग्गहं ओगिण्हित्ता संजणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ, तं महप्फलं खलु भो! देवाणुप्पिया ! तहारूवाणं अरहंताणं भगवंताणं णामगोयस्स वि सवणयाए, किमंग पुण अभिगमण-वंदण-णमंसणपडिपुच्छण- पज्जुवासणयाए; एगस्स वि आरियस्स धम्मियस्स सुवयणस्स सवणयाए, किमंग पुण विउलस्स अट्ठस्स गहणयाए ! तं गच्छामि णं देवाणुप्पिया ! समणं भगवं महावीरं वंदामि णमंसामि सक्कारेमि सम्माणेमि कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासामि, एवं संपेहेइ, संपेहित्ता हाए, सुद्धप्पावेसाई मंगलाई वत्थाइं पवर-परिहिए, 3 Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपासकदसांग सूत्र अप्पमहग्घाभरणालंकिय-सरीरे सयाओ गिहाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता सकोरेंटमल्ल-दामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं मणुस्स- वग्गुरा-परिक्खित्ते पायविहारचारेणं वाणियग्गामं णयरं मज्झं मज्झेणं णिग्गच्छइ, णिग्गच्छित्ता जेणामेव दूइपलासे चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छड़, उवागच्छित्ता तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ णमंसइ जाव पज्जुवासइ । |१४| तए णं समणे भगवं महावीरे आणंदस्स गाहावइस्स तीसे य महइ-महालियाए परिसाए जाव धम्म परिकहेइ | परिसा पडिगया | राया य गए | तए णं से आणंदे गाहावई समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्म सोच्चा णिसम्म हद्वत? चित्तमाणंदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवस-विसप्पमाणहियए उहाए उद्वेइ, उद्वेत्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासी- सद्दहामि णं भंते ! णिग्गंथं पावयणं, पत्तियामि णं भंते ! णिग्गंथं पावयणं,रोएमि णं, भंते ! णिग्गंथं पावयणं, एवमेयं भंते! तहमेय भंते ! अवितहमेयं भंते ! इच्छियमेयं भंते ! पडिच्छियमेयं भंते ! इच्छिय- पडिच्छियमेयं भंते! से जहेयं तुब्भे वयह त्ति कट्ट, जहा णं देवाणुप्पियाणं अंतिए बहवे राईसर-तलवर-मांडबियकोडुबिय -सेट्ठि -सेणावई -सत्थवाहप्पभिइया मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइया, णो खलु अहं तहा संचाएमि मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइत्तए । अहं गं देवाणुप्पियाणं अंतिए पंचाणुव्वइयं सत्त-सिक्खावइयं दुवालसविहं गिहिधम्म पडिवज्जिस्सामि । अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेह । तए णं से आणंदे गाहावई समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए तप्पढमयाए थूलगं पाणाइवायं पच्चक्खाइ, जावज्जीवाए दुविहं तिविहेणं, ण करेमि, ण कारवेमि, मणसा वयसा कायसा । तयाणंतरं च णं थूलगं मुसावायं पच्चक्खाइ, जावज्जीवाए दुविहं तिविहेणं ण करेमि ण कारवेमि, मणसा वयसा कायसा। तयाणंतरं च णं थूलगं अदिण्णादाणं पच्चक्खाइ, जावज्जीवाए दुविहं तिविहेणं, ण करेमि, ण कारवेमि, मणसा वयसा कायसा | तयाणंतरं च णं सदारसंतोसिए परिमाणं करेइ, णण्णत्थ एक्काए सिवाणंदाए भारियाए, अवसेसं सव्वं मेहणविहिं पच्चक्खामि | तयाणंतरं च णं इच्छा परिमाणं करेमाणे हिरण्ण-सुवण्णविहि-परिमाणं करेइ, णण्णत्थ चउहिं हिरण्णकोडीहिं णिहाणपउत्ताहिं, चउहिं वुढिपउत्ताहिं, चउहिं पवित्थर- पउत्ताहिं, अवसेसं सव्वं हिरण्णसुवण्णविहिं पच्चक्खामि | Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१ २३ २४ २५ |२६| ୮ २८ २९ ३० 38 ३२ २७ तयाणंतरं च णं फलविहिपरिमाणं करेइ । णण्णत्थ एगेणं खीरामलएणं, अवसेसं फलविहिं पच्चक्खामि | ३३ उपासकदसांग सूत्र ३४ तयाणंतरं च णं चउप्पयविहि परिमाणं करेइ, णण्णत्थ चउहिं वएहिं दस गोसाहस्सिएणं वएणं, अवसेसं सव्वं चउप्पयविहिं पच्चक्खामि | तयाणंतरं च णं खेत्तवत्थुविहि- परिमाणं करेइ, णण्णत्थ पंचहिं हल-सएहिं णियत्तण-सइएणं हलेणं अवसेसं सव्वं खेत्तवत्थुविहिं पच्चक्खामि । तयाणंतरं च णं सगडविहि- परिमाणं करेइ, णण्णत्थ पंचहिं सगडसएहिं दिसायत्तिएहिं, पंचहिं सगड-सएहिं, संवहणिएहिं अवसेसं सव्वं सगडविहिं पच्चक्खामि । तयाणंतरं च णं वाहणविहि- परिमाणं करेइ, णण्णत्थ चउहिं वाहणेहिं दिसायत्तिएहिं चउहिं वाहणेहिं संवहणिएहिं, अवसेसं सव्वं वाहणविहिं पच्चक्खामि । तयाणंतरं च णं उवभोग-परिभोगविहिं पच्चक्खाएमाणे, उल्लणियाविहि परिमाणं करेइ । णण्णत्थ एगाए गंधकासाईए, अवसेसं सव्वं उल्लणियाविहिं पच्चक्खामि | तयाणंतरं च णं दंतवणविहिपरिमाणं करेइ । णण्णत्थ एगेणं अल्ललट्ठीमहुएणं, अवसेसं दंतवणविहिं पच्चक्खामि | तयाणंतरं च णं अब्भंगणविहि परिमाणं करेइ । णण्णत्थ सयपाग-सहस्सपागेहिं तेल्लेहिं अवसेसं अब्भंगणविहिं पच्चक्खामि । तयाणंतरं च णं उव्वट्टणविहिपरिमाणं करेइ । णण्णत्थ एगेणं सुरहिणा गंधट्टएणं, अवसेसं उव्वट्टणविहिं पच्चक्खामि | तयाणंतरं च णं मज्जणविहिपरिमाणं करेइ । णण्णत्थ अट्ठहिं उट्टिएहिं उदगस्स घडेहिं अवसेसं मज्जणविहिं पच्चक्खामि । तयाणंतरं च णं वत्थविहिपरिमाणं करेइ । णणत्थ एगेणं खोमजुयलेणं, अवसेसं वत्थविहिं पच्चक्खामि । तयाणंतरं च णं विलेवणविहिपरिमाणं करेइ I णण्णत्थ अगरु-कुंकुमचंदणमादिएहिं अवसेसं विलेवणविहिं पच्चक्खामि । तयाणंतरं च णं पुप्फविहिपरिमाणं करेइ । णणत्थ एगेणं सुद्धपरमेणं, माल - कुसुम-दा वा अवसेसं पुप्फविहिं पच्चक्खामि । तयाणंतरं च णं आभरणविहिपरिमाणं करेइ । णण्णत्थ मट्ठ-कण्णेज्जएहिं णाममुद्दाए य, अवसेसं आभरणविहिं पच्चक्खामि । 5 Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपासकदसांग सूत्र तयाणंतरं च णं धूवणविहिपरिमाणं करेइ । णण्णत्थ अगरु-तुरुक्क-धूवमादिएहिं, अवसेसं धूवणविहिं पच्चक्खामि । तयाणंतरं च णं भोयणविहिपरिमाणं करेमाणे, पेज्जविहि परिमाणं करेइ। णण्णत्थ एगाए कट्ठपेज्जाए, अवसेसं पेज्जविहिं पच्चक्खामि | तयाणंतरं च णं भक्खणविहिपरिमाणं करेइ । णण्णत्थ एगेहिं घयपुण्णेहिं खंडखज्जएहिं वा, अवसेसं भक्खणविहिं पच्चक्खामि | तयाणंतरं च णं ओदणविहिपरिमाणं करेइ । णण्णत्थ कलमसालि-ओदणेणं, अवसेसं ओदणविहिं पच्चक्खामि | तयाणंतरं च णं सूवविहिपरिमाणं करेइ । णण्णत्थ कलायसूवेण वा, मुग्ग-मास- सूवेण वा। अवसेसं सूवविहिं पच्चक्खामि | तयाणंतरं च णं घयविहिपरिमाणं करेइ । णण्णत्थ सारइएणं गोघयमंडेणं । अवसेसं घयविहिं पच्चक्खामि | तयाणंतरं च णं सागविहिपरिमाणं करेइ । णंणत्थ वत्थुसाएण वा तुंबसाएण वा सुत्थियसाएण वा मंडुक्कियसाएण वा अवसेसं सागविहिं पच्चक्खामि | तयाणंतरं च णं माहरयविहि परिमाणं करेइ । णण्णत्थ एगेणं पालंकामाहरएणं, अवसेसं माहुरयविहिं पच्चक्खामि । तयाणंतरं च णं जेमणविहि परिमाणं करेइ । णण्णत्थ सेहंबदालियंबेहिं, अवसेसं जेमणविहिं पच्चक्खामि | तयाणंतरं च णं पाणियविहि परिमाणं करेइ । णण्णत्थ एगेणं अंतलिक्खोदएणं, अवसेसं पाणियविहिं पच्चक्खामि । तयाणंतरं च णं महवासविहि परिमाणं करेइ । णण्णत्थ पंचसोगंधिएणं तंबोलेणं, अवसेसं मुहवासविहिं पच्चक्खामि | तयाणंतरं च णं चउव्विहं अणट्ठादंडं पच्चक्खाइ, तं जहा- अवज्झाणायरियं पमायायरियं, हिंसप्पयाणं, पावकम्मोवएसे | आणंदा ! त्ति समणे भगवं महावीरे आणंदं समणोवासगं एवं वयासी- एवं खल आणंदा ! समणोवासएणं अभिगयजीवाजीवेणं जाव उवलद्धपुण्णपावेणं, आसव-संवर-णिज्जर- किरियाअहिगरण-बंध-मोक्ख-कुसलेणं, असहेज्जेणं, देवासुर-णाग-सुवण्ण जक्ख- रक्खस-किण्णरकिंपरिस-गरुल-गंधव्व-महोरगाइएहिं देवगणेहिं णिग्गंथाओ पावयणाओ अणइक्कमणिज्जेणं, Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपासकदसांग सूत्र सम्मत्तस्स पंच अइयारा पेयाला जाणियव्वा, ण समायरियव्वा, तं जहा- संका, कंखा, वितिगिच्छा, परपासंडपसंसा, परपासंडसंथवो। तयाणंतरं च णं थूलगस्स पाणाइवाय-वेरमणस्स समणोवासएणं पंच अइयारा पेयाला जाणियव्वा ण समायरियव्वा, तं जहा- बंधे, वहे, छविच्छेए, अइभारे, भत्तपाणवोच्छेए । तयाणंतरं च णं थूलगस्स मुसावाय-वेरमणस्स पंच अइयारा [पेयाला] जाणियव्वा ण समायरियव्वा, तं जहा- सहसब्भक्खाणे, रहसब्भक्खाणे, सदारमंतभेए, मोसोवएसे, कुडलेहकरणे । तयाणंतरं च णं थूलगस्स अदिण्णादाणवेरमणस्स पंच अइयारा पेयाला] जाणियव्वा ण समायरियव्वा, तं जहा- तेणाहडे, तक्करप्पओगे, विरुद्धरज्जाइक्कमे, कूडतुल्लकूडमाणे, तप्पडिरूवगववहारे । तयाणंतरं च णं सदारसंतोसिए पंच अइयारा [पेयाला] जाणियव्वा, ण समायरियव्वा, तं जहा- इत्तरियपरिग्गहियागमणे, अपरिग्गहियागमणे, अणंगकीडा, परविवाहकरणे, कामभोगतिव्वाभिलासे | तयाणंतरं च णं इच्छापरिमाणस्स समणोवासएणं पंच अइयारा [पेयाला] जाणियव्वा, ण समायरियव्वा, तं जहा- खेत्त-वत्थु-पमाणाइक्कमे, हिरण्ण-सुवण्ण- पमाणाइक्कमे दुपयचउप्पय-पमाणाइक्कमे, धण-धण्ण-पमाणाइक्कमे, कुविय- पमाणाइक्कमे । तयाणंतरं च णं दिसिव्वयस्स पंच अइयारा [पेयाला] जाणियव्वा, ण समायरियव्वा, तं जहा- उड्ढदिसि पमाणाइक्कमे, अहोदिसि पमाणाइक्कमे, तिरियदिसि पमाणाइक्कमे, खेत्तवुड्ढी, सइअंतरद्धा । तयाणंतरं च णं उवभोगपरिभोगे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा- भोयणओ य कम्मओ य। तत्थ णं भोयणओ समणोवासएणं पंच अइयारा पेयाला] जाणियव्वा ण समायरियव्वा, तं जहासचित्ताहारे, सचित्त-पडिबद्धाहारे, अपक्कोसहि-भक्खणया, दुपक्कोसहि-भक्खणया, तुच्छोसहि-भक्खणया; कम्मओ णं समणोवासएणं पण्णरस कम्मादाणाई जाणियव्वाइं, ण समायरियव्वाइं, तं जहा- इंगालकम्मे वणकम्मे, साडीकम्मे, भाडीकम्मे, फोडीकम्मे, दंतवाणिज्जे, लक्खवाणिज्जे, रसवाणिज्जे, विसवाणिज्जे, केसवाणिज्जे, जंतपीलणकम्मे, णिल्लंछणकम्मे, दवग्गिदावणया, सर-दह- तलाय-सोसणया, असइ-जण-पोसणया । तयाणंतरं च णं अणट्ठदंडवेरमणस्स समणोवासएणं पंच अइयारा पेयाला] जाणियव्वा, ण समायरियव्वा, तं जहा- कंदप्पे, कुक्कुइए, मोहरिए, संजुत्ताहिगरणे, उवभोगपरिभोगाइरित्ते। Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपासकदसांग सूत्र तयाणंतरं च णं सामाइयस्स समणोवासएणं पंच अइयारा पेयाला] जाणियव्वा, ण समायरियव्वा, तं जहा- मणदुप्पणिहाणे, वयदुप्पणिहाणे, कायदुप्पणिहाणे, सामाइयस्स सइअकरणया, सामाइयस्स अणवट्ठियस्स करणया । तयाणंतरं च णं देसावगासियस्स समणोवासएणं पंच अइयारा पेयाला] जाणियव्वा, ण समायरियव्वा, तं जहा- आणवणप्पओगे, पेसवणप्पओगे, सद्दाणुवाए, रूवाणुवाए, बहिया पोग्गलपक्खेवे | तयाणंतरं च णं पोसहोववासस्स समणोवासएणं पंच अइयारा पेयाला] जाणियव्वा, ण समायरियव्वा, तं जहा- अप्पडिलेहिय-दप्पडिलेहिय-सिज्जासंथारे, अप्पमज्जियदुप्पमज्जिय-सिज्जासंथारे, अप्पडिलेहिय-दुप्पडिलेहिय-उच्चारपासवणभूमी, अप्पमज्जिय दुप्पमज्जिय-उच्चारपासवणभूमी, पोसहोववासस्स सम्मं अणणुपालणया | तयाणंतरं च णं अहासंविभागस्स समणोवासएणं पंच अइयारा पेयाला] जाणियव्वा, ण समायरियव्वा, तं जहा- सचित्त-णिक्खेवणया, सचित्तपिहणया, कालाइक्कमे, परववएसे, मच्छरियाए | तयाणंतरं च णं अपच्छिम-मारणंतिय-संलेहणा-झूसणा आराहणाए पंच अइयारा [पेयाला] जाणियव्वा ण समायरियव्वा, तं जहा- इहलोगासंसप्पओगे, परलोगासंसप्पओगे, जीवियासंसप्पओगे, मरणासंसप्पओगे, कामभोगासंसप्पओगे । तए णं से आणंदे गाहावई समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए पंचाणुव्वइयं सत्तसिक्खावइयं वालसविहं सावगधम्म पडिवज्जइ, पडिवज्जित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासीणो खलु मे भंते ! कप्पड़ अज्जप्पभिई अण्णउत्थिए वा, अण्णउत्थियदेवयाणि वा, अण्णउत्थियपरिग्गहियाणि चेइयाइं वा, वंदित्तए वा णमंसित्तए वा, पव्विं अणालत्तेण आलवित्तए वा संलवित्तए वा, तेसिं असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा दाउं वा अणुप्पदाउं वा, णंणत्थ रायाभिओगेणं, गणाभिओगेणं, बलाभिओगेणं, देवयाभिओगेणं, गुरुणिग्गहेणं, वित्तिकंतारेणं। कप्पइ मे समणे णिग्गंथे फासुएणं एसणिज्जेणं असण-पाणखाइम-साइमेणं वत्थ-पडिग्गह-कंबल-पायपुञ्छणेणं, पीढ-फलग-सिज्जा-संथारएणं, ओसहभेसज्जेण य पडिलाभेमाणस्स विहरित्तए इमं एयारूवं अभिग्गहं अभिगिण्हइ, अभिगिण्हित्ता पसिणाई पुच्छइ, पुच्छित्ता अट्ठाई आदियइ, आदित्ता समणं भगवं महावीरं[तिक्खुत्तो] वंदइ णमंसइ वंदित्ता णमंसित्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियाओ दुइपलासाओ चेइयाओ पडिणिक्खमइ, Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपासकदसांग सूत्र पडिणिक्खमित्ता जेणेव वाणियग्गामे णयरे, जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सिवाणंदं भारियं एवं वयासीएवं खलु देवाणुप्पिए ! मए समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्मे णिसंते। से वि य धम्मे मे इच्छिए पडिच्छिए अभिरुइए, तं गच्छाहि णं तुम देवाणुप्पिए ! समणं भगवं महावीरं वंदाहि, णमंसाहि, सक्कारेहि, सम्माणेहि, कल्लाणं, मंगलं, देवयं, चेइयं पज्जुवासाहि, समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए पंचाणुव्वइयं सत्तसिक्खावइयं दुवालसविहं गिहिधम्म पडिवज्जाहि । तए णं सा सिवाणंदा भारिया आणंदेणं समणोवासएणं एवं वृत्ता समाणा हद्वतद्वा जाव चित्तमाणंदिया, पीइमणा, परमसोमणस्सिया, हरिसवसविसप्पमाणहियया करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्ट एवं सामि! ति आणंदस्स समणोवासगस्स एयमद्वं विणएणं पडिसणेइ । तए णं से आणंदे समणोवासए कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी- खिप्पामेव भो! देवाणुप्पिया! लहुकरणजुत्तजोइयं जाव धम्मियं जाणप्पवरं उवट्ठवेह, उवद्ववेत्ता मम एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह । तए णं ते कोडुबियपुरिसा आणंदेणं समणोवासएणं एवं वुत्ता समाणा हद्वतुट्ठा एवं सामि! त्ति आणाए विणएणं वयणं पडिसुणेइ, पडिसुणेत्ता खिप्पामेव लहुकरण- जुत्तजोइयं जाव धम्मियं जाणप्पवरं उवद्ववेत्ता तमाणत्तियं पच्चप्पिणंत्ति । तए णं सा सिवाणंदा भारिया बहाया जाव पज्जुवासइ । तए णं समणे भगवं महावीरे सिवाणंदाए तीसे य महइ महालियाए परिसाए जाव धम्म कहेइ। तए णं सा सिवाणंदा समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्म सोच्चा णिसम्म हट्ठ जाव गिहिधम्म पडिवज्जइ, पडिवज्जित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता तमेव धम्मियं जाणपवरं दुरुहइ दुरुहित्ता जामेव दिसं पाउब्भूया तामेव दिसं पडिगया । भंते! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासी- पहू णं भंते! आणंदे समणोवासए देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडे जाव पव्वइत्तए ? णो इणढे समढे, गोयमा ! आणंदे णं समणोवासए बहूई वासाई समणोवासग- परियायं पाउणिहिड, पाउणित्ता एक्कारस य उवासगपडिमाओ सम्मं कारणं फासित्ता मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसित्ता, सहि भत्ताइं अणसणाए छेदेत्ता, आलोइयपडिक्कते Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६९ ७० ७१ उपासकदसांग सूत्र समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे अरुणाभे विमाणे देवत्ताए उववज्जिहि । तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं चत्तारि पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता, तत्थ णं आणंदस्स वि समणोवासगस्स चत्तारि पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता । तणं समणे भगवं महावीरे अण्णया कयाइ वाणियगामाओ णयराओ दुइपलासाओ चेइयाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ । तए णं से आणंदे समणोवासए जाए अभिगयजीवाजीवे, उवलद्ध-पुण्णपावे, आसव- संवरणिज्जर-किरिया-अहिगरणं बंधमोक्खकुसले, असहेज्जे, देवासुरणागसुवण्ण- जक्ख- रक्खसकिण्णर - किंपुरिस गरुल-गंधव्व-महोरगाइएहिं देवगणेहिं णिग्गंथाओ पावयणाओ अणइक्कमणिज्जे, णिग्गंथे पावयणे णिस्संकिए, णिक्कंखिए, णिव्वितिगिच्छे, लद्धट्ठे, गहियट्ठे, पुच्छियट्ठे अभिगयट्ठे, विणिच्छियट्ठे अट्ठिमिंज पेमाणुरागरत्ते, अयमाउसो! णिग्गंथे पावयणे अट्ठे, अयं परमट्ठे; सेसे अणट्ठे, ऊसियफलिहे, अवंगुयदुवारे, चियत्तंतेउरपरघरदारप्पवेसे चाउद्दसट्ठमुद्दिट्ठपुण्णमासिणीसु पडिपुण्णं पोसहं सम्मं अणुपालेत्ता सम णिग्गंथे फासुय-एसणिज्जेणं असण- पाण- खाइम- साइमेणं वत्थ-पडिग्गह-कंबल- पायपुंछणेणं ओसहभेसज्जेणं पाडिहारिएण य पीढफलगसेज्जासंथारएणं पडिलाभेमाणे विहरइ । तए णं सा सिवाणंदा भारिया समणोवासिया जाया अभिगयजीवाजीवा जाव पडिलाभेमाणी विहरइ | तए णं तस्स आणंदस्स समणोवासगस्स उच्चावएहिं सीलव्वयगुणवेरमण- पच्चक्खाणपोसहोववासेहिं अप्पाणं भावेमाणस्स चोद्दस संवच्छराइं वीइक्कंताई । पण्णरसमस्स संवच्छरस्स अंतरा वट्टमाणस्स अण्णया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स इमेयारूवे अज्झत्थिए, चिंतिए, पत्थिए, मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था एवं खलु अहं वाणियगामे णयरे बहूणं राईसर जाव सयस्स वि य णं कुडुंबस्स जाव चक्खूभूए सव्वकज्ज वड्ढावए, तं एएणं वक्खेवेणं अहं नो संचाएमि समणस्स भगवओ महावीरस्स (अंतियं) धम्मपण्णत्तिं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए । तं सेयं खलु ममं कल्लं जाव (जहा पूरणो) जेट्ठपुत्तं कुडुंबे ठवेत्ता, तं मित्त णाइणियगसयणसंबंधिपरिजणं जेट्ठपुत्तं च आपुच्छित्ता, कोल्लाए सण्णिवेसे णायकुलंसि पोसहसालं पडिलेहित्ता, समणस्स भगव महावीरस्स (अंतियं) धम्मपण्णत्तिं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए । एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता कल्लं जाव जेट्ठपुत्तं सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी - एवं खलु पुत्ता ! अहं वाणियगामे बहूणं राईसर जाव एएणं वक्खेवेणं अहं णो संचाएमि समणस्स भगवओ महावीर (अंतियं) धम्मपण्णत्तिं उवसंपजित्ताणं विहरित्तए । तं सेयं खलु मम इदाणिं तुमं सस्स कुटुंबस्स मेढिं, पमाणं, आहारं, आलंबणं, चक्खुं ठवेत्ता तं मित्त-णाइ-णियग-सयण-संबंधि 10 Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपासकदसांग सूत्र परिजणं तुमं च आपुच्छित्ता कोल्लाए सण्णिवेसे णायकुलंसि पोसहसालं पडिलेहित्ता, समणस्स भगवओ महावीरस्स (अंतियं) धम्म- पण्णत्तिं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए | तए णं जेट्टपुत्ते आणंदस्स समणोवासगस्स तह त्ति एयमदं विणएणं पडिसुणेइ । तए णं से आणंदे समणोवासए जाव परिजणस्स पुरओ जेट्टपुत्तं कुटुंबे ठवेइ, ठवित्ता एवं वयासी- मा णं देवाणुप्पिया ! तुब्भे अज्जप्पभिई केइ ममं बहुसु कज्जेसु य कारणेसु मंतेसु य कुटुंबेसु य गुज्झेसु य रहस्सेसु य णिच्छएसु य ववहारेसु य आपुच्छउ वा, पडिपुच्छउ वा, ममं अट्ठाए असणं वा पाणं खाइमं वा साइमं उवक्खडेउ वा उवकरेउ वा । तए णं से आणंदे समणोवासए जेट्टपुत्तं मित्तणाइं जाव आपुच्छइ, आपुच्छित्ता सयाओ गिहाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता वाणियगामं णयरं मज्झं-मज्झेणं णिग्गच्छड़, णिग्गच्छित्ता, जेणेव कोल्लाए सण्णिवेसे, जेणेव णायकुले, जेणेव पोसहसाला, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पोसहसालं पमज्जइ, पमज्जिता उच्चारपासवणभूमि पडिलेहेइ, पडिलेहित्ता दब्भसंथारयं संथरइ, संथरेत्ता दब्भसंथारयं दुरुहइ, दुरुहित्ता पोसहसालाए पोसहिए दब्भसंथारोवगए समणस्स भगवओ महावीरस्स (अंतियं) धम्मपण्णत्तिं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ। तए णं से आणंदे समणोवासए पढम उवासगपडिम उवसंपज्जित्ताणं विहरड़ जाव पढमं उवासगपडिमं अहासत्तं, अहाकप्पं, अहामग्गं अहातच्च सम्म काएणं फासेड़, पालेड, सोहेइ, तीरेइ, कित्तेइ, आराहेइ । तए णं से आणंदे समणोवासए दोच्चं उवासगपडिमं, एवं तच्चं, चउत्थं, पंचम, छटुं, सत्तमं, अट्ठमं, णवमं, दसमं, एक्कारसमं, अहासुत्तं, अहाकप्पं, अहामग्गं, अहातच्चं सम्म कारणं फासेइ, पालेइ, सोहेइ, तीरेइ, कित्तेइ, आराहेइ । तए णं से आणंदे समणोवासए इमेणं एयारूवेणं उरालेणं, विउलेणं पयत्तेणं, पग्गहिएणं तवोकम्मेणं सुक्के लुक्खे, णिम्मसे, अद्विचम्मावणद्धे, किडिकिडियाभूए, किसे धमणिसंतए जाए । तए णं तस्स आणंदस्स समणोवासगस्स अण्णया कयाइ पुव्वरत्तावरत्त- कालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स अयं अज्झत्थिए- एवं इमेणं एयारूवेणं, उरालेणं, विउलेणं, पयत्तेणं, पग्गहिएणं तवोकम्मेणं सुक्के, लुक्खे, णिम्मसे, अट्ठिचम्मावणद्धे किडिकिडियाभूए, किसे, धमणिसंतए जाए । तं अत्थि ता मे उट्ठाणे, कम्मे, बले, वीरिए, परिसक्कार परक्कमे, सद्धा, धिई, संवेगे । तं जाव ता मे अत्थि उहाणे सद्धा धिई संवेगे, जाव य मे धम्मायरिए, धम्मोवएसए, समणे Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपासकदसांग सूत्र ८० तणं तस्स आणंदस्स समणोवासगस्स अण्णया कयाइ सुभेणं अज्झवसाणेणं, सुभेणं परिणामेणं, लेसाहिं विसुज्झमाणीहिं, तदावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमेणं ओहिणाणे समुप्पण्णे । पुरत्थिमे णं लवणसमुद्दे पंचजोयणसयाइं खेत्तं जाणइ पासइ, एवं दक्खिणेणं पच्चत्थिमेणं य, उत्तरे णं जाव चुल्लहिमवंतं वासहरपव्वयं जाणइ, पासइ, उड्ढं जाव सोहम्मं कप्पं जाणइ पासइ, अहे जाव इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए लोलुयच्चुयं [लोलुयं] णरयं चउरासीइ-वाससहस्सट्ठिइयं जाणइ पासइ । ८३ भगवं महावीरे जिणे सुहत्थी विहरइ, ताव ता मे सेयं कल्लं जाव जलते अपच्छिममारणंतिय-संलेहणा-झूसणा-झूसियस्स, भत्त-पाण-पडियाइक्खियस्स कालं अणवकंखमाणस्स विहरित्तए । एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता कल्लं जाव अपच्छिम- मारणंतिय संलेहणा- झूसणाझूसिए, भत्त- पाण- पडियाइक्खिए, कालं अणवकंखमाणे विहरइ । ८१ ते काणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे समोसरिए, परिसा णिग्गया जाव पडिगया। ८२ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जेट्ठे अंतेवासी इंदभूई णामं अणगारे जाव छट्ठ-छट्टेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । ८५ तणं से भगवं गोयमे छट्ठक्खमण-पारणगंसि पढमाए पोरिसीए सज्झायं करेड़, बिइयाए पोरिसीए झाणं झियाइं, तइयाए पोरिसीए अतुरियं अचवलं असंभंते मुहपत्तिं पडिलेहेइ, पडिलेहित्ता भायण-वत्थाइं पडिलेहेइ, पडिलेहित्ता भायणाइं पमज्जइ, पमज्जित्ता भायणाई उग्गाहेइ, उग्गाहित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सम भगवं महावीरं वंदइ, णमंसइ, वंदित्ता, णमंसित्ता एवं वयासी- इच्छामि णं भंते ! हिं अब्भणुण्णाए छट्ठक्खमणपारणगंसि वाणियगामे णयरे उच्च णीय-मज्झिमाइं कुलाई घर समुदाणस्स भिक्खायरियाए अडित्तए । अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेह । ८४ तए णं भगवं गोयमे समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भणुण्णाए समाणे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियाओ दूइपलासाओ चेइयाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता अतुरियमचवलमसंभंते जुगंतर - पलोयणाए दिट्ठीए पुरओ रियं सोहेमाणे जेणेव वाणियगा णयरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता वाणियगामे णयरे उच्च णीय-मज्झिमाइं कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडइ । तए णं से भगवं गोयमे वाणियगामे णयरे उच्च णीय-मज्झिमाइं कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडमाणे अहापज्जत्तं भत्तपाणं पडिग्गाहेइ, पडिग्गाहेत्ता वाणियगामाओ णयराओ पडिणिगच्छइ, पडिणिगच्छित्ता कोल्लागस्स सण्णिवेसस्स अदूरसामंतेणं वीईवयमाणे, बहुजणसद्दं णिसामेइ, बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खड़े एवं खलु 12 Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपासकदसांग सूत्र देवाणप्पिया ! समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी आणंदे णामं समणोवासए पोसहसालाए अपच्छिम मारणंतिय-संलेहणा-झूसणा-झूसिए, भत्तपाण-पडियाइक्खिए कालं अणवकंखमाणे विहरइ । | ८६ तए णं तस्स गोयमस्स बहुजणस्स अंतिए एयमढे सोच्चा, णिसम्म अयमेयारूवे अज्झत्थिए, चिंतिए, पत्थिए, मणोगए संकप्पे समप्पज्जित्था- तं गच्छामि णं आणंदं समणोवासयं पासामि। एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता जेणेव कोल्लागे सण्णिवेसे जेणेव पोसहसाला, जेणेव आणंदे समणोवासए, तेणेव उवागच्छद । तए णं से आणंदे समणोवासए भगवं गोयमं एज्जमाणं पासइ, पासित्ता हट्ठ तुट्ठ जाव भगवं गोयमं वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासी- एवं खल भंते! अहं इमेणं उरालेणं जाव धमणि-संतए जाए, णो संचाएमि देवाणुप्पियस्स अंतियं पाउब्भवित्ता तिक्खुत्तो मुद्धाणेणं पाए अभिवंदित्तए, तुब्भे! इच्छाकारेणं अणभिओएणं इओ चेव एह, जहा णं अहं देवाणुप्पियाणं तिक्खुत्तो मुद्धाणेणं पाएसु वंदामि णमंसामि । तए णं से भगवं गोयमे, जेणेव आणंदे समणोवासए, तेणेव उवागच्छद । तए णं से आणंदे समणोवासए भगवओ गोयमस्स तिक्खुत्तो मुद्धाणेणं पाएसु वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासी- अत्थि णं भंते! गिहिणो गिहमज्झावसंतस्स ओहिणाणं समुप्पज्जइ ? हंता अत्थि | जइ णं भंते ! गिहिणो गिहमज्झावसंतस्स ओहिणाणं समुप्पज्जइ, एवं खलु भंते! मम वि गिहिणो गिहमज्झावसंतस्स ओहिणाणे समुप्पण्णे। पुरत्थिमेणं लवणसमुद्दे पंच जोयणसयाई खेत्तं जाणामि पासामि एवं दक्खिणेणं पच्चत्यिमेणं य, उत्तरेणं जाव चुल्लहिमवंतं वासहरपव्वयं जाणामि पासामि, उड्ढं जाव सोहम्मं कप्पं जाणामि पासामि, अहे जाव इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए लोलुयच्चुयं [लोलुयं] णरयं जाणामि पासामि । तए णं से भगवं गोयमे आणंदं समणोवासयं एवं वयासी- अत्थि णं, आणंदा! गिहिणो जाव समुप्पज्जइ, णो चेव णं एमहालए । तं णं तुमं आणंदा ! एयस्स ठाणस्स आलोएहि पडिक्कमाहि, जिंदाहि, गरिहाहि, विउट्टाहि, विसोहेहि अकरणयाए, अब्भुट्ठाहि अहारिहं पायच्छित्तं तवोकम्म पडिवज्जाहि । तए णं से आणंदे समणोवासए भगवं गोयमं एवं वयासी- अत्थि णं, भंते! जिणवयणे संताणं, तच्चाणं, तहियाणं, सब्भूयाणं भावाणं आलोइज्जइ जाव पडिवज्जिज्जइ? णो इणढे समढे । जइ णं भंते! जिणवयणे संताणं जाव भावाणं णो आलोइज्जइ जाव तवोकम्म णो पडिवज्जिज्जइ, तं णं भंते! तब्भे चेव एयस्स ठाणस्स आलोएह जाव पडिवज्जह । Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपासकदसांग सूत्र तए णं से भगवं गोयमे आणंदेणं समणोवासएणं एवं वृत्ते समाणे, संकिए, कंखिए, विइगिच्छा-समावण्णे, आणंदस्स समणोवासगस्स अंतियाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता जेणेव दूइपलासे चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूरसामंते गमणागमणाए पडिक्कमइ पडिक्कमित्ता एसणमणेसणं आलोएइ, आलोइत्ता भत्तपाणं पडिदंसेड़, पडिदंसित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ णमंसइ, वंदित्ता, णमंसित्ता एवं वयासी- एवं खलु भंते ! अहं तुब्भेहिं अब्भणण्णाए तं चेव सव्वं कहेइ, जाव जेणेव इहं तेणेव हव्वमागए, तं णं भंते ! किं आणंदेणं समणोवासएणं तस्स ठाणस्स आलोएयव्वं जाव पडिवज्जेयव्वं : मए ? गोयमा ! त्ति समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं एवं वयासी- गोयमा ! तुमं चेव णं तस्स ठाणस्स आलोएहि जाव पडिवज्जाहि, आणंदं च समणोवासयं एयमढें खामेहि । तए णं से भगवं गोयमे, समणस्स भगवओ महावीरस्स तह त्ति एयमद्वं विणएणं पडिसुणेइ, पडिसुणेत्ता तस्स ठाणस्स आलोएइ जाव पडिवज्जइ, आणंदं च समणोवासयं एयमढें खामेइ। तए णं समणे भगवं महावीरे अण्णया कयाइ बहिया जणवयविहारं विहरइ । तए णं से आणंदे समणोवासए बहुहिं सीलव्वय गुणवेरमणपच्चक्खाण- पोसहोववासेहिं अप्पाणं भावेत्ता, वीसं वासाइं समणोवासगपरियागं पाउणित्ता, एक्कारस य उवासगपडिमाओ सम्मं कारणं फासित्ता, मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसित्ता, सर्व्हि भत्ताई अणसणाए छेदेत्ता, आलोइय-पडिक्कंते, समाहिपत्ते, कालमासे कालं किच्चा, सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडिंसगस्स महाविमाणस्स उत्तरपुरत्थिमेणं अरुणे विमाणे देवत्ताए उववण्णे। तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं चत्तारि पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता | तत्थ णं आणंदस्स वि देवस्स चत्तारि पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता । एवं ख आणंदे णं भंते! देवे ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं, भवक्खएणं, ठिइक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता, कहिं गच्छिहिइ? कहिं उववज्जिहिइ ? गोयमा! महाविदेहे वासे सिज्झहिइ । ! समणेणं भगवया महावीरेणं उवासगदसाणं पढमस्स अज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते । || पढमं अज्झयणं समत्त || Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपासकदसांग सूत्र बीअं अज्झयणं कामदेवे । जइ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं सत्तमस्स अंगस्स उवासगदसाणं पढमस्स अज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते, दोच्चस्स णं भंते ! अज्झयणस्स के अटे पण्णत्ते? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा णामं णयरी होत्था। पुण्णभद्दे चेइए । जियसत्तू राया । कामदेवे गाहावई । भद्दा भारिया । छ हिरण्ण-कोडीओ णिहाणपउत्ताओ, छ वढि-पउत्ताओ, छ पवित्थर-पउत्ताओ, छ वया दस-गो-साहस्सिएण वएणं। समोसरणं| जहा आणंदो तहा णिग्गओ, तहेव सावगधम्म पडिवज्जइ । सा चेव वत्तव्वया जाव जेट्ठ-पुत्तं, मित्त-णाई आपुच्छित्ता, जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पोसहसालं पमज्जइ, पमज्जित्ता उच्चारपासवणभूमि पडिलेहेइ, पडिलेहित्ता, दब्भसंथारयं संथरइ, संथरेत्ता दब्भसंथारयं दुरुहइ, दुरुहित्ता पोसहसालाए पोसहिए दब्भसंथारोवगए समणस्स भगवओ महावीरस्स [अंतियं] धम्मपण्णत्तिं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ । तए णं तस्स कामदेवस्स समणोवासगस्स अंतिए पुव्वरत्तावरत्त-काल-समयंसि एगे देवे मायीमिच्छदिट्ठी पाउब्भूए । तए णं से देवे एगं महं पिसायरूवं विउव्वइ। तस्स णं देवस्स पिसायरूवस्स इमे एयारूवे वण्णावासे पण्णत्ते- सीसं से गो-किलिंज-संठाण-संठियं, सालिभसेल्ल-सरिसा से केसा, कविल-तेएणं दिप्पमाणा, महल्ल-उट्टिया-कभल्ल-संठाणं-संठियं णिडालं, मुगुस- पुच्छं व तस्स भुमगाओ फुग्ग-फुग्गाओ विगय-वीभच्छ-दंसणाओ, सीस-घडि- विणिग्गयाइं अच्छीणि विगय-बीभच्छ-दंसणाई, कण्णा जह सुप्प-कत्तरं चेव विगय- बीभच्छ-दंसणिज्जा, उरब्भपुड-संण्णिभा से णासा, झुसिरा-जमल-चुल्ली-संठाण- संठिया दो वि तस्स णासा- पुडया घोडय-पुच्छंव तस्स मंसूइं, कविल-कविलाई विगय- बीभच्छ-दंसणाइं, उट्ठा उदृस्स चेव लंबा, फाल-सरिसा से दंता, जिब्भा जह सुप्प-कत्तरं चेव विगय- बीभच्छ- दंसणिज्जा, हल-कुद्दाल-संठिया से हणुया, गल्ल- कडिल्लं व तस्स खड्डं फुटुं कविलं फरुसं महल्लं, मुइंगाकारोवमे से खंधे, पुरवरकवाडोवमे से वच्छे, कोहिया- संठाण- संठिया दो वि तस्स बाहा, णिसापासाण- संठाण-संठिया दो वि तस्स अग्गहत्था, णिसालोढ-संठाण- संठियाओ हत्थेसु अंगुलीओ, सिप्पि-पुडगसंठिया से णक्खा, पहाविय-पसेवओ व्व उरंसि लंबइ दो वि तस्स थणया, पोट्टे अयकोट्ठओ व्व वर्ल्ड, पाण कलंद सरिसा से णाही, सिक्कगसंठाणसंठिए [C] Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ w 9 लडहमडहजाणुए, विगय-भग्ग-भुग्ग-भुमए, अवदालिय-वयणविवर - णिल्ला- लियग्गजीहे, सरड कय मालियाए, उंदुरमाला परिणद्धसुकय- चिंधे, णउल कय- कण्णपूरे, सप्प-कयवेगच्छे, अप्फोडते, अभिगज्जंते, भीममुक्कट्टहासे, णाणाविहपंचवण्णेहिं लोमेहिं उवचिए एगं महं णीलुप्पल-गवल-गुलिय- अयसिकुसुमप्पगासं खुरधारं असिं गहाय, जेणेव पोसहसाला, जेणेव कामदेवे समणोवासए, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता आसुरत्ते, रुट्ठे, कुविए, चंडिक्किए, मिसिमिसीयमाणे कामदेवं समणोवासयं एवं वयासी- हं भो कामदेवा समणोवासया ! अपत्थियपत्थिया, दुरंतपंतलक्खणा, हीण-पुण्ण- चाउद्दासिया, हिरि - सिरि-धिइ-कित्तिपरिवज्जिया, धम्म-कामया, पुण्णकामया, सग्गकामया, मोक्खकामया, धम्मकंखिया, पुण्णकंखिया, सग्ग-कंखिया, मोक्खकंखिया, धम्मपिवासिया, पुण्णपिवासिया, सग्गपिवासिया, मोक्खपिवासिया, णो खलु कप्पइ तव देवाणुप्पिया ! जं सीलाई, वयाई, वेरमणाइं, पच्चक्खाणाई, पोसहोववासाइं चालित्तए वा खोभित्तए वा, खंडित्तए वा, भंजित्तए वा, उज्झित्तए वा, परिच्चइत्तए वा; तं जइ णं तुमं अज्ज सीलाई, वयाई, वेरमणाइं, पच्चक्खाणाइं पोसहोववसाइं ण छड्डेसि, ण भंजेसि, तो तं अहं अज्ज इमेणं णीलुप्पल-गवल-गुलिय-अयसि - कुसुमप्पगासेण, खुरधारेण असिणा खंडाखंडिं करेमि, जहा णं तुमं देवाणुप्पिया ! अट्टदुहट्टवसट्टे अकाले चेव जीवियाओ ववरोविज्जसि । 9 0 उपासकदसांग सूत्र १० से णेत्ते, किण्णपुडसंठाणं संठिया दो वि तस्स वसणा, जमल- कोट्ठिया संठाण-संठिया दो वि तस्स ऊरू, अज्जुणगुट्ठे व तस्स जाणूइं कुडिलकुडिलाई विगय-बीभच्छ-दंसणाई, जंघाओ कक्खडीओ लोमेहिं उवचियाओ, अहरीसंठाणं- संठिया दो वि तस्स पाया, अहरीलोढसंठाणसंठियाओ पाएस अंगुलीओ, सिप्पिपुडसंठिया से णखा । तए णं से कामदेवे समणोवासए तेणं देवेणं पिसाय-रूवेणं एवं वुत्ते समाणे, अभीए, अतत्थे, अणुव्विग्गे, अक्खुभिए, अचलिए, असंभंते, तुसिणीए धम्मज्झाणोवगए विहरइ । तणं से देवे पिसायरूवे कामदेवं समणोवासयं अभीयं, जाव पासइ, पासित्ता दोच्चपि तच्चं पि कामदेवं एवं वयासी जाव जीवियाओ ववरोविज्जसि । तए णं से कामदेवे समणोवासए तेणं देवेणं दोच्चंपि तच्चंपि एवं वुत्ते समाणे, अभी विहरइ | तए णं से देवे पिसायरूवे कामदेवं समणोवासयं अभीयं जाव विहरमाणं पासइ, पासित्ता आसुरत्ते रुट्ठे कुविए चंडिक्किए तिवलियं भिउडिं णिडाले साहद्दु, कामदेवं समणोवासयं पाव असिणा खंडाखंडिं करेइ । तए णं से कामदेवे समणोवासए तं उज्जलं, विउलं, कक्कसं, पगाढं, चंडं, दुक्खं दुरहियासं वेयणं सम्मं सहइ, खमइ, तितिक्खड़, अहियासेइ । 16 Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपासकदसांग सूत्र तए णं से देवे पिसाय-रुवे कामदेवं समणोवासयं अभीयं जाव विहरमाणं पासइ, पासित्ता जाहे णो संचाएइ कामदेवं समणोवासयं णिग्गंथाओ पावयणाओ चालित्तए वा, खोभित्तएवा, विपरिणामित्तए वा, ताहे संते, तंते, परितंते सणियं सणियं पच्चोसक्कइ, पच्चोसक्कित्ता, पोसहसालाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता दिव्वं पिसायरुवं विप्पजहइ, विप्पजहित्ता एगं महं दिव्वं हत्थिरूवे विउव्वईसत्तंगपइट्ठियं, सम्म संठियं, सुजायं, पुरओ उदग्गं, पिट्ठओ वराहं, अयाकुच्छिं, अलंबकुच्छिं, पलंब- लंबोदराधर-करं, अब्भुग्गय-मउल-मल्लिया-विमल-धवल-दंतं, कंचणकोसीपविट्ठ-दंतं, आणामिय-चाव-ललियसंवेल्लियग्ग-सोण्डं, कुम्म-पडिपुण्ण-चलणं,वीसइ-णखं, अल्लीण-पमाणजुत्त पुच्छं, मत्तं मेहमिव गुलगुलेंतं मण-पवण-जइणवेगं दिव्वं हत्थिरूवं विउव्वइ ।। विउव्वित्ता जेणेव पोसहसाला, जेणेव कामदेवे समणोवासए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता कामदेवं समणोवासयं एवं वयासी- हं भो कामदेवा समणोवासया ! तहेव भणड़ जाव ण भंजेसि, तो ते अज्ज अहं सोंडाए गिण्हामि, गिण्हित्ता पोसहसालाओ णीणेमि, णीणित्ता उड्ढ वेहासं उव्विहामि, उव्विहित्ता, तिक्खेहिं दंत-मुसलेहिं पडिच्छामि, पडिच्छित्ता अहे धरणि- तलंसि तिक्खुत्तो पाएसु लोलेमि, जहा णं तुमं देवाणुप्पिया ! अट्ट-दुहट्ट-वसट्टे अकाले चेव जीवियाओ ववरोविज्जसि | तए णं से कामदेवे समणोवासए तेणं देवेणं हत्थिरूवेणं एवं वुत्ते समाणे, अभीए जाव विहरइ। तए णं से देवे हत्थिरूवे कामदेवं समणोवासयं अभीयं जाव विहरमाणं पासइ, पासित्ता दोच्चपि तच्चंपि कामदेवं समणोवासयं एवं वयासी- हं भो ! कामदेवा ! जाव विहरइ । तए णं से देवे हत्थिरूवे कामदेवं समणोवासयं अभीयं जाव पासइ, पासित्ता असुरत्ते जाव कामदेवं समणोवासयं सोंडाए गिण्हेइ, गेण्हेत्ता उड्ढं वेहासं उव्विहइ, उव्विहित्ता तिक्खेहिं दंतमुसलेहिं पडिच्छइ, पडिच्छेत्ता अहे धरणितलंसि तिक्खुत्तो पाएसु लोलेइ । तए णं से कामदेवे समणोवासए तं उज्जलं जाव अहियासेड़ ।। तए णं से देवे हत्थिरूवे कामदेवं समणोवासयं जाहे णो संचाएइ णिग्गंथाओ पावयणाओ चालित्तए वा जाव दिव्वं हत्थि-रूवं विप्पजहइ, विप्पजहित्ता एग महं दिव्वं सप्प- रूवं विउव्वइ, उग्गविसं, चंडविसं, घोरविसं महाकायं, मसी-मूसा-कालगं, णयण- विस- रोसपुण्णं, अंजण-पुंज-णिगरप्पगासं, रत्तच्छं लोहिय-लोयणं, जमल-जुयल- चंचल- जीहं, धरणीयल-वेणीभूयं, उक्कड-फुड-कुडिल-जडिल-कक्कस-वियड-फुडाडोव- करण-दच्छं, लोहागरधम्ममाण-धमधमेंतघोसं, अणागलिय-तिव्व-चंड-रोसं सप्परूवं विउव्वइ, विउव्वित्ता जेणेव पोसहसाला जेणेव कामदेवे समणोवासए, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता कामदेव Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८ २० २१ २२ उपासकदसांग सूत्र समणोवासयं एवं वयासी- हं भो कामदेवा समणोवासया ! जाव ण भंजेसि, तो ते अज्जेव अहं सरसरस्स कायं दुरुहामि, दुरुहित्ता पच्छिमेणं भाएणं तिक्खुत्तो गीवं वेढेमि, वेढित्ता तिक्खाहिं विस परिगयाहिं दाढाहिं उरंसि चेव णिकुट्टेमि, जहा णं तुमं देवाणुप्पिया ! अट्टदुहट्ट - वसट्टे अकाले चेव जीवियाओ ववरोविज्जसि । तणं से कामदेवे समणोवासए तेणं देवेणं सप्परूवेणं एवं वुत्ते समाणे अभीए जाव विहरइ। सो वि दोच्चंपि तच्चंपि भणइ । कामदेवो वि जाव विहरइ । तए णं से देवे सप्परूवे कामदेवं समणोवासयं अभीयं जाव पासइ, पासित्ता आसुरत्ते जाव कामदेवस्स सरसरस्स कायं दुरुहइ, दुरुहित्ता पच्छिमभाएणं तिक्खुत्तो गीवं वेढेइ, वेढा तिक्खाहिं विसपरिगयाहिं दाढाहिं उरंसि चेव णिकुट्टेइ । तणं से कामदेवे समणोवासए तं उज्जलं जाव अहियासेइ । तए णं से देवे सप्प-रूवे कामदेवं समणोवासयं अभीयं जाव पासइ, पासित्ता जाहे णो संचाएइ कामदेवं समणोवासयं णिग्गंथाओ पावयणाओ चालित्तए, जाव पोसहसालाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता दिव्वं सप्प-रूवं विप्पजहइ, विप्पजहित्ता एगं महं दिव्वं देव-रूवं विउव्वइ । कडग-तुडिय-थंभिय-भुयं, अंगय-कुंडल-मट्ठ-गंडकण्णपीढधारि, हार- विराइय-वच्छं विचित्तहत्थाभरणं, विचित्तमाला - मउलि-मउडं, कल्लाणग-पवरवत्थ-परिहियं, कल्लाणगपवर-मल्लाणुलेवणं,भासुर - बोदिं, पलंबं वणमालधरं दिव्वेणं वण्णेणं, दिव्वेणं गंधेणं, दिव्वेणं रूवेणं, दिव्वेणं फासेणं, दिव्वेणं संघाएणं, दिव्वेणं संठाणेणं, दिव्वाए इड्ढीए, दिव्वाए जुईए, दिव्वाए पभाए, दिव्वाए छायाए, दिव्वाए अच्चीए, दिव्वेणं तेएणं, दिव्वाए लेसा दस दिसाओ उज्जोवेमाणं पभासेमाणं, पासाईयं दरिसणिज्जं अभिरुवं पडिरूवं दिव्वं देवरूवं विउव्वइ, विउव्वित्ता कामदेवस्स समणोवासयस्स पोसहसालं अणुप्पविसइ, अणुप्पविसित्ता अंतलिक्ख पडिवण्णे सखिंखिणियाइं पंचवण्णाइं वत्थाई पवरपरिहिए कामदेवं समणोवासयं एवं वयासी- हं भो कामदेवा समणोवासया ! धण्णेसि णं तुमं देवाणुप्पिया, संपुण्णे, कयत्थे, कयलक्खणे, सुलद्धे णं तव देवाणुप्पिया, माणुस्सए जम्मजीवियफले, जस्स णं तव णिग्गंथे पावयणे इमेयारूवा पडिवत्ती लद्धा, पत्ता, अभिसमण्णागया । एवं खलु देवाणुप्पिया ! सक्के देविंदे देवराया, वज्जपाणी, पुरंदरे, सयक्कऊ, सहस्सक्खे, मघवं, पागसासणे, दाहिणड्ढलोगाहिवई, बत्तीस-विमाण-सय-सहस्साहिवई, एरावणवाहणे, सुरिंदे, अरयंबर- वत्थधरे, आलइय- मालमउडे, णव- हेम चारु- चित्त- चंचलकुंडल-विलिहिज्जमाणगंडे, भासुरबोंदी, पलंब-वणमाले, सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडेंस मि सभाए सुहम्मा सक्कंसि सीहासणंसि चउरासीईए सामाणिय- साहस्सीणं तेत्तीसाए 18 Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपासकदसांग सूत्र तायत्तीसगाणं, चउण्हं लोगपालाणं, अढण्हं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं, तिण्हं परिसाणं, सत्तण्हं अणियाणं, सत्तण्हं अणियाहिवईणं, चउण्हं, चउरासीणं आयरक्ख-देवसाहस्सीणं अण्णेसिं च बहणं देवाण य देवीण य मज्झगए एवमाइक्खड, एवं भासड, एवं पण्णवेड, एवं परूवेइ- एवं खलु देवा ! जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे चंपाए णयरीए कामदेवे समणोवासए पोसहसालाए पोसहिए बंभयारी जाव उम्मुक्क-मणि-सुवण्णे,ववगय-माला-वण्णग- विलेवणे, णिक्खित्त-सत्थ-मुसले, एगे, अबीए दब्भसंथारोवगए समणस्स भगवओ महावीरस्स (अंतियं) धम्मपण्णत्तिं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ । णो खलु से सक्का केणइ देवेण वा दाणवेण वा जक्खेण वा, रक्खसेण वा, किण्णरेण वा, किंपुरिसेण वा, महोरगेण वा गंधव्वेण वा णिग्गंथाओ पावयणाओ चालित्तए वा खोभित्तए वा विपरिणामित्तए वा | तए णं अहं सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो एयमढें असद्दहमाणे, अरोएमाणे इहं हव्वमागए | तं अहो णं, देवाणुप्पिया ! इढि, जुई, जसो, बलं, वीरियं, पुरिसक्कार- परक्कमे लद्धे, पत्ते, अभिसमण्णागए । तं दिवा णं देवाणप्पियाणं ! इडढी जाव अभिसमण्णागए | तं खामेमि णं, देवाणुप्पिया ! खमंत् मज्झ देवाणुप्पिया ! खंतुमरिहंति णं देवाणप्पिया ! णाई भुज्जो करणयाए ति कट्ट पायवडिए, पंजलिउडे एयमट्ठ भुज्जो-भुज्जो खामेइ, खामित्ता जामेव दिसं पाउब्भूए तामेव दिसं पडिगए | तए णं से कामदेवे समणोवासए णिरुवसग्गं इति कट्ठ पडिमं पारेइ । तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे जाव जेणेव चंपा णयरी, जेणेव पण्णभद्दे चेइए, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता अहापडिरूवं ओग्गहं ओगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । तए णं से कामदेवे समणोवासए इमीसे कहाए लद्धटे समाणे एवं खल समणे भगवं महावीरे जाव विहरइ । तं सेयं खलु मम समणं भगवं महावीरं वंदित्ता, णमंसित्ता तओ पडिणियत्तस्स पोसहं पारित्तए त्ति कट्ट एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता सुद्धप्पावेसाइं वत्थाई पवरपरिहिए जेणेव समणे भगवं महावीरे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ, णमंसइ, वंदित्ता, णमंसित्ता तिविहाए पज्जुवासणाए पज्जुवासइ । तए णं समणे भगवं महावीरे कामदेवस्स समणोवासयस्स तीसे य जाव धम्मकहा समत्ता। कामदेवा ! त्ति समणे भगवं महावीरे कामदेवं समणोवासयं एवं वयासी- से णणं कामदेवा! तुब्भं अंतिए पुव्व-रत्तावरत्तकाल-समयंसि एगे देवे पाउब्भूए । तए णं से देवे एगं महं दिव्वं पिसाय-रूवं विउव्वइ, एवं तिण्णि वि उवसग्गा कहेइ जाव जामेव दिसं पाउब्भूए तामेव दिसं पडिगए | से गूणं कामदेवा ! अढे समढे ? हंता, अत्थि । Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपासकदसांग सूत्र अज्जो ! त्ति समणे भगवं महावीरे बहवे समणे णिग्गंथे य णिग्गंथीओ य आमंतेत्ता एवं वयासी-जइ ताव, अज्जो ! समणोवासगा, गिहिणो, गिहमज्झावसंता दिव्व-माणुसतिरिक्खजोणिए उवसग्गे सम्म सहति खमंति, तितिक्खंति अहियासेंति, सक्का पणाई, अज्जो ! समणेहिं णिग्गंथेहिं दुवालसंगं गणिपिडगं अहिज्जमाणेहिं दिव्व-माणुसतिरिक्खजोणिए उवसग्गे सम्म सहित्तए खमित्तए, तितिक्खित्तए अहियासित्तए | तओ ते बहवे समणा णिग्गंथा य णिग्गंथीओ य समणस्स भगवओ महावीरस्स तह त्ति एयमद्वं विणएणं पडिसुणेत्ति । तए णं कामदेवे समणोवासए हट्ठ जाव समणं भगवं महावीरं पसिणाई पुच्छइ, अट्ठमादियइ। समणं भगवं महावीरं वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता जामेव दिसं पाउब्भए, तामेव दिसं पडिगए । तए णं समणे भगवं महावीरे अण्णया कयाइ चंपाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता बहिया जणवय-विहारं विहरइ । तए णं कामदेवे समणोवासए पढमं उवासग-पडिमं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ । जाव एक्कारसमं उवासगपडिमं सम्मं आराहेइ, एवं जहा आणंदे जाव भत्तपाण- पडियाइक्खिए कालं अणवकंखमाणे विहरइ । तए णं से कामदेवे समणोवासए बहूहिं सीलव्वय-गुण-वेरमण-पच्चक्खाण- पोसहववासेहिं अप्पाणं भावेत्ता वीसं वासाइं समणोवासगपरियागं पाउणित्ता, एक्कारस उवासगपडिमाओ सम्म कारणं फासेत्ता, मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झूसित्ता, सद्धिं भत्ताई अणसणाए छेदेत्ता, आलोइयपडिक्कंते, समाहिपत्ते, कालमासे कालं किच्चा, सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडिंसयस्स महाविमाणस्स उत्तरपुरत्थिमेणं अरुणाभे विमाणे देवत्ताए उववण्णे। तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं चत्तारि पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता | कामदेवस्स वि देवस्स चत्तारि पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता । से णं भंते ! कामदेवे ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता, कहिं गमिहिइ, कहिं उववज्जिहिइ ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ । णिक्खेवो जहा पढमस्स | || बीअं अज्झयणं समत्त || 20 Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [] W ल [] MS உ उपासकदसांग सूत्र तइअं अज्झयणं चुलणीपिया उक्खेवो तइयस्स अज्झयणस्स । एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणारी णामं णयरी । कोट्ठए चेइए । जियसत्तू राया । तत्थ णं वाणारसीए णयरीए चुलणीपिया णामं गाहावई परिवसइ, अड्ढे जाव अपरिभूए । सामा भारिया । अट्ठ हिरण्ण-कोडीओ णिहाण-पउत्ताओ, अट्ठ वुड्ढपत्ताओ, अट्ठ पवित्थर-पउत्ताओ, अट्ठ वया, दस-गो - साहस्सिएणं वएणं । जहा आणंदो राईसर जाव सव्व-कज्ज-वड्ढावए यावि होत्था । सामी समोसढे । परिसा णिग्गया । चुलणीपिया वि जहा आणंदो तहा णिग्गओ । तहेव गिहि-धम्मं पडिवज्जइ । गोयम - पुच्छा । तहेव सेसं जहा कामदेवस्स जाव पोसह सालाए पोसहिए बंभयारी समणस्स भगवओ महावीरस्स [अंतियं] धम्मपण्णत्तिं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ । तए णं तस्स चुलणीपियस्स समणोवासयस्स पुव्व रत्तावरत्तकाल - समयंसि एगे देवे अंतियं पाउब्भू | तणं से देवे एगं महं णीलुप्पल जाव असिं गहाय चुलणीपियं समणोवासयं एवं वयासीहं भो चुलणीपिया समणोवासया ! जहा कामदेवो जाव ण भंजेसि, तो ते अहं अज्ज जेट्ठ पुत्तं साओ गिहाओ णीणेमि, णीणेत्ता तव अग्गओ घाएमि घाएत्ता तओ मंस-सोल्ले करेमि, करेत्ता आदाण- भरियंसि कडाहयंसि अद्दहेमि अद्दहेत्ता तव गायं मंसेण य सोणिएण य आयंचामि, जहा णं तुमं अट्ट दुहट्ट वसट्टे अकाले चेव जीवियाओ ववरोविज्जसि । तए णं से चुलणीपिया समणोवासए तेणं देवेणं एवं वुत्ते समाणे अभीए जाव विहरइ । तणं से देवे चुलणीपियं समणोवासयं अभीयं जाव पासइ, पासित्ता दोच्चंपि तच्चंपि चुलणीपियं समणोवासयं एवं वयासी- हं भो चुलणीपिया समणोवासया ! तं चेव भणइ जाव विहरइ | तए णं से देवे चुलणीपियं समणोवासयं अभीयं जाव पासित्ता आसुरत्ते चुलणीपियस्स समणोवासयस्स जेट्ठ पुत्तं गिहाओ णीणेइ णीणेत्ता अग्गओ घाएइ, घाएत्ता तओ मंससोल्लए करेइ, करेत्ता आदाणभरियंसि कडाहयंसि अद्यहेइ, अद्दहेत्ता चुलणीपियस्स समणोवासयस्स गायं मंसेण य सोणिएण य आयंचइ । तए णं से चुलणीपिया समणोवासए तं उज्जलं जाव अहियासेइ । 21 Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपासकदसांग सूत्र तए णं से देवे चुलणीपियं समणोवासयं अभीयं जाव पासइ, पासित्ता दोच्चंपि तच्चंपि चुलणीपियं समणोवासयं एवं वयासी-हं भो चुलणीपिया समणोवासया ! अपत्थिय-पत्थिया जाव ण भंजेसि, तो ते अहं अज्ज मज्झिमं पुत्तं साओ गिहाओ णीणेमि, णीणेत्ता तव अग्गओ घाएमि जहा जेटुं पुत्तं तहेव भणइ, तहेव करेइ । एवं तच्चंपि कणीयसं जाव अहियासेइ । तए णं से देवे चुलणीपियं समणोवासयं अभीयं जाव पासइ, पासित्ता चउत्थं पि चुलणीपियं समणोवासयं एवं वयासी-हं भो चुलणीपिया समणोवासया ! अपत्थिय- पत्थिया जइ णं तुम जाव ण भंजेसि, तओ अहं अज्ज जा इमा तव माया भद्दा सत्थवाही देवयगुरुजणणी, दुक्करदुक्करकारिया, तं साओ गिहाओ णीणेमि, णीणेत्ता तव अग्गओ घाएमि, घाएत्ता तओ मंससोल्लए करेमि, करेत्ता आदाणभरियंसि कडाहयंसि अद्दहेमि, अद्दहेत्ता तव गायं मंसेण य सोणिएण य आयंचामि, जहा णं तुमं अट्ट-दुहट्ट- वसट्टे अकाले चेव जीवियाओ ववरोविज्जसि । तए णं से चुलणीपिया समणोवासए तेणं देवेणं एवं वुत्ते समाणे अभीए जाव विहरइ । तए णं से देवे चुलणीपियं समणोवासयं अभीयं जाव विहरमाणं पासइ, पासित्ता चुलणीपियं समणोवासयं दोच्चंपि तच्चपि एवं वयासी- हं भो चुलणीपिया समणोवासया! तहेव जाव ववरोविज्जसि । तए णं तस्स चुलणीपियस्स समणोवासयस्स तेणं देवेणं दोच्चंपि तच्चपि एवं वुत्तस्स समाणस्स इमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुपण्णे- अहो णं इमे पुरिसे अणारिए अणारियबुद्धी, अणारियाई पावाइं कम्माइं समायरइ, जेणं ममं जेटुं पुत्तं साओ गिहाओ णीणेइ, णीणेत्ता ममं अग्गओ घाएइ, घाएत्ता एवं जहा कयं तहा चिंतेइ, जाव आयंचइ। जा वि य णं इमा ममं माया भद्दा सत्थवाही देवय-गुरु-जणणी, दुक्कर- दुक्कर-कारिया तं पि य णं इच्छइ साओ गिहाओ णीणेत्ता मम अग्गओ घाएत्तए, तं से ममं एयं पुरिसं गिण्हित्तए त्ति कट्ट उद्घाइए, से वि य आगासे उप्पइए, तेणं च खंभे आसाइए, महया-महया सद्देणं कोलाहले कए | तए णं सा भद्दा सत्यवाही तं कोलाहल-सदं सोच्चा, णिसम्म जेणेव चुलणीपिया समणोवासए, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता चुलणीपियं समणोवासयं एवं वयासी- किण्णं पुत्ता ! तुमं महया-महया सद्देणं कोलाहले कए ? तए णं से चुलणीपिया समणोवासए अम्मयं भदं सत्थवाहिं एवं वयासी- एवं खलु अम्मो ! ण जाणामि के वि पुरिसे आसुरत्ते जाव एग महं णीलप्पल जाव असिं गहाय ममं एवं २४ Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ |१६| १७ শ २० २२ २४ उपासकदसांग सूत्र वयासीववरोविज्जसि । तए णं अहं तेणं पुरिसेणं एवं वुत्ते समाणे अभीए जाव विहरामि । तए णं से पुरिसे ममं अभीयं जाव विहरमाणं पासइ, पासित्ता ममं दोच्चंपि तच्चंपि एवं वयासी- हं भो चुलणीपिया समणोवासया ! जाव गायं मंसेण य सोणिएण य आयंचइ । भो चुलणीपिया समणोवासया ! अपत्थिय-पत्थिया जाव अकाले चेव जीवियाओ तए णं अहं तं उज्जलं, विउलं, कक्कसं, पगाढं, चंडं, दुक्खं, दुरहियासं वेयणं सम्मं सहामि, खमामि, तितिक्खामि, अहियासेमि । एवं तिण्णि वि उवसग्गा कहेइ जाव अहियासेमि । तए णं से पुरिसे ममं अभीयं जाव पासइ, पासित्ता ममं चउत्थं पि एवं वयासी- हं भो चुलणीपिया समणोवासया ! अपत्थिय-पत्थिया जाव ण भंजेसि, तो ते अज्ज जा इमा माया देवयगुरु जणणी दुक्कर- दुक्करकारिया, तं साओ गिहाओ णीणेमि, णीणेत्ता तव अग्गओ घाएमि, घाएत्ता तओ मंससोल्लए करेमि, करेत्ता आदाण- भरियंसि काह अद्दहेमि, अद्दहेत्ता तव गायं मंसेण य सोणिएण य आयंचामि, जहा णं तुमं अट्ट दुहट्ट-वसट्टे अकाले चेव जीवियाओ ववरोविज्जसि । तणं अहं तेणं पुरिसेणं एवं वुत्ते समाणे अभीए जाव विहरामि । तए णं से पुरिसे दोच्चंपि तच्चंपि ममं एवं वयासी- हं भो चुलणीपिया समणोवासया ! अज्ज जाव ववरोविज्जसि । तए णं तेणं पुरिसेणं दोच्चंपि तच्चंपि ममं एवं वुत्तस्स समाणस्स इमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुपण्णे- अहो णं ! इमे पुरिसे अणारिए अणारियबुद्धी, अणारियाइं पावाइं कम्माइं समायरइ, जेणं ममं जेट्टं पुत्तं साओ गिहाओ तहेव जाव कणीयसं जाव आच, य णं इच्छइ साओ गिहाओ णीणेत्ता ममं अग्गओ घाएत्तए, तं सेयं खलु ममं एयं पुरिसं गिण्हित्तए त्ति कट्टु उद्धाइए । से वि य आगासे उप्पइए, मए वि य खंभे आसाइए, महया - महया सद्देणं कोलाहले कए । तए णं सा भद्दा सत्थवाही चुलणीपियं समणोवासयं एव वयासी- णो खलु केइ पुरिसे तव जाव कणीयसं पुत्तं साओ गिहाओ णीणेइ, णीणेत्ता तव अग्गओ घाएइ, एस णं केइ पुरिसे तव उवसग्गं करेइ, एस णं तुमे विदरिसणे दिट्ठे । तं णं तुमं इयाणिं भग्गव्वए भग्गणियमे भग्गपोसहे विहरसि । तं णं तुमं पुत्ता ! एयस्स ठाणस्स आलोएहि जाव पडिवज्जाहि । तए णं से चुलणीपिया समणोवासए अम्मयाए भद्दा सत्थवाहीए 'तह' त्ति एयमट्ठे विणणं पडिसुणेइ, पडिसुणेत्ता तस्स ठाणस्स आलोएइ जाव पडिवज्जइ । 23 Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपासकदसांग सूत्र २५ तए णं से चुलणीपिया समणोवासए पढम उवासगपडिमं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ, पढमं उवासगपडिमं अहासुत्तं जहा आणंदो जाव एक्कारसमं वि । तए णं से चुलणीपिया समणोवासए तेणं उरालेणं जहा कामदेवो बहूहिं सीलव्वय-गुणवेरमण-पच्चक्खाण-पोसहोववासेहिं अप्पाणं भावेत्ता, बीसं वासाई समणोवासग-परियायं पाउणित्ता, एक्कारस य उवासग-पडिमाओ सम्म काएणं फासित्ता, मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसित्ता, सहिँ भत्ताइं अणसणाए छेदेत्ता, आलोइय-पडिक्कंते, समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडिंसगस्स महाविमाणस्स उत्तर-पुरत्थिमेणं अरुणप्पभे विमाणे देवत्ताए उववण्णे चत्तारि पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता। महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ । णिक्खेवो जहा पढमस्स ।। ॥ तइअं अज्झयणं समत्त || चउत्थे अज्झयणं सुरादेवे उक्खेवओ चउत्थस्स अज्ज्ञयणस्स | एवं खल जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणारसी णामं णयरी | कोट्ठए चेइए | जियसत्तू राया । सुरादेवे गाहावई अड्ढे जाव अपरिभूए । छ हिरण्ण-कोडीओ णिहाण-पउत्ताओ, छ ढि-पउत्ताओ, छ पवित्थर- पउत्ताओ | छ वया, दस-गो-साहस्सिएणं वएणं | धण्णा भारिया । सामी समोसढे | जहा आणंदो तहेव पडिवज्जए गिहिधम्मं । जहा कामदेवो जाव समणस्स भगवओ महावीरस्स धम्मपण्णत्तिं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ । तए णं तस्स सुरादेवस्स समणोवासयस्स अंतिए पुव्व-रत्तावरत्तकाल-समयंसि एगे देवे पाउब्भवित्था । से देवे एगं महं णीलुप्पल जाव असिं गहाय सुरादेवं समणोवासयं एवं वयासी- हं भो सुरादेवा समणोवासया ! अपत्थिय-पत्थिया जाव जइ णं तुम सीलाई जाव ण भंजेसि, तो ते जेटुं पुत्तं साओ गिहाओ णीणेमि, णीणेत्ता तव अग्गओ घाएमि, घाएत्ता पंच सोल्लए करेमि, करेत्ता आदाणभरियंसि कडाहयंसि अद्दहेमि, अद्दहेत्ता तव गायं मंसेण य सोणिएण य आयंचामि, जहा णं तुम अट्ट-दुहट्ट वसट्टे अकाले चेव जीवियाओ ववरोविज्जसि। एवं मज्झिमयं, कणीयसं; एक्केक्के पंच सोल्लया । तहेव करेइ जहा चूलणीपियस्स, णवरं एक्केक्के पंच सोल्लया । Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपासकदसांग सूत्र तए णं देवे सुरादेवं समणोवासयं चउत्थं पि एवं वयासी-हं भो सुरादेवा समणोवासया ! अपत्थिय-पत्थिया जाव ण परिच्चयसि, तो ते अज्ज सरीरंसि जमगसमगमेव सोलस-रोगायंके पक्खिवामि, तं जहा- सासे, कासे, जरे, दाहे, कृच्छिसूले, भगंदरे, अरिसए, अजीरए, दिद्विसूले, मुद्धसूले, अकारिए, अच्छिवेयणा, कण्णवेयणा, कंडुए, उदरे, कोढे, जहा णं तुमं अट्ट-दुहट्ट-वसट्टे अकाले चेव जीवियाओ ववरोविज्जसि | तए णं से सुरादेवे समणोवासए तेणं देवेणं एवं वुत्ते समाणे अभीए, अतत्थे, अणुव्विग्गे, अक्खभिए, अचलिए, असंभंते, तसिणीए धम्मज्झाणोवगए विहरड । एवं देवो दोच्चंपि तच्चं पि भणइ जइ णं तमं अज्ज सीलाइं, वयाइं, वेरमणाइं, पच्चक्खाणाइं, पोसहोववासाई ण छड्डेसि, ण भंजेसि, तो ते अहं अज्ज सरीरंसि जमग-समगमेव सोलस रोगायंके पक्खिवामि जहा ण तुमं अट्ट-दुहट्ट-वसट्टे अकाले चेव जीवियाओ ववरोविज्जसि । तए णं तस्स सुरादेवस्स समणोवासयस्स तेणं देवेणं दोच्चं पि तच्चं पि एवं वृत्तस्स समाणस्स इमेयारूवे अज्झत्थिए जाव सम्पण्णे- अहो णं इमे परिसे अणारिए जाव समायरइ, जेणं ममं जेट्ठ पुत्तं जाव आयंचइ, जे वि य इमे सोलस रोगायंका, ते वि य इच्छड़ मम सरीरगंसि पक्खिवित्तए, तं सेयं खलु ममं एयं पुरिसं गिण्हित्तए त्ति कट्ट उद्धाइए | से वि य आगासे उप्पइए | तेण य खंभे आसाइए, महया-महया सद्देणं कोलाहले कए । | तए णं सा धण्णा भारिया कोलाहलं सोच्चा-णिसम्म, जेणेव सुरादेवे समणोवासए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता एवं वयासी- किण्णं देवाणुप्पिया ! तुब्भेहिं महया- महया सद्देणं कोलाहले कए ? तए णं से सुरादेवे समणोवासए धण्णं भारियं एवं वयासी- एवं खलु देवाणुप्पिए ! के वि पुरिसे, तहेव तिण्णि वि उवसग्गा कहेइ जहा चुलणीपिया | धण्णा वि पडिभणइ- णो खलु देवाणुप्पिया ! तुब्भं के वि पुरिसे सरीरंसि जमग-समगं सोलस रोगायंके पक्खिवइ, एस णं के वि पुरिसे तुब्भं उवसग्गं करेइ । सेसं जहा चुलणीपियस्स तहा भणइ । एवं सेसं जहा चुलणीपियस्स णिरवसेसं जाव सोहम्मे कप्पे अरुणकंते विमाणे उववण्णे। चत्तारि पलिओवमाइं ठिई | महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ । णिक्खेवो जहा पढमस्स | || चउत्थं अज्झयणं समत्त | Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपासकदसांग सूत्र पंचमं अज्झयणं चुल्लसयए उक्खेवो पंचमस्स अज्झयणस्स | एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं आलभिया णामं णयरी | संखवणे उज्जाणे । जियसत्तू राया | चुल्लसयए गाहावई अड्ढे जाव छ हिरण्णकोडीओ णिहाणपउत्ताओ, छ इढिपउत्ताओ, छ पवित्थरपउत्ताओ, छ वया, दस गो साहस्सिएणं वएणं | बहुला भारिया । सामी समोसढे | जहा आणंदो तहा गिहिधम्म पडिवज्जइ । सेसं जहा कामदेवो जाव धम्म पण्णत्तिं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ । तए णं तस्स चुल्लसयगस्स समणोवासयस्स अंतिए पुव्व-रत्तावरत्तकाल-समयंसि एगे देवे पाउब्भूए जाव असिं गहाय एवं वयासी- हं भो चुल्लसयगा समणोवासया ! जाव ण भंजेसि तो ते अज्ज जेटुं पत्तं साओ गिहाओ णीणेमि । एवं जहा चलणीपियं, णवरं एक्केक्के सत्त मंससोल्लया जाव कणीयसं जाव आयंचामि । तए णं से चुल्लसयए समणोवासए जाव विहरइ । तए णं से देवे चुल्लसयगं समणोवासयं चउत्थं पि एवं वयासी- हं भो चुल्लसयगा समणोवासया ! जाव ण भंजेसि तो ते अज्ज जाओ इमाओ छ हिरण्णकोडिओ णिहाणपउत्ताओ, छ वडढिपउत्ताओ, छ पवित्थरपउत्ताओ, ताओ साओ गिहाओ णीणेमि, णीणेत्ता आलभियाए णयरीए सिंघाडय तिय-चउक्क-चच्चर-चउम्मह- महापहपहेस सव्वओ समंता विप्पइरामि, जहा णं तुमं अट्ट-दुहट्ट-वसट्टे अकाले चेव जीवियाओ ववरोविज्जसि | तए णं से चुल्लसयए समणोवासए तेणं देवेणं एवं वुत्ते समाणे अभीए जाव विहरइ । तए णं से देवे चुल्लसयगं समणोवासयं अभीयं जाव पासइ, पासित्ता दोच्चं पि तच्चं पि तहेव भणइ, जाव ववरोविज्जसि | तए णं तस्स चुल्लसयगस्स समणोवासयस्स तेणं देवेणं दोच्चंपि तच्चपि एवं वुत्तस्स समाणस्स अयमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पण्णे- अहो णं इमे पुरिसे अणारिए जहा चुलणीपिया तहा चिंतेइ जाव आयंचड़, जाओ वि य णं इमाओ ममं छ हिरण्णकोडीओ णिहाणपउत्ताओ, छ वढिपउत्ताओ छपवित्थरपउत्ताओ, ताओ वि य णं इच्छइ मम साओ गिहाओ णीणेत्ता आलभियाए णयरीए सिंघाडग जाव विप्पइरित्तए, तं सेयं खल ममं एयं पुरिसं गिण्हित्तए त्ति कट्ठ उद्घाइए, जहा सुरादेवो । तहेव भारिया पुच्छड़, तहेव कहेइ । [ब्द Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ w [] W [6][] ज उपासकदसांग सूत्र सेसं जहा चुलणीपियस्स जाव सोहम्मे कप्पे अरुणसिद्धे विमाणे उववण्णे । चत्तारि ओवमा ठ | से णं भंते ! चुल्लसयए ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं, भवक्खएणं, ठिइक्खणं अनंतरं चयं चइता कहिं गमिहिइ ? कहिं उववज्जिहिइ ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ । णिक्खेवो जहा पढमस्स । ॥ पंचमं अज्झयणं समत्त ॥ छट्ठे अज्झयणं कुंडकोलिए छट्ठस्स उक्खेवओ । एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं कंपिल्लपुरे णयरे सहस्संबवणे उज्जाणे । जियसत्तू राया । कुंडकोलिए गाहावई । पूसा भारिया । छ हिरणक णिहाणपउत्ताओ, छ वुड्ढपउत्ताओ, छ पवित्थरपउत्ताओ, छ वया, दस गोसाहस्सिएणं aणं । सामी समोसढे । जहा कामदेवो तहा सावयधम्मं पडिवज्जइ । सा चेव वत्तव्वया जाव पडिलाभेमाणे विहरइ तए णं से कुण्डकोलिए समणोवासए अण्णया कयाई पुव्वावरण्ह-कालसमयंसि जेणेव असोगवणिया, जेणेव पुढवि-सिला-पट्टए, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता णाममुद्दगं च उत्तरिज्जगं च पुढविसिला - पट्टए ठवेइ, ठवेत्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स [अंतियं] धम्मपणत्तिं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ । तए णं तस्स कुंडकोलियस्स समणोवासयस्स अंतिए एगे देवे पाउब्भवित्था । तणं से देवे णाममुद्दगं च उत्तरिज्जगं च पुढविसिला-पट्टयाओ गेण्हइ, गेण्हित्ता अंतलिक्ख-पडिवणे जाव कुंडकोलियं समणोवासयं एवं वयासी- हं भो कुंडकोलिया समणोवासया ! सुंदरी णं देवाणुप्पिया ! गोसालस्स मंखलीपुत्तस्स धम्मपण्णत्ती- णत्थि उट्ठाणे इ वा, कम्मे इ वा, बले इ वा, वीरिए इ वा, पुरिसक्कार- परक्कमे इ वा, णियया सव्वभावा, मंगुली णं समणस्स भगवओ महावीरस्स धम्मपण्णत्ती- अत्थि उट्ठाणे इ वा, कम्मे इ वा, बले इ वा, वीरिए इ वा, पुरिसक्कार परक्कमे इ वा, अणियया सव्वभावा । तए णं से कुंडकोलिए समणोवासए तं देवं एवं वयासी- जइ णं देवा ! सुंदरी गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स धम्मपण्णत्ती- णत्थि उट्ठाणे इ वा कम्मे इ वा, बले इ वा, वीरिए इ वा, 27 Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपासकदसांग सूत्र परिसक्कार-परक्कमे इ वा, णियया सव्वभावा, मंगली णं समणस्स भगवओ महवीरस्स धम्मपणत्ती-अत्थि उट्ठाणे इ वा जाव अणियया सव्वभावा। तुमे णं देवा ! इमा एयारूवा दिव्वा देविडढी, दिव्वा देवज्जई, दिव्वे देवाणभावे किण्णा लद्धे, किण्णा पत्ते, किण्णा अभिसमण्णागए ? किं उट्ठाणेणं कम्मेणं, बलेणं, वीरिएणं परिसक्कारपरक्कमेणं ? उदाह अणुट्ठाणेणं अकम्मेणं, अबलेणं, अवीरिएणं अपुरिसक्कार- परक्कमेणं ? तए णं से देवे कंडकोलियं समणोवासयं एवं वयासी- एवं खलु देवाणुप्पिया ! मए इमेयारुवा दिव्वा देविड्ढी जाव अपुरिसक्कारपरक्कमेणं लद्धा, पत्ता, अभिसमण्णागया । तए णं से कुंडकोलिए समणोवासए तं देवं एवं वयासी- जइ णं देवा ! तुमे इमा एयारूवा दिव्वा देविड्ढी जाव अपरिसक्कार-परक्कमेणं लद्धा, पत्ता, अभिसमण्णागया, जेसिं णं जीवाणं णत्थि उट्ठाणे इ वा, परक्कमे इ वा, ते किं ण देवा? अह णं, देवा! तुमे इमा एयारूवा दिव्वा देविड्ढी जाव परक्कमेणं लद्धा, पत्ता, अभिसमण्णागया, तो जं वदसिसुंदरी णं गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स धम्मपण्णत्ती- णत्थि उट्ठाणे इ वा जाव णियया सव्वभावा, मंगुली णं समणस्स भगवओ महावीरस्स धम्मपण्णत्ती- अत्थि उट्ठाणे इ वा जाव अणियया सव्वभावा, तं ते मिच्छा | तए णं से देवे कुंडकोलिएणं समणोवासएणं एवं वुत्ते समाणे संकिए कंखिए, विइगिच्छासमावण्णे, कलुस समावण्णे णो संचाएइ कुंडकोलियस्स समणोवासयस्स किंचि पामोक्ख-माइक्खित्तए; णाममुद्दयं च उत्तरिज्जयं च पुढविसिला-पट्टए ठवेइ, ठवेत्ता जामेव दिसिं पाउब्भूए, तामेव दिसिं पडिगए । तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे । तए णं से कुंडकोलिए समणोवासए इमीसे कहाए लद्धडे हट्ट जहा कामदेवो तहा णिग्गच्छड़ जाव पज्जुवासइ | धम्मकहा । कुंडकोलिया ! त्ति समणे भगवं महावीरे कुंडकोलियं समणोवासयं एवं वयासी- से णूणं कंडकोलिया ! कल्लं तब्भं अंतिए पव्वावरण्ह-काल-समयंसि असोग वणियाए एगे देवे पाउब्भवित्था । तए णं से देवे णाम-मुद्दगं च तहेव जाव णो संचाएइ तुब्भे किंचि पामोक्खमाइक्खित्तए, णाममुद्दगं च उत्तरिज्जगं च पुढविसिलापट्टए ठवेइ, ठवेत्ता जामेव दिसं पाउब्भूए, तामेव दिसं पडिगए । से णूणं कुंडकोलिया ! अढे समढे ? हंता अत्थि । तं धण्णेसि णं तुमं कुंडकोलिया ! जहा कामदेवो । अज्जो ! त्ति समणे भगवं महावीरे समणे णिग्गंथे य णिग्गंथीओ य आमंतित्ता एवं वयासी-जइ ताव, अज्जो ! गिहिणो गिहिमज्झावसंत्ताणं अण्णउत्थिए अद्वेहि य हेऊहि य पसिणेहि य कारणेहि य वागरणेहि य णिप्पट्ठ-पसिणवागरणे करेइ, सक्का पुणाई, अज्जो ! Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४ १६ ~~ उपासकदसांग सूत्र समणेहिं णिग्गंथेहिं दुवालसंगं गणि-पिडगं अहिज्जमाणेहिं अण्णउत्थिया अट्ठेहि य हेऊहि य पसिणेहि य कारणेहि य वागरणेहि य णिप्पट्ट - पसिणवारणा करित्तए । तए णं समणा णिग्गंथा य णिग्गंथीओ य समणस्स भगवओ महावीरस्स 'तह' त्ति एयमट्ठे विणएणं पडिसुर्णेति । तए णं से कुंडकोलिए समणोवासए समणं भगवं महावीरं वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता पसिणाइं पुच्छ्इ, पुच्छित्ता अट्ठमादियइ, अट्ठमादित्ता जामेव दिसिं पाउब्भूए तामेव दिसिं पडिगए । सामी बहिया जणवय-विहारं विहरइ । तए णं तस्स कुंडकोलियस्स समणोवासयस्स बहूहिं सील जाव भावेमाणस्स चोद्दस संवच्छराइं वइक्कंताइं । पण्णरसमस्स संवच्छरस्स अंतरा वट्टमाणस्स अण्णया कयाइ जहा कामदेवो तहा जेट्ठपुत्तं ठवेत्ता तहा पोसहसालाए जाव धम्मपण्णत्तिं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ । एवं एक्कारस उवासग पडिमाओ तहेव जाव सोहम्मे कप्पे अरुणज्झए विमा जाव चत्तारि पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता । से णं भंते ! कुंडकोलिए ताओ देवलगाओ आउक्खएणं, भवक्खएणं, ठिइक्खएणं अनंतरं चयं चइत्ता कहिं गमिहिइ ? कहिं उववज्जिहिइ ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ, बुज्झिहिइ मुच्चिहिइ, सव्व दुक्खाणं अंतं काहि । णिक्खेवो जहा पढमस्स । ॥ छ अज्झयणं समत्त ॥ सत्तमं अज्झयणं सद्दालपुत् सत्तमस्स उक्खेवो । पोलासपुरे णामं णयरे । सहस्संबवणे उज्जाणे । जियसत्तू राया । तत्थ णं पोलासपुरे णयरे सद्दालपुत्ते णामं कुंभकारे आजीविओवासए परिवसइ । आजीवियसमयंसि लद्धट्ठे, गहियट्ठे, पुच्छियट्ठे, विणिच्छियट्ठे, अभिगयट्ठे, अट्ठिमिंज-पेमाणुरागरत्ते अयमाउसो ! आजीविय समए अट्ठे, अयं परमट्ठे, सेसे अणट्टे त्ति आजीविय समएणं अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । तस्स णं सद्दालपुत्तस्स आजीविओवासगस्स एक्का हिरण्णकोडी णिहाणपउत्ता, एक्का वुड्ड्ढिपउत्ता, एक्का पवित्थरपउत्ता, एक्के वए, दस-गोसाहस्सिएणं वएणं । 29 Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपासकदसांग सूत्र | GC तस्स णं सद्दालपुत्तस्स आजीविओवासगस्स अग्गिमित्ता णामं भारिया होत्था । । तस्स णं सद्दालपुत्तस्स आजीविओवासगस्स पोलासपुरस्स णगरस्स बहिया पंच कुंभकारावण-सया होत्था । तत्थ णं बहवे पुरिसा दिण्ण-भइ-भत्त-वेयणा कल्लाकल्लिं बहवे करए य वारए य पिहडए य घडए य अद्ध घडए य कलसए य अलिंजरए य जंबूलए य उट्टियाओ य करेंति । अण्णे य से बहवे पुरिसा दिण्ण-भइ-भत्त-वेयणा कल्लाकल्लिं तेहिं बहहिं करएहि य वारएहि य पिहडएहि य घडएहि य अद्ध-घडएहि य कलसएहि य अलिंजरएहि य जंबूलएहि य उट्टियाहि य रायमग्गंसि वित्तिं कप्पेमाणा विहरंति | तए णं से सद्दालपुत्ते आजीविओवासए अण्णया कयाई पुव्वावरण्ह-काल-समयंसि जेणेव असोगवणिया, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स [अंतियं] धम्मपण्णत्तिं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ । तए णं तस्स सद्दालपत्तस्स आजीविओवासगस्स अंतिए एगे देवे पाउब्भवित्था । तए णं से देवे अंतलिक्ख पडिवण्णे सखिंखिणियाइं पंचवण्णाई वत्थाई पवर परिहिए सद्दालपुत्तं आजीविओवासयं एवं वयासी-एहिइ णं देवाणुप्पिया ! कल्लं इहं महामाहणे, उप्पण्णणाण-दंसणधरे, तीय-पडुप्पण्ण-मणागय-जाणए, अरहा, जिणे, केवली, सव्वण्णू, सव्वदरिसी, तेलोक्क-वहिय-महिय-पूइए, सदेवमणुयासुरस्स लोगस्स अच्चणिज्जे वंदणिज्जे णमंसणिज्जे सक्कारणिज्जे सम्माणणिज्जे, कल्लाणं, मंगलं, देवयं, चेइयं पज्जुवासणिज्जे, तच्च-कम्म-संपया-संपउत्ते । तं णं तुमं वंदेज्जाहि, णमंसेज्जाहि, सक्कारेज्जाहि, सम्माणेज्जाहि, कल्लाणं, मंगलं, देवयं, चेइयं पज्जवासेज्जाहि, पाडिहारिएणं पीढ-फलगसिज्जा-संथारएणं उवणिमंतेज्जाहि । दोच्चं पि तच्चं पि एवं वयइ, वइत्ता जामेव दिसं पाउब्भूए तामेव दिसं पडिगए | तए णं तस्स सद्दालपुत्तस्स आजीविओवासगस्स तेणं देवेणं एवं वुत्तस्स समाणस्स इमेयारुवे अज्झत्थिए, चिंतिए, पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पण्णे-एवं खलु मम धम्मायरिए धम्मोवएसए गोसाले मंखलिपुत्ते, से णं महामाहणे उप्पण्ण-णाण-दंसणधरे जाव तच्च-कम्म-संपया-संपउत्ते, से णं कल्लं इहं हव्वमागच्छिस्सइ । तए णं तं अहं वंदिस्सामि णमंसिस्सामि जाव सक्कारेस्सामि, सम्माणेस्सामि, कल्लाणं, मंगलं, देवयं, चेइयं पज्जुवासिस्सामि; पाडिहारिएणं जाव पीढ-फलग-सेज्जा-संथारएणं उवणिमंतिस्सामि | तए णं कल्लं जाव जलंते समणे भगवं महावीरे जाव समोसरिए | परिसा णिग्गया जाव पज्जुवासइ । तए णं से सद्दालपुत्ते आजीविओवासए इमीसे कहाए लद्धढे समाणे- एवं खलु समणे भगवं महावीरे जाव जेणेव पोलासपुरे णयरे, जेणेव सहस्संबवणे उज्जाणे, तेणेव उवागच्छइ, Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२ | १३ १४ १५ દા |१७| उपासकदसांग सूत्र उवागच्छित्ता अहापडिरूवं ओग्गहं ओगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरड़, तं गच्छामि णं समणं भगवं महावीरं वंदामि णमंसामि, सक्कारेमि, सम्माणेमि कल्लाणं, मंगलं, देवयं, चेइयं पज्जुवासामि एवं संपेहेइ, संहिता हाए जाव अप्पमहग्घाभरणालंकिय- सरीरे, मणुस्सवग्गुरा-परिगए साओ गिहाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता, पोलासपुरं णयरं मज्झंमज्झेणं णिग्गच्छइ, णिग्गच्छित्ता जेणेव सहस्संबवणे उज्जाणे, जेणेव समणे भगवं महावीरे, तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ, णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता णच्चासण्णे णाइदूरे सुस्सूसमाणे णमंसमाणे अभिमुहे विणएणं पंजलिउडे पज्जुवासइ । तए णं समणे भगवं महावीरे सद्दालपुत्तस्स आजीविओवासगस्स तीसे य महइ जाव धम्मं परिकइ । सद्दालपुत्ता ! इ समणे भगवं महावीरे सद्दालपुत्तं आजीविओवासयं एवं वयासी - सेणूणं सद्दालपुत्ता ! कल्लं तुमं पुव्वावरण्ह - काल - समयंसि जेणेव असोगवणिया जाव विहरसि । तणं एगे देवे तुब्भं अंतियं पाउब्भवित्था । तए णं से देवे अंतलिक्ख- पडिवण्णे एवं वयासी- हं भो ! सद्दालपुत्ता ! तं चेव सव्वं जाव से णूणं सद्दालपुत्ता! अट्ठे समट्ठे ? हंता ! अत्थि । णो खलु सद्दालपुत्ता ! तेणं देवेणं गोसालगमंखलिपुत्तं पणिहाय एवं वृत्ते । तए णं तस्स सद्दालपुत्तस्स आजीविओवासयस्स समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्तस्स समाणस्स इमेयारुवे अज्झत्थिए चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पण्णे एस णं समणे भगवं महावीरे महामाहणे, उप्पण्ण णाणदंसणधरे जाव तच्च-कम्मसंपया - संपत्ते । तं यं खलु ममं समणं भगवं महावीरं वंदित्ता णमंसित्ता पाडिहारिएणं पीढ-फलग-सेज्जासंथारएणं उवणिमंतित्तए । एवं संपेहेइ, संपेहित्ता उट्ठाए उट्ठेइ, उट्ठेत्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ, णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासी- एवं खलु भंते! ममं पोलासपुरस्स णयरस बहिया पंच कुंभकारावणसया । तत्थ णं तुब्भे जाव पाडिहारियं पीढ-फलग सेज्जासंथारयं ओगिण्हित्ता णं विहरह । तए णं समणे भगवं महावीरे सद्दालपुत्तस्स आजीविओवासगस्स एयमट्ठे पडिसुणेइ, पडिसुणेत्ता सद्दालपुत्तस्स आजीविओवासगस्स पंचकुंभकारावणसएस फासु-एसणिज्जं पाडिहारियं पीढ-फलग सेज्जा संथारयं ओगिण्हित्ता णं विहरइ । तए णं से सद्दालपुत्ते आजीविओवासए अण्णया कयाइं वायाहययं कोलाल-भंड अंतो सालाहिंतो बहिया णीणेइ, णीणेत्ता, आयवंसि दल । तणं से समणे भगवं महावीरे सद्दालपुत्तं आजीविओवासयं एवं वयासी - सद्दालपुत्ता ! एस णं कोलालभंडे कओ ? 31 Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९ २० २१ २२ २६ उपासकदसांग सूत्र तणं से सद्दालपुत्ते आजीविओवासए समणं भगवं महावीरं एवं वयासी-एस णं भंते ! पुव्विं मट्टिया आसी, तओ पच्छा उदएणं णिमिज्जइ, णिमिज्जित्ता छारेण य करिसेण य एगयाओ मीसिज्जइ, मीसिज्जित्ता चक्के आरोहिज्जइ, तओ बहवे करगा य जाव उट्टियाओ य कज्जति । तणं समणे भगवं महावीरे सद्दालपुत्तं आजीविओवासयं एवं वयासी- सद्दालपुत्ता ! एस णं कोलालभंडे किं उट्ठाणेणं जाव पुरिसक्कार-परक्कमेणं कज्जंति ? उदाहु अणुट्ठाणं अपुरिसक्कार-परक्कमेणं कज्जंति ? तए णं से सद्दालपुत्ते आजीविओवासए समणं भगवं महावीरं एवं वयासी- भंते! अणुट्ठाणेणं जाव अपुरिसक्कार-परक्कमेणं । णत्थि उट्ठाणे इ वा जाव परक्कमे इ वा, णियया सव्वभावा । तणं समणे भगवं महावीरे सद्दालपुत्तं आजीविओवासयं एवं वयासी- सद्दालपुत्ता ! जइ णं तुब्भं केइ पुरिसे वायाहयं वा पक्केल्लयं वा कोलालभंडं अवहरेज्जा वा विक्खरेज्जा वा भिंदेज्जा वा अच्छिंदेज्जा वा परिट्ठवेज्जा वा, अग्गिमित्ताए वा भारियाए सद्धिं विउलाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरेज्जा, तस्स णं तुमं पुरिसस्स किं दंडं वत्तेज्जासि ? भंते ! अहं णं तं पुरिसं णिब्भच्छेज्जा वा हणेज्जा वा बंधेज्जा वा महेज्जा वा तज्जेज्जा वा तालेज्जा वा णिच्छोडेज्जा वा णिब्भच्छेज्जा वा अकाले चेव जीवियाओ ववरोवेज्जा । सद्दालपुत्ता ! णो खलु तुब्भं केइ पुरिसे वायाहयं वा पक्केल्लयं वा कोलालभंडं अवहरइ वा जाव परिट्ठवइ वा, अग्गिमित्ताए वा भारियाए सद्धिं विउलाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरइ, णो वा तुमं तं पुरिसं आओसेज्जसि वा हणेज्जसि वा बंधेज्जसि वा महेज्जसि वा तज्जेज्जस्सि वा तालेज्जसि वा णिच्छोडेज्जसि वा णिब्भच्छेज्जसि वा अकाले चेव जीवियाओ ववरोवेज्जसि; जइ णत्थि उट्ठाणे इ वा जाव परक्कमे इ वा, णियया सव्वभावा । अह णं तुब्भं केइ पुरिसे वायाहयं वा पक्केल्लयं वा कोलालभंडं अवहरइ वा विक्खिरइ वा भिंदइ वा अच्छिंदइ वा परिट्ठवेइ वा, अग्गिमित्ताए वा भारियाए सद्धिं विउलाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरइ, तुमं वा तं पुरिसं आओसेसि वा हणेसि वा बंधेसि वा महेसि वा तज्जेसि वा तालेसि वा णिच्छोडेसि वा णिब्भच्छेसि वा अकाले चेव जीवियाओ ववरोवेसि । तो जं वदसि - णत्थि उट्ठाणे इ वा जाव णियया सव्वभावा, तं ते मिच्छा | एत्थ णं से सद्दालपुत्ते आजीविओवास संबुद्धे । तए णं से सद्दालपुत्ते आजीविओवासए समणं भगवं महावीरं वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासी- इच्छामि णं भंते! तुब्भं अंतिए धम्मं णिसामेत्तए । तए णं समणे भगवं महावीरें सद्दालपुत्तस्स आजीविओवासगस्स धम्मं परिकहेइ । 32 Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ રાણ ୮୫ 30 उपासकदसांग सूत्र तए णं से सद्दालपुत्ते आजीविओवासए समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्मं सोच्चा णिसम्म हट्ठ-तुट्ठ जाव हियए जहा आणंदो तहा गिहिधम्मं पडिवज्जइ । वरं गा हिरण्णकोडी णिहाणपउत्ता, एगा हिरण्णकोडी वुड्ढिपउत्ता, एगा हिरण्णकोड पवित्थरपउत्ता, एगे वए, दस गो-साहस्सिएणं वएणं जाव समणं भगवं महावीरं वंद णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता जेणेव पोलासपुरे णयरे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पोलासपुरं णयरं मज्झमज्झेणं जेणेव सए गिहे, जेणेव अग्गिमित्ता भारिया, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता, अग्गिमित्तं भारियं एवं वयासी- एवं खलु देवाणुप्पिए ! सम भगवं महावीरे जाव समोसढे, तं गच्छाहि णं तुमं, समणं भगवं महावीरं वदाहि व पज्जुवासाहि, समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए पंचाणुव्वइयं सत्तसिक्खावइयं दुवालसविहं गिहिधम्मं पडिवज्जाहि । तए णं सा अग्गिमित्ता भारिया सद्दालपुत्तस्स समणोवासगस्स 'तह' त्ति एयमट्ठे विणएणं पडिसुणेइ । तए णं से सद्दालपुत्ते समणोवासए कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासीखिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! जाव जुत्तामेव धम्मियं जाणप्पवरं उवट्ठवेह, उवट्ठवेत्ता मम एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह । तए णं ते कोडुंबियपुरिसा सद्दालपुत्तेणं समणोवासएणं एवं वुत्ता समाणा हट्ठतुट्ठचित्तमाणंदिया, पीइमणा, परमसोमणस्सिया, हरिसवसविसप्पमाणहियया, करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु 'एवं सामी' त्ति आणाए विणणं वयणं पडिसुर्णेति, पडिसुणेत्ता खिप्पामेव लहुकरणजुत्तजोइयं जाव धम्मियं जाणप्पवरं वे तमाणत्तियं पच्चप्पिति । तए णं सा अग्गिमित्ता भारिया हाया जाव अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरा, चेडियाचक्कवाल-परिकिण्णा धम्मियं जाणप्पवरं दुरुहइ, दुरुहित्ता पोलासपुरं णयरं मज्झंमज्झेणं णिग्गच्छइ, णिग्गच्छित्ता जेणेव सहस्संबवणे उज्जाणे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता धम्मियाओ जाणप्पवराओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता चेडियाचक्कवालपरिवुडा जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता णच्चासण्णे णाइदूरे सुस्सूसमाणा, णमंसमाणा अभिमुहे विणणं पंजलिउडा ठिझ्या चेव पज्जुवासइ । ३२ तणं समणे भगवं महावीरे अग्गिमित्ताए, तीसे य महइ महालियाए परिसाए धम्मं परिकहेइ। 33 Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपासकदसांग सूत्र तए णं सा अग्गिमित्ता भारिया समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्म सोच्चाणिसम्म हह-तुट्ठा समणं भगवं महावीरं वंदइ णमंसइ, वंदित्ता, णमंसित्ता एवं वयासीसद्दहामि णं भंते ! णिग्गंथं पावयणं, पत्तियामि णं भंते ! णिग्गंथं पावयणं, रोएमि णं भंते ! णिग्गंथं पावयणं, एवमेयं भंते ! से जहेयं तुब्भे वयह । जहा णं देवाणुप्पियाणं अंतिए बहवे उग्गा, भोगा, राइण्णा, खत्तिया, माहणा, भडा, जोहा पसत्थारो, मल्लई, लेच्छई, अण्णे य बहवे राईसर-तलवर-माइंबिय-कोडुबिय-इब्भ- सेटि-सेणावइसत्थवाहप्पभिइया मुंडा भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइया, णो खलु अहं तहा संचाएमि देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडा भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइत्तए । अहं णं देवाणुप्पियाणं अंतिए पंचाणुव्वइयं सत्त-सिक्खावइयं दुवालसविहं गिहिधम्म पडिवज्जिस्सामि । अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेह । तए णं सा अग्गिमित्ता भारिया समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए पंचाणुवइयं सत्तसिक्खावइयं दुवालसविहं सावगधम्म पडिवज्जइ, पडिवज्जित्ता समणं भगवं महावीर वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता तमेव धम्मियं जाणप्पवरं दुरुहइ, दुरुहित्ता जामेव दिसिं पाउब्भूया, तामेव दिसिं पडिगया । तए णं समणे भगवं महावीरे अण्णया कयाई पोलासपुराओ णयराओ सहस्संबवणाओ उज्जाणाओ पडिणिग्गच्छइ, पडिणिग्गच्छित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ । तए णं से सद्दालपत्ते समणोवासए जाए अभिगयजीवाजीवे जाव विहरइ । तए णं सा अग्गिमित्ता भारिया समणोवासिया जाया अभिगयजीवाजीवे जाव विहरइ । तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते इमीसे कहाए लद्धढे समाणे- एवं खलु सद्दालपुत्ते आजीवियसमयं वमित्ता समणाणं णिग्गंथाणं दिहिं पडिवण्णे । तं गच्छामि णं सद्दालपुत्तं आजीविओवासयं समणाणं णिग्गंथाणं दिदि वामेत्ता पुणरवि आजीविय दिहिं गेण्हावित्तए त्ति कट्ट एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता आजीविय-संघसंपरिवुड़े जेणेव पोलासपुरे णयरे, जेणेव आजीवियसभा, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता आजीवियसभाए भंडग- णिक्खेवं करेइ, करेत्ता कइवएहिं आजीविएहिं सद्धिं जेणेव सद्दालपुत्ते समणोवासए तेणेव उवागच्छड़ । तए णं से सद्दालपुत्ते समणोवासए गोसालं मंखलिपुत्तं एज्जमाणं पासइ, पासित्ता णो आढाइ, णो परिजाणाइ, अणाढायमाणे अपरिजाणमाणे तुसिणीए संचिट्ठइ । तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते सद्दालपुत्तेणं समणोवासएणं अणाढाइज्जमाणे अपरिजाणिज्जमाणे पीढ-फलग-सिज्जा-संथारट्ठयाए समणस्स भगवओ महावीरस्स गुणकित्तणं करेमाणे सद्दालपुत्तं समणोवासयं एवं वयासी- आगए णं देवाणुप्पिया ! इहं महामाहणे ? ३६ Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपासकदसांग सूत्र ४० तए णं से सद्दालपुत्ते समणोवासए गोसालं मंखलिपुत्तं एवं वयासी- के णं, देवाणुप्पिया ! महामाहणे? तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते सद्दालपुत्तं समणोवासयं एवं वयासी- समणे भगवं महावीरे महामाहणे । से केणटेणं देवाणुप्पिया ! एवं वुच्चइ- समणे भगवं महावीरे महामाहणे ? एवं खलु सद्दालपुत्ता ! समणे भगवं महावीरे महामाहणे उप्पण्ण-णाण-दंसणधरे जाव महिय- पूइए जाव तच्च-कम्म-संपया-संपउत्ते । से तेणद्वेणं देवाणुप्पिया ! एवं वुच्चइसमणे भगवं महावीरे महामाहणे । आगए णं देवाणुप्पिया ! इहं महागोवे ? के णं देवाणुप्पिया ! महागोवे ? समणे भगवं महावीरे महागोवे | से केणटेणं, देवाणुप्पिया ! एवं वुच्चइ- समणे भगवं महावीरे महागोवे। एवं खलु, देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे संसाराडवीए बहवे जीवे णस्समाणे, विणस्समाणे, खज्जमाणे, छिज्जमाणे, भिज्जमाणे, लुप्पमाणे, विलुप्पमाणे, धम्ममएणं दंडेणं सारक्खमाणे, संगोवेमाणे, णिव्वाण-महावाडं साहत्थिं संपावेइ । से तेणटेणं सद्दालपुत्ता ! एवं वुच्चइ- समणे भगवं महावीरे महागोवे ।। आगए णं देवाणुप्पिया ! इहं महासत्थवाहे ? के णं देवाणुप्पिया ! महासत्थवाहे? सद्दालपुत्ता ! समणे भगवं महावीरे महासत्थवाहे | से केणटेणं ? । एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे संसाराडवीए बहवे जीवे णस्समाणे, विणस्समाणे, खज्जमाणे, छिज्जमाणे, भिज्जमाणे, लुप्पमाणे, विलुप्पमाणे उम्मग्ग पडिवण्णे धम्ममएणं पंथेणं सारक्खमाणे णिव्वाण-महापट्टणाभिमुहे साहत्थिं संपावेइ | से तेणद्वेणं सद्दालपुत्ता ! एवं वुच्चइ- समणे भगवं महावीरे महासत्थवाहे । आगए ण देवाणुप्पिया ! इहं महाधम्मकही ? के णं देवाणुप्पिया ! महाधम्मकही? समणे भगवं महावीरे महाधम्मकही । से केणद्वेणं समणे भगवं महावीरे महाधम्मकही? एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे महइ-महालयंसि संसारंसि बहवे जीवे णस्समाणे, विणस्समाणे, खज्जमाणे, छिज्जमाणे, भिज्जमाणे, लुप्पमाणे, विलुप्पमाणे, उम्मग्गपडिवण्णे, सप्पह-विप्पणढे मिच्छत्त-बलाभिभूए, अट्ठविह-कम्म-तम-पडलपडोच्छण्णे, बहहिं अद्वेहि य जाव वागरणेहि य चाउरंताओ संसारकंताराओ साहत्थिं णित्थारेइ । से तेणटेणं देवाणुप्पिया ! एवं वुच्चइ- समणे भगवं महावीरे महाधम्मकही। आगए णं देवाणुप्पिया! इहं महाणिज्जामए? के णं देवाणुप्पिया! महाणिज्जामए? समणे भगवं महावीरे महाणिज्जामए । से केणद्वेणं ? Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२ ४३ ४४ उपासकदसांग सूत्र व एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे संसार महासमुद्दे बहवे जीवे णस्समाणे, विणस्समाणे जाव विलुप्पमाणे बुड्डमाणे, णिबुड्डमाणे, उप्पियमाणे धम्ममई णिव्वाण-तीराभिमुहे साहत्थिं संपावेइ । से तेणद्वेणं देवाणुप्पिया ! एवं वुच्चइ समणे भगवं महावीरे महाणिज्जाम । तए णं से सद्दालपुत्ते समणोवासए गोसालं मंखलिपुत्तं एवं वयासी- तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! इयच्छेया इयदच्छा, इयपट्ठा, इयणिउणा, इय-णयवादी, इय-उवएसलद्धा, इय- विण्णाणपत्ता, पभू णं तुब्भे मम धम्मायरिएणं धम्मोवएसएणं भगवया महावीरेणं सद्धिं विवादं करेत्तए? णो इणट्ठे समट्ठे । से केणद्वेणं देवाणुप्पिया ! एवं वुच्चइ- णो खलु पभू तुब्भे ममं धम्मायरिएणं धम्मोवएसएणं, समणेणं भगवया महावीरेणं सद्धिं विवादं करेत्तए ? चम्मेट्ठ-दुघण-मुट्ठिय-समाहय-णिचिय-गत्ते, सद्दालपुत्ता ! से जहाणामए केइ पुरिसे तरुणे जुगवं बलवं, अप्पायंके, थिरग्गहत्थे, पडिपुण्णपाणिपाए, पिट्ठतरोरुसंघायपरिणए, घणणिचियवट्टपालिखंधे, लंघण-पवण- जइणवायाम-समत्थे, उरस्सबलसमण्णागए, तालजमलजुयलबाहू, छेए, दक्खे, पत्तट्ठे णिउण- सिप्पोवगए एगं महं अयं वा एलयं वा सूयरं वा कुक्कुडं वा तित्तिरं वा वट्टयं वा लावयं वा कवोयं वा कविजलं वा वायसं वा सेणयं वा हत्थंसि वा पायंसि वा खुरंसि वा पुच्छंसि वा पिच्छंसि वा सिंगंसि वा, विसाणंसि वा, रोमंसि वा जहिं जहिं गिण्हइ, तहिं तहिं णिच्चलं णिप्फंदं धरेइ । एवामेव समणे भगवं महावीरे ममं बहूहिं अट्ठेहि य हेऊहि य पसिणेहि य कारणेहि य वागरणेहि य जहिं जहिं गिण्हइ तहिं तहिं णिप्पट्ठ-पसिण- वागरणं करेइ । से तेणद्वेणं सद्दालपुत्ता ! एवं वच्च - णो खलु भू अहं तव धम्मायरिएणं जाव महावीरेणं सद्धिं विवादं करेत्तए । त णं से सद्दालपुत्ते समणोवासए गोसालं मंखलिपुत्तं एवं वयासी- जम्हा णं देवाणुप्पिया ! तुब्भे मम धम्मायरियस्स धम्मोवएसगस्स, समणस्स भगवओ महावीरस्स संतेहिं, तच्चेहिं, तहिएहिं सब्भूएहिं भावेहिं गुणकित्तणं करेह, तम्हा णं अहं भे पाडिहारिएणं पीढ-फलग - सेज्जा - संथारएणं उवणिमंतेमि, णो चेव णं धम्मोत्ति वा, तवोत्ति वा । तं गच्छह णं तुब्भे मम कुंभारावणेसु पाडिहारियं पीढ-फलग सेज्जा- संथारयं ओगिण्हित्ताणं विहरह । तणं से गोसाले मंखलिपुत्ते सद्दालपुत्तस्स समणोवासयस्स एयमहं पडिसुणेइ, पडिसुणेत्ता कुंभारावणेसु पाडिहारियं पीढ - फलग- सेज्जा - संथारयं ओगिण्हित्ताणं विरइ । तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते सद्दालपुत्तं समणोवासयं जाहे णो संचाएइ बहूहिं आघवणाहि य पण्णवणाहि य सण्णवणाहि य विण्णवणाहि य णिग्गथाओ पावयणाओ चालित्तए वा 36 Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपासकदसांग सूत्र खोभित्तए वा विपरिणामित्तए वा, ताहे संते, तंते, परितंते पोलासपुराओ णयराओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता बहिया जणवय-विहारं विहरइ । तए णं तस्स सद्दालपुत्तस्स समणोवासयस्स बहूहिं सीलजाव भावेमाणस्स चोद्दस संवच्छराई वइक्कंताई । पण्णरसमस्स संवच्छरस्स अंतरा वट्टमाणस्स अण्णया कयाई पुव्व- रत्तावरत्त-काले जाव समणस्स भगवओ महावीरस्स [अंतियं] धम्मपण्णत्तिं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ । तए णं तस्स सद्दालपुत्तस्स समणोवासयस्स अंतियं पुव्वरत्तावरत्तकाले एगे देवे पाउब्भवित्था । तए णं से देवे एगं महं णीलुप्पल जाव खुरधारं असं गहाय सद्दालपुत्तं समणोवासयं एवं वयासी- हं भो सद्दालपत्ता समणोवासया ! एवं सव्वं उच्चारेयव्वं जाव आयंचइ। णवरं एक्केक्के पुत्ते णव मंस-सोल्लए करेइ आयंचइ । तए णं से सद्दालपुत्ते समणोवासए अभीए जाव विहरइ । तए णं से देवे सद्दालपुत्तं समणोवासयं अभीयं जाव पासित्ता चउत्थं पि सद्दालपुत्तं समणोवासयं एवं वयासी- हं भो सद्दालपत्ता समणोवासया ! अपत्थियपत्थिया जाव ण भंजेसि तओ जा इमा अग्गिमित्ता भारिया धम्म-सहाइया, धम्मबिइज्जिया, धम्माणुरागरत्ता, सम-सुह- दुक्ख-सहाइया, तं ते साओ गिहाओ णीणेमि णीणेत्ता तव अग्गओ घाएमि, घाएत्ता णव मंस-सोल्लए करेमि, करेत्ता आदाण-भरियंसि कडाहयंसि अद्दहेमि, अद्दहेत्ता तव गायं मंसेण य सोणिएण य आयंचामि, जहा णं तुम अट्ट-दुहट्टवसट्टे अकाले चेव जीवियाओ ववरोविज्जसि । तए णं से सद्दालपुत्ते समणोवासए तेणं देवेणं एवं वुत्ते समाणे अभीए जाव विहरइ । तए णं से देवे सद्दालपुत्तं समणोवासयं दोच्चपि तच्चपि एवं वयासी- हं भो ! सद्दालपुत्ता समणोवासया ! तं चेव भणइ । तए णं तस्स सद्दालपुत्तस्स समणोवासयस्स तेणं देवेणं दोच्चंपि तच्चपि एवं वुत्तस्स समाणस्स अयं अज्झत्थिए जाव समुप्पण्णे एवं जहा चुलणीपिया तहेव चिंतेइ जाव आयंचइ, जा वि य णं ममं इमा अग्गिमित्ता भारिया सम-सुह-दुक्ख सहाइया, तं पि य इच्छड़ साओ गिहाओ णीणेत्ता ममं अग्गओ घाएत्तए । तं सेयं खलु ममं एयं पुरिसं गिण्हित्तए त्ति कट्ट उद्धाइए । एवं जहा चुलणीपिया तहेव सव्वं भाणियव्वं । णवरं अग्गिमित्ता भारिया कोलाहलं सुणित्ता भणइ । अरुणभूए विमाणे उववण्णे जाव महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ । णिक्खेवो जहा पढमस्स | Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपासकदसांग सूत्र ॥ संत्तम अज्झयणं समत्तं || अट्ठमं अज्झयणं महासयए | - ४ अट्ठमस्स उक्खेवओ । एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे णयरे गुणसीलए चेइए । सेणिए राया । तत्थ णं रायगिहे महासयए णामं गाहावई परिवसइ, अड्ढे, जहा आणंदो । णवरं अट्ठ हिरण्णकोडीओ सकंसाओ णिहाण-पउत्ताओ, अट्ठ हिरण्णकोडीओ सकंसाओ वढिपउत्ताओ, अट्ठ हिरण्णकोडीओ सकंसाओ पवित्थरपउत्ताओ, अट्ठ वया, दस- गो-साहस्सिएणं वएणं । तस्स णं महासयगस्स रेवईपामोक्खाओ तेरस भारियाओ होत्था-अहीण पडिपण्णपंचिंदियसरीराओ,लक्खण-वंजण-गुणोववेयाओ, माणुम्माणप्पमाणपडिपुण्ण- सुजायसव्वंग - सुंदरीओ, ससि-सोमाकार-कंत-पिय-दंसणाओ सुरुवाओ । तस्स णं महासयगस्स रेवईए भारियाए कोल-घरियाओ अट्ठ हिरण्णकोडीओ, अट्ट वया, दसगो-साहस्सिएणं वएणं होत्था । अवसेसाणं दुवालसण्हं भारियाणं कोलघरिया एगमेगा हिरण्णकोडी, एगमेगे य वए, दस-गो-साहस्सिएणं वएणं होत्था । तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे | परिसा णिग्गया । जहा आणंदो तहा णिग्गच्छइ | तहेव सावयधम्म पडिवज्जइ | णवरं अट्ठ हिरण्णकोडीओ सकंसाओ उच्चारेइ, अट्ठ वया | रेवइपामोक्खाहिं तेरसहिं भारियाहिं अवसेस मेहणविहिं पच्चक्खाइ। सेसं सव्वं तहेव, इमं च णं एयारूवं अभिग्गहं अभिगिण्हइ- कल्लाकल्लिं च णं कप्पड़ मे बे-दोणियाए कंस-पाईए हिरण्ण-भरियाए संववहरित्तए । तए णं से महासयए समणोवासए जाए अभिगयजीवाजीवे जाव विहरइ । तए णं समणे भगवं महावीरे बहिया जणवय विहारं विहरइ । तए णं तीसे रेवईए गाहावइणीए अण्णया कयाइ पुव्वरत्तावरत्त-कालसमयंसि कुडुंबजागरियं जागरमाणीए इमेयारूवे अज्झत्थिए- एवं खलु अहं इमासिं दुवालसण्हं सवत्तीणं विघाएणं णो संचाएमि महासयएणं समणोवासएणं सद्धिं उरालाई माणस्सयाई भोगभोगाई भुजमाणी विहरित्तए । तं सेयं खलु ममं एयाओ दुवालस वि सवत्तियाओ अग्गिप्पओगेणं वा सत्थप्पओगेणं वा विसप्पओगेणं वा जीवियाओ ववरोवित्ता एयासिं एगमेगं Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १० ११ | १२ १३ १४ १५ |१६| उपासकदसांग सूत्र हिरण्णकोडिं, एगमेगं वयं सयमेव उवसंपज्जित्ताणं महासयएणं समणोवासएणं सद्धिं उरालाई माणुस्सयाइं भोगभोगाई भुंजमाणी विहरित्तए । एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता तासिं दुवालसण्हं सवत्तीणं अंतराणि य छिद्दाणि य विवराणि य पडिजागरमाणी विहरइ । तए णं सा रेवई गाहावइणी अण्णया कयाइ तासिं दुवालसण्हं सवत्तीणं अंतरं जाणित्ता छ सवत्तीओ सत्थप्पओगेणं उद्दवेइ, उद्दवेत्ता छ सवत्तीओ विसप्पओगेणं उद्दवेइ, उद्दवेत्ता तासिं दुवालसण्हं सवत्तीणं कोलघरियं एगमेगं हिरण्णकोडिं, एगमेगं वयं सयमेव पडिवज्जइ, पडिवज्जित्ता महासयएणं समणोवासएणं सद्धिं उरालाई भोगभोगाई भुंजमाणी विहरइ | तए णं सा रेवई गाहावइणी मंसलोलुया, मंसेसु मुच्छिया, गिद्धा, गढिया, अज्झोववण्णा बहुविहेहिं मंसेहि य सोल्लेहि य तलिएहि य भज्जिएहि य सुरं च महुं च मेरगं च मज्जं च सीधुं च पसण्णं च आसाएमाणी, विसाएमाणी, परिभाएमाणी, परिभुंजेमाणी विइ । तए णं रायगिहे णयरे अण्णया कयाइ अणाघाए घुट्ठे यावि होत्था । तए णं सा रेवई गाहावइणी मंसलोलुया, मंसेसु मुच्छिया जाव कोलघरिए पुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी- तुब्भे, देवाणुप्पिया ! मम कोलघरिएहिंतो वएहिंतो कल्लाकल्लिं दुवेदुवे गोण-पोयए उद्दवेह, उद्दवित्ता ममं उवणेह । तए णं ते कोलघरिया पुरिसा रेवईए गाहावइणीए 'तहत्ति' एयमट्ठे विणणं पडिसुणंति, पडिसुणित्ता रेवईए गाहावइणीए कोल घरिएहिंतो वएहिंतो कल्लाकल्लिं दुवे दुवे गोण पोयए वहेंति, वहेत्ता रेवईए गाहावइणीए उवर्णेति । तए णं सा रेवई गाहावइणी तेहिं गोणमंसेहि य सोल्लेहि य तलिएहि य भज्जिएहि य सुरं च महुं च मेरगं च मज्जं च सीधुं च पसण्णं च आसाएमाणी, विसाएमाणी, परिभाएमाणी, परिभुंजेमाणी विहरइ । तए णं तस्स महासयगस्स समणोवासगस्स बहूहिं सीलव्वय जाव भावेमाणस्स चोद्दस संवच्छरा वइक्कंता । एवं जहा आणंदो तहेव जाव धम्मपण्णत्तिं उवसंपज्जित्ता णं विहरइ | तए णं सा रेवई गाहावइणी मत्ता, लुलिया, विइण्णकेसी उत्तरिज्जयं विकड्ढमाणी विकड्ढमाणी जेणेव पोसहसाला जेणेव महासयए समणोवासए, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मोहुम्मायजणणाई, सिंगारियाई इत्थिभावाइं उवदंसेमाणी उवदंसेमाणी महासययं समणोवासयं एवं वयासी- हं भो महासयया समणोवासया धम्म - कामया पुण्णकामया सग्ग-कामया मोक्ख-कामया धम्म- कंखिया जाव मोक्खकंखिया धम्म- पिवासिया जाव मोक्खपिवासिया किण्णं तुब्भं, देवाणुप्पिया धम्मेण वा पुण्णेण वा सग्गेण वा 39 Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७ १८ १९ २० २३ २४ उपासकदसांग सूत्र मोक्खेण वा ? जं णं तुमं मए सद्धिं उरालाई माणुस्साइं भोगभोगाई भुंजमाणे णो विहरसि ? तणं से महासयए समणोवासए रेवईए गाहावइणीए एयमट्ठे नो आढाइ, णो परियाणाइ, अणाढाइज्जमाणे अपरियाणमाणे तुसिणीए धम्मज्झाणोवगए विहरइ । तए णं सा रेवई गाहावइणी महासययं समणोवासयं दोच्चंपि तच्चंपि एवं वयासी- हं भो ! तं चेव भणइ, सो वि तहेव जाव अणाढाइज्जमाणे अपरियाणमाणे तुसिणीए धम्मज्झाणोवगए विहरइ । तए णं सा रेवई गाहावइणी महासयएणं समणोवासएणं अणाढाइज्जमाणी, अपरियाणिज्जमाणी जामेव दिसं पाउब्भूया, तामेव दिसं पडिगया । तए णं से महासयए समणोवासए पढमं उवासग-पडिमं उवसंपज्जित्ता णं विहरइ जाव आइ । एवं एक्कारस वि आराहेइ । तणं से महासयए समणोवासए तेणं उरालेणं जाव किसे धमणिसंतए जाए । तए णं तस्स महासययस्स समणोवासयस्स अण्णया कयाइ पुव्वरत्तावरत्त-काले धम्मजागरियं जागरमाणस्स अयं अज्झत्थिए जाव समुपण्णे - एवं खलु अहं इमेणं उरालेणं जहा आणंदो तहेव अपच्छिम - मारणंतियसंलेहणाए झूसिय-सरीरे भत्त-पाण- पडियाइक्खिए कालं अणवकखमाणे विहरइ । तए णं तस्स महासयगस्स समणोवासगस्स सुभेणं अज्झवसाणेणं सुभेणं परिणामेणं, लेसाहिं विसुज्झमाणीहिं तदावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमेणं ओहिणाणे समुप्पण्णेपुरत्थिमेणं लवणसमुद्दे जोयण - साहस्सियं खेत्तं जाणइ पासइ, एवं दक्खिणेणं, पच्चत्थिमेणं, उत्तरेणं जाव चुल्लहिमवंतं वासहरपव्वयं जाणइ पासइ, उड्ढं जाव सोहम्मेकप्पे जाणइ पासइ, अहे इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए लोलुयच्चुयं [लोलुयं] णरयं चउरासीइ-वाससहस्सट्ठिइयं जाणइ पासइ । तए णं सा रेवई गाहावइणी अण्णया कयाइं मत्ता लुलिया, विइण्णकेसी उत्तरिज्जयं विकड्ढमाणी विकड्ढमाणी जेणेव महासयए समणोवासए जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता महासययं तहेव भणइ जाव दोच्चंपि तच्चंपि एवं वयासी- हं भो तव । तए णं से महासयए समणोवासए रेवईए गाहावइणीए दोच्चंपि, तच्चंपि एवं ते समा आसुरत्ते जाव ओहिं पउंजइ, परंजित्ता ओहिणा आभोएइ, आभोइत्ता रेवई गाहावइणिं एवं वयासी- हं भो रेवई ! अपत्थिय-पत्थिए जाव एवं खलु तुमं अंतो सत्त-रत्तस्स अलसएणं 40 Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ રિદા २७ २९ ३१ उपासकदसांग सूत्र वाहिणा अभिभूया समाणी अट्ट दुहट्टवसट्टा असमाहिपत्ता कालमासे कालं किच्चा आहे इसीसे रयणप्पभाए पुढवीए लोलुयच्चुए [लोलुए] णरए चउरासीइ - वाससहस्सट्ठिइएस रइएस इयत्ताए उववज्जिहिसि । तए णं सा रेवई गाहावइणी महासयएणं समणोवासएणं एवं वुत्ता समाणी- रुट्ठे णं ममं महासयए समणोवासए, हीणे णं ममं महासयए समणोवासए, अवज्झाया णं अहं महासयएणं समणोवासएणं, ण णज्जइ णं अहं केण वि कुमारेणं मारिज्जिस्सामि त्ति क भीया, तत्था, तसिया, उव्विग्गा, संजायभया सणियं-सणियं पच्चोसक्कड़, पच्चोसक्कित्ता जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता ओहय-मण-संकप्पा, चिंता-सोग-सागरसंपविट्ठा, करयल- पल्हत्थमुहा, अट्टज्झाणोवगया, भूमिगय- दिट्ठिया झियाइ । तणं सा रेवई गाहावइणी अंतो सत्तरत्तस्स अलसएणं वाहिणा अभिभूया अट्टदुहट्ट -वसट्टा कालंमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए लोलुयच्चुए [लोलुए] णरए चउरासीइवास-सहस्सट्ठिईएसु णेरइएस णेरइयत्ताए उववण्णा । तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे समोसरिए कहा। परिसा पडिगया । परिसा णिग्गया धम्म गोयमा ! त्ति समणे भगवं महावीरे एवं वयासी एवं खलु गोयमा ! इहेव रायगिहे णयरे मम अंतेवासी महासयए णामं समणोवासए पोसह - सालाए अपच्छिम - मारणंतिय- संलेहणाए झूसिय- सरीरे, भत्तपाण -पडियाइक्खिए कालं अणवकंखमाणे विहरइ । त णं तस्स महासयगस्स रेवई गाहावइणी मत्ता लुलिया, विइण्णकेसी उत्तरिज्जयं विकड्ढमाणी-विकड्ढमाणी जेणेव पोसहसाला, जेणेव महासयए, तेणेव उवागया, एवं उच्चारेयव्वं जाव उववज्जिहिसि । णो खलु कप्पइ, गोयमा ! समणोवासगस्स अपच्छिम मारणंतिय- संलेहणा- झूसणाझूसिय- सरीरस्स, भत्त- पाणपडियाइक्खियस्स परो संतेहिं, तच्चेहिं, तहिएहिं, सब्भूएहिं, अणिट्ठेहिं, अकंतेहिं, अप्पिएहिं, अमणुण्णेहिं, अमणामेहिं वागरणेहिं वागरित्तए । तं गच्छह णं देवाणुप्पिया ! तुमं महासययं समणोवासयं एवं वयाहि- णो खलु देवाणुप्पिया! कप्पइ समणोवासगस्स अपच्छिम मारणंतिय- संलेहणा - झूसणा-झूसियस्स, भत्त-पाणपडियाइक्खियस्स परो संतेहिं तच्चेहि, तहिएहिं, सब्भूएहिं, अणिट्ठेहिं, अकंतेहिं, अप्पिएहिं, अमणुण्णेहिं, अमणामेहिं वागरणेहिं वागरित्तए । तुमे य णं देवाणुप्पिया ! रेवई गाहावइणी संहिं जाव अणिहिं जाव वागरणेहिं वागरिया । तं णं तुमं एयस्स ठाणस्स आलोएहि जाव अहारिहं च पायच्छित्तं पडिवज्जाहि । 41 Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपासकदसांग सूत्र तए णं से भगवं गोयमे समणस्स भगवओ महावीरस्स तहत्ति एयमÉ विणएणं पडिसणेइ, पडिसुणेत्ता तओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता रायगिहं णयरं मज्झं-मज्झेणं अणुप्पविसइ, अणुप्पविसित्ता जेणेव महासयगस्स समणोवासयस्स गिहे, जेणेव महासयए समणोवासए, तेणेव उवागच्छइ । तए णं से महासयए समणोवासए भगवं गोयम एज्जमाणं पासइ, पासित्ता हट्ट जाव हियए भगवं गोयमं वंदइ णमंसइ । तए णं से भगवं गोयमे महासययं समणोवासयं एवं वयासी- एवं ख गुप्पिया! समणे भगवं महावीरे एवमाइक्खइ भासइ पण्णवेइ परूवेइ, णो खल कप्पइ देवाणुप्पिया! समणोवासगस्स अपच्छिम जाव मारणंतिय-संलेहणा-झूसणा-झूसियस्स भत्त-पाणपडियाइक्खियस्स परो संतेहिं, तच्चेहि, तहिएहिं, सब्भूएहिं, अणिटेहिं, अकंतेहिं, अप्पिएहिं, अमणुण्णेहिं, अमणामेहिं वागरणेहिं वागरित्तए | तुमे णं देवाणुप्पिया! रेवई गाहावइणी संतेहिं जाव वागरिया, तं गं तुमं देवाणुप्पिया ! एयस्स ठाणस्स आलोएहि जाव पडिवज्जाहि । तए णं से महासयए समणोवासए भगवओ गोयमस्स तहत्ति एयमटुं विणएणं पडिसणेइ, पडिसुणेत्ता तस्स ठाणस्स आलोएइ जाव अहारिहं च पायच्छित्तं पडिवज्जइ । तए णं भगवं गोयमे महासयगस्स समणोवासयस्स अंतियाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता रायगिहं णयरं मज्झं-मज्झेणं णिग्गच्छड, णिग्गच्छित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे, तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । तए णं समणे भगवं महावीरे अण्णया कयाइ रायगिहाओ णयराओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता बहिया जणवय विहारं विहरइ । तए णं से महासयए समणोवासए बहूहिँ सील जाव भावेत्ता वीसं वासाइं समणोवासगपरियायं पाउणित्ता, एक्कारस उवासगपडिमाओ सम्म कारण फासित्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झुसित्ता, सद्धिं भत्ताई अणसणाए छेदेत्ता, आलोइय- पडिक्कते समाहिपत्ते कालंमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे अरुणवडिसए विमाणे देवत्ताए उववण्णे | चत्तारि पलिओवमाइं ठिई । महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ । णिक्खेवो जहा पढमस्स | || अट्ठमं अज्झयणं समत्त || Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [M] [] उपासकदसांग सूत्र 同 णवमस्स उक्खेवो । एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं सावत्थी नयरी। कोट्ठए चेइए। जियसत्तू राया । तत्थ णं सावत्थीए णयरीए णंदिणीपिया णामं गाहावई परिवसइ । अड्ढे जाव बहुजणस्स अपरिभू | चत्तारि हिरण्णकोडीओ णिहाणपउत्ताओ, चत्तारि हिरण्णकोडिओ वुड्ढपउत्ताओ, चत्तारि हिरण्णकोडिओ पवित्थरपउत्ताओ, चत्तारि वया, दस गोसाहस्सिएणं वणं । अस्सिणी भारिया । सामी समोसढे । जहा आणंदो तहेव गिहिधम्मं पडिवज्जइ । सामी बहिया विहरइ | तए णं से णंदिणीपिया समणोवासए जाव विहरइ । तए णं तस्स णंदिणीपियस्स समणोवासयस्स बहूहिं सीलव्वयगुण जाव भावेमाणस्स चोद्दस संवच्छराइं वइक्कंताइं । तहेव जेट्टं पुत्तं ठवेइ । धम्मपण्णत्तिं । वीसं वासाइं परियागं । णाणत्तं- अरुणगवे विमाणे उववाओ महाविदेहे वासे सिज्झिहि । णिक्खेवओ जहा पढमस्स । [] नवमं अज्झयणं णंदिणीपिया ॥ णवमं अज्झयणं समत्त ॥ दसमं अज्झयणं सालिहीपिया दसमस्स उक्खेवो । एवं खलु जबूं ! तेणं कालेणं तेणं समएणं सावत्थी णयरी । कोट्ठए चेइए । जियसत्तू राया । तत्थ णं सावत्थिए णयरीए सालिहीपिया णामं गाहावई परिवसइ, अड्ढे दित्ते जाव अपरिभू I चत्तारि हिरण्णकोडिओ णिहाणपउत्ताओ, चत्तारि हिरण्णकोडिओ वुड्ढपउत्ताओ, चत्तारि हिरण्णकोडिओ पवित्थरपउत्ताओ, चत्तारि वया, दस-गोसाहस्सिएणं वएणं । फग्गुणी भारिया । 43 Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपासकदसांग सूत्र सामी समोसढे | जहा आणंदो तहेव गिहिधम्म पडिवज्जइ । जहा कामदेवो तहा जेहें पुत्तं ठवेत्ता पोसहसालाए समणस्स भगवओ महावीरस्स धम्मपण्णत्तिं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ | णवरं णिरुवसग्गाओ । एक्कारस वि उवासगपडिमाओ तहेव भाणियव्वाओ । एवं कामदेव गमेणं णेयव्वं जाव सोहम्मे कप्पे अरुणकीले विमाणे देवत्ताए उववण्णे । चत्तारि पलिओवमाई ठिई | महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ । एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं सत्तमस्स अंगस्स उवासगदसाणं दसमस्स अज्झयणस्स अयमद्वे पण्णत्ते || || दसमं अज्झयणं समत्त || ३ परिसेसो १ उवासगदसाणं सत्तमस्स अंगस्स एगो सुयखंधो । दस अज्झयणा एक्कसरगा, दससु चेव दिवसेसु उद्दिस्संति । तओ सुयखंधो समुद्दिस्सइ, अणुण्णविज्जइ, दोसु दिवसेसु अंगं तहेव। ॥ उवासगदसांग सुत्तं समत्तं || 44 Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Published By: GLOBAL JAIN AAGAM MISSION Pawandham, Mahavir Nagar, Kandivali (W), Mumbai - 400 067