Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Shwetambar Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur View full book textPage 9
________________ तदस्तियस्य तद्वित्तिकं वित्तियाश्रितलोकाना ददाति यत्तदृत्तिदं नाएन्यायनिर्नायकत्वात् न्यायःजातंयाजातसामर्थ्यमनुभूतंतत्प्रसा देनलोकेनेति सच्छतेसज्मए सघंटे सपडागापडागमडिए सहपताकयावर्तत इतिसपताकं एकापताकामनतिकम्य यापताका सा अतिपताका तयामंडितंयत्तत्तथा तच्चतञ्चतिकर्मधारयः सलोमइये लोममयप्रमार्जनकयुक्त कयवेयहीए कृतवितहि कं रचितवेदि कलाउलोइयमहिए लाइयंयभूमेगणाटिनोपलेपनं उल्लोइयं कुद्यमालाना मेदिकादिभिः संमटीकरणंततस्ताभ्यां महितमिव महितपजितं यत्तत्तथा गोसीससरसरत्तचंदणदहरदिगापंचंगुलितले गोशीगासरसरतचन्दनेनच ददरेण वइलेनचपेटाप्रकारेगा वादत्ताः पञ्चागुलतलाहस्तकायत तत्तथा उवचियचंदणकलसे उपचितानिवेगिता: चंदनकलगा:मगल्यघटाः यत्रतत्तथाचंदणघड सुकायतोरणपडिदुवारदेसभागे चंदनघटाव उछ कता तोरणानिचडारदेशभागप्रतियस्मिंस्तचंनघटमसततोरणप्रतिद्वारदेशमार्ग देशभागावदेशाएव यासत्तोसत्तविपुलवटवगपारियमलदामकलावे यासकोभमौसम्महाउत्सत उपरिसम्बन्धः विपुलोविस्तीर्ण:रत्तो वर्त्तलः वग्धारिउत्ति प्रलंवमान:माल्यदामकलापः पुप्पमालासमूचो यत्रतत्तथेति पंचयण सरभिमुकपुरफपुजोक्यारकलिए पंचवर्णे * नसरभिणामुक्त नक्षिप्तेन पुष्यपुजलक्षणेनोपचारेणपूजयाकलितं यत्तत्तयाकालागुरुपवरफुदुरुपतरमधूवमघमतगंधहयाभिरामे 器浆器器深紫热器器崇示器體Page Navigation
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