Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur
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किण्होभासे कृष्णावभासः कृष्णप्रभ: रुष्णएववा-वभासतइति रुष्णावभास: नीलेनीलोभासेप्रदेगान्तरे इरिएहरिओवभासे प्रदेशा अ ARE न्तरएव तत्रनीलोमयूरगलवत् हरिसस्तु शुकपिच्छयत् हरितालाभइतिहाः सीएसीयोभासे गीत:स्पर्गापेक्षया वल्याद्याकातत्वा
दितिरदाः निहनिहोभासे स्निग्धोनतुरूनः तिव्य तिव्योभासे तीनोवर्णादिगुणप्रकर्षवान् किगह किराहच्छाए इहरुणयन्दः कृष्ण च्छायइत्यस्य विशेषामिति नपुनरुक्तता तथाहि रुष्णःसन् रुपणछायः छायाचादित्यावरणजन्यो वस्तुविशेषः एवं नीलेनीलच्छाए इरिएरियप्याए सीएसीयच्छाए नि निहच्काए तिव्यतिव्यच्छाए घाफडियकडिच्छाएअन्योन्यगामानुप्रवेशाहालनिरंतरच्छा य: रम्म महामेनिकुर नभए महामेष दकल्पदत्यर्थः तेगांपाययामूलमंतो कंदमंतो कंदोमूलानामुपरिग्बंधमंतो कंध: स्युडंलया
मंतो सालमंतोसावा गाग्यापवानमंतो प्रयाल: पलवाकरः पत्तमंतो पुष्फमतो फलमंतो वीयमंतो अणुपुष्पराजायालयटुभावपरि HE णयाग्रारापूयण मूलादिपरिपाच्या मछुजातामधिराः रत्तभायंघपरिगाता: येतेतथा एपंधा अगोगसाला अगोगसाइप्पसाह
पिउमापनेकगापामगापापिटपसान्मध्यभागो रचयिममारो येषां नेतथाअगोगगारयामगुप्पमारियगेभषणविपुलवधा अनेका भिर्नरयामाभिः सुप्रसारिताभिरग्रामो पनोनिविडी विपुलोपिमीर्णोरतसम्कन्धो येपानेतथा पछिपत्तानीरंध्रव अविरलप
WHEREANI HINKERASHANANLANPNEHYANE

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