Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur
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शितानिरम्याणि जालग्टहकाणि यत्रस्तथा पिंडिमनोहारिमसुगंधसुहसुरभिमणहरंचमहया गंधपिंचमुयंता पिंडिमनोहारि मंपुद्गलसमूहरूपां दूरदेशगामिनींच सुगन्धिसगन्धिकां शुभसुरभिभ्यो गन्धान्तरेभ्यः सकाशान्मनोहरायासातथा तांचमहतामाच नप्रकारेण विभक्तिव्यत्ययान्महतौंवा गन्धएव प्राणहेतुत्वात् तृप्तिकारित्वात् गन्धप्राणितांमुचन्तः इतिटच्च विशेषणमेव मितोऽन्या न्यपि णाणाविहगुच्छगुन्म मंडव कारकसह से उकेउवडला नानाविधाः गुच्छा गुल्मानिमण्डपकाग्टहाणिचयेषांसन्तितेतथाशुभाः सेतवोमार्गाः आलवालपाल्योवा केतवश्चध्वजावहला बहवोयेषां तथा ततः कर्म्मधारयः अगर हजार जोग्गसिवियपविमोयणाअने केषांरथादीनामधोतिविस्तीर्णत्वात् प्रविमोचनंयेषु तेतथा सुरम्मापासाइयादरिसणिज्जा अभिरुवा पडिरूवातस्मणंवणसंडस वड मज्मदेसभाएएत्यणंमह एक्क असोगवर पायवेपणत्तेकुसविकुसविसुद्ध रुक्खमूले कुशादर्भा:विकुशावल्कजादय स्तैर्विशुद्धं विरहितंवृतान रूपंमूलंसमीपंयस्याः सातथा मूलमंतेइत्यादि विशेषणानि पूर्ववदाच्यानि यावत्मडिरूवे सेणंअसोगवरपायवे अणहिं बहिंतिल एहिंलउएहिं छित्तोएहिं सिरीसेहिं सत्तवर्ण हिं दहिवण हिं बुद्ध चिंधवेहिं चंदणेहिं अज्ज गोहिंनिंबेचिं कुडएहिंकलंवेहिंसव्वं चिंफ ग्णसेहिं सालेहिंतमालेहिं पियएहिंपियंगूहिं पुरोबएहिं रायक्खेहिनंदिरुक्ख हिंसव्वचसमंता संपरिक्खित्ते ते ंतिलयालयाच्य

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