Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Part 04
Author(s): Jethalal Haribhai
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha

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Page 3
________________ S .. ॐ अहँ । श्री समवायाङ्ग सूत्र (चतुर्थ अंग) मूळ तथा मूळ अने टीकानुं गुजराती भाषान्तर ..भाषान्तरकर्ता-शास्त्री जेठालाल हरिभाई. सहायक-जैनशास्त्रशैली अनुसार यथामति संशोधन करनार कुंवर जी आ णं द जी. छपावी प्रसिद्ध करनार श्री जैन धर्म प्रसारक सभा [ विक्रम सं. १९९५ .. . वीर सं. २४६५.] .. .किंमत रु. ३-०-० म ॥

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