Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Part 04
Author(s): Jethalal Haribhai
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha

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Page 10
________________ का प्रस्तावना समवायाङ्ग सूत्र ॥ चोधू अंग छापवानुं काम पण लगभग पूर्ण थवा आव्यु हतुं, तेवा समयमां श्रीराधनपुरनिवासी उदारदिल गृहस्थ कांतिलालभाइ ईश्वरलालन भावनगर आवq थता मात्र सूचना करवा मात्रथी ज आ सूत्र छपाववाना संबंधमां सारी रकम मदद तरीके आपवा इच्छा दर्शावी. आ गृहस्थ हालमां श्रीराधनपुर जैन बोडौंग, श्रीमांगरोळ जैन कन्याशाळा, श्रीअंबाला जैन कॉलेज, श्रीराधनपुर हाइस्कूल विगेरे संस्थाओमां बहु सारी रकमनी सहाय आपवाथी विशेष प्रसिद्धिमा आव्या छे. श्री जैन श्वेताम्बर कोन्फरन्सना रेसीडेन्ट जनरल सेक्रेटरी छे अने कोइपण शुभ कार्यमा उदारदिलथी सहाय आप्या ज करे छे, तेमने तेमज तेमना पवित्र धर्मपत्नीने आ प्रसंगे धन्यवाद आपवो योग्य जणाय छे. - आ सूत्र तैयार करवामां ने छपाववामां बनतो प्रयास कर्या छतां तेमां कोइ कोइ विषय वधारे गहन होवाथी अमे संतोष- | कारक कार्य करी शक्या हइए एवो अमने निर्णय थयेलो नथी तोपण यथाशक्ति प्रयास कयों छे अने तेमा रही गएली स्खलना माटे विद्वज्जनोने प्रार्थना करीए छीए के तेओ उपकार बुद्धिथी अमने जणावशे तो अमे जरूर तेने प्रसिद्ध करशु. .. आ सूत्रनी अर्थसाथेनी प्रेसकॉपी करवान तेम ज तैयार करवातुं काम सभाना बहु वर्षना अनुभवी शास्त्री जेठालाल हरिभाइने सोपेलु तेमणे पूरी खंतथी आ कार्य कयुं छे. शास्त्रशैली अनुसार काइ सुधारोवधारो करवा जेवू मारी बुद्धि अनुसार मने लाग्यु ते में करेल छे छतां छद्मस्थपणाथी, अल्पमतिपणाथी तेमज प्रेसदोषथी जे काइ क्षति रही गइ होय तेने माटे क्षमायाचना करी विरमुं छु. चैत्र शुदि १५ कुंवरजी आणंदजी भावनगर. ।

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