Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang  Sutra Suyagado Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya, Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 668
________________ नोट : पृ०६३० से ६४. तक पृ. सध्या के स्थान पर हिम्पण संख्या और टिप्पण संख्या के स्थान पर पृ० संख्या पर्ने। परिशिष्ट १ टिप्पण-अनुक्रम टिप्पण पृष्ठ शब्द अनुक्रम GWwx MG.० xx २१५ ८४ MY २६६ xw G शब्द अनुक्रम टिप्पण पृष्ठ शब्द अनुक्रम टिप्पण पृष्ठ सं० सं० सं० सं० सं० सं० अइदुक्खधम्मयं (५।१२) २५२ ३४ अगणी (५।११) २५१ २६ अणज्जधम्मे (७६) ___३३७ ३८ अइमाण (९।३६) ४२२ ११६ अगरु' (४।३६) अणठे (१३।२२) ५५० १० अंडकडे (१।६७) ६५ १२६ अगारिकम्मं (१३।११) अणण्णणेया (१२।२५) ५११ अंजणसलागं (४।४१) २१६ १०२ अगारिणं (१४८) अणवज्ज (६।२३) ३०८८२ अंजणि (४१३८) अगारिणो (६३१) २८६ अणवज्ज अतहं (११५६) अंजु (३।१) ४ अगिद्धे (११७६) अणवेक्खमाणे (१०।११) अंजुं समाहिं (१०।१) अगिद्धे । (३५) ४२१ ११८ अणाइले (६।८) अंजू (१४८) अणाइले (१३।२२) ५४६ ८७ अंतए ते समाहिए (११।२५) ४७८ अग्गं (२०५७) ११७ ७७ अणाइले (१४।२१) ५८२ ७५ अंतं करेंति (१५।१७) ६११ अग्गं वणिएहि (२०५७) ११७ ___ अणाइले (१५१२) ६०८ २६ अंतकडा (१२।१५) ५११ अग्गे वेणुव्व (३।५४) अणाऊ (६५) २६३ २८ अंतकरा भवंति (१४।१७) ५७८ अजोसयंता (१३।२) ५२८ अणागति (१२।२०) अंतगं सोयं (९७) ३६८ अजोसिया (२०५६) ११६ ७५ अणायु (६।२६) अंतलिक्खे (१४४) २६६ अज्झत्तदोसा (६।२६) अणारिया (१॥३७) अंतसो (८।१०) ३७२ २१ अज्झत्थं (११८७) ७६ १५६ ५७० अणासवे (१४१६) अंताणि (१५।१५) ६१० ३६ अज्झत्थविसुद्धं (४.५३) २२७ १३८ अणिएयचारी (६।६) अंधं तमं (५।११) अज्झप्पजोगसुद्धादाणे अणिदाणभूते (१०११) अकंतदुक्खा (११८४) ७४ १५२ (१६।५) २५ अणिदाणे (१६॥३) अकंतदुक्खा (११।६) ४७४ अज्झप्पेण (८।१६) अणिस्सिए (१६॥३) अकम्मंसे (११३६) ४२ अज्झोववण्णा (२०५८) अणिहे (२०५२) अकसाइ (६८) २६७ ४३ अझंझपत्ते (१३।६) ५३३ १८ अणुक्कसे''जावए (११७७) ६६ १४१ अकिरियाता (१०१६) ४४५ ___ अट्टे (१०।१८) ४४८ अणुगच्छमाणे (१४।२३) ५८६ अकिरियावायं (१२।१) ४६६१ अट्ठपदोवसुद्धं (६।२९) ३१४ १०० अणुजुत्तीहिं (३१५६) १६४ ८० अकोवियं (८।१३) ३७३ अट्ठाणिए (१३।३) अणुजुत्तीहिं (११।६) अकोविया (१॥६१) ५७ ११५ अट्ठापदं (९।१७) ४०४ अणुण्णते णावणते (१६१५) ६२४ अक्कोसे (३।५७) १६५ ८३ अछे (२०४१) अणुतप्पई (४१०) २०० अक्खिरागं (९।१५) ४०३ ५० अणंतचक्खु (६।६) २६४ अणुत्तरं झाणवरं । (६६१६) ३ अखिले (१२८) ३५१ ९७ अणंतचक्खू (६।२५) ३११ ८६ अणुत्तरं तवति (६।६) २६५ अखेतण्णा (१११७६) ४७६ ३६ अणंते अपरिमाणं अणुत्तरग्ग (६।१७) ३०३ अगणिसमारभिज्जा (७१५) ३३४ २५ (१८१-८२) ७२ १५० अणुत्तरे य ठाणे (१५।२१) ६१२ २६४ २५१ २८ . ६२५ ७६ ० WW०८ ० m २२ m Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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