Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Suyagado Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya, Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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सूयगडो १
परिशिष्ट ३ : सूक्त और सुभाषित
इथिओ जे ण सेवंति, आदिमोक्खा हु ते जणा। (१९) इतो विलुसमाणस्स, पुणो संबोहि बुल्लमा। (१५।१८)
जो कामवासना से मुक्त होते हैं, वे मोक्ष पाने वालों की मनुष्य शरीर से च्यूत जीव को (अन्य योनियों में) पहली पंक्ति में हैं।
संबोधि दुर्लभ है। से हु चक्खू मणुस्साणं, जे कंखाए य अंतए। (१५।१४)
दुल्लभाओ तहच्चाओ, जे धम्मठें वियागरे। (१५:१८) जो आकांक्षाओं का अन्त कर देता है, वह मनुष्यों का
धर्म के तत्त्व का उपदेश देने वाली विशुद्ध आत्माओं का चक्षु है।
योग भी दुर्लभ है। दुल्लभेऽयं समुस्सए।
(१५।१७) यह मनुष्य का शरीर दुलर्भ है ।
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