Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
View full book text
________________
नुक्रमणिका.
१५
२ बोजा उद्देशकमां माता, पिता ने पुत्रादिकना रुदन विलाप प्रमुख त या ज्ञाति स्वजनादिकना नाना प्रकारना कुबोध वचन प्रमुख अनुकूल उपसर्गेनुं सहन, साधुयें करनुं, तेनुं निरूपण बावीशे गाथामां करेलुं बे. १७४ ३ त्रीजा उद्देशामां बे अर्थाधिकार बे. त्यां सातमी गाया पर्यंत प्रथम य धिकारमां साधुने प्रतिकूल घने अनुकूल उपसर्गे अध्यात्म विषाद थाय बे, ते दर्शायुं बे. तेवार पढी एकवीशमी गाथा पर्यंत बीजा अधि कारमां साधुने परवादीयें वचनें करी करेला उपसर्गोने सहन करवानुं त या ते उपसर्गो सहन करे, एम उपदेश निरूपण करेलुं बे. 8 चोथा उद्देशामां परदर्शनी अथवा स्वतीर्थिक पासबादिको प्रावीने यु क्ति पूर्वक अनेक कुशास्त्रोनां वचन कही समजावीने साधुने चारित्र य की ष्ट करवानो उद्यम करे तथापि तेमना करेला उपसर्ग थकी सा धु चलायमान न थाय, एवो बोध बावीशे गाथामां करेलो बे.
॥ श्रथ चतुर्थाध्ययनस्यानुक्रमणिका ॥
चोयुं स्त्री परिज्ञानामें प्रध्ययनले एमां वे उद्देशक बे, एकेक उद्देशक Highat धिकार बे. तेनी अनुक्रमणिका करीयें बैयें. १ पहेला उद्देशकमां स्त्रीनी साथै संस्तव, परिचय, खालाप, संलाप, अंग प्र त्यंग निरीक्षणादिकें कामोत्कायें करी अल्पसत्व पुरुषने चारित्रस्ख
न थाय बे, तेथी स्त्रीयें करेला नाना प्रकारना धनुकूल उपसर्ग तेनो परित्याग करवो तथा तेना करेला उपसर्ग सहन करवा. एवो उपदेश, एकत्रीश गाथामां साधुने करेलो बे.
॥ अथ पंचमाध्ययनस्यानुक्रमणिका ॥
पांचमुं निरयविनत्ति नामें अध्ययन बे. एमां बे उदेशा बे, प्रत्येक देशमा एकेक अर्थाधिकार बे तेनी अनुक्रमणिका लखीयें बैयें. १ पहेला उद्देशामां स्त्री वश पुरुषने अवश्य नरकपात थाय ते माटें नरक
Jain Education International
१८६
२ बीजा नदेशकमा स्त्रीना उपसर्गोयें करी शीलयकी स्खलन थयेला साधु नेा जन्मने विषे स्वपक्ष ने परपक्षादि कृत विडंबना यने तत्प्रत्य कि जे कर्मबंध थाय. तेणे करी संसार समुड्मां पर्यटन करवुं पडे ते नुं स्वरूप बावीशे गाथामां दर्शाव्यं बे.
२४३
For Private Personal Use Only
२०१
२१७
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 ... 1050