Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Author(s): Shravak Bhimsinh Manek Publisher: Shravak Bhimsinh ManekPage 15
________________ १३ अनुक्रमणिका. ॥ तृतीयोदेशानुक्रमणिका ॥ १ त्रीजा उद्देशाना पहेला अर्थाधिकारमा चोथी गाथा पर्यंत बाधाकर्मिकग त विचार तथा प्राधाकर्मी थाहार करनारने दोषोपदर्शन कदेखें .... ७१. त्रीजा उद्देशाना बीजा अर्थाधिकारमा ठमी गाथा पर्यंत कोइ कहे ले के था चराचर लोक ईश्वरकृतले, कोइ कहेले के देवरुतले, कोई कहे ले के विष्णुयें निपजाव्यो बे बने को कहे के अंमथकी नीपनो जे. एवी रीतना बोलनारा अज्ञानी-नां मत दर्शावी पनी दशमी गाथा पर्यंत तेमना मतनुं खंमन करेलु ले तथा त्रैराशिक मतानुसारीजे क तवादी तेना मतें आत्मा मनुष्यनवेंज पापरहित थाय तथा मोक्षगामी थाय. पनी ते आत्माने मोदमापण राग देष उपजे,तेथी ते यात्मा फरी संसारमा थावे. इत्यादिक बारमीगाथा पर्यंत कही पड़ी तेरमी गाथामां तेनुं खंम्न कांजे, ते पनी पन्नर गाथा पर्यंत अन्य प्रकारे कृतवादीनुम त देखाडीने पनी शोलमी गाथामां तेमना मतनी निष्फलता दर्शावी. ४ ॥ चतुर्थोद्देशानुक्रमणिका ॥ ४ चोथा नद्देशामा एकज अर्थाधिकार ले. तेमध्ये पहेली गाथा पर्यंत परती र्थिकना दोष कहेला ने. पनी तेवा परतीर्थिक बते साधुएं गुंक र ते बीजी गाथा पर्यंत कहीने ते पनी त्रीजी गाथामां ते परतीर्थिक केम परित्राण समर्थन होय? तेनुं कारण देखाडधुंडे. पनीचोथी गाथाथी सा धु थारंन परिग्रह टालीने प्रवर्त, एम देखाउy .ते पनी पांचमी गाथाथी मांमोने सातमी गाथा पर्यंत था लोकमा जे पुरुष होय ते परलोकें पुरुष ज थाय तथा जे स्त्री होय, ते स्त्रीज थाय तथा था लोक शाश्वत ले य प्रच्युत अनुत्पन्न स्थिर स्वनाववालो सात दीप अने सात समुप बे, इत्यादिक लोकवाद एटले पौराणिक मत दर्शावेल ते पनी आठ मी गाथामां तेनुं खंमन करेल वे ते पनीदशमी गाथा पर्यंत ग्रंथकारें स्वमतने दृष्टांतें करी ते मतोनुं खंमन सिह करीने हिंसा न करवी एवो उपदेश करेलो . पड़ी तेरमी गाथा पर्यंत साधुने केवी रीतें वर्तवं ते दशाव्युं . ... ... ... ... ... ... ... ... ... ... ८६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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