Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 13
________________ ॥ श्रीस शुरुभ्योनमः ॥ ॥ अथ ॥ ॥ श्रीसूयगडांगसूत्र द्वितीयांगानुक्रमणिका प्रारंभः ॥ ॥ तत्र ॥ Jain Education International ॥ प्रथम श्रुतस्कंधस्य षोडशाध्ययनानुक्रमणिका ॥ पहेलुं समयाख्य नामा अध्ययन बे, मां 'स्वसमय ने परसमयनी प्ररूपणा करी बे. ए अध्ययनना चार नद्देशा बे. तेमध्यें पहेला उद्देशामां ब. अर्थाधिकार बे, बीजा उद्देशामां चार अधिकार बे, त्रीजा उद्देशामां बे अर्थाधि कार बे घने चोथा उद्देशामां एकज अर्थाधिकार बे. ते मध्यें नुक्रमें प्रथमाध्ययनना चार उद्देशामांहेला प्रत्ये अर्थाधिकारी अनुक्रमणिका दर्शावियें ढैयें. ॥ तत्र प्रथमोद्देशानुक्रमणिका ॥ १ पहेला उद्देशाना पहेला अर्थाधिकारनी प्रथम गाथामां याचारांग सायें या सूयगडांगनो संबंध, एवी रीतें मेलव्यो बे के याचारांगमां बक्कायनुं स्वरूप जाणवुं, एटले ज्ञान कयुं, ते ज्ञानप्राप्ति थया पढी ज्ञानपूर्वक क्रिया करवी. ते संबंधें प्रारंभमां (बुविक) ए गाथाथी संबंध बे. ते सं बंध मेलवीने पती पांचमी गाया पर्यंत स्वसमयनुं स्थापन कस्युं बे. ते वार पढी यामी गाथा पर्यंत परसमयी जे पंचमहाभूतवादी तेनुं मत कहे . ते या प्रमाणे के पृथ्वी, अप्, तेज, वायु ने खाकाश, ए पांचनुं सर्वत्र व्यापकपणुंबे माटें ए पांच महानूतज सर्वत्र बे परंतु या रमा बेज नहीं. ए रीतें एमनुं मत कहीने प। तेनुं खंमन करूं बे. २ पहेला उद्देशाना बीजा अर्थाधिकारमां चेतनाचेतन सर्वने विषे एक घा त्मा व बेमायें सर्व पदार्थ एक यात्मरूपज बे परंतु शरीर शरीरने विषे जूदो जूदो प्रत्मा नथी. एवो खात्मा द्वैतवादीनुं मत नवमी गाथा पर्यंत दर्शावीने पढी दशमी गाथामां तेनुं खंमन कस्युं बे. ... For Private Personal Use Only १ २६ www.jainelibrary.org

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